अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दोष

लॉर्ड कॉर्नवालिस ने 1793 ई. में एक अध्यादेश जारी करके स्थायी भू-व्यवस्था लागू करने की घोषणा की। उसने कहा कि हमें उन बुराइयों और कमियों को दूर करना है जिसे जनहित को हानि पहुँचती है। एक निर्धारित राशि के आधार पर लगातार चलने वाले पट्टे पर जमीनें देकर हम अपनी प्रजा को भारत में सबसे अधिक सुखी बना देंगे। इस घोषणा के द्वारा किए गए स्थायी बन्दोबस्त की मुख्य विशेषताएँ निम्न प्रकार थीं
प्रश्न 3. लॉर्ड कॉर्नवालिस के स्थायी बन्दोबस्त के गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
उत्तर - लॉर्ड क्लाइव और वारेन हेस्टिंग्स ने अच्छी शासन व्यवस्था स्थापित नहीं की थी। अतः शासन व्यवस्था में सुधार करने , विशेष रूप से राजस्व व्यवस्था को अच्छी प्रकार स्थापित करने के लिए ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने लॉर्ड कॉर्नवालिस को भारत भेजा। लॉर्ड कॉर्नवालिस ने सर जॉन शोर की सहायता से भू-राजस्व व्यवस्था स्थापित ही नहीं की , वरन् अंग्रेजी साम्राज्य की सुरक्षा के लिए अंग्रेज भक्त जमींदारों की फौज भी इकट्ठी कर दी। लॉर्ड कॉर्नवालिस ने गवर्नर-जनरल के रूप में अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किए , परन्तु उसका सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य था ' स्थायी बन्दोबस्त ' या ' इस्तमरारी बन्दोबस्त ' ।
लॉर्ड कॉर्नवालिस स्वयं जमींदार वर्ग से सम्बन्धित था और कम्पनी के डायरेक्टर भी जमींदारों से कोई समझौता करने पर विचार कर रहे थे। कॉर्नवालिस ने सरकार के लिए निश्चित राजस्व और प्रजा की सुरक्षा का लक्ष्य प्राप्त करने के उद्देश्य से जमींदारों को विरासत के आधार पर भूस्वामी मानने का विचार स्थायी बन्दोबस्त के रूप में क्रियान्वित किया।
स्थायी बन्दोबस्त के गुण
(1) इस भू-व्यवस्था ने जनता को निश्चितता प्रदान कर अनिश्चितता की स्थिति से पूर्ण रूप से उबार दिया। जमींदारों को अपनी जमीन एवं लगान , दोनों के बारे में पता था। उसे पता था कि लगान का भुगतान कब , किसे एवं किस प्रकार करना है।
(2) जमीदारों ने कृषि कार्यों में रुचि लेना आरम्भ कर दिया , क्योंकि कृषि उत्पादन में होने वाली वृद्धि का लाभ उन्हीं को मिलना था।
(3) कृषि में उन्नति होने से उद्योग और व्यापार की भी प्रगति हुई।
(4) सरकार को स्पष्ट पता था कि उसे लगान से कितनी आय होनी है। इस आधार पर सरकार अपनी योजनाएँ बना सकती थी।
(5) सरकार ने लगान वसूली एवं स्थायी प्रशासनिक बोझ को जमींदारों पर डालकर स्वयं को अन्य कार्यों के लिए क स्थायी बन्दोबस्त के दोष
स्थायी बन्दोबस्त अनेक अच्छाइयों से परिपूर्ण था , परन्तु उसमें अनेक दोष भी विद्यमान थे। इस व्यवस्था के सम्बन्ध में बेवरिज ने लिखा था , " केवल जमींदारों के साथ समझौता करके और किसानों के अधिकार को पूर्णतया भुलाकर एक महान् भूल और अन्याय किया गया।"
इस व्यवस्था के प्रमुख दोष निम्नलिखित थे
(1) इस व्यवस्था में लगान की मात्रा स्थायी थी। लगान की राशि बहुत अधिक होने के कारण किसानों को अत्यन्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। लगान न देने पर किसानों से उनकी भूमि छीन ली जाती थी।
(2) जमींदार लगान की राशि अपने ठाट-बाट एवं ऐशो-आराम पर खर्च करते थे। इस कारण किसानों की दशा अत्यन्त दयनीय होती गई , क्योंकि किसानों की भूमि की उपज बढ़ाने के लिए कोई उपाय नहीं किए गए थे।
(3) किसानों को जमींदारों की दया दृष्टि पर छोड़ दिया गया। जमींदार प्रशासनिक दृष्टि से पूर्णतया अयोग्य थे और किसानों पर अत्याचार करते थे। जमींदारों के डर के कारण किसान उसकी शिकायत भी न कर पाते थे।
