ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है?

Intraday trading tips in Hindi – इंट्राडे ट्रेडिंग टिप्स
Intraday trading tips in Hindi – इंट्राडे ट्रेडिंग टिप्स – आज के समय में लोग, गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद बहुत से एंड्राइड ऐप का इस्तेमाल करके ट्रेडिंग करते हैं. ज्यादातर लोग इसमें इंट्राडे ट्रेडिंग ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? करके अच्छी खासी कमाई भी कर लेते हैं.
अगर आप भी उन सारे लोगों में शामिल है जो इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं. तो यह आपके लिए है. आप इंट्राडे ट्रेडिंग के माध्यम से हर दिन अच्छी खासी कमाई कर सकते हो. आज हम आपको इंट्राडे ट्रेडिंग के कुछ टिप्स बताने वाले हैं. इंट्राडे ट्रेडिंग के माध्यम से आप एक निश्चित आय भी प्राप्त कर सकते हैं.
Intraday trading tips in Hindi – इंट्राडे ट्रेडिंग टिप्स
आज के समय में ज्यादातर लोग शेयर बाजार से वाकिफ है. शेयर बाजार पर ट्रेडिंग करने के बहुत सारे तरीके हैं. इनमें से एक प्रसिद्ध तरीका शेयर बाजार पर इंट्राडे ट्रेडिंग करने का है. यह आसान तरीका भी है क्योंकि आप इसके जरिए थोक में किसी शेयर को उसी दिन खरीदते हो और उसी दिन आपको 3:00 बजे से पहले उसे बेचना भी होता है. इस तरह का ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडिंग चलाता है.
हर बनाया व्यक्ति जो शेयर बाजार से कुछ लाभ कमाना चाहता है उसकी पहली पसंद इंट्राडे ट्रेडिंग ही होती है क्योंकि वह इस पर जल्दी आकर्षित होता है. इसके जरिए उसे जल्दी लाभ मिल सकता है.
इंट्राडे ट्रेडिंग एक ही दिन में आप किसी शेयर या इंडेक्स को खरीद करके बेचते हो. यह भारतीय शेयर बाजार में किए जाने वाला सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा किया जाने वाला ट्रेडिंग है. इस ट्रेनिंग में आप कम पैसों से अधिक से अधिक खरीद सकते हैं यानी कि ट्रेडर को एक निश्चित मार्जिन मनी रखना होता है. जिसके जरिए व इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकता है. इंट्राडे ट्रेडिंग को इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि आप कम पैसे से जल्दी पैसा बना सकते हो.
लेकिन, इंट्राडे ट्रेडिंग पर आपको इस बात का भी ध्यान रखना है कि यह जोखिमों के अधीन होती है. इसलिए इंट्राडे ट्रेडिंग करने से पहले आप इसके जोखिमों के बारे में आपको पता होना चाहिए.
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कुछ रणनीति टिप्स
यार रणनीति नियमित निवेश की तुलना में अधिक जोखिम भरा होता है. इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर को एक ही दिन में एक निश्चित समय के अंतराल में खरीदना और एक निश्चित समय के अंतराल में ही बेचना होता है. चाहे इसमें आपको फायदा हो या फिर नुकसान.
इस पूरे ट्रेड में शेयर की डिलीवरी नहीं की जाती है. बल्कि ट्रेड को उसी ट्रेडिंग देने मार्केट बंद होने से पहले बेचना या स्क्वायर ऑफ करना होता है. इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर की कीमत में हो रहे उतार-चढ़ाव का लाभ आप उठा सकते हो. ग्रे ट्रेडिंग में अधिक नुकसान से बचने के लिए विशेष तौर पर उन लोगों के लिए जो शेयर बाजार में शुरुआत कर रहे हैं कुछ टिप्स हम नीचे दे रहे हैं.
एक बार में दो से तीन शेयर ना खरीदें :- अगर आप शेयर मार्केट में गए हैं तो हमारी असला रहेगी कि इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान आप एक बार में दो या तीन शेयर का चुनाव ना करें. जहां तक संभव हो लार्ज कैप शेयर में ही ट्रेडिंग करें.
