फाइनेंस कितने प्रकार का होता है

Animation का उपयोग कंप्यूटर में drawing तथा अन्य प्रकार के art के लिए किया जाता है। एनिमेशन के जरिए हर प्रकार के लोगो डिजाइन संभव हुए हैं। अब तो animation का फील्ड एक बहुत बड़ा platform बन गया है जिससे छात्र इसे एक career option की तरह भी चुन सकते हैं। Animation के field में भी आप अच्छा काम करके आप फिल्म्स इंडस्ट्री, मीडिया हाउसेस, एडवरटाइजिंग एजेंसी, डिजिटल एजेंसी, इ-लर्निंग Films Industry , Media Houses, Advertising Agency, Digital Agency, E-learning आदि industries में कार्य कर सकते हैं और अच्छे पैसा कमा सकते हैं। तो चलिए इस आर्टिकल में animation क्या है और animation से संबंधित पूरी जानकारी विस्तार से जानते हैं। जैसे एनीमेशन क्या है और यह कितने प्रकार के होते हैं आदि।
सेबी ने कसी AIF स्कीम्स पर लगाम, कहा- इन स्कीम में निवेश से बचें, जानिए क्या फाइनेंस कितने प्रकार का होता है होती हैं ये स्कीम
सेबी ने कहा कि लगातार ऐसी शिकायतें मिली थी कि स्पॉन्सर घाटे का बोझ कम ले रहे थे. जबकि इसमें कुछ अन्य नियम बनाए गए थे कि जिस अनुपात में निवेश उसी हिसाब से घाटे का बोझ, लेकिन कुछ स्किमों में घाटे का बोझ उनपर यह कह कर डाला जा रहा था कि उनका पेमेंट प्रायोरिटी है.
Sebi on AIF schemes: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने 23 नवंबर को एक बयान जारी कर कहा घाटे सहने में भेदभाव वाली AIF (अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स) स्कीमों में निवेश करने से रोका है. सेबी इस पर एक सर्कुलर जारी किया है. इसमें सेबी ने कहा कि प्रायोरीरिटी डिस्ट्रिब्यूशन मॉडल पर काम करने वाले AIF स्कीम्स को किसी नए निवेश से बचना चाहिए. यह रोक तब तक जारी रहेगी जब तक इस पर कोई विचार नहीं कर लेती. सेबी इस पर अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट पॉलिसी एडवाइजरी कमेटी (AIPAC) और इंडस्ट्री के साथ विचार कर रही.
क्या कहता है सेबी के नियम?
सेबी ने कहा कि लगातार ऐसी शिकायतें मिली थी कि स्पॉन्सर घाटे का बोझ कम ले रहे थे. जबकि इसमें कुछ अन्य नियम बनाए गए थे कि जिस अनुपात में निवेश उसी हिसाब से घाटे का बोझ, लेकिन कुछ स्किमों में घाटे का बोझ उनपर यह कह कर डाला जा रहा था कि उनका पेमेंट प्रायोरीटी है.
अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड या एआईएफ एक ऐसा फंड है जिसे भारत में बनाया गया है, जो निजी निवेश को साथ लेकर आगे बढ़ता है. इनमें कुछ चुनिंदा लोगों से निवेश लिया जाता है और इन्वेस्टमेंट पॉलिसी के अनुसार इन्वेस्ट किया जाता है. AIF में कम से कम निवेश की शर्त 1 करोड़ रुपए होती है. बड़े निवेशक डायवर्सिफिकेशन के लिए अपनाते हैं.
AIF निजी तौर पर पूल किये गये निवेश स्कीम (investment vehicle) होते हैं. इस स्कीमों में निवेशकों से जुटाए गए पैसे को निवेशकों के लाभ के लिए एक पूर्वनिर्धारित निवेश योजना के तहत निवेश किया जाता है.
AIF कितने प्रकार का होता है?
