आदर्श रणनीति

ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है?

ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है?
किसी शेयर का स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य है जिस पर आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता है. वास्तव में आप किसी शेयर की मौजूदा कीमत पर उसमें संभावित नुकसान की सीमा तय कर लेते हैं. इसके बाद ही आप स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाते हैं, जिससे आपका नुकसान कम हो जाता है.

Stop Loss कहाँ तथा कैसे लगायें ?

Trading Tips Share Market: अगर आप ऐसे करेंगे ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? ट्रेडिंग, तो शेयर मार्केट में कभी नहीं डूबेगा आपका पैसा

By: ABP Live | Updated at : 24 Aug 2022 03:46 PM (IST)

Edited By: Sandeep

Trading Tips In Share Market : आज के दौर में शेयर बाजार (Share Market) में काफी उतार-चढ़ाव चल रहा है, ऐसे में जो आदमी इसमें अपना मेहनत का पैसा लगता है, उसे काफी हद तक सतर्क रहने की जरूरत होती. उसे शेयर मार्केट पर बारीक़ निगाह रखनी पड़ती है, ट्रेडर्स पर निगाह गड़ाए रखना होता है. जिससे आपका पैसा मार्केट में अच्छा बैकअप दे और डूबे नहीं. आपको ट्रेंडिंग करते समय कुछ बातो का ध्यान रखते है, तो आपका शेयर मार्केट में कभी नहीं डूबेगा. ये निम्न बातें है-

  • शेयरों की खरीद-फरोख्त से पहले आपको रिसर्च करना चाहिए. इससे आसानी होगी कि किस भाव पर आपको अपनी पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना है.
  • Share Market से पैसे बनाने के लिए आपको आंकलन करना चाहिए. बाजार के रूझानों की बजाय स्पष्ट संकेत मिलने पर ट्रेडिंग करें. फंडामेंटल रूप से मजबूत कंपनी में निवेश कपना बेहतर फैसला है.
  • बाजार को लेकर सटीक अनुमान से आप बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. फॉरेक्स ट्रेडर्स तकनीक का जमाना आ गया है जिससे ट्रेडर्स को रीयल टाइम में मार्केट डेटा मिल जाता है.
  • Share Market में ट्रेडि्ंग पिरामिड (Trading Pyramid) अप्रोच के साथ करें. शेयर मार्केट में आपको रिस्क के बारे में पहले ही सोचना होगा कि आप कितनी पूंजी गंवाने की क्षमता रखते हैं.
  • आपको ऐसा पैसा निवेश करना होगा जिसे आप अफोर्ड कर सकते हैं. रिस्क पिरामिड (Risk Pyramid) का मतलब है कि रिस्क के हिसाब से अपनी पूंजी को बांटकर ट्रेडिंग कर सके.
  • रिस्क मैनेज के लिए जरूरी है कि आप स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल करें और अपने प्रॉफिट को सुरक्षित करें.
  • स्टॉप लॉस का मतलब सौदा शुरू करने से पहले ऐसा प्राइस लेवल तय करना है जिसके नीचे आप रिस्क नहीं लेना चाहते हैं.
  • वहीं दूसरी तरफ टेक प्रॉफिट (Take Profit) एक लिमिट ऑर्डर है जिसका इस्तेमाल एक खास भाव पहुंचने पर मुनाफा कमाने के लिए किया जाता है.
  • अगर आप ट्रेडिंग करते हैं तो आपको एक स्ट्रेटजी के साथ मार्केट में एंट्री करनी होगी. इससे आप किस तरह से ट्रेड करते है.
  • जब आप स्ट्रेटजी के हिसाब से चलेंगे तो न सिर्फ आपका समय बचेगा बल्कि आप बड़े स्तर पर चीजों को देख-समझ सकेंगे.


स्टॉप लॉस लगाने के वैसे तो अनेक तरीके होते हैं, लेकिन यहां हम stop loss के चार प्रकार के बारे में जानकारी दे रहे हैं-


परसेंट के आधार पर लगने वाला स्टॉप लॉस पूर्वानुमान से लगाया जाता। जिसमें ट्रेडर, एक ट्रेड में अपने अकाउंट का दो प्रतिशत तक जोखिम उठाते हैं। जो बहुत ज्यादा महत्वाकाक्षी ट्रेडर होते वह दस प्रतिशत तक का जोखिम उठाते हैं. लेकिन ऐसा करना नहीं चाहिए क्योंकि इससे एक-दो ट्रेड में ही आपके अकाउंट की पूरी राशि ख़त्म हो सकती हैं।

Stop loss लगाने से पहले आपको अपने आप से ये पूछना चाहिए हम सभवतः कहाँ पर स्टॉप लॉस लगा सकते हैं। यदि आपका ट्रेड गलत साबित होता है तो आपको अपने आप से यह भी पूछना कि आप कहाँ गलत थे। क्रिप्टो करेंसी क्या है? क्रिप्टोकरेंसी से पैसे कैसे कमायें?