(4) सरकार लगान से प्राप्त धनराशि का उपयोग जन-कल्याण में नहीं करती थी , वरन् उसे ब्रिटिश सरकार के प्रशासन पर खर्च किया जाता था।
(5) खेती में उपज की वृद्धि होने का लाभ न तो किसानों को मिलता था और न ही सरकार को , बल्कि इस लाभ को जमींदार हड़प कर जाते थे।
स्पष्ट है कि इस व्यवस्था से न तो किसानों को लाभ पहुँचा और न ही सरकार को , बल्कि इस व्यवस्था के द्वारा जमींदार किसानों के स्वामी बन गए और उनके परिश्रम से फलते-फूलते रहे। इसी वर्ग ने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में अंग्रेजों का साथ देकर भारत को और अधिक दिनों तक गुलाम बनाए रखा। इस प्रकार इस व्यवस्था के द्वारा एक छोटे से वर्ग (जमींदार) के हितों के लिए जनहित की बलि दे दी गई।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे | ExportWorldwide
अपने उत्पादों अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दोष या सेवाओं का व्यापार दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय विकास की नींव प्रदान करता है। इससे आपके व्यवसाय के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार हो सकता है, केवल घरेलू व्यापार के साथ आने वाले जोखिम को विविधता में लाया जा सकता है, और आपके प्रतिस्पर्धियों के स्तर को कम कर सकता है। ये वैश्विक होने के कुछ लाभ हैं
ExportWorldwide एक अंतरराष्ट्रीय अग्रणी पीढ़ी के मंच है जो आपको अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लाभों का उपयोग करने में सक्षम बनाता है। यह सुनिश्चित करता है कि आपके उत्पाद या सेवाएं 110 देशों में और 20 भाषाओं में सामग्री का अनुवाद करके और अनुकूलित करके विश्व व्यापार बाजार का 84% हो सकता है। ExportWorldwide दुनिया भर में अपने व्यापार को बढ़ावा कर सकते हैं
अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार के कई लाभ:
फायदा | प्रभाव |
अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए नींव | घरेलू बाजारों पर ध्यान केंद्रित करने वाली कंपनियां उस क्षेत्र तक अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दोष ही सीमित हैं। व्यापार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने ग्राहकों को कई अंतरराष्ट्रीय बाजारों में फैलता है, जिससे आप दुनिया भर में बढ़ सकते हैं। |
बेहतर वित्तीय प्रदर्शन | वैश्विक बाजार आपको राजस्व के नए स्रोत तक पहुंच प्रदान कर सकता है, जो आपके व्यवसाय को अधिक वित्तीय क्षमता दे सकता है। |
विविध जोखिम | एक बाजार में व्यापार करके, आप जोखिम को कम करते हैं कि घरेलू व्यापार के मुद्दे आपके व्यवसाय पर हो सकते हैं। |
स्थिरता में वृद्धि | कारोबार और राजस्व में वृद्धि सुनिश्चित करता है कि आपका व्यवसाय अधिक स्थिर है। |
कम प्रतिस्पर्धा | आपके उत्पादों या सेवाओं को घरेलू स्तर पर बहुत अधिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कम प्रतिस्पर्धा हो सकती है। |
जीवन काल में वृद्धि | आपके उत्पाद या सेवाएं घरेलू बाजार में अपने जीवन काल के अंत तक पहुंच सकते हैं। उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचने से उनकी उम्र बढ़ जाएगी |
अधिक आकर्षक | अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार करने वाले कंपनियां अन्य व्यवसायों और संभावित कर्मचारियों के लिए अधिक आकर्षक हैं। |
राष्ट्रीय सुधार | अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से राजस्व में वृद्धि ने आपकी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में सुधार किया |
