विदेशी मुद्रा सफलता की कहानियां

हरियाणा में मत्स्य पालन का विकास
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में मत्स्य क्षेत्र की भूमिका, सामान्य रूप से, अपेक्षाकृत सीमित है। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों की तुलना में मत्स्य क्षेत्र, संभवतः सबसे जटिल श्रेणी में आता है। मत्स्य क्षेत्र की जटिलता प्रकृति, पुरुषों और प्रौद्योगिकी के बीच बातचीत से उपजी है .
मत्स्य पालन क्षेत्र को एक शक्तिशाली आय और रोजगार जनरेटर के रूप में मान्यता दी गई है क्योंकि यह कई सहायक उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित करता है और लोगों के लिए विशेष रूप से समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए कम लागत वाले पशु प्रोटीन का स्रोत है और इस प्रकार यह एक लाभप्रद है राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की स्थिति। यह भारत सहित कई देशों में विदेशी मुद्रा का एक प्रमुख स्रोत भी है। मछली पालन देश के कई राज्यों में सदियों पुरानी प्रथा है। हरियाणा राज्य में मछली पालन की गतिविधि हाल ही में शुरू हुई है। तीन दशकों से भी कम समय में, राज्य में मत्स्य पालन महत्वपूर्ण स्थिति में विकसित हुआ है। हरियाणा देश में प्रति इकाई क्षेत्र में औसत वार्षिक मछली उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। राज्य में औसत वार्षिक मछली उत्पादन 7000 किलोग्राम है। प्रति हेक्टेयर 2900 किलोग्राम के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले। राज्य ने इंडियन मेजर कार्प और कॉमन कार्प के बीज उत्पादन में भी आत्मनिर्भरता हासिल की है। नवंबर 1966 में राज्य के निर्माण के समय मछली पालन के तहत कुल जल क्षेत्र 58 हेक्टेयर था, जो मार्च 2021 के अंत तक बढ़कर 18207.60 हेक्टेयर हो गया है। इसी तरह मछली बीज भंडारण भी 1.5 लाख से बढ़कर 2925.31 लाख हो गया है। दिल्ली से सटे जिलों के किसानों ने मछली विपणन में एक नई तकनीक विकसित की है यानी 600 से 700 ग्राम मछली की कटाई। और दिल्ली मछली बाजार में लाइव कंडीशन में ले जाने के लिए, ताकि उच्च कीमत प्राप्त हो सके। वर्ष 1966-67 के दौरान सभी संसाधनों से कुल मछली उत्पादन 600 मीट्रिक टन था जो अब बढ़कर 2022-23 में 210500 मीट्रिक टन हो गया है, जबकि प्राकृतिक जल निकायों में मछली की आबादी में कमी आई है।
राज्य में जल संसाधनों की कमी के बावजूद, विभाग ने उल्लेखनीय प्रगति की है। विभाग का मुख्य जोर मछली संस्कृति के तहत सभी उपलब्ध जल निकायों को मछली के किसानों की एक श्रेणी बनाकर उन्हें प्रशिक्षण और आवश्यक तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करना है। राज्य के 80% से अधिक गाँवों के तालाबों को मछली पालन के अंतर्गत लाया गया है।
मत्स्य विभाग के मुख्य उद्देश्य और गतिविधियाँ निम्नानुसार हैं:
महिलाओं के संघर्ष की वो कहानियां जो वीमेंस डे की चकाचौंध में गुम हो जाती हैं
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आम महिलाओं के रोज़मर्रा का संघर्ष महिला सशक्तिकरण की कहानियों में जगह क्यों नहीं बना पाता?
अमूमन ऐसा होता है कि महिला सशक्तिकरण का ज़िक्र छिड़ते ही हमारे ज़ेहन में उन सफल महिलाओं की तस्वीरें उभरने लगती हैं, जो या तो किसी मल्टीनेशनल कंपनी की सीईओ हैं या कोई बड़ी सामाजिक कार्यकर्ता या फिर कोई सेलिब्रेटी.
हम क्यों सब्ज़ी बेचने वाली किसी महिला, घरेलू कामगार, महिला कैब ड्राइवर या मज़दूरी विदेशी मुद्रा सफलता की कहानियां करने वाली किसी महिला को सशक्तिकरण से जोड़कर देखने के आदी नहीं हैं? क्यों इन महिलाओं के संघर्ष चकाचौंध भरी महिलाओं की उपलब्धियों के नीचे दबकर रह जाते हैं.
