निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह

अनुभवी निवेशकों के लिए सही हैं थीमैटिक और सेक्टर फंड्स
ऐसे फंड्स में निवेश करने के लिए सेक्टोरल साइकिल की समझ होना जरूरी है, इसलिए एक्सपर्ट्स नए निवेशकों को इनसे दूर रहने की सलाह देते हैं[ नरेंद्र नाथन .
ऐसे फंड्स में निवेश करने के लिए सेक्टोरल साइकिल की समझ होना जरूरी है, इसलिए एक्सपर्ट्स नए निवेशकों को इनसे दूर रहने की सलाह देते हैं
थीमैटिक और सेक्टर फंड्स के शानदार हिस्टॉरिकल रिटर्न को देखते हुए इनमें निवेश निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह करने के इच्छुक रिटेल इनवेस्टर्स की संख्या आसमान छू रही है। पिछले साल टॉप परफॉर्मिंग कैटेगरी बनने के बाद इंटरनेशनल इक्विटी फंड्स में उनकी दिलचस्पी काफी बढ़ी है। इनके आउटपरफॉर्मेंस की सबसे बड़ी वजह ग्लोबल मार्केट में रैली और डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट रही। इसी तरह खासतौर पर HDFC बैंक और कोटक बैंक जैसे रिटेल लेंडर्स के चलते बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज फंड का परफॉर्मेंस पिछले तीन साल से काफी अच्छा रहा है। कैटेगरी एवरेज लेवल पर बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर फंड्स का रिटर्न पिछले एक और तीन साल में क्रमश: 15.64% और 15.54% चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। एनर्जी फंड्स के टॉप परफॉर्मेंस में सबसे ज्यादा योगदान पिछले पांच साल में रिलायंस इंडस्ट्रीज का रहा है।
हिस्टॉरिकल रिटर्न के पीछे न भागें
कुछ सेक्टर और थीमैटिक फंड्स का हिस्टॉरिकल रिटर्न शानदार रहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इन पर आंख मूंदकर दांव लगाना मुसीबत मोल लेने जैसा हो सकता है। 2017-18 में मिड और स्मॉल कैप स्कीमों के हाई हिस्टॉरिकल रिटर्न के पीछे भागते हुए इन पर दांव लगानेवाले रिटेल इनवेस्टर्स अब भी नुकसान में चल रहे हैं। इस तरह की परेशानी सेक्टर और थीमैटिक फंड्स में निवेश से बढ़ती है। जिन निवेशकों ने 2000 में IT फंड्स और 2007 में इंफ्रा फंड्स में पैसा लगाया था, वे बर्बाद हो गए थे। अच्छे हिस्टॉरिकल निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह परफॉर्मेंस से बचने का सबसे अच्छा तरीका सबसे कमजोर फंड्स पर एक नजर डालना होगा। पिछले एक साल में मैक्सिमम रिटर्न देनेवाले इंटरनेशनल इक्विटी फंड का रिटर्न 10 साल के होल्डिंग पीरियड में सिर्फ 5.26% CAGR रहा है जो सबसे कम एवरेज कैटेगरी रिटर्न है। प्लूटस कैपिटल के मैनेजिंग पार्टनर अंकुर कपूर कहते हैं, 'ज्यादातर सेक्टर फंड में कॉन्संट्रेशन रिस्क सबसे ज्यादा होता है, इसलिए उनके परफॉर्मेंस में उतार चढ़ाव भी ज्यादा होता है।'
आम निवेशकों को दूर रहना चाहिए
सेक्टर फंड में इनवेस्टमेंट करने के लिए सेक्टोरल साइकिल की समझ होना जरूरी है। इसलिए एक्सपर्ट्स नए निवेशकों को इससे दूर रहने की सलाह देते हैं। प्राइमइनवेस्टर.इन की को-फाउंडर विद्या बाला कहती हैं, 'सेक्टर और थीमैटिक फंड में निवेश के लिए एंट्री और एग्जिट दोनों के लिए थोड़ी बहुत टाइमिंग स्ट्रैटेजी जरूरी होती है। इसलिए ये माहिर इनवेस्टर्स के लिए सही होते हैं।' निवेशकों में हिस्टॉरिकल रिटर्न के पीछे भागने की आदत होती है, इसलिए एंट्री टाइमिंग गलत होने का बड़ा रिस्क होता है और लालच के चलते एग्जिट में भी दिक्कत होती है। जो इनवेस्टर्स 2000 में IT फंड और 2007 में इंफ्रा फंड से निकल गए थे उन्हें औसत से ऊंचा रिटर्न मिला था। सेक्टर की जानकारी वर्षों तक नजर रखने या उसमें काम करने से होती है लेकिन निवेशकों को यह भी ध्यान रखना होता है कि निवेश का फैसला सेक्टर विशेष के प्रति उनके झुकाव या दुराव से प्रभावित नहीं होना चाहिए। कपूर कहते हैं, 'सेक्टर प्रोफेशनल्स को बेहतर नॉलेज के चलते बढ़त हासिल होती है लेकिन पूर्वाग्रह पर काबू नहीं रखने के चलते ये भी फंस जाते हैं।'