कैसे निर्यात वर्ल्डवाइड आप अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे प्रदान कर सकते हैं
ExportWorldwide एक अंतरराष्ट्रीय अग्रणी पीढ़ी के मंच है जो आपके अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दोष उत्पादों या सेवाओं को दुनिया भर में बढ़ावा देता है। यह मंच अंतरराष्ट्रीय बाजारों में आपके व्यवसाय को दिखाई देने के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतःक्रिया विपणन रणनीतियों, वैश्विक एसईओ तकनीकों और एक अद्वितीय हाइब्रिड अनुवाद उपकरण का उपयोग करता है।
वैश्विक एसईओ मंच निम्नलिखित प्रदान करता है:
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपके उत्पादों या सेवाओं का विज्ञापन, साल में 365 दिन। यह सुनिश्चित करता है कि आपके व्यापार को अंतरराष्ट्रीय वितरकों और आपूर्तिकर्ताओं द्वारा पाया जा सकता है
- अंतर्राष्ट्रीय बी 2 बी लीड पीढ़ी
- अंतर्राष्ट्रीय कीवर्ड अनुसंधान और स्थानीय सामग्री सहित अनुभवी बहुभाषी एसईओ सेवाएं। यह सुनिश्चित करता है कि आपकी सामग्री का अनुकूलन और सही अंतरराष्ट्रीय बाजारों का लक्ष्य है
- आपके उत्पाद या सेवाओं का विज्ञापन करने के लिए अनूठे उत्पाद पृष्ठों सहित विशेषज्ञ सामग्री लेखन
- अपनी सामग्री का 20 भाषाओं में हाइब्रिड अनुवाद, इसे 110 देशों में पठनीय और विश्व व्यापार बाजार का 84% हिस्सा बना। हाइब्रिड पद्धति मशीन अनुवाद और मानव अनुवाद का उपयोग करती है, जिसका अर्थ है कि अनुवाद, त्वरित, लागत प्रभावी और सटीक हैं। यह सुनिश्चित करता है कि अनुवादित सामग्री इन अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए समझ में और उचित है
- आपके उत्पादों या सेवाओं की विस्तृत प्रदर्शन रिपोर्ट यह आपको देता है और समझता है कि आपकी लीड्स और विज़िटर कहां से आते हैं
- वैश्विक दृश्यता
विदेश व्यापार का अर्थ-
प्रो. बेस्टेबिल- ‘सामाजिक विज्ञान की दृष्टि कोण से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न समुदाओं के बीच होने वाला व्यापार है अर्थात् यह उन विभिन्न सामाजिक संगठनों के बीच होने वाला व्यापार है, जिन्हें समाजशास्त्र अपने अन्वेषण का क्षेत्र मानता है।’
फेडरिक लिस्ट- ‘आंतरिक व्यापार हमारे बीच है तथा विदेशी व्यापार हमारे और उनकें ;दूसरे देशों के बीचद्धबीच होता है।’
संक्षेप में कहा जा सकता है कि देश की सीमाओं के भीतर होने वाला व्यापार अंतरसेवीय या राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है तथा देश की सीमाओं के विभिन्न देशों के बीच होने व्यापार अंतर्राष्ट्रीय/विदेशी व्यापार कहलाता है। विदेशी व्यापार एक देश दूसरे देश के साथ लाभ के सिद्धांतों पर आधारित होता हैं।
2-विदेशी व्यापार की दिशा
आजादी के पूर्व भारत के विदेशी व्यापार की दिशा तुलनात्मक लागत लाभ स्थितियों के द्वारा निर्धारित न होकर ब्रिटेन और भारत के बीच औपनिवेशिक संबंधों द्वारा निर्धारित थी। दूसरे शब्दों में, भारत किन देशों से आयात करेगा और कहां पर अपना माल बेचेगा, यह ब्रिटिश शासक अपने देश के हित में तय करते थे।
यही कारण है कि स्वतंत्रता से पूर्व भारत का अधिकांश व्यापार ब्रिटेन, उसके उपनिवेशों और मित्र राष्ट्रों के साथ था। यही प्रवृत्ति आजादी के बाद कुछ वर्षों में भी देखने को मिलती है क्योंकि तब तक भारत की अन्य देशों के साथ व्यापार संबंध स्थापित करने में कोई विशेष सफलता नहीं मिल पाई थी।
उदाहरणार्थ, 1950-51 में भारत की निर्यात आय में इंग्लैंड और अमेरिका का हिस्सा 42 प्रतिशत था। उसी वर्ष भारत के आयात व्यय में उनका हिस्सा 39.1 प्रतिशत था।
अन्य पूंजीवादी देशों जैसे फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी, इटली, जापान इत्यादि और समाजवादी देशों जैसे सोवियत संघ, रोमानिया, पोलैंड, चेकोस्लोवाकिया इत्यादि के साथ बेहद थोड़ा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दोष व्यापार था।
खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था क्या है? | खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था के बीच का अंतर
किसी देश की अर्थव्यवस्था के बारे में आप जब भी कुछ सोचते हैं। आपके ज़हन में कुछ तस्वीरें ज़रूर उभरती होंगी। यही की उस देश में उद्योगों की स्थिति कैसी है? उस देश के नागरिकों का जीवन स्तर कैसा है। क्या उस देश के लोग व्यापार करते हैं? वहाँ राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की स्थिति कैसी है।
यदि उस देश में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय व्यापार हो रहा है, तो क्या आयात-निर्यात को पर्याप्त प्रोत्साहन मिल रहा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दोष है या सरकारी नियमों के अंतर्गत कुछ बंदिशें लागू हैं? सीधे शब्दों में कहें तो मन में यही प्रश्न उठता है कि उस देश में अर्थव्यवस्था किस प्रकार की है। खुली अर्थव्यवस्था या बंद अर्थव्यवस्था ? आइये हम खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था के बारे में और भी आसान शब्दों में जानने का प्रयास करते हैं।
खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy in hindi)
किसी देश में व्यापार की ऐसी स्थिति जब किसी देश या समाज को किसी के साथ भी व्यापार यानि कि लेनदेन करने की छूट हो। खुली अर्थव्यवस्था कहलाती है। वैसे तो इस प्रकार के व्यापार में कोई सरकारी अंकुश या नियंत्रण नही होता। लेकिन सरकार ऐसी नीतियाँ अवश्य बनाती है ताकि व्यापारों को किसी भी प्रकार की बेईमानी से रोका जा सके। नियंत्रण को इतना भी कड़ा नही किया जाता, कि इन नियमों के तहत ईमानदार व्यापारियों को व्यापार करने में किसी प्रकार की असुविधा हो।
ऐसी अर्थव्यवस्था में व्यापार को स्वतंत्र रूप से फलने-फूलने दिया जाता है। इस बात के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है कि आम लोगों के बीच उद्योगों व विभिन्न प्रकार के व्यापारों को सरलता से प्रारंभ किया जा सके। खुली अर्थव्यवस्था केवल उस समाज या देश के अंदर हो रहे व्यापार के लिये ही नहीं होती है बल्कि बाहरी व्यापार के लिए भी उतनी ही सक्रिय दिखाई देती है। एक खुली अर्थव्यवस्था वह है जो दुनिया भर की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ स्वतंत्र रूप से संपर्क बनाए रखती है।
बंद अर्थव्यवस्था (Closed Economy in hindi)
बंद अर्थव्यवस्था दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ कोई भी बातचीत नहीं करती है। कोई निर्यात नहीं, कोई आयात नहीं, कोई पूँजी प्रवाह भी नहीं करती है। बंद अर्थव्यवस्था में व्यापार सिर्फ घरेलू सीमा के अंदर ही होता है। इ सका संबंध अन्य देशों से नहीं होता है। सीधे-सीधे शब्दों में कहें तो ऐसी अर्थव्यवस्था को बंद अर्थव्यवस्था अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दोष कहते हैं जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापारों में भाग नहीं लेती। ठीक खुली अर्थव्यवस्था के विपरीत।
दूसरे शब्दों में- "जब कोई देश किसी भी दूसरे देश के साथ व्यापार अर्थात आयात-निर्यात का सम्बन्ध नहीं रखता है। तब ऐसी अर्थव्यवस्था बंद अर्थव्यवस्था कहलाती है। बंद अर्थव्यवस्था होने पर अन्य देशों को शेष विश्व की संज्ञा दी जाती है। "
राष्ट्रीय आय की गणना करते समय जब सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात किया जाता है तब वह बंद अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय आय होती है। वर्तमान समय में कोई भी अर्थव्यवस्था बंद नहीं है।
खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था में अंतर | O pen economy and closed economy difference in hindi
खुली और बंद अर्थव्यवस्थाओं के बीच अंतर यही दर्शाता है कि कोई सरकार अपने नागरिकों को विश्व स्तर पर बाज़ार में भाग लेने की अनुमति देती है अथवा नहीं। यह वैश्विक बाज़ार में अर्थव्यवस्था के विकास के प्रयास के स्तर पर अंतर स्पष्ट करता है। आइये हम open economy and closed economy difference in hindi निम्न बिंदुओं के माध्यम से जानने का प्रयास करते हैं -
खुली अर्थव्यवस्था | बंद अर्थव्यवस्था |
---|---|
1. जब किसी देश का अन्य देशों के साथ आर्थिक संबंध होता है तब उसे खुली अर्थव्यवस्था कहा जाता है। | 1. जब किसी देश का अन्य दूसरे देशों के साथ आर्थिक संबंध नहीं होता तब उसे बंद अर्थव्यवस्था कहा जाता है। |
2. खुली अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय व घरेलू आय दोनों में अंतर होता है। | 2. बंद अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय व घरेलू उत्पाद दोनों में समानता होती है। |
3. खुली अर्थव्यवस्था एक वास्तविक अर्थव्यवस्था है। | 3. बंद अर्थव्यवस्था एक काल्पनिक अर्थव्यवस्था है। |
4. खुली अर्थव्यवस्था में पूँजी निर्माण अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दोष तथा विनियोग दोनों होते हैं। | 4. बंद अर्थव्यवस्था में पूँजी निर्माण नगण्य यानि कि ना के बराबर होता है। |
5. खुली अर्थव्यवस्था में देखा जाए तो यहाँ उपभोग तथा विनियोग का योग, उत्पादन से कम अथवा अधिक भी हो सकता है। | 5. बंद अर्थव्यवस्था के अंतर्गत परिस्थिति अलग होती है। इसमें उपभोग तथा विनियोग, उत्पादन के बराबर होते हैं। |
खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था क्या है? | खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था के बीच का अंतर
किसी देश की अर्थव्यवस्था के बारे में आप जब भी कुछ सोचते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दोष आपके ज़हन में कुछ तस्वीरें ज़रूर उभरती होंगी। यही की उस देश में उद्योगों की स्थिति कैसी है? उस देश के नागरिकों का जीवन स्तर कैसा है। क्या उस देश के लोग व्यापार करते हैं? वहाँ राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की स्थिति कैसी है।
यदि उस देश में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय व्यापार हो रहा है, तो क्या आयात-निर्यात को पर्याप्त प्रोत्साहन मिल रहा है या सरकारी नियमों के अंतर्गत कुछ बंदिशें लागू हैं? सीधे शब्दों में कहें तो मन में यही प्रश्न उठता है कि उस देश में अर्थव्यवस्था किस प्रकार की है। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दोष खुली अर्थव्यवस्था या बंद अर्थव्यवस्था ? आइये हम खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था के बारे में और भी आसान शब्दों में जानने का प्रयास करते हैं।
खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy in hindi)
किसी देश में व्यापार की ऐसी स्थिति जब किसी देश या समाज को किसी के साथ भी व्यापार यानि कि लेनदेन करने की छूट हो। खुली अर्थव्यवस्था कहलाती है। वैसे तो इस प्रकार के व्यापार में कोई सरकारी अंकुश या नियंत्रण नही होता। लेकिन सरकार ऐसी नीतियाँ अवश्य बनाती है ताकि व्यापारों को किसी भी प्रकार की बेईमानी से रोका जा सके। नियंत्रण को इतना भी कड़ा नही किया जाता, कि इन नियमों के तहत ईमानदार व्यापारियों को व्यापार करने में किसी प्रकार की असुविधा हो।