हम ऐसी ही कुछ महिलाओं का ज़िक्र करने जा रहे हैं, जिन्होंने महिला सशक्तिकरण की नई परिभाषा गढ़ी और पुरुष प्रधान समाज की तमाम बंदिशों को चुनौती देते हुए अपनी राह ख़ुद बनाई.
नई दिल्ली के संगम विहार इलाके में रहने वाली मधु टाक ऐसी ही महिलाओं में से एक हैं, जो शराबी पति की मारपीट से तंग आकर पति से अलग हो गईं और घरों में साफ-सफाई का काम कर अपने तीनों बच्चों को पालना शुरू कर दिया.
मधु (42) कहती हैं, ‘पता है मैडम दिक्कत क्या है मर्द समझता है कि औरत उसके बिना कुछ कर नहीं सकती लेकिन जिस दिन औरत यह समझ जाएगी कि वह ख़ुद को और अपने परिवार को पाल सकती है, उसकी आधी परेशानी ख़त्म हो जाएगी.’
उन्होंने कहा, ‘मेरे तीन बच्चे हैं, बड़ी बेटी 21 साल की है, पति ने शराब के लिए बच्चों की पढ़ाई बीच में छुड़वा दी थी लेकिन अब मैंने अपने बच्चों का स्कूल में दोबारा दाख़िला करा दिया है. अब ज़्यादा घरों में काम करने लगी हूं ताकि बच्चों की अच्छी परवरिश कर सकूं.’
अपने दम पर बच्चों की परवरिश को लेकर समाज के रवैये के बारे में पूछे जाने पर विदेशी मुद्रा सफलता की कहानियां वह कहती हैं, ‘मैं रोज़ सुबह अंधेरे में ही काम के लिए निकलती हूं और अंधेरा होने पर ही घर पहुंचती हूं, आस-पड़ोस के लोग बातें तो बनाते हैं लेकिन किसी को मेरा संघर्ष नज़र नहीं आता.’
गुजरात के सूरत की रहने वाली हर्षिका पांड्या का संघर्ष भी मधु से अलग नहीं है. ऐसे समाज में जहां महिलाओं को रात के आठ बजे तक घर आने की नसीहत दी जाती है, हर्षिका देर रात तक फूड डिलीवर कर समाज द्वारा महिलाओं पर लगाए गए इस अघोषित कर्फ्यू को चुनौती दे रही है.
सूरत में फूड डिलीवर करने वाली एक कंपनी से जुड़ीं हर्षिका (37) कहती हैं, ‘मुझे याद है जब मेरे आस-पड़ोस के लोगों को पता चला था कि मैं घर-घर जाकर खाना डिलीवर करने का काम करती हूं तो वे मुझे भौंहें चढ़ाकर देखते थे, मेरे बारे में कानाफूसी होती थी, मेरे घर पर आकर लोग मेरी मां को ताने मारकर जाते थे, यहां तक बोला जाता था कि मैं धंधा करती हूं इसलिए देर रात एक बजे तक घर आती हैं.’
वे कहती हैं, ‘लेकिन मैंने ठान लिया था कि इन तानों से तंग आकर मैं अपना काम नहीं छोड़ूंगी. मेरी मां ख़ुद परेशान रहती थीं, उन्हें लगता था कि देर रात तक काम करना लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं है लेकिन अब वे ज़्यादा चिंता नहीं करती.’
उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले के एक छोटे से गांव भड़ल की रहने वाली रेखा राणा परिवार और समाज के विरोध के बावजूद उच्च शिक्षा हासिल करने वाली गांव की पहली लड़की बनीं.
रेखा ने अपनी मेहनत और लगन से न सिर्फ़ पीएचडी की उपाधि हासिल की बल्कि गांव की कई लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा के रास्ते भी खोले लेकिन रेखा का यह सफ़र इतना आसान नहीं विदेशी मुद्रा सफलता की कहानियां था. भाई की तमाम बंदिशों को तोड़कर और समाज के तानों को दरकिनार कर रेखा ने एक लंबा संघर्ष किया है.
रेखा की छह बहनें और एक भाई हैं. पढ़ाई को लेकर उनका भाई उनके साथ काफी मारपीट करता था. वह नहीं चाहता था कि रेखा घर से बाहर निकलें. रेखा प्रतियोगी परीक्षाओं का फॉर्म भरतीं तो उन्हें भाई की हिंसा का सामना करना पड़ता.
इतना ही नहीं जब उनके भाई की शादी हुई तो उन्होंने रेखा को घर से भी निकाल दिया. रेखा अब कुछ-कुछ दिन अपनी बहनों के यहां रहकर गुज़ारा कर रही हैं.
रेखा कहती हैं, ‘पिता की मौत के बाद मेरे भाई ने मुझे घर से निकाल दिया था. मैं बिना आर्थिक मदद और सहारे के सालों तक अपनी रिश्तेदारी में भटकती रही लेकिन कुछ बहनों और दोस्तों की मदद से मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी.’
वे कहती हैं, ‘आज मेरे गांव की कई लड़कियां उच्च शिक्षा हासिल कर रही हैं, जिसे देखकर लगता है कि मैं कहीं न कहीं इस बदलाव को लाने में सफल रही हूं लेकिन आज भी मैं इसी तरह की विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रही हूं.’
महिलाओं की इसी जमात में एक और नाम है एलिना जॉर्ज, जो दिल्ली की तिहाड़ जेल के क़ैदियों के जीवन में सुधार का बीड़ा उठाए हुए हैं. समृद्ध परिवार से ताल्लुक़ रखनी वाले एलिना ने क़ैदियों के जीवन में सुधार को चुना.
कैदियों के जीवन में सुधार के लिए प्रोजेक्ट सेकंड चांस से जुड़ीं एलिना कहती हैं, ‘मैं हमेशा से तिहाड़ जेल के कैदियों के जीवन को क़रीब से देखना चाहती थी. उनके जीवन में सुधार की चाह मेरे मन में शुरू से थी. शुरुआत में अन्य महिलाओं की तरह मेरे मन में भी जेल को लेकर डर और कौतूहल था. इस विदेशी मुद्रा सफलता की कहानियां बीच मैंने पुरुष क़ैदियों को पढ़ाना शुरू किया और उनमें बदलाव का माध्यम बनी.
मूल रूप से केरल की रहने वाली एलिना जॉर्ज कहती हैं, ‘वैसे तो मेरा परिवार बहुत सपोर्टिंव रहा है लेकिन उनमें भी जेल को लेकर कई तरह के डर और भ्रांतियां थीं. मुझे लगता है कि महिलाओं को उन क्षेत्रों से जुड़ना चाहिए, जिसे लेकर उनके मन में हिचकिचाहट है. मुझे खुशी है कि मैंने जेल के भीतर पुरुष क़ैदियों को पढ़ाकर इस नज़रिये को तोड़ा है.’
ऐसा ही एक और धारणा तोड़ने वाली हैं दिल्ली की शन्नो बेगम, जिनके नाम दिल्ली की पहली महिला कैब ड्राइवर होने का तमगा है. आमतौर पर माना जाता है कि महिलाएं अच्छी ड्राइविंग नहीं कर सकतीं लेकिन एक कैब कंपनी से जुड़ीं शन्नो (40) ने एक साथ कई धारणाएं तोड़ी हैं.
शन्नो कहती हैं, ‘हमारे देश में औरत होना आसान नहीं है और अगर औरत मुस्लिम हो तो दिक्कतें और बढ़ जाती हैं. मैंने शादी से पहले पिता और शादी के बाद पति से जुड़े अपने वजूद से हटकर भी अपनी पहचान बनाई है, जिसे मैं अपनी उपलब्धि मानूंगी.’
वीडियो ट्यूटोरियल: मेटाट्रेडर 5 में ट्रेडिंग कैसे करें
यह वीडियो मेटाट्रेडर 5 वाले आधुनिक वित्तीय सॉफ़्टवेयर के काम करने के बारे में व्यापारियों को मदद करेगा.
मेटाट्रेडर 5 दुनिया भर में व्यापारियों के लिए सबसे लोकप्रिय व्यापारिक सॉफ्टवेयर का पांचवां संस्करण है। यह मुद्राओं, सीएफडी, वायदा और स्टॉक के व्यापार की अनुमति देता है.
वीडियो इस प्लेटफॉर्म के मूल उपयोग के लिए आपकी सहायता करेगा: सेटअप से लेकर विभिन्न व्यापारिक उपकरणों को लागू करने और ट्रेडिंग स्थिति खोलने और बंद करने के लिए.
प्लेटफ़ॉर्म सेटअप
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फोरेक्स चार्ट का उपयोग करना
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यदि आप संकेतक विश्लेषण आसान बनाना चाहते हैं, तो यह वीडियो देखें और संकेतक विंडो और डेटा विंडो का विवरण जानें। संकेतक व्यापारी के सबसे अच्छे दोस्त हैं उन्हें पेशेवर का उपयोग शुरू करने का मौका याद मत करो.
नेविगेटर विंडो
यह वीडियो ट्यूटोरियल बताता है नेविगेटर विंडो जो मेटाट्रेडर 5 प्लेटफॉर्म के विभिन्न संसाधनों तक पहुंच प्राप्त करने में मदद करता है। नेविगेटर विंडो को विभिन्न विकल्पों में त्वरित पहुंच के साथ अपने व्यापार को आसान बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
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बहु-कार्यात्मक टूलबॉक्स विंडो में व्यापार और इतिहास के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें। टूलबॉक्स विंडो में विभिन्न विकल्पों के लिए अलग-अलग बटन होते हैं यह आपको ऑनलाइन बाजार की निगरानी करने और ट्रेडों के इतिहास की समीक्षा करने में मदद करेगा.
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यह वीडियो सामग्री मेटाट्रेडर 5 प्लेटफ़ॉर्म में ग्राफिक टूल और उनके प्रभावी उपयोग के लिए समर्पित है। एम टी 5 प्रसिद्ध और लोकप्रिय ग्राफिक उपकरण के साथ-साथ नए लोगों को भी पेश करता है। इस वीडियो को देखकर अपने पेशेवरों और विपक्षों को जानें.
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विदेशी मुद्रा सफलता की कहानियां
हांगकांग में “एक देश दो व्यवस्थाएं”की नीति के सफल होने की क्या वजह है?
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 1 जुलाई को हांगकांग की मातृभूमि की गोद में वापसी की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर भाषण देते हुए“एक देश दो व्यवस्थाएं”की नीति का उच्च मूल्यांकन किया। आज से 25 साल पहले 1 जुलाई को चीन सरकार ने हांगकांग की प्रभुसत्ता की बहाली की, और हांगकांग में “एक देश दो व्यवस्थाएं”की नीति लागू की गई। बीते 25 सालों में हांगकांग ने विभिन्न चुनौतियों का सामना कर अपने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय स्थान, जहाजरानी और व्यापार केंद्र के स्थान को मजबूत किया।
इतना ही नहीं, हांगकांग के निवासियों ने अभूतपूर्व लोकतांत्रिक अधिकारों और स्वतंत्रता का उपभोग किया। उदाहरण के तौर पर, हांगकांग की जीडीपी साल 1997 में 13.7 खरब हांगकांग डॉलर से बढ़कर 2021 में 2.86 अरब हांगकांग डॉलर तक जा पहुंची। हांगकांग में विदेशी मुद्रा का भंडार भी विगत 25 वर्षों में 5 गुना बढ़ गया है।
अमेरिकी कुह्न फाउंडेशन के अध्यक्ष रॉबर्ट लॉरेंस कुहनो ने कहा है कि“एक देश दो व्यवस्थाएं”की नीति से हांगकांग को खास स्थान मिला है, जिससे चीन की अंतर्राष्ट्रीय छवि और नर्म शक्ति जाहिर हुई है। इधर के वर्षों में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कई बार एक देश और दो व्यवस्थाएं के बीच संबंधों का व्याख्यान किया है। साथ ही यह भी कहा है कि चीन सरकार द्वारा“एक देश दो व्यवस्थाएं”की नीति लागू करने का संकल्प कभी नहीं बदलेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि देश की प्रभुसत्ता, सुरक्षा और विकास के हितों की रक्षा करना “एक देश दो व्यवस्थाएं”की नीति का सबसे अहम विषय है। चीन की केंद्र सरकार हांगकांग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र द्वारा कानून के मुताबिक उच्च स्वशासन के अधिकार पाने का पूरा सम्मान और दृढ़ रक्षा करती है। हांगकांग की सत्ता की बागडोर देशभक्तों के हाथों में होनी चाहिए। चीन सरकार हांगकांग में लम्बे अरसे के लिए खास स्थान और विशेषता को बरकरार रखने का पूरा समर्थन करती है और हांगकांग के विकास में पैदा मुसीबतों को दूर करने में मदद भी करेगी।
हांगकांग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र के नये प्रमुख प्रशासक जॉन ली ने कहा कि उन्हें देश के समर्थन में हांगकांग में उभरने वाले सभी खतरों का निपटारा करने पर पूरा विश्वास है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस बात का गवाह बनेगा कि "एक देश दो व्यवस्थाएं" की नीति हांगकांग में अधिकाधिक सफलता प्राप्त करेगी।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में हुई उल्लेखनीय वृद्धि, बाहरी ऋण से भी निकला आगे
भारतीय अर्थव्यवस्था बहुआयामी विकास की ओर बढ़ रही है। सरकार का अनुमान है कि इस वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 8 फीसदी या 8.5 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर से आगे बढ़ेगी। इन सब के बीच एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 634 बिलियन डॉलर हो गया है। ध्यान देने वाली बात है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 13.2 महीने के कुल भारतीय निर्यात से अधिक है और देश पर वर्तमान समय में जितना बाहरी कर्ज है, वह भी विदेशी मुद्रा भंडार के सापेक्ष में कम हो गया है। भारत के उच्च विदेशी मुद्रा भंडार में और भी वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि भारत की ओर विदेशी निवेशक लगातार आकर्षित हो रहे हैं और साथ ही भारतीय निर्यात बढ़ रहा है, जिस कारण लाभ भी तेजी से देखने को मिल रहा है।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत का भुगतान संतुलन सकारात्मक रहा, जिस कारण रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के लिए विदेशी मुद्रा का संचय करना आसान था। वही विदेशी निवेश की बात करें, तो भारतीय स्टार्टअप कंपनियों ने ही 36 बिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित किया है। इस वर्ष निर्यात की बात करें, तो भारत का निर्यात 400 अरब डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने वाला है। ऐसे में विदेशी मुद्रा भंडार का बढ़ना स्वाभाविक है। इस समय केवल तीन देश, चीन, जापान और स्विट्जरलैंड ही विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में भारत से आगे हैं।
मौजूदा समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था मुद्रा स्फीति से जूझ रही है। कोरोना के दौरान सभी देशों ने आर्थिक पैकेज जारी किए, लोगों को बड़ी मात्रा में धन सीधे उनके बैैंक खातों में भेजा। इसके अतिरिक्त कई अन्य योजनाओं के माध्यम से बाजार में मुद्रा की तरलता बढ़ाई गई, जबकि इस काल में उत्पादन बंद रहा। अब वैश्विक स्तर पर एक ऐसी स्थिति है कि लोगों के पास मुद्रा संचय है, लेकिन उत्पादन अभी भी उस स्तर तक नहीं पहुंचा है। ऐसे में मुद्रा स्फीति की स्थिति है, जिसे नियंत्रित करने के लिए अब मौद्रिक नीति में बदलाव होंगे।
सरकार की PLI योजना कर रही है कमाल
विदेशी मुद्रा के संचय का यह लाभ है कि जब दूसरे देश मुद्रा की तरलता कम करेंगे, भारत तब भी अपने संचयित मुद्रा कोष का प्रयोग कर सकेगा। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की वृद्धि में निवेश और निजी उद्यमों की सबसे बड़ी भूमिका रही है। ऐसे में सरकार की योजना निजी उद्यमियों को बढ़ावा देने की होनी चाहिए और सरकार यह कर भी रही है। PLI योजना भारत के औद्योगिकीकरण को सर्वांगीण विकास का अवसर दे रही है। PLI के कारण भारत कई नए सेक्टर, जैसे- सेमी कंडक्टर, ड्रोन, फूड प्रोसेसिंग आदि में मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है। PLI के जरिये बड़े औद्योगिक इकाइयों का विस्तार होगा। वहीं, स्टार्टअप की बात करें तो इस समय भारत में स्टार्टअप के लिए अनुकूल वातावरण है और यह बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन का कारण बन रहा है। IT सेक्टर में लगातार नौकरियों का विस्तार इसी का परिणाम है।
इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने में लगी है मोदी सरकार
Michael Page India and Thailand के वरिष्ठ प्रबंध निदेशक और आर्थिक मामलों के जानकार निकोलस डमोलिन ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान बताया कि “वर्ष 2021 में कमर्चारियों की हायरिंग वर्ष 2020 की तुलना में काफी अलग रही है। बाजार में CXO स्तर की हायरिंग में 80-100% और मध्य-स्तर पर 40-50% की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।” उन्होंने यह भी बताया कि हेल्थकेयर, कंज्यूमर टेक, एडटेक, फिनटेक, आईटीईएस, मैन्युफैक्चरिंग, इंडस्ट्रियल आदि जैसे अन्य क्षेत्रों में भी हायरिंग में बड़ी बढ़ोत्तरी देखी गई है।
भारत में जिस हिसाब से निवेश हुए है, विशेषकर छोटी कंपनियों में, उसे देखकर यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि इन क्षेत्रों में विस्तार इस वर्ष भी जारी रहेगा। सरकार स्वयं सीड फंड जैसी योजना के जरिए स्टार्टअप को फंड कर रही है। ध्यान देने वाली बात है कि केंद्र सरकार ने बड़ी कंपनियों को भी भारतीय स्टार्टअप में निवेश करने का सुझाव दिया है। सरकार गति शक्ति योजना के जरिए देश के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने पर जोर शोर से काम कर रही है। बजट 2022-23 में सरकार ने इस ओर अपनी प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित की है।