अगर आप जानकार निवेशक हैं, सेक्टर और थीमैटिक फंड में पैसा लगाना चाहते हैं तो ऐसे में मुश्किल सवाल यह उठता है कि इनमें कितना पैसा लगाना चाहिए। सबका मकसद अलग होता है इसलिए यह तय करना मुश्किल होता है। पहली कैटेगरी के निवेशक डायवर्सिफिकेशन के लिए थीमैटिक फंड में एंट्री करते हैं और इंटरनेशनल फंड वगैरह में पैसा लगाते हैं। विद्या कहती हैं, 'निवेशकों को डायवर्सिफाइड डोमेस्टिक इक्विटी फंड चेक करने के बाद दूसरे थीमैटिक या सेक्टर फंड्स पर नजर डालने से पहले ग्लोबल इक्विटी फंड्स चेक करना चाहिए।' इसलिए सबसे पहले ग्लोबल फंड्स को चेक करना चाहिए क्योंकि जियोग्राफिकल और करेंसी डायवर्सिफिकेशन का फायदा दिलाते हैं। इनमें आदर्श रूप से 10-20% तक निवेश किया जा सकता है। दूसरे तरह के निवेशकों का मकसद रिटर्न बढ़ाना होता है। इन्हें पहले डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड के कोर पोर्टफोलियो में निवेश करना चाहिए और फिर पोर्टफोलियो रिटर्न बढ़ाने के लिए हॉट सेक्टर पर दांव लगाना चाहिए। सेक्टर फंड्स में निवेश सिर्फ माहिर निवेशकों को करना चाहिए और उसे 10% तक सीमित रखना चाहिए।
किन सेक्टरों और थीम पर दांव लगाया जा सकता है?
ज्यादातर एक्सपर्ट्स मीडियम टर्म में अंडरपरफॉर्मेंस के चलते फार्मा सेक्टर पर बुलिश हैं। पिछले तीन से पांच साल के पीरियड में फार्मा का परफॉर्मेंस सबसे खराब रहा है। ज्यादातर कंपनियों की मुसीबतों की जड़ USFDA के नोटिस रहे हैं लेकिन अब इसका दबाव घट रहा है। दूसरा सेगमेंट PSE का है जिनके बारे में विद्या कहती हैं, 'अंडरपरफॉर्मेंस के चलते PSE स्पेस में डीप वैल्यू है और इसमें रिवाइवल के संकेत भी मिल रहे हैं।' हालिया आउटारफॉर्मेंस के बावजूद एक्सपर्ट्स बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर पर भी बुलिश हैं। बैंकों की NPA की समस्या कमोबेश खत्म हो गई है, कॉरपोरेट लेंडर्स के प्रॉफिट में रिवाइवल के संकेत मिल रहे हैं।
सोने में निवेश करने का अच्छा मौका! जमकर कमा सकते हैं पैसा, जानें एक्सपर्ट्स का क्या है सलाह
देश में फेस्टिव सीजन शुरू हो गया है. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग सोने की खरीदारी करते हैं. इसी बीच सोने की कीमतें बढ़ रही हैं. पिछले महीने सोने का भाव 50 हजार रुपये से नीचे चल रहा था, जिसमें अब तेजी देखने को मिल रही है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: राघव वाधवा
Updated on: Oct 10, 2022 | 4:57 PM
देश में फेस्टिव सीजन शुरू हो गया है. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग सोने की खरीदारी करते हैं. इसी बीच सोने की कीमतें बढ़ रही हैं. पिछले महीने सोने का भाव 50 हजार रुपये से नीचे चल रहा था, जिसमें अब तेजी देखने को मिल रही है. सोने में उछाल की वजह है कि फेस्टिव सीजन होने की वजह से इसकी डिमांड में बढ़ोतरी हुई है. इसके साथ ही वैश्विक बाजार में भी कई चीजों के असर निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह में सोने में तेजी आई है. अब जानकार भी लोगों को सोने में निवेश करने का सुझाव दे रहे हैं.