ऐसी अर्थव्यवस्था में व्यापार को स्वतंत्र रूप से फलने-फूलने दिया जाता है। इस बात के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है कि आम लोगों के बीच उद्योगों व विभिन्न प्रकार के व्यापारों को सरलता से प्रारंभ किया जा सके। खुली अर्थव्यवस्था केवल उस समाज या देश के अंदर हो रहे व्यापार के लिये ही नहीं होती है बल्कि बाहरी व्यापार के लिए भी उतनी ही सक्रिय दिखाई देती है। एक खुली अर्थव्यवस्था वह है जो दुनिया भर की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ स्वतंत्र रूप से संपर्क बनाए रखती है।
बंद अर्थव्यवस्था (Closed Economy in hindi)
बंद अर्थव्यवस्था दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ कोई भी बातचीत नहीं करती है। कोई निर्यात नहीं, कोई आयात नहीं, कोई पूँजी प्रवाह भी नहीं करती है। बंद अर्थव्यवस्था में व्यापार सिर्फ घरेलू सीमा के अंदर ही होता है। इ सका संबंध अन्य देशों से नहीं होता है। सीधे-सीधे शब्दों में कहें तो ऐसी अर्थव्यवस्था को बंद अर्थव्यवस्था कहते हैं जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापारों में भाग नहीं लेती। ठीक खुली अर्थव्यवस्था के विपरीत।
दूसरे शब्दों में- "जब कोई देश किसी भी दूसरे देश के साथ व्यापार अर्थात आयात-निर्यात का सम्बन्ध नहीं रखता है। तब ऐसी अर्थव्यवस्था बंद अर्थव्यवस्था कहलाती है। बंद अर्थव्यवस्था होने पर अन्य देशों को शेष विश्व की संज्ञा दी जाती है। "
राष्ट्रीय आय की गणना करते समय जब सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात किया जाता है तब वह बंद अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय आय होती है। वर्तमान समय में कोई भी अर्थव्यवस्था बंद नहीं है।
खुली अर्थव्यवस्था और बंद अर्थव्यवस्था में अंतर | O pen economy and closed economy difference in hindi
खुली और बंद अर्थव्यवस्थाओं के बीच अंतर यही दर्शाता है कि कोई सरकार अपने नागरिकों को विश्व स्तर पर बाज़ार में भाग लेने की अनुमति देती है अथवा नहीं। यह वैश्विक बाज़ार में अर्थव्यवस्था के विकास के प्रयास के स्तर पर अंतर स्पष्ट करता है। आइये हम open economy and closed economy difference in hindi निम्न बिंदुओं के माध्यम से जानने का प्रयास करते हैं -
खुली अर्थव्यवस्था | बंद अर्थव्यवस्था |
---|---|
1. जब किसी देश का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दोष अन्य देशों के साथ आर्थिक संबंध होता है तब उसे खुली अर्थव्यवस्था कहा जाता है। | 1. जब किसी देश का अन्य दूसरे देशों के साथ आर्थिक संबंध नहीं होता तब उसे बंद अर्थव्यवस्था कहा जाता है। |
2. खुली अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय व घरेलू आय दोनों में अंतर होता है। | 2. बंद अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय व घरेलू अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दोष उत्पाद दोनों में समानता होती है। |
3. खुली अर्थव्यवस्था एक वास्तविक अर्थव्यवस्था है। | 3. बंद अर्थव्यवस्था एक काल्पनिक अर्थव्यवस्था है। |
4. खुली अर्थव्यवस्था में पूँजी निर्माण तथा विनियोग दोनों होते हैं। | 4. बंद अर्थव्यवस्था में पूँजी निर्माण नगण्य यानि कि ना के बराबर होता है। |
5. खुली अर्थव्यवस्था में देखा जाए तो यहाँ उपभोग तथा विनियोग का योग, उत्पादन से कम अथवा अधिक भी हो सकता है। | 5. बंद अर्थव्यवस्था के अंतर्गत परिस्थिति अलग होती है। इसमें उपभोग तथा विनियोग, उत्पादन के बराबर होते हैं। |