शेयर का ट्रेंड क्या चल रहा है? यह भी जानना जरूरी है:- जब आप किसी शेयर पर इंट्राडे ट्रेडिंग पर ट्रेड करने जाते हो, तो इस बारे में आपको पता होना चाहिए कि शेयर का ट्रेंड चाचा है. यानी कि शेयर का ट्रेंड किस दिशा में है. शेयर के भाव बढ़ रहे हैं या फिर घट रहे हैं. अगर शेयर के भाव ऊपर बढ़ रहे हैं तो आपको उसे खरीद लेना चाहिए. या शेयर के भाव नीचे घटकर ऊपर बढ़ रहे हैं तो भी आपको खरीद लेना चाहिए इससे आपको अच्छी खासी इनकम मार्जिन मिल जाती है.
शेयर ट्रेडिंग के दौरान स्टॉप लॉस (Stop Loss) जरूर लगाएं :- आप इंट्राडे ट्रेडिंग पर शेयरों को खरीदने के बाद इस बात का ध्यान रखें कि आप उसी दिन स्टॉप लॉस जरूर लगा दे. जब भी आप कोई भी शेयर को ट्रेड करने के लिए स्टेटस जी बनाते हैं तो स्टॉपलॉस का अवश्य ध्यान रखें. क्योंकि ट्रेड लेने के लिए रणनीति बनाना जितना आवश्यक होता है उतना ही ट्रेड से निकलने के लिए भी रणनीति बनाना जरूरी होता है. स्टॉप लॉस आपके संभावित लॉस को सीमित करने में लाभदायक होता है.
एंट्री लक्ष्य को भी निर्धारित करें :- किसी भी शेयर की ट्रेडिंग लेने से पहले शेयर का एंट्री और लक्ष्य निर्धारित कर लें. जब भी आप शेयर मार्केट पर इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं तुरंत अपना टारगेट भी जरूर लगा दें. कोशिश करें कि दोबारा आप इस ट्रेड पर शेयर ना लगाएं.
इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर का विश्लेषण जरूरी है :- जैसा कि हमने इस बारे में ऊपर जिक्र किया है, इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको शेयर एक ही दिन में खरीद करके उसी दिन बेचना होता है. इस चलते आपको शेयर का विश्लेषण करना भी जरूरी है. इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए अधिक लिक्विड वाली शेयर को आप सुन सकते हैं. अगर शेयर में लिक्विडिटी ज्यादा रहेगी तो उस शेयर को खरीद और बिक्री अधिक होती है. इसलिए कोशिश करें कि अधिक लिक्विडिटी वाली शेयर को खरीदें.
ओवरट्रेडिंग से बचें :- ओवरट्रेडिंग कभी भी ना करें. अर्थात अपनी हैसियत से ज्यादा का शहर कभी भी ना खरीदें. 1 दिन में दो या तीन ट्रेड ही खरीदें. अधिक लाभ कमाने के चक्कर में ओवरट्रेडिंग करने से कई बार नुकसान भी हो जाता है.
इस बात का ध्यान रखें कि इंट्राडे ट्रेडिंग कम से कम करें क्योंकि इसमें नुकसान होने के बहुत अधिक संभावना होती है. उतने ही पैसे में इंट्राडे ट्रेडिंग में पैसे लगा है जो कि आप की आर्थिक स्थिति पर कोई प्रभाव ना डालती हो. इंट्राडे ट्रेडिंग जोखिमों से भरा होता है, यह निश्चित नहीं होती की जितने पैसे आपने लगाए हैं उतना ही ज्यादा आपको लाभ मिले. शेयर मार्केट के भाव कभी भी गिर सकते हैं. और कभी भी शेयर मार्केट के भाव ऊपर चढ़ सकते हैं. इसीलिए सोच समझकर के इंट्राडे ट्रेडिंग में पैसे लगाएं.
ग्रिड ट्रेडिंग क्या है?