प्राइस Volatility पर आधारित stop loss

प्राइस वोलैटिलिटी बेस्ड स्टॉप लॉस का अर्थ है, स्टॉक्स की कीमत में उतार-चढ़ाव, ज्यादा वोलैटिलिटी की वजह से ट्रेडिंग करने में बहुुत ज्यादा जोखिम होता है। एक्टिव ट्रेडर्स इसलिए सरवाइव कर पाते हैं क्योंकि वह initial stop loss यूज करते हैं।अपने प्रॉफिट को लॉक करने के लिए trailing stop loss भी लगाते हैं।

प्राइस वोलैटिलिटी बेस स्टॉप लॉस लगाने के लिए Volatility stop indicator tool का उपयोग करके स्टॉप लॉस लगा सकते हैं।

इस तरह VOLATILITY STOP का यूज करके ट्रेडिंग के दौरान stop loss लगा सकते हैं। इसमें डाउनट्रेंड के लिए प्राइस बार के ऊपर लाल डॉट्स बनी होती है तथा प्राइस बार के नीचे हरी डॉट्स अपट्रेंड के लिए बनी होती हैँ। लाल तथा हरे रंग डॉट्सके आधार पर स्टॉप लॉस लगाया जाता है।

सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस पर आधारित stop loss ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है?

स्टॉप लॉस चार्ट के आधार पर भी लगाया जा सकता है। चार्ट पर प्राइस एक्शन पर गौर करने पर आप देखेगें कि प्राइस एक निश्चित लेवल के ऊपर तथा नीचे नहीं जा पाते। इस लेवल को सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस लेवल कहते हैं। प्राइस निश्चित support & resistance level को बार-बार रीटेस्ट करते है तथा पोटेंशियली होल्ड करते हैं।

आपको इन्हीं S&R के पीछे stop loss लगाना चाहिए। यानि आप किसी शेयर को long (खरीदना) रहे हैं तो हमे उसके सपोर्ट एरिया के नीचे स्टॉप लॉस लगाना चाहिए तथा यदि हम sell (short sell) कर रहें हैं तो स्टॉप लॉस resistance area के ऊपर लगाना चाहिए। सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल क्या हैं, इन्हें चार्ट पर कैसे यूज़ करें?

Stop loss based on support and resistance level

टाइम लिमिट पर आधारित स्टॉप लॉस

टाइम लिमिट पर आधारित stop loss को तब लगाया जाता है। जब ट्रेड को पूर्वनिर्धारित समय तक होल्ड किया जाता है जैसे- इंट्राडे, एक सप्ताह इत्यादि। उदाहरण स्वरू- जैसे कि आप एक इंट्राडे ट्रेडर हैं तथा आपने एक लॉन्ग ट्रेड लिया हुआ है। लेकिन उसमे ना तो ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? टार्गेट अचीवे हो रहा है और ना ही stop loss हिट हो रहा है।

अब आपको यह लग रहा है कि इस ट्रेड में पैसे को क्यों लॉक रखा जाय। इसी पैसे का हम दूसरी जगह उपयोग कर सकते हैं। तो आप उस ट्रेड को बंद कर देते हैं। इसका दूसरा उदाहरण- जैसे कि कोई swing trader है तथा वह फ्राइडे को अपनी पोजीशन को बंद कर देता है। क्योंकि वो weekend event risk से बचना चाहता है तब वह टाइम लिमिट बेस्ड stop loss लगाया जाता है।

Stop Loss लगाते वक्त होने वाली गलतियाँ :