अलग-अलग तरह के कैटेगरी के लिए आवेदक अपना रेजिस्ट्रेशन एआईएफ के लिए करवा सकते हैं. इसके तहत आवेदक अलग अलग कैटेगरी और सब कैटेगरी के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते है फाइनेंस कितने प्रकार का होता है जिस प्रकार के नियम उनपर लागू हो. इसमें 3 प्रकार के कैटेगरी के AIF होते हैं.
- वेंचर कैपिटल फंड्स
- एसएमई फंड्स
- सोशल वेंचर फंड्स
- इंफ्रास्ट्रकचर फंड्स
क्या होता है कैटेगरी I AIF?
कैटेगरी I AIF जो स्टार्ट-अप या शुरुआती चरण के उपक्रमों या सामाजिक उपक्रमों या में निवेश करते हैं. एसएमई या इंफ्रास्ट्रकचर या अन्य क्षेत्र या क्षेत्र जो सरकार या नियामक सामाजिक या आर्थिक रूप से वांछनीय मानते हैं और इसमें शामिल होंगे. वेंचर कैपिटल फंड, एसएमई फंड, सोशल वेंचर फंड, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड और इस तरह के अन्य AIF में स्पेसीफाइ किए जा सकते हैं.
एआईएफ जो कैटेगरी I और III में नहीं आते हैं और जो अंडरटेक नहीं करते हैं. दिन-प्रतिदिन की ऑपरेशनल आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा अन्य लाभ उठाना या उधार लेना और सेबी (अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड) विनियमों 2012 में अनुमति के अनुसार, विभिन्न प्रकार के फंड जैसे रियल एस्टेट फंड, प्राइवेट इक्विटी फंड (पीई फंड), डिसस्ट्रेस एसेट के लिए फंड आदिकैटेगरी II AIF के रूप में रजिस्टर किए जाते है.
Animation क्या है और यह कितने प्रकार के होते हैं?
Animation का उपयोग कंप्यूटर में drawing तथा अन्य प्रकार के art के लिए किया जाता है। एनिमेशन के जरिए हर प्रकार के लोगो डिजाइन संभव हुए हैं। अब तो animation का field एक बहुत बड़ा platform बन गया है जिससे छात्र इसे एक career option की तरह भी चुन सकते हैं। एनीमेशन को समझें तो यह एक ऐसी तकनीक है जिससे कोई भी ऐसा चित्र, Image या Object जो रियल में हिल नहीं सकता है या मूव नहीं कर सकता है उसको चलते हुए, बोलते हुए या कुछ करते हुए दिखाया जाता है। यानि Animation किसी रुकी हुई Image पर जान डालता है जिसके कारण Image में कुछ प्रतिक्रिया होती हुई दिखाई देती है। एनिमेशन एक प्रकार का Art और विज्ञान है। Animation एक क्रम में गति का भ्रम पैदा करने के लिए क्रमिक चित्र, मॉडल या कठपुतलियों को चित्रित करने की एक विधि है। इसको इस तरह से भी समझ सकते हैं कि Animation वह है जिसमे एक sequence (क्रम) में movement (गति) का एक illusion (भ्रम) create किया जाता है, जिसके लिए sequence photographs, models, या फिर puppets (कठपुतली) का इस्तेमाल इस विधि में किया जाता है। एनिमेशन एक प्रकार की प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत डिजाइनिंग, drawing, लेआउट बनाना तथा फोटोग्राफिक्स के लिए इसका मुख्य उपयोग किया जाता है। एनिमेशन के माध्यम से हर प्रकार की इमेज के लेआउट को कस्टमाइज कर सकते हैं और उसे मैनेज कर सकते हैं। एनिमेशन टेक्नोलॉजी के आने के पश्चात कंप्यूटर में कई प्रकार के ग्राफिक्स कार्य को करने में मदद मिली है। एनिमेशन कंप्यूटर में कई प्रकार के ग्राफिक, logo और कार्टून बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
Animation क्या है? What is Animation?
साधारण सी भाषा में एनीमेशन को समझें तो यह एक ऐसी तकनीक है जिससे कोई भी ऐसा चित्र, Image या Object जो रियल में हिल नहीं सकता है या मूव नहीं कर सकता है उसको चलते हुए, बोलते हुए या कुछ करते हुए दिखाया जाता है। यानि Animation किसी रुकी हुई Image पर जान डालता है जिसके कारण Image में कुछ प्रतिक्रिया होती हुई दिखाई देती है। जैसे आप एनीमेशन की सहायता से बनाई गयी किसी Video या Movie में आप इन्सान को उड़ता हुआ देख सकते हैं। चित्रों की एक श्रृंखला द्वारा बनाई गई movement का simulation एनीमेशन कहलाता है। एनिमेशन एक प्रकार का Art और विज्ञान है। Animation एक क्रम में गति का भ्रम पैदा करने के लिए क्रमिक चित्र, मॉडल या कठपुतलियों को चित्रित करने की एक विधि है। इसको इस तरह से भी समझ सकते हैं कि Animation वह है जिसमे एक sequence (क्रम) में movement (गति) का एक illusion (भ्रम) create किया जाता है, जिसके लिए sequence photographs, models, या फिर puppets (कठपुतली) का इस्तेमाल इस विधि में किया जाता है।
What is Printer and Its Types in Hindi: प्रिंटर क्या है यह कितने प्रकार के होते हैं
What is printer in Hindi, प्रिंटर क्या है हिंदी में जाने: Printer एक ऐसी डिवाइस है जिसकी मदद से हम कंप्यूटर की स्क्रीन पर दिखने वाली photo, डाक्यूमेंट्स और text की हार्डकॉपी निकाल सकते हैं। आपको बता दें कि प्रिंटर कंप्यूटर के साथ इस्तेमाल होने वाली एक आउटपुट डिवाइस है जिससे आप किसी भी डाक्यूमेंट्स या photo का पेपर पर Print ले सकते हैं। प्रिंटर का इस्तेमाल ऑफिस में, फोटो स्टूडियो में, कंपनी में और सरकारी ऑफिस में किया जाता है। आपको बता दें कि अपने काम के अनुसार प्रिंटर कई तरह के होते हैं। आजकल मार्किट में बहुत सारी कंपनी हैं जो कई तरह के प्रिंटर बनाती है। प्रिंटर क्या है (What is Printer in Hindi) इस बारे में तो हम आपको बता ही चुकें हैं आइये हम आपको विभिन्न प्रकार के प्रिंटर और उनके उपयोग के बारे में बताएँगे।
प्रिंटर के प्रकार (Types of Printer in Hindi)
अपनी टेक्नोलॉजी और उपयोग के अनुसार प्रिंटर कई तरह के हो सकते हैं जिसके बारे में हमने नीचे जानकारी दी है.
laser printer जैसा कि इसके नाम से ही समझ आता है इसमें कागज पर Print निकलने के लिए एक सेंट्रल लेजर बीम का इस्तेमाल किया है। लेजर प्रिंटर के अंदर एक बेलन के समान ड्रम लगा होता है जिसे फोटोरिसेप्टर कहा जाता है। बता दें कि इस फोटोरिसेप्टर पर से जब कागज होकर गुजरता है तो इस पर लेजर बीम को फायर किया जाता है। इस तरह से लेजर प्रिंटिंग मशीन फोटोरिसेप्टर पर photo या इमेज को Print करती है। लेजर प्रिंटर काफी fast होता है आप इससे तुरंत Print प्राप्त कर सकते हैं। लेजर प्रिंटर का इस्तेमाल किसी भी तरह के Text, Documents और Photo को निकलने के लिए किया जा सकता है।
यह एक तरह का इंकजेट प्रिंटर होता है जिसका इस्तेमाल किसी भी photo या image को photo paper पर निकलने के लिए किया जाता है। आपको बता दें कि इस प्रिंटर में इस्तेमाल किये जाने वाले कागज पर एक तरह की कोटिंग होती है जो कि Print करके लिए इस्तेमाल की जाने वाली इंक को धुंधला नहीं होने देता। फोटो प्रिंटिंग मशीन का इस्तेमाल मुख्य रूप से photo studio में किया जाता है। photo printer से सभी size की photo निकाली जा सकती है।
कलर प्रिंटर (color printer in Hindi)
कलर प्रिंटर ऐसे प्रिंटर होते हैं जिनसे आप एक से अधिक रंगों में Print निकाल सकते हैं। कलर प्रिंटर ज्यादातर मशीने CMYK कलर-मॉडल पर काम करती हैं। CMYK color model में 4 मूल रंग होते हैं जिनमे सियान, ब्लैक, येलो और मैजेंटा रंग के नाम शामिल हैं। इसके अलावा कुछ कम कीमत वाले कलर प्रिंटर भी जो Print निकलने में सिर्फ 3 मूल रंग पीला, सियान और मैजेंटा का इस्तेमाल करते हैं। इन सस्ते प्रिंटर की सबसे ख़राब बात यह होती है कि इस Print पर आप मूल काले रंग का Print नहीं ले पाते और अन्य रंग भी इसमें फ़ीके दिखाई देते हैं। कलर प्रिंटर का सबसे ज्यादा इस्तेमाल बुक, अखबार, और विभिन्न तरह की पत्रिकाओं की प्रिंटिंग में भी किया जाता है। आपको बता दें कि इस तरह के प्रिंटर भी दिए गए डाटा को तुरंत Print निकलने में सक्षम होते हैं।
डिजिटल प्रिंटर एक ऐसा Print होता है जिसे आप किसी भी डिजिटल फाइल फॉर्मेट से सीधे Print निकल सकते हैं। आपको जिस भी फाइल फॉर्मेट की इमेज जैसे ITFF, PDF, JPEG या नया किसी फॉर्मेट को Print करना है तो आप इसे सीधे प्रिंटर पर भेजकर Print निकाल सकते हैं। digital printer एक ऐसी मशीन होती है जिसमें प्रिंटिंग प्लेट की जरूरत होती जो कि ऑफसेट प्रिंटर में आवश्यक होती है। ये प्रिंटर फोटो पेपर, पेपर, फैब्रिक, कैनवास, कार्डस्टॉक पर Print निकाल सकते हैं।
इंकजेट प्रिंटर (inkjet printer in hindi)
इंकजेट प्रिंटर के लिए नियमित रूप से उपयोग किये जाते हैं। आपको बता दें कि इस तरह के प्रिंटर में पेपर पर Print निकलने के लिए एक खास तरह की सियाही का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इंकजेट प्रिंटर का इस्तेमाल हाई क्वालिटी वाले Print कलर Print निकलने के लिए भी किया जाता है। जरूरत पड़ने पर आप इस प्रिंटर से भी तुरंत Print निकल सकते हैं। ये मशीनें उन लोगों द्वारा पसंद की जाती हैं जिन्हें रोजाना नहीं बल्कि कभी कभी Print निकलने की जरूरत पड़ती है।इंकजेट प्रिंटर कई model में उपलब्ध होते हैं।
आपको बता दें कि इस प्रिंटर को इम्पैक्ट मैट्रिक्स प्रिंटिंग ( Impact Matrix Printing) के रूप में भी जाना जाता है। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर में स्याही को कागज/लेआउट की सतह पर लगाया जाएगा। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर में पिन एक रिबन से टकराते हैं जिसमे इंक लगी होती है और यह रिबन और कागज के बीच संपर्क को मजबूर करता है। यह कागज पर इंक की मदद से डॉट बनता है और इन डॉट को संयुक्त होने पर अंतिम डॉट मैट्रिक्स इमेज बनाई जाती है। इस तरह के प्रिंटर ATM machine, PCO, Railway station पर इस्तेमाल किया जाते हैं।
कम रिस्क में अच्छे रिटर्न हासिल करने का जरिया हैं बॉन्ड, जानें टाइप्स और इन्वेस्टमेंट का तरीका
आप ज्यादा रिस्क लिए बिना कई गुना रिटर्न हासिल कर सकते हैं. इसके लिए बॉन्ड (Bond) बेहतर ऑप्शन है. आप अपनी राशि को सरकारी और कॅार्पोरेट बॅान्ड में इंवेस्ट कर सकते हैं.
अक्सर लोगों के दिमाग में ये सवाल चलता रहता है कि वो अपनी कमाई को कैसे इंवेस्ट करें कि उन्हें अच्छा रिटर्न मिल सकें. मौजूदा समय में इंवेस्टमेंट के ढेरों ऑप्शन होने के कारण सही विकल्प को चुनना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. लेकिन अगर आप कम जोखिम पर अच्छा रिटर्न पाना चाहते हैं तो आपके लिए बॅान्ड एक अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है. बॉन्ड एक तय इनकम के सोर्स होते हैं. इसके माध्यम से जारीकर्ता बॅान्ड के मूल राशि या मेच्योरिटी पर फेस वैल्यू के लिए इंटरेस्ट देता है. आप अपनी रकम को सरकारी और कॅार्पोरेट बॅान्ड में इंवेस्ट कर सकते हैं. बॉन्ड को एक तरह से लोन कह सकते हैं. सरकार और कॅार्पोरेट हाउस कर्ज जुटाने के लिए बॉन्ड जारी करती हैं. कंपनियां इसे जारी करने से पहले बॉन्ड की वैलेडिटी और एनुअल इंटरेस्ट कूपन को तय करती है. इसको इस तरह से समझ सकते हैं अगर किसी कंपनी को बिजनेस के लिए लोन चाहिए तो वो बैंक से लोन न लेकर बॉन्ड के जरिए कर्ज लेने का फैसला करती है. बॉन्ड्स को दो तरीके से खरीदा जा सकता है. प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट.
बॅान्ड कितने तरह के होते हैं
बॉन्ड में इंवेस्ट करने के लिए आपको बॉन्ड मार्केट का पता होना जरुरी है. बॉन्ड मार्केट दो प्रकार के होते हैं. प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी फाइनेंस कितने प्रकार का होता है मार्केट. प्राइमरी मार्केट में जारीकर्ता डयरेक्ट इंवेस्टर को न्यू डेट सिक्योरिटीज बेचता है.
कंवर्टिबल बॉन्ड में बायर, जारीकर्ता के शेयरों में बॅान्ड को बदल सकता है. कंवर्टिबल बॅान्ड के तहत रेगुलर कंवर्टिबल बॅान्ड, कंपल्सरी कंवर्टिबल बॅान्ड और रिवर्स कंवर्टिबल बॅान्ड आते हैं. इस बॅान्ड से इंवेस्टर को मेच्योरिटी पर फिक्स इंटरेस्ट रेट के साथ ही फेस वेल्यू भी मिलती है.
फिक्स रेट बॅान्ड
फिक्स रेट बॅान्ड एक सरकारी बॅान्ड होता है. इस बॅान्ड पर इवेस्टर को मेच्योरिटी पर ब्याज की एक निश्चित रकम मिलती है. इनकी इंटरेस्ट रेट पर मार्केट के उतार-चढ़ाव का कोई असर नहीं पड़ता.
इन बॅान्ड में टर्मिनल चेंजेस के कारण रिटर्न की रेट पर असर पड़ता है.फ्लोटिंग रेट बॅान्ड में इंवेस्ट करते समय बेंचमार्क रेट, स्प्रेड, बेंचमार्क रेट से अधिक रेट में शिफ्ट की रकम, और रिसेट फ्रीक्वेंसी का ध्यान रखना चाहिए.