ग्रिड ट्रेडिंग एक ट्रेडिंग बॉट है जो फ्यूचर्स अनुबंधों की खरीद और बिक्री को स्वचालित करती है। इसे एक कॉन्फिगर की गई मूल्य सीमा के भीतर पूर्व निर्धारित अंतराल पर बाजार में ऑर्डर देने के लिए डिजाइन किया गया है।
ग्रिड ट्रेडिंग तब होती है जब ऑर्डर एक निर्धारित मूल्य से ऊपर और नीचे रखे जाते हैं, जिससे बढ़ती कीमतों पर ऑर्डर का एक ग्रिड तैयार होता है। इस तरह, यह एक ट्रेडिंग ग्रिड का निर्माण करता है। उदाहरण के लिए, कोई व्यापारी बिटकॉइन के बाजार मूल्य से प्रत्येक $1,000 पर खरीद-ऑर्डर दे सकते हैं, साथ ही बिटकॉइन के बाजार मूल्य से प्रत्येक $1,000 पर बिक्री-ऑर्डर भी दे सकते/सकती हैं। यह विभिन्न परिस्थितियों का लाभ उठाता है।
ग्रिड ट्रेडिंग अस्थिर और साइडवे मार्केट में सबसे अच्छा प्रदर्शन करती है जब मूल्य में एक निश्चित दायरा के अंदर उतार-चढ़ाव होता है। यह तकनीक छोटे मूल्य परिवर्तनों पर लाभ कमाने के लिए है। आप जितने अधिक ग्रिड शामिल करेंगे/करेंगी, व्यापारों की आवृत्ति उतनी ही अधिक होगी। हालांकि,यह एक खर्च के साथ आता है क्योंकि प्रत्येक ऑर्डर से आपको होने वाला लाभ कम होते हैं।
इस प्रकार, यह कई व्यापारों से कम लाभ कमाने वाली रणनीति बनाम कम आवृत्ति वाली रणनीति के बीच एक ट्रेडऑफ है लेकिन प्रति ऑर्डर एक बड़ा लाभ उत्पन्न करता है।
बायनेन्स ग्रिड ट्रेडिंग अब USDⓈ-M फ्यूचर्स पर लाइव है। उपयोगकर्ता ग्रिड की ऊपरी और निचली सीमा और ग्रिड की संख्या निर्धारित करने के लिए ग्रिड के मापदंडों को अनुकूलित और सेट कर सकते हैं। एक बार ग्रिड बन जाने के बाद, सिस्टम स्वचालित रूप से पूर्व निर्धारित कीमतों पर ऑर्डर खरीदेगा या बेचेगा।
मान लीजिए कि आप अगले 24 घंटों में बिटकॉइन की कीमत $50,000 से $60,000 के आसपास रहने की उम्मीद करते/करती हैं। इस मामले में, आप इस अनुमानित सीमा के अंदर व्यापार करने के लिए ग्रिड ट्रेडिंग सिस्टम सेट कर सकते/सकती हैं।
- मूल्य दायरा की ऊपरी और निचली सीमा,
- कॉन्फिगर की गई मूल्य सीमा के भीतर रखे जाने वाले ऑर्डर की संख्या,
- प्रत्येक खरीद और बिक्री-सीमित ऑर्डर के बीच की चौड़ाई।
इस परिदृश्य में, जैसे ही बिटकॉइन की कीमत $ 55,000 तक गिरती है, ग्रिड ट्रेडिंग बॉट बाजार की तुलना में कम कीमत पर खरीद पोजीशन को जमा करेगा। जैसे ही कीमतों में सुधार होगा, बॉट बाजार की तुलना में अधिक कीमत पर बेचेगा। यह रणनीति अनिवार्य रूप से मूल्य प्रत्यावर्तन से लाभ का प्रयास करती है।
जोखिम चेतावनी: एक रणनीतिक व्यापारिक उपकरण के रूप में ग्रिड ट्रेडिंग को बायनेन्स की वित्तीय या निवेश सलाह के रूप में नहीं लेना चाहिए। ग्रिड ट्रेडिंग का उपयोग आपके विवेक पर और आपके अपने स्वयं के जोखिम पर किया जाता है। आपके द्वारा सुविधाओं के उपयोग किए जाने से उत्पन्न होने वाले किसी भी नुकसान के लिए बायनेन्स आपके प्रति उत्तरदायी नहीं होगा। यह अनुशंसा की जाती है कि उपयोगकर्ताओं को ग्रिड ट्रेडिंग ट्यूटोरियल को पढ़ना और पूरी तरह से समझना चाहिए और अपनी वित्तीय क्षमता के भीतर जोखिम नियंत्रण और तर्कसंगत व्यापार करना चाहिए।
अपनी ग्रिड ट्रेडिंग रणनीति सेट करें
यदि आप बायनेन्स एप का उपयोग कर रहे/रही हैं, तो [फ्यूचर्स] - [USDⓈ-M फ्यूचर्स] - [ग्रिड ट्रेडिंग]पर टैप करें।
2. रणनीति को निष्पादित करने के लिए एक संकेत चिह्न का चयन करें और ग्रिड मापदंड सेट करें। पुष्टि करने के लिए [बनाएं] पर क्लिक करें।
- जब आप वर्तमान में चयनित संकेत चिह्न पर ग्रिड ट्रेडिंग चला रहे/रही हों।
- जब आपके पास चयनित संकेत चिह्न पर ओपन ऑर्डर या पोजीशन हों।
- जब आप हेज पोजीशन मोड में हों, तो कृपया वन-वे मोड में समायोजित करें।
- जब आप काम करने की कुल मात्रा और ट्रिगर ग्रिड ट्रेडिंग की सीमा 10 से अधिक हो जाते/जाती हैं।
ग्रिड ट्रेडिंग युक्ति
उपयोगकर्ता तुरंत ग्रिड लिमिट ऑर्डर शुरू करना चुन सकते हैं या जब बाजार मूल्य एक निश्चित मूल्य पर पहुंच जाए तो ट्रिगर करना चुन सकते हैं। जब चयनित ट्रिगर मूल्य (अंतिम मूल्य या अंकित मूल्य) आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर मूल्य से ऊपर या नीचे गिर जाते हैं, तो ग्रिड ऑर्डर ट्रिगर हो जाएंगे।
प्रारंभिक संरचना नवीनतम बाजार मूल्य (खरीद, बिक्री, मध्य-मूल्य) के अनुसार मूल्य स्तरों की एक श्रृंखला निर्धारित करने के लिए है, बाजार मूल्य से अधिक मूल्य पर बिक्री सीमित ऑर्डर दें, और बाजार मूल्य से कम मूल्य पर एक खरीद सीमित ऑर्डर दें, और मूल्य के ट्रिगर होने की प्रतीक्षा करें।
ध्यान दें कि प्रारंभिक निर्माण के समय सीमित ऑर्डर की संख्या ग्रिड +1 की संख्या है क्योंकि कोई पोजीशन नहीं है। उनमें से एक (नवीनतम बाजार मूल्य के पास वाला) आरंभिक ओपनिंग ऑर्डर है जो निष्पादित होने की प्रतीक्षा कर रहा है;
तटस्थ ग्रिड के लिए, रणनीति बिना किसी प्रारंभिक पोजीशन के शुरू होगी। प्रारंभिक पोजीशन तब शुरू होगा जब बाजार प्रारंभिक निर्माण के बाद निकटतम मूल्य बिंदु से आगे व्यापार करेगा।
आप भी करते हैं 10 रुपये से कम वाले शेयर में निवेश, जानें- पेनी स्टॉक के रिस्क और फायदे?
बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में सबसे ज्यादा नुकसान पेनी स्टॉक्स के निवेशकों को उठाना पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है कि एक बार में सारे पैसे डूब जाते हैं. साथ ही कई पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले भी निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी शेयर खरीद कर दाम बढ़ाते हैं.
सरबजीत ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? कौर
- नई दिल्ली,
- 19 अक्टूबर 2021,
- (अपडेटेड 19 अक्टूबर 2021, 9:18 PM IST)
- पेनी स्टॉक्स से निवेशक को दूर रहने की सलाह
- बेस्ट क्वालिटी शेयरों में निवेश करना चाहिए
- बाजार में गिरावट आने से पेनी स्टॉक्स सबसे ज्यादा प्रभावित
पिछले दो साल से शेयर बाजार में आ रही तेजी ने कई नए निवेशकों को निवेश के लिए आकर्षित किया है. ऐसे में सिर्फ लंबी अवधि के निवेशक ही नहीं, बल्कि ट्रेडिंग करने वालों को भी काफी फायदा मिल रहा है. लेकिन कई लोग जो बाजार में नए हैं उनके के पास सेविंग के ज्यादा पैसे नहीं होते हैं. ऐसे में वो लोग कम कीमत वाले शेयरों में पैसा लगाना चाहते हैं. जिनमें निवेश से उन्हें पैसे भी ज्यादा न लगाने पड़े और फायदा भी ज्यादा मिल जाए. लेकिन ऐसे शेयरों ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? में मुनाफे से ज्यादा रिस्क बहुत होता है. इन्ही कम कीमत वाले शेयरों को जिनका मार्केट कैप भी कम होता है, उन्हें हम पेनी स्टॉक या भंगार शेयर कहते हैं. साधारण भाषा में जानें तो ज्यादातर जिन कंपनियों के शेयर 10 रुपये या उससे कम ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? के होते हैं उन्हें पेनी स्टॉक्स कहा जाता है.
कितना रिस्क है:
पेनी स्टॉक्स सस्ते जरूर होते हैं लेकिन इनमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है.
एस्कॉर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड- आसिफ इकबाल का मानना है कि जैसे कि-बाजार अपने नए स्तर को छू रहा है और अबतक की सबसे ज्यादा तेजी है. ऐसे में निवेशकों को संभलकर रहने की जरूरत और बेस्ट क्वालिटी शेयरों पर निवेश करना चाहिए. अगर बाजार में यहां से गिरावट आई तो पेनी स्टॉक्स में सबसे ज्यादा नुकसान होगा. ये एक तरह से बर्निंग ट्रेन में यात्रा करने के समान है. इसलिए, इससे बेहतर हैं कि आप ट्रेन में बोर्ड करने से पहले ही संभल जाएं. पेनी स्टॉक्स में निवेश से पहले कंपनी के गुड मैनेजमेंट, बिजनेस और आउटलुक को देखना बहुत जरूरी है. साथ ही ये देखना अनिवार्य होता है कि कंपनी के पास जीरो डेट या कर्ज ना के बराबर है.'
बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में सबसे ज्यादा नुकसान पेनी स्टॉक्स के निवेशकों को उठाना पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है कि एक बार में सारे पैसे डूब जाते हैं. साथ ही कई पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले भी निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी शेयर खरीद कर दाम बढ़ाते हैं. ऐसे समय में निवेशकों को बड़ी बारीकी से पेनी स्टॉक्स के रिस्क और मुनाफे को समझना होगा. बिना सही जानकारी के निवेश करने से भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
आसिफ के मुताबिक-‘पेनी स्टॉक्स में 5 फीसदी से ज्यादा निवेश न करें. हमेशा किसी भी स्टॉक में पोजिशन लेने से पहले अपने स्टॉप लॉस को ध्यान में रखकर ही निवेश करें’.
पेनी स्टॉक की कीमत बहुत कम होती है. जिसकी वजह से पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले लोग शेयर में खुद ही पैसा लगाकर उसकी कीमत बढ़ा देते हैं. जिसकी वजह से बाजार में निवेश रिटर्न और कीमत देखकर और निवेश करने लगते हैं. जिसका कारण है कि पेनी स्टॉक्स के शेयरों में तेजी आने लगती है. ऐसे समय में पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करने वाले शेयर को बेचकर निकल जाते हैं और मुनाफा कमा लेते हैं. इन सब बातों से कई बार नए निवेशक को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
कितना फायदा:
पेनी स्टॉक्स की कीमत कम होने के कारण उनमें निवेश आसान होता है. कई बार बाजार में तेजी का फायदा ज्यादा होता है.
मान लिजिए उदाहरण के तौर पर X निवेशक ने किसी कंपनी के 5 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 10000 शेयर लिए. इन्वेस्टर ने कुल 50,000 रुपये का निवेश किया. अब शेयर की कीमत एक दिन में प्रति शेयर 10 रुपये तक गई. निवेशक को 5 रुपये प्रति शेयर का मुनाफा हुआ. कुल निवेश 50,000 रुपये का था जो बाजार में आई तेजी से बढ़कर 1,00,000 रुपये हो गया. यानी की एक दिन में 50,000 रुपये से अधिक का फायदा संभव है. बाजार में तेजी के रूख से सबसे ज्यादा फायदे की संभानवा होती है.
प्रॉफिटमार्ट सिक्योरिटी के डायरेक्टर, अविनाश गोरक्षकर के मुताबिक-‘आमतौर पर बाजार में जब तेजी ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? का रुख आता है तो पेनी स्टॉक्स ही सबसे पहले भागते हैं और बाजार के गिरते ही लोग पेनी स्टॉक्स को भूलना शुरू कर देते हैं. ऐसा नहीं है कि सभी पेनी स्टॉक्स में निवेश करना खराब होता है. बिजनेस मॉडल कैसा है, फ्यूचर कैसा है, कितना कर्ज है ये सब पहले देख लें उसके बाद ही उस पेनी स्टॉक में निवेश करें’.
लेकिन कई बार स्थिति काफी अलग होती है. अविनाश का मानना है कि-‘पेनी स्टॉक्स जिनका बिजनेस मॉडल खराब है, जिस पर कर्ज है वो सबसे ज्यादा क्लासिक केस होते हैं जिनकी अंडरलाइंग वैल्यू बिना किसी कारण या सही तर्क के बढ़ जाती है. सबसे बेहतरीन उदाहरण है दीवान हाउसिंग, सुजलॉन, यस बैंक जैसी कंपनियां का, जहां रिटेल इन्वेस्टर्स ने अपने हिस्से को अचानक से बढ़ा दिया और इन कंपनियों के शेयर में इंस्टीट्यूशनल निवेशक आज बाहर हैं.’
अगर किसी के पास सीमित कैपिटल है और जिनके पास 100 फीसदी कैपिटल नुकसान को झेलने की शक्ति न हो तो ऐसे में उन लोगों को पेनी स्टॉक्स में निवेश नहीं करना चाहिए. इससे साफ है कि मुनाफ या रिवार्ड 5x या 20x संभव है. लेकिन, रिस्क की बात करें तो अगर पेनी स्टॉक्स सही परफॉर्म नहीं करेंगे तो निवेशक को 100 फीसदी कैपिटल नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
आगे अविनाश कहते हैं कि-‘जहां तक पेनी स्टॉक में रिस्क और मुनाफे का सवाल है इसमें कोई मार्जिन की सुरक्षा गारंटी नहीं होती. साथ ही शेयर से जुड़े सभी उतार-चढ़ाव बाजार की खबरों पर निर्भर करता है. बहुत ही कम देखा गया है कि पेनी स्टॉक्स मल्टी बैगर के रूप में सामने आया. सबसे बेहतरीन उदाहरण है Symphony कंपनी का शेयर. कुछ साल पहले Symphony का शेयर 10 रुपये के नीचे था और आज की तारीख में देखें तो कंपनी का शेयर 2000 रुपये का शेयर है. लेकिन, ध्यान रहे कि पेनी स्टॉक्स में सक्कसेस रेट केवल 1 से 2 फीसदी के बीच का ही होता है.’
पेनी स्टॉक्स में निवेश करने से पहले रखें ध्यान:
·पेनी स्टॉक्स में निवेश करना हमेशा जोखिम भरा होता है. इसमें निवेशकों को लाभ से ज्यादा नुकसान का रिस्क होता है.
·लो-लिक्विडिटी की वजह से खरीद-बिक्री में मुश्किल होता है. साथ ही, उतार-चढ़ाव काफी होता है जिसकी वजह से अचानक कीमत के गिरने के निवेशकों को नुकसान सा सामना करना पड़ता है. इसलिए निवेशकों के लिए इन सब बातों का ध्यान देना जरूरी है.
·कई बार निवेशकों कंपनी के बिना किसी भविष्य की योजना को देखे निवेश कर देते हैं. ऐसे में निवेशकों को कंपनी की ग्रोथ का सही अंदाजा नहीं होता है और उन्हें नुकसान झेलना पड़ता है. इसका ध्यान देना बहुत जरूरी है.
·पेनी स्टॉक्स की ऊपर जाने की सीमा नहीं इसलिए गिरावट का भी उतना खतरा रहता है.
·केवल 2-3 शेयरों में निवेश करना बुद्धिमानी, केवल शॉर्ट-टर्म के लिए करें निवेश.
·पेनी स्टॉक से जुड़े अफवाहों पर ना जाएं. साथ ही, जल्दबाजी में निवेश करने के बचें.
·याद रखें, पेनी स्टॉक "उच्च जोखिम वाले" स्टॉक की तरह. खुदरा निवेशकों के लिए,म्यूचुअल फंड्स अधिक सुरक्षित हैं.
·कई बार पेनी स्टॉक ऑपरेट करने वाले शेयर में पैसा लगाकर कीमत बढ़ाते है. जिसके कारण रिटर्न और कीमत से होते हैं निवेशक आकर्षित. इसपर ध्यान दें.
· स्टॉक ऑपरेटर तेजी का फायदा उठाकर बाद में बेच देते हैं शेयर. इसलिए स्टॉक ऑपरेटर की चाल से निवेशक रहें सावधान.
·हमेशा कंपनी की ग्रोथ, योजनाओं को ध्यान में रखकर करें निवेश. साथ ही, बिजनेस मॉडल, फ्यूचर, कर्ज देखकर करें पेनी स्टॉक में निवेश
·पेनी स्टॉक्स में अगर ट्रेडिंग कर रहें हैं तो बच कर रहें. लंबी अवधि के निवेशक हमेशा रहें दूर.
लोगों को यही सलाह है कि वो पेनी स्टॉक्स में अगर ट्रेडिंग कर रहे हैं तो बच कर रहें और कोई लालच ना करें. बिना स्टॉपलॉस के ट्रेड ना करें और अपना सौदा हमेशा टारगेट के पूरा होते ही काट लें वरना भारी नुकसान बाद में झेल सकते हैं. अच्छे निवेशकों को यही सलाह है कि पेनी स्टॉक्स में निवेश से दूर रहें और फंडामेंटल मजबूत कंपनियों में निवेश करें. कंपनी की आर्थिक, बैलेंस शीट जरूर चेक करें. सबसे अहम बात है कि बिना किसी निवेश सलाहकार ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? के कभी निवेश न करें. अगर अधूरे ज्ञान के साथ आप निवेश करेंगे तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए हमेशा समझदारी से सोच-समझकर निवेश करें.
इन 5 बातों का रखेंगे ध्यान तो Intraday Trading मे मिल सकता है बेहतर मुनाफा, जानिए कैसे
जो लोग शेयर बाजार में एक ही दिन में पैसा लगाकर मुनाफा कमाना चाहते हैं उनके लिए इंट्रा डे ट्रेडिंग बेहतर विकल्प है. इसमें पैसा लगाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
Soma Roy | Edited By: मनीष रंजन
Updated on: May 14, 2021 | 10:32 PM
लोग अक्सर कहते हैं कि शेयर बाजार से मोटा कमाया जा सकता है लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है. हालांकि अगर आप बेहतर रणनीति बनाकर लॉन्ग टर्म में सोच कर निवेश करेंगे तो यहां से कमाई की जा सकती है. वहीं इक्विटी मार्केट में इंट्रा डे के जरिए कुछ घंटों में ही अच्छा पैसा बनाया जा सकता है. इंट्रा डे में डिलवरी ट्रेडिंग के मुकाबले पैसा जल्दी बनाया जा सकता है लेकिन इसके जोखि से बचने के लिए आपको बेहतर रणनीति, कंपनी के फाइनेंशियल और एक्सपर्ट की सलाह जैसी चीजों का ध्यान रखना होता है.
क्या है इंड्रा डे ट्रेडिंग
शेयर बाजार में कुछ घंटो के लिए या एक ट्रेडिंग सेशन के लिए पैसा लगाने को इंट्रा डे कहा जाता है. मान लिजिए बाजार खुलने के समय आपने एक शेयर में पैसा लगाया और देखा की आपको आपके मन मुताबिक मुनाफा मिल रहा है तो आप उसी समय उस शेयर को बेचकर निकल सकते है. इंट्रा डे में अगर आप शेयर उसी ट्रेंडिग सेशन में नही भी बेचेंगे तो वो अपने आप भी सेल ऑफ हो जाता है. इसका मतलब आपको मुनाफा हो या घाटा हिसाब उसी दिन हो जाता है. जबकि डिलवरी ट्रेडिंग में आप शेयर को जबतक चाहे होल्ड करके रख सकते हैं. इंट्रा डे में एक बात यह भी है कि आपको ब्रोकरेज ज्यादा देनी पड़ती है. हां लेकिन इस ट्रेडिंग की खास बात यह है कि आप जब चाहे मुनाफा कमा कर निकल सकते है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
बाजार के जानकारों के मुताबिक शेयर बाजार में इंट्रा डे में निवेश करें या डिलिवरी ट्रेडिंग करें आपको पहले इसके लिए अपने आप को तैयार करना होता कि आप किसलिए निवेश करना चाहते हैं और आपका लक्ष्य क्या है. फिर इसके बाद आप इसी हिसाब से अपनी रणनीति और एक्सपर्ट के जरिए बाजार से कमाई कर सकते हैं. एंजल ब्रोकिंग के सीनियर एनालिस्ट शमित चौहान के मुताबिक इंट्रा डे में रिस्क को देखते हुए आपकी रणनीति बेहतर होनी चाहिए. इसके लिए आपको 5 अहम बाते ध्यान मं रखनी चाहिए.
1. इंट्रा डे ट्रेडिंग में सिर्फ लिक्विड स्टॉक में पैसा लगाना चाहिए. जबकि वोलेटाइल स्टॉक से दूरी बनानी चाहिए.
2. इंट्रा डे में बहुत ज्यादा स्टॉक की जगह अच्छे 2-3 शेयर्स का चुनाव करना चाहिए.
3. शेयर चुनते वक्त बाजार का ट्रेंड देखना चाहिए. इसके बाद कंपनी की पोर्टफोलियो चेक करें. आप चाहे तो शेयर को लेकर एक्सपर्ट की राय भी ले सकते हैं.
4. इंट्रा डे ट्रेडिंग में स्टॉक में उछाल और गिरावट तेजी से आते है, इसलिए ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए और पैसा लगाने के पहले उसका लक्ष्य और स्टॉप लॉस जरूर तय कर लेना चाहिए. जिससे टारगेट पूरा होते देख स्टॉक को सही समय पर बेचा जा सके.ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है?
5.इंट्रा डे में अच्छे कोरेलेशन वाले शेयरों की खरीददारी करना बेहतर होता है.
डीमैट अकाउंट से कर सकते हैं ट्रेडिंग
अगर शेयर बाजार में ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. आप ऑनलाइन खुद से ट्रेडिंग कर सकते हैं या ब्रोकर को ऑर्डर देकर शेयर का कारोबार कर सकते हैं. इंट्रा डे में किसी शेयर में आप जितना चाहे उतना पैसा लगा सकते हैं.
डिस्क्लेमर : आर्टिकल में इंड्रा डे ट्रेडिंग को लेकर बताए गए टिप्स मार्केट एक्सपर्ट्स के सुझावों पर आधारित हैं. निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.