स्टॉप लॉस लगाते वक्त निम्नलिखित गलतियों से बचना चाहिए-
1.स्टॉप लॉस टाइट होना चाहिए लेकिन इतना भी टाइट नहीं होना कि सामान्य सी वोलेटिलिटी के कारण ही टूट जाय। जैसे किसी शेयर का प्राइस 150 रूपये है और आपने 149.90 पर स्टॉप लॉस लगाया है। किसी भी स्टॉक का प्राइस निश्चित दिशा में घूमने पहले एंट्री पॉइंट के आस-पास (ऊपर-नीचे) घूमता है। उसके बाद उसे जिस दिशा होता है, उस दिशा में घूमता है। बिग बुल हर्षद मेहता ने शेयर मार्केट स्कैम 1992 कैसे किया?
2. Position size के आधार पर stop loss लगाना अच्छा नहीं माना, मार्केट की मूवमेंट के आधार पर स्टॉप लॉस लगाना अच्छा माना जाता है। वैसे हमे अपनी पोजीशन को भी नहीं भूलना चाहिए। हमे अपनी पोजीशन को केलकुलेट करने से पहले स्टॉप लॉस सेट कर लेना चाहिए।

यदि आप शेयर मार्केट में नुकसान नहीं उठाना चाहते तो आपको बेंजामिन ग्राहम द्वारा लिखित बुक 'द इंटेलिजेंट इन्वेस्टर बुक (हिंदी) को एक बार जरूर पढ़ना चाहिए। इस बुक को शेयर मार्केट की बाइबिल भी कहा जाता है। The intelligent investors book को आप इस लिंक https://amzn.to/3H6q0Dj पर क्लिक करके बहुत आसानी से खरीद सकते हैं।

ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है?

स्टॉप लॉस आर्डर आप की मदद करता है जब भी आप को लगे की आपने जो आर्डर प्लेस किया है (चाहे वो खरीद का हो या बेचने का हो) वो आपके खिलाफ जा सकता है और आपके नुक्सान को कम करने में आपकी मदद करता है। उदहारण के तौर पे - अगर आपने Rs 100/- का कोई स्टॉक खरीदा है और आप ज़्यादा से ज़्यादा Rs 5/- का नुक्सान उठा सकते है तो आपको अपना स्टॉक को Rs 95/- में बेचने के लिए आर्डर प्लेस करना होगा। इस तरह के आर्डर को स्टॉप लॉस आर्डर कहते है क्योंकि आप आपने नुकसान को उतना ही लिमिट कर रहे हैं जितना की आप सह सकते है।

दो तरह के स्टॉप लॉस आर्डर होते है:

1. SL आर्डर (स्टॉप -लॉस लिमिट) = प्राइस + ट्रिगर प्राइस

2. SL-M आर्डर (स्टॉप -लॉस मार्किट) = सिर्फ ट्रिगर प्राइस

केस 1 > अगर आप ने बाय पोजीशन लिया है तो, आप सेल SL प्लेस करना होगा

केस 2 > अगर आप ने सेल पोजीशन लिया है तो, आप बाय SL प्लेस करना होगा

क्या है Stop Loss और Target Price?

A man walks out of the Bombay Stock Exchange (BSE) building in Mumbai

Stop Loss का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें

इसका मतलब यह है कि आपने 100 रुपये की कीमत पर ए के शेयर को 120 रुपये के Target Price के साथ खरीदा है. आप 120 रुपये की कीमत पर पहुंचने पर इस शेयर को बेचकर मुनाफा हासिल कर सकते हैं.ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है?

इस शेयर में किसी वजह से गिरावट भी आ सकती है. इसकी कीमत 100 रुपये से कम होने पर आपको नुकसान उठाना पड़ेगा. नुकसान से बचने के लिए आपको स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाने की सलाह दी जाती है.

What is Stop Loss in Share Market in Hindi

Stop Loss का प्रयोग Stock Execute होने के बाद ही किया जाता है. स्टॉप लॉस के मदद से मार्केट में होने वाले नुकसान से आप बच सकते हैं.

स्टॉप लॉस का प्रयोग आप चाहे डे ट्रेडिंग (Day trading) या इंट्राडे (Intraday) या फिर स्कल्पिंग (Scalping) Trading के लिए कर सकते हैं.

शेयर बाजार में स्टॉक का प्राइस ऊपर–नीचे ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? होता रहता हैं. इसका मतलब है कि मार्केट में स्टॉक का प्राइस अचानक ऊपर की ओर चला जायेगा. जिससे आपको प्रॉफिट भी हो सकता है, लेकिन प्राइस नीचे की ओर भी आ सकता है जिसे आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए एक अच्छा ट्रेडर बनने के लिए आपको हमेशा स्टॉपलॉस का प्रयोग करना चाहिए.