क्यों आ रही है सोने में तेजी?
वैश्विक बाजार में सोने का हाजिर भाव मौजूदा समय में 1,700 डॉलर के करीब है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैश्विक और घरेलू बाजार में कई ऐसी चीजें हैं, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि आने वाले दिनों में सोने में तेजी आ सकती है.
इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपये में पिछले कुछ दिनों में गिरावट को मिली है. विदेशी निवेशकों को अभी शेयर बाजार और फॉरेक्स में निवेश करना सही नहीं लग रहा है. रुपये के अलावा दूसरे देशों की करेंसी जैसा यूरो, पाउंड आदि भी रिकॉर्ड निचले स्तर पर बनी हुई हैं. इसलिए, विदेशी निवेशक सोने में पैसा लगाने की ओर आकर्षित होने लगे हैं.
घरेलू बाजार का हाल
अक्टूबर का महीना शुरू होने के साथ त्योहारी सीजन आ गया है. इसी महीने धनतेरस, दिवाली का त्योहार है. ऐसे में सोने की डिमांड में बड़ा इजाफा होगा. जानकारों का मानना है कि त्योहारी सीजन को देखते हुए घरेलू बाजार में सोने की कीमत अगले दो से तीन महीनों के दौरान सोने का भाव 53,500 रुपये प्रति 10 ग्राम को पार कर सकता है. वहीं, सोने की वायदा कीमत 53 हजार के करीब तक जा सकती है.
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एक्सपर्ट्स का निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह यह भी कहना है कि अभी की स्थिति पर ध्यान दें, तो आने वाले दिनों में सोने की डिमांड में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. ऐसे में वे निवेशकों को इसमें पैसा लगाने की सलाह दे रहे हैं. उनका मानना है कि निवेशक अपने इन्वेस्टमेंट का 20 फीसदी हिस्सा सोने में लगा सकते हैं. उनका मानना है कि शेयर बाजार में देखी जा रही गिरावट के बावजूद निवेशकों को बंपर रिटर्न मिलने की उम्मीद है.
एलएंडटी टेक की लिस्टिंग में हुआ एक शेयर पर 60 रुपए का मुनाफा, अब क्या करें निवेशक
एलएंडटी टेक का शेयर 7% प्रीमियम पर लिस्ट हुआ। इसका मतलब है IPO में जिस भी निवेशक ने निवेश किया है। उसे लिस्टिंग वाले दिन एक शेयर पर 60 रुपए का फायदा हुआ है।
Ankit Tyagi
Updated on: September 23, 2016 10:52 IST
एलएंडटी इन्फोटेक की लिस्टिंग में हुआ एक शेयर पर 60 रुपए का मुनाफा, अब क्या करें निवेशक
नई दिल्ली। शेयर बाजार में शुक्रवार को एक और शेयर की लिस्टिंग हुई है। एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) पर एलएंडटी की सब्सिडियरी कंपनी एलएंडटी इन्फोटेक का शेयर 7 फीसदी प्रीमियम के साथ लिस्ट हुआ है। इसका मतलब है आईपीओ में जिस भी निवेशक ने निवेश किया है। उसे लिस्टिंग वाले दिन एक शेयर पर 60 रुपए का फायदा हुआ है। अब सवाल उठता है कि निवेशकों अब आगे क्या करना चाहिए। ऐसे में एक्सपर्ट्स लंबी अवधि के लिए मौजूदा स्तर पर शेयर में निवेश की सलाह दे रहे है।
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एलएंडटी टेक के इश्यू को मिला था अच्छा रिस्पॉन्स
- एनएसई पर एलएंडटी इन्फोटेक का शेयर 920 रुपये प्रति शेयर के भाव पर लिस्ट हुआ है।
- लिस्टिंग के लिए एलएंडटी टेक का इश्यू प्राइस 860 रुपये प्रति शेयर तय किया गया था।
- लिस्टिंग के बाद एनएसई पर एलएंडटी टेक का शेयर 931.45 रुपये तक पहुंचने में कामयाब हुआ है।
- एलएंडटी टेक का इश्यू 12 से 15 सितंबर के दौरान खुला था।
- इश्यू से कंपनी ने 894 करोड़ रुपये जुटाए हैं और ये इश्यू करीब 2.5 गुना भरा था।
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Multibagger Stock: इस ऑटो कंपनी ने एक लाख के निवेश पर बना दिया करोड़पति, आगे भी बंपर तेजी का रूझान
Moneycontrol 13-10-2022 Moneycontrol Hindi
© Moneycontrol द्वारा प्रदत्त Multibagger Stock: इस ऑटो कंपनी ने एक लाख के निवेश पर बना दिया करोड़पति, आगे भी बंपर तेजी का रूझान Multibagger Stock: महज छह महीने महीने में निवेशकों के पैसे डबल करने वाली महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra and Mahindra) लंबे समय में मल्टीबैगर साबित हुई है। 20 साल में इसने निवेशकों के एक लाख रुपये को एक करोड़ रुपये से अधिक की पूंजी बना दिया। अब एक्सपर्ट्स इसमें आगे भी तेजी का रूझान देख रहे हैं। ब्रोकरेज फर्म एडलवाइस (Edelweiss) ने एक महीने तक यानी शॉर्ट टर्म में निवेश के लिए 1355 रुपये का टारगेट प्राइस रखा है। यह मौजूदा भाव से 8.57 फीसदी अपसाइड है। इसके शेयर आज 13 अक्टूबर को बीएसई पर 1248 रुपये के भाव (Mahindra and Mahindra Share Price) पर ट्रेड हो रहे हैं। HCL Share Price: शानदार नतीजे के अगले दिन शेयरों में 3% की तेजी, खरीदें या बेच दें, एक्सपर्ट्स ने दी ये सलाह एक लाख के निवेश पर बना दिया करोड़पति एसयूवी, पिकअप्स, हल्के और भारी वजन वाली कॉमर्शियल गाड़ियां, दोपहिया और ट्रैक्टर बनाने वाली दिग्गज कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर 18 अक्टूबर 2002 को 10.60 रुपये के भाव पर थे। करीब 20 साल में यह उछलकर अब 1248 रुपये के भाव पर पहुंच चुका है। इसका मतलब हुआ कि उस समय लगाए हुए एक लाख रुपये अब तक 118 गुना बढ़कर 1.18 करोड़ रुपये बन जाते। इस साल तेजी का रहा रूझान महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर लंबे समय में ही नहीं बल्कि कम टाइम फ्रेम में भी निवेशकों के लिए शानदार रिटर्न देने वाले रहे। इस साल 8 मार्च को यह 671 रुपये के एक साल के निचले स्तर पर फिसल गया था। हालांकि उसके बाद इसमें खरीदारी बढ़ी और फिर महज छह महीने में यह 103.56 फीसदी की उछाल के साथ 1365.90 रुपये के भाव पर पहुंच गए जो 52 हफ्ते का रिकॉर्ड ऊंचा स्तर है। हालांकि इसके बाद से यह आठ फीसदी से अधिक फिसल चुका है। Wipro Share Price: कमजोर नतीजे पर 6% से ज्यादा टूट गए शेयर, निवेश को लेकर एक्सपर्ट्स की ये है स्ट्रेटजी अब आगे क्या है रूझान महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर एक साल के रिकॉर्ड ऊंचे स्तर से करीब साढ़े आठ फीसदी डिस्काउंट पर हैं। मार्केट एक्सपर्ट्स इसे निवेश का शानदार मौका देख रहे हैं। ब्रोकरेज फर्म एडलवाइस के मुताबिक इसमें 1225 रुपये का स्टॉप लॉस रखकर 1355 रुपये के टारगेट प्राइस पर निवेश कर सकते हैं। डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए सलाह या विचार एक्सपर्ट/ब्रोकरेज फर्म के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदायी नहीं है। यूजर्स को मनीकंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले हमेशा सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।
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स्मार्ट निवेशक की तरह म्युचुअल फंड स्कीम में कैसे लगाएं पैसा?
सभी सवालों का जवाब देने और आपको म्युचुअल फंड में निवेश में स्मार्ट निवेशकों के लिए क्या है एक्सपर्ट्स की सलाह बनाने के लिए हम यहां कई तरीके बता रहे हैं. इसे समझने के बाद आपके लिए निवेश करना आसान हो जाएगा.
इन सभी सवालों का जवाब देने और आपको म्युचुअल फंड में निवेश में स्मार्ट बनाने के लिए हम यहां कई तरीके बता रहे हैं. इसे पढ़ने और समझने के बाद आपके लिए म्युचुअल फंड में निवेश करना आसान हो जाएगा.
"We expect this capital to take us to full profitability," said Zishaan Hayath, CEO, Toppr.
स्कीम से ध्यान हटाएं
अकस हम पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होते हैं और पहले से ही मन-ही-मन किसी स्कीम का पक्ष ले लेते हैं. यह तरीका सही नहीं है. सबसे पहले आपको अपनी वित्तीय लक्ष्य तय करने की आवश्यकता है. इसके बाद आपको यह जानना जरूरी है कि इसके लिए आपको कितने पैसे की जरूरत होगी.
यह तय करने के बाद आपको लक्ष्य तक पहुंचने के लिए समय तय करना होगा. अंत में आपको यह तय करना होगा कि आप कितना जोखिम उठा सकते हैं. यदि आप जोखिम के बारे में आश्वस्त नहीं हैं या आपके मन में कोई शंका है, तो आप ईटी का 'Risk Tolerance Calculator' इस्तेमाल कर सकते हैं.
निवेश के मूलभूत नियम के मुताबिक, आप छोटे और कम खर्च वाले लक्ष्य के लिए बैंक या डेट म्युचुअल फंड जैसे सुरक्षित रास्ते चुन सकते हैं. इक्विटी म्युचुअल फंड लंबी अवधि के लक्ष्य के लिए बेहतर है क्योंकि इसमें ज्यादा समय में शानदार रिटर्न देने की क्षमता है.
डेट स्कीमों में भी आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना है. उसी स्कीम का चुनाव करें, जो आपके निवेश सीमा से मेल खाती हो. उदाहरण के लिए यदि आप कुछ ही सप्ताह या दिनों के लिए निवेश कर रहे है, तो पैसा लिक्विड फंड में ही लगाए.
दो साल या उससे कम समय के लिए निवेश के लिए अल्ट्रा शॉर्ट-टर्म स्कीम में निवेश कर सकते हैं. डेट म्युचुअल फंड स्कीम में ज्यादा जानकारी के लिए आपको अपने वित्तीय सलाहकार से सहायता लेनी चाहिए.
ऐसा नहीं है कि सभी इक्विटी स्कीम में जोखिम समान रहता है. इक्विटी स्कीम में भी संतुलित स्कीम शामिल हैं. संतुलित इक्विटी स्कीम पहली बार निवेश करने वालों या सुरक्षित इक्विटी निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प मानी जाती है.
It has been made mandatory for financial institutions like fund houses to get their customers' Aadhaar numbers and link the same to their respective accounts. The current deadline for asset management companies to comply with this directive is December 31, 2017.
सुरक्षित निवेश के लिए लार्जकैप स्कीम में निवेश किया जा सकता है. मल्टीकैप स्कीम्स में निवेश की सलाह उन लोगों को दी जाती है, जो सामान्य से कुछ अधिक जोखिम उठा सकते हैं. हालांकि, याद रहे कि निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की राय अनिवार्य है.
इक्विटी स्कीम में निवेश का लाभ तभी है, जब आप लंबे समय के लिए निवेश करें. म्युचुअल फंड का अघोषित सिद्धांत कहता है कि यदि आप 5 साल से कम समय के लिए निवेश कर रहे हैं, तो इक्विटी में पैसा न लगाए. इसी तरह यदि आपकी निवेश समयसीमा 7 से 10 साल की है, तो ही मिडकैप या स्मॉलकैप स्कीम में पैसा लगाया जा सकता है.
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लगातार प्रदर्शन को दें तरजीह
किसी भी स्कीम का चुनाव करने के लिए हर निवेश अपनी अलग सोच रखता है. कई लोग रेटिंग के आधार पर चयन करते हैं, जबकि कुछ लोग टॉप परफॉर्मर्स पर दांव खेलते हैं. चयन के लिए ज्यादातर विशेषज्ञ यही सलाह देंगे की शॉर्ट-टर्म प्रदर्शन को नजरअंदाज करें.
उसी स्कीम में हाथ डालें, जो लगातार प्रदर्शन कर रही हो. उसी स्कीम को अपनाने में समझदारी है, जिसने काफी समय तक बाजार के अलग-अलग दौर में लगातार प्रदर्शन किया हो. यदि आप सांख्यिकी की परिभाषाओं से परिचित नहीं हैं, जो निवेश से पहले इन्हें समझना आपका काम आसान कर देगा.
Wages should rise as cyclical trends and policies begin to support the job market more than the bond market.
लगातार करें पोर्टफोलियो की समीक्षा
लोग अकसर अपने निवेश का ट्रैक रिकॉर्ड रखते हैं. रोजाना देखते हैं कि उनकी स्कीम का क्या स्थिति है. मगर इस समीक्षा के बावजूद जरूरी बदलाव नहीं कर पाते. ईटी सलाह देता है कि निवेशकों साल में एक बार अपने पोर्टफोलियो में सुधार करना चाहिए.
सिर्फ स्कीम के प्रदर्शन के दमपर आप सब कुछ नहीं जान-समझ सकते. आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि उस समयावधि में बेंचमार्क और कैटेगरी की औसत के अनुसार प्रदर्शन किया है या नहीं. तभी उस स्कीम का साथ निभाना अक्लमंदी होगी.
यदि आपकी स्कीम लगातार दो साल तक औसत के कम प्रदर्शन कर रही है, तो आप किसी दूसरे विकल्प के बारे में सोच सकते हैं. एक साल समीक्षा के बाद दूसरे साल को सुधार के लिए सुरक्षित रखें. साथ ही यह भी जानें की स्कीम के बुरे प्रदर्शन का कारण क्या है.
यदि आपको लगता है कि स्कीम का प्रदर्शन उम्मीद के अनुसार नहीं होने का कारण वाजिब है, तो आप उसे और समय दे सकते हैं. यदि ऐसा नहीं होता तो आपको स्कीम से हाथ खींच लेना चाहिए और मिलने वाली पूरी की पूरी रकम को उस कैटेगरी की बेहतर स्कीम में निवेश करना चाहिए.
निवेश संबंधी यह सब बातें कहने-सुनने में काफी अच्छी और सरल लगती हैं, मगर असल में ऐसा नहीं हैं. निवेश से पहले आपको अपना होमवर्क पूरा करना होगा. हमेशा अपने लक्ष्य का सम्मान करें और गुंजाइश हो, तो उनमें भी सुधार करें. लालच में आकर निवेश करना सबसे बड़ी गलती होगी.