Advantage of Stop Loss (स्टॉप लॉस लगाने के फायदे)

  • Stop Loss ऑप्शन के मदद से अपने risk को कम कर सकते हैं.
  • Stop Loss के मदद से एक trader अपने capital को भी बचा सकता हैं,
  • Stop Loss को trail करके अपने profit भी secure कर सकते हैं.
  • Stoploss के मदद से आप trading में काफ़ी समय तक टीक भी सकते हैं.
  • Stop Loss एक risk management का हिस्सा भी हैं.

स्टॉप लॉस कैसे लगाएं

चलिए हम एक उदाहरण से जानते हैं कि स्टॉप लॉस का प्रयोग कैसे करते हैं.

उदाहरण के लिए, मान लीजिए की अनिल प्रति शेयर ₹500 की दर से ABC कंपनी में 100 शेयर खरीदता है. अचानक शेयर की कीमत प्रति शेयर के हिसाब से ₹10 गिर जाता है. शेयर की कीमत ₹490 हो जाता हैं. अनिल अपने नुकसान को सीमित करना चाहता है, तो वह ₹450 रुपए पर एक स्टॉप लॉस ऑर्डर लगा देता है, अगर कीमत ₹450 ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? रुपए से नीचे भी गिर जाता है, तो अनिल का स्टॉपलॉस हिट कर जाएगा और उसे एक सीमित नुकसान होगा. यानी अनिल का जो Broker होगा. वह ₹450 की कीमत पर शेयर को बेच देगा और आगे होने वाले नुकसान को रोक लेगा.

दूसरी ओर यदि शेयर की कीमत बढ़ जाती है ₹550 रुपए प्रति शेयर हो जाता. तो अनिल अपने शेयर को बेच कर मुनाफा कमा सकता है या फिर stop-loss को ट्रेल कर अपने प्रॉफिट को secure कर सकता है.

शेयर मार्केट में ट्रिगर प्राइस क्या हैं (What is Trigger Price)

शेयर मार्केट में दो प्रकार से आर्डर को एग्जीक्यूट किए जाते हैं. पहला Buy और दूसरा Sell. ट्रिगर प्राइस का प्रयोग मार्केट में buy ओर sell के आर्डर को एक्टिवेट करने के लिए उपयोग करते हैं।

ट्रिगर प्राइस को आप buy करने के लिए या फिर sell करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। जब किसी शेयर पर स्टॉप लॉस लगाते हैं, तो वहां पर ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल किया जाता है.

यदि आप कोई शेयर buy या sell करना चाहते हैं तो उसमें स्टॉप लॉस लगाते समय आप ट्रिगर प्राइस भी लगा सकते हैं।

Trigger price meaning in Hindi

जब आप शेयर पर स्टॉप लॉस लगाने जाएंगे, तो वहां पर आपको तो ऑप्शन मिलेगा. पहला ट्रिगर प्राइस (Trigger Price) दूसरा लिमिट प्राइस (Limit Price). अब ट्रिगर प्राइस ऑप्शन में आपको एक प्राइस दर्ज करना है. जोकि लिमिट प्राइस से अधिक और मार्केट प्राइस से कम यानी कि दोनों वैल्यू के बीच का कोई एक प्राइस दर्ज करना है. जैसे ही शेयर का प्राइस ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस क्या है? आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक पहुंचता है. आपका stop-loss ऑर्डर सिस्टम के द्वारा एक्टिवेट कर दिया जाएगा. और जब भी मार्केट प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए लिमिट प्राइस तक पहुंचता है आपका stop-loss आर्डर एग्जीक्यूट हो जाएगा ।

FAQ’s

Q1. शेयर खरीदते समय स्टॉप लॉस कैसे लगाएं ?

Ans. शेयर खरीदते समय आपको अपने risk और reward पॉइंट्स जैसे 1:2 को तय कर लेना चाहिए. उसके अनुसार स्टॉपलॉस लगाए।

Q2. ट्रिगर प्राइस क्या होता है ?

Ans. ट्रिगर प्राइस का प्रयोग मार्केट में buy ओर sell के आर्डर को एक्टिवेट करने के लिए उपयोग करते हैं।

Q3. ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस में क्या अंतर है ?

Ans. ट्रिगर प्राइस स्टॉप लॉस को एक्टिवेट करता है और लिमिट प्राइस स्टॉक को Execute करता है|

रेटिंग: 4.93
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 546
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *