इंटरनेट ट्रेडिंग कैसे की जाती है

- कंपनियों के नतीजे समझने की कोशिश करे। कैसे वो आपको ट्रेडिंग में मदद और नुकसान दे सकते है
- शेयर के असली मूल्यांकन को समझे
- बाजार की चाल समझे। आखिर इस दौरान ट्रेडिंग में क्या चल रहा है? क्या आपको ज्यादा प्रॉफिट दे सकता है
- किसी कंपनी के Share purchase करने से पहले उसके कारोबार और शेयर की असली कीमत को जरूर परखे.
- जब शेयर का भाव कम हो तब शेयर खरीदने में ज्यादा प्रॉफिट हो सकता है क्युकि शेयर मार्किट में शेयर का भाव कभी एक सामान नहीं होता है. हो सकता है अभी रेट कम है अगले ही पल बढ़ जाये तब आप अपने शेयर बेंच कर ज्यादा मुनाफा कमा सकते है
शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों के लिए जरूरी खबर- 1 सितंबर से लागू होंगे नए नियम, बदल जाएगा कारोबार का तरीका…यहां जानिए सबकुछ
शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों के लिए बड़ी खबर आई है. 1 सितंबर 2021 से शेयर बाजार में मार्जिन्स से जुड़े नियम बदल रहे है. आइए जानें इससे निवेशकों पर क्या असर होगा?
TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित त्यागी
Updated on: Aug 31, 2021, 1:24 PM IST
शेयर बाजार के कामकाज पर नज़र रखने वाली संस्था सेबी (SEBI-Securities and Exchange Board of India) ने कुछ नियमों में बदलाव किया है. निए नियम 1 सितंबर से लागू हो रहे है. आमतौर पर शेयर बाजार में शेयर खरीदते और बेचते वक्त ब्रोकर्स मार्जिन्स देते है. अगर आसान शब्दों में समझें तो 10 हजार रुपये आपने अपने ट्रेडिंग अकाउंट में डाले. तो आसानी से 10 गुना मार्जिन्स के साथ 1 लाख रुपये तक के शेयर ग्राहक खरीद लेते थे. लेकिन अब ये निमय पूरी तरह से बदल गए है. आइए इसको उदाहरण के तौर पर समझते है.
पीक मार्जिन के नए नियम इंट्राडे, डिलीवरी और डेरिवेटिव (Intraday, delivery and derivatives) जैसे सभी सेगमेंट में लागू होंगे. चार में से सबसे ज्यादा मार्जिन को पीक मार्जिन माना जाएगा. सेबी ने इसके नियमों में बदलाव कर दिया है.
उदाहरण के लिए अगर रिटेल निवेशक रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक लाख रुपये मूल्य के शेयर खरीदता है तो ऑर्डर प्लेस करने से पहले उसके ट्रेडिंग अकाउंट में 1 लाख रुपये होने चाहिए. सेबी के नए नियम के मुताबिक शेयर बेचते वक्त भी आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन होना चाहिए.
अब जानते हैं पीक मार्जिन्स क्या होते है-इसका मतलब यह हुआ कि आपके दिनभर के जो ट्रेड्स (शेयर खरीदे और बेचे) किए हैं क्लीयरिगं कॉर्पोरेशन उसके चार स्नैप शॉर्ट लेगा. इसका मतलब साफ है कि चार बार यह देखेगा कि दिन में जो ट्रेड हुए उसमें मार्जिन कितने हैं. उसके आधार पर दो सबसे ज्यादा मार्जिन होगा उसका कैलकुलेशन करेगा. फिलहाल आपको उसका कम से कम 75 प्रतिशत मार्जिन रखना होगा. अगर आपने नहीं रखा तो आपको इसके एवज में पेनाल्टी लगेगी. यह नियम 1 जून 2021 से शुरू हो गया. अगस्त में ये 100 फीसदी हो जाएगा.
क्यों लागू किया ये नियम -बीते कुछ महीनों में कार्वी जैसे कई मामले सामने आए है. जिसमें आम निवेशकों के शेयर बिना बताए बेच दिए गए. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि सेबी ने सोच-समझकर यह नियम लागू किया है. उदाहरण के तौर पर समझें तो मान लीजिए आप सोमवार को 100 शेयर बेचते हैं. ये शेयर आपको अकाउंट से बुधवार को डेबिट होंगे. लेकिन, अगर आप मंगलवार (डेबिट होने से पहले) को इन शेयरों को किसी दूसरे को ट्रांसफर कर देते हैं तो सेटलमेंट सिस्टम में जोखिम पैदा हो जाएगा. ब्रोकिंग कंपनियों के पास ऐसा होने से रोकने के लिए हथियार होते हैं. 95 फीसदी मामलों में ऐसा नहीं होता है. सेबी ने यह नियम इसलिए लागू किया है कि 5 फीसदी मामलों में भी ऐसा न हो.
सितंबर से लागू होगा 100 फीसदी का नियम-यह पीक मार्जिन का चौथा फेज है. पहला फेज दिसंबर 2020 में शुरू हुआ था, तब 25 इंटरनेट ट्रेडिंग कैसे की जाती है प्रतिशत के पीक मार्जिन लगाए गए थे. मार्च से पीक मार्जिन दोगुना बढ़कर 50 फीसदी कर दिया गया. 1 जून से 75 फीसदी हो गया है. अब सितंबर में बढ़ाकर 100 फीसदी कर दिया जाएगा. एक्सपर्ट के मुताबिक, दिसंबर से पहले मार्जिन कैलकुलेशन दिन के आखिर में करते थे. इसके बाद कार्वी और दूसरे कई मामले हुए थे. मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने इसके बाद पीक मार्जिन को बाहर निकाला था.
Share Market में ट्रेडिंग कैसे करे? Trade meaning in Hindi
आप भी Share market के जरिये से पैसा कमा सकते है बस आपको मेहनत करने की जरुरत होती है यदि आप Beginner है या आपने अभी अभी स्टार्ट किया है और आप एवरेज मेहनत कर रहे है तो आपको इससे पैसा कमाने के लिए कम से कम 6 महीने से 1 साल के बीच लग सकता है यदि आप अच्छी खासी मेहनत कर रहे है
आप 6 महीने से पहले भी शुरू कर सकते है ये टोटली आप पर Depend करता है। Share market से पैसा कमाने के लिए आपको Share market trading आना बहुत जरुरी होता है
आज कि हमारी पोस्ट 'Share market trading' पर ही आधारित है जिसमे हम बात करेंगे कि Share market में trading क्या मतलब होता है (Trade meaning in hindi), Share market में trading कैसे करे, Trading कितने प्रकार की होती है, और इसके प्रकारो के बारे में बारीकी से बात करेंगे
Table of Contents
Share Market में ट्रेडिंग कैसे करे?
हम सब जानते और समझते है कि लाखो लोग हर वर्ष Share market में अपना हाथ अजमाते है लेकिन उनमे से अधिकतर नाकाम हो जाते है ऐसा क्यों होता है? चलिए समाझते है
ज्यादातर लोगो को रातो रात आमिर बनना होता है. जैसा वो मूवी देखते है. उन्हें बहुत जल्दी होती है. इसके चलते वो काफी चीज मिस कर देते है. कुछ चीजे गलत कर देते है. कुछ जरुरी चीजे तो करते ही नहीं है
अपना सारा पैसा एक साथ निवेश कर देते है निवेश करने से पहले ये पता करना जरुरी नहीं समाझते है कि आखिर उन्हें कहा, कितना और कैसे पैसे इन्वेस्ट करने है.
पैसे इन्वेस्ट करने से पहले सही कंपनी/जगह नहीं चुनते है जिससे उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ता है और वो ट्रेडिंग छोड़ देते है
यदि आपको ट्रेडिंग में सफल होना है तो ऊपर दी गयी गलतियां न करे. Points को जरूर फॉलो करे. इसके लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी
Trading का क्या मतलब होता है? (Trade meaning in hindi)
Share को खरीदना और बेचना Trading कहलाता है. जितने भी लोग Share market में Trading करते है उन सभी का अपना अपना तरीका होता है. Trading करने का. शेयर खरीद कर वो अपने Demat account में रखते हैं.
Demat account का उपयोग शेयर को खरीदने और बेचने के लिए ट्रेडर द्वारा किया जाता है
शेयरों की खरीद-बिक्री की सुविधा ऑनलाइन उपलब्ध है. ट्रेडिंग करने से पहले ध्यान रखे कि इसमें काफी जोखिम होता है. यदि आप सही तरीके से करते है तो आप कम से कम 2-3 गुने पैसे कमा सकते है
यदि आप गलत तरीके को चुनते है तो आपके द्वारा निवेश किये गए पैसे पुरे डूब भी सकते है. चलिए Stock market से जुड़े कुछ Important point के बारे में चर्चा करते है.
- कंपनियों के नतीजे समझने की कोशिश करे। कैसे वो आपको ट्रेडिंग में मदद और नुकसान दे सकते है
- शेयर के असली मूल्यांकन को समझे
- बाजार की चाल समझे। आखिर इस दौरान ट्रेडिंग में क्या चल रहा है? क्या आपको ज्यादा प्रॉफिट दे सकता है
- किसी कंपनी के Share purchase करने से पहले उसके कारोबार और शेयर की असली कीमत को जरूर परखे.
- जब शेयर का भाव कम हो तब शेयर खरीदने में ज्यादा प्रॉफिट हो सकता है क्युकि शेयर मार्किट में शेयर का भाव कभी एक सामान नहीं होता है. हो सकता है अभी रेट कम है अगले ही पल बढ़ जाये तब आप अपने शेयर बेंच कर ज्यादा मुनाफा कमा सकते है
Share market me trading kaise kare in hindi
Share Market me trading kaise kare? इसको समझने के लिए आपको बाजार का सही ज्ञान होना जरुरी है. Share market में सफल होने के लिए नीचे दी गयी Marketing tips को जरूर फॉलो करे ये आपको इस क्षेत्र में Pro बना सकती है
एक Trading account खोलें: सबसे पहले एक Trading account खोले। अकाउंट खोलने के लिए एक अच्छा ऑनलाइन स्टॉक ब्रोकर ढूंढें। अकाउंट खोलने के बाद अच्छे से ट्रेडिंग करने के Trading tools का उपयोग करे।
आज के समय में Trading tools मुफ्त और paid दोनों फॉर्म में मौजूद करे। मैं आपको राय देना चाहूंगा कि आप Paid trading tool का उपयोग करे उसमे आपको Latest और Powerful feature देखने को मिलेंगे। यदि आपको ये अच्छे फीचर Free trading tool में मिलते है तो आप उसे भी यूज़ कर सकते है
पढ़ना सीखें- एक मार्केट क्रैश कोर्स: यदि आप कम समय में अच्छी ट्रेडिंग करना सीखना चाहते है और उससे पैसे कमाना चाहते है तो आपको एक्सपर्ट की राय लेना जरूरी हो जाता है उन्होंने अपने सालो के एक्सपेरिंस में जो भी सीखा है
आप वो सिख सकते है और कम समय में ज्यादा नॉलेज प्राप्त कर सकते है कई Expert, Market Crash Course प्रोवाइड करते है आप उसे खरीद सकते है मार्केट क्रैश कोर्स खरीदने से पहले एक बात हमेशा ध्यान रखे कोर्स हमेशा एक्सपर्ट से ही ख़रीदे जो आज टॉप पर है और अच्छा ट्रैड कर रहे है. हर किसी से कोर्स मत ख़रीदे
Analysis करना सीखें: अभी मैंने आपको कुछ गलतिया बताई है जो अक्सर नए Trader करते है आप उन गलतियों को बिल्कुल न करे उन चीजों को बारीकी से विश्लेषण करना सीखें।
पीयर-टू-पीयर ट्रेडिंग: बिना UPI और इंटरनेट बैंकिंग सेवाओं के क्रिप्टो में निवेश कैसे करें
भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) सेवाओं को रोकने और नेट बैंकिंग एक्सेस को प्रतिबंधित करने के साथ, क्रिप्टो उपयोगकर्ता अपनी डिजिटल संपत्ति के साथ वर्कअराउंड और ट्रेडिंग शुरू करने के लिए नए विकल्पों की तलाश में फंस गए हैं।
यह भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के एक सर्कुलर के बाद आया है जिसमें कहा गया है कि उन्हें यूपीआई के माध्यम से होने वाले किसी भी क्रिप्टो भुगतान के बारे में जानकारी नहीं है। इसके कारण क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे कॉइनबेस ने अपनी यूपीआई सुविधा वापस ले ली, जिससे उपयोगकर्ताओं के लिए एक्सचेंजों पर लेनदेन शुरू करने में बाधा उत्पन्न हुई।
इस सप्ताह के कॉलम में, हम चर्चा करते हैं कि यूपीआई और बैंकिंग सेवाओं के अभाव में उपयोगकर्ता क्रिप्टो प्लेटफॉर्म पर कैसे व्यापार कर सकते हैं।
पीयर-टू-पीयर (पी2पी) ट्रेडिंग
पीयर-टू-पीयर ट्रेडिंग (पी2पी) किसी तीसरे पक्ष या मध्यस्थ की आवश्यकता के बिना क्रिप्टोकरेंसी को खरीदने और बेचने की अनुमति देता है। यद्यपि आपको तकनीकी रूप से एक ऐसे प्लेटफ़ॉर्म की आवश्यकता होती है जहाँ खरीदार और विक्रेता जुड़ सकें, आपको प्लेटफ़ॉर्म के साथ लेन-देन करने की आवश्यकता नहीं है, सभी लेन-देन दो पक्षों – विक्रेता और खरीदार के बीच होते हैं।
क्रिप्टो एक्सचेंजों के विपरीत, इंटरनेट ट्रेडिंग कैसे की जाती है पी 2 पी ट्रेडिंग आपको अधिक पकड़ देती है कि आपकी क्रिप्टो संपत्ति कौन खरीदता है। उदाहरण के लिए, यदि आप एक क्रिप्टो एक्सचेंज पर रखे क्रिप्टो संपत्ति को बेचना चाहते हैं, तो आप क्रिप्टोकुरेंसी खरीदने, बेचने या पकड़ने के लिए इष्टतम समय निर्धारित करने के लिए चार्ट का उपयोग करते हैं। लेकिन, जब आप बेचने का फैसला करते हैं, तो परिसंपत्ति की अंतिम कीमत एक्सचेंज के बाजार मूल्य पर निर्भर करती है।
दूसरी ओर, P2P ट्रेडिंग उपयोगकर्ताओं को प्रक्रिया पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करती है। आप तय करते हैं कि अपनी संपत्ति किसको और किस कीमत पर बेची जाए, हालांकि, इसमें कुछ जोखिम हो सकता है जहां सौदे की निगरानी करने वाला कोई ‘बिचौलिया’ नहीं है। यह वह जगह है जहाँ Binance और Paxful जैसे प्लेटफ़ॉर्म आवश्यक हो जाते हैं।
“लोगों को दुनिया भर में स्वतंत्र रूप से लेनदेन करने की अनुमति देकर, पीयर-टू-पीयर प्लेटफॉर्म वैश्विक वित्तीय प्रणाली तक पहुंच खोलते हैं। पैक्सफुल के सह-संस्थापक और सीईओ रे यूसुफ ने indianexpress.com को बताया, “हर किसी को अपने वांछित ऑफ़र, ट्रेडिंग पार्टनर और मार्जिन चुनने की स्वतंत्रता है।”
आप पी2पी प्लेटफॉर्म पर बहुत सी चीजें कर सकते हैं, जिसमें बिटकॉइन, एथेरियम, लिटकोइन इत्यादि जैसी क्रिप्टोकरेंसी खरीदना, बेचना और व्यापार करना शामिल है। यहां पी2पी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर बिटकॉइन खरीदने के तरीके के बारे में चरण-दर-चरण ट्यूटोरियल दिया गया है। (डेमो उद्देश्यों इंटरनेट ट्रेडिंग कैसे की जाती है के लिए, हमने पैक्सफुल पी2पी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग किया है)
# प्लेटफॉर्म पर साइन अप करके सबसे पहले आपको अकाउंट खोलना होगा।
#प्लेटफ़ॉर्म ख़रीदने वाले पक्ष से कोई शुल्क नहीं लेता है। व्यापार में बिटकॉइन की मात्रा ठीक वही है जो आपको अपने बिटकॉइन वॉलेट में मिलेगी।
#खरीदारी के लिए निकलते समय, भुगतान विधि, राशि और मुद्रा पर विचार करने वाले तीन प्रमुख तत्व हैं। आप अपनी शर्तों पर एक विक्रेता से बिटकॉइन खरीदने के लिए या तो एक खरीद प्रस्ताव या पेशकश करके बिटकॉइन खरीद सकते हैं। विक्रेता के निर्देशों को पढ़ें और एक खरीद प्रस्ताव बनाएं जिसमें परिवर्तित होने का उचित मौका हो।
#जब आप खरीदने के लिए तैयार हों, तब आप अपनी पसंदीदा भुगतान विधि चुन सकते हैं। सुनिश्चित करें कि जब आप किसी भी भुगतान विधि का उपयोग करते हैं, तो उसकी पहचान वही होती है, जिससे आप जिस खाते से धनराशि स्थानांतरित कर रहे हैं, वह सर्वोत्तम अभ्यास है।
# विक्रेता आपके भुगतान की पुष्टि करेगा और आपका बिटकॉइन जारी कर दिया जाएगा।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि लेन-देन पूरा करते समय पारंपरिक प्रदाता उच्च शुल्क ले सकते हैं या प्रतिकूल विनिमय दरों का उद्धरण कर सकते हैं। जब पीयर-टू-पीयर प्लेटफॉर्म से तुलना की जाती है, तो ये शुल्क महंगे और अक्षम होते हैं।
लेनदेन को सुरक्षित और गुमनाम रखना
सुरक्षित ट्रेडिंग सुनिश्चित करने के लिए, P2P ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म अक्सर एन्क्रिप्शन और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन जैसी सुरक्षा सुविधाओं का उपयोग करते हैं। यह उपयोगकर्ताओं को इन नेटवर्कों पर लेनदेन में संलग्न होने का विश्वास दिलाता है।
P2P वैश्विक स्तर पर व्यापार की सुविधा देता है, संभावनाओं की दुनिया खोलता है क्योंकि यह आपको किसी भी मुद्रा या संपत्ति में व्यापार करने की अनुमति देता है जो आपको पसंद है। एक बार व्यापार शुरू होने और आपकी क्रिप्टो एस्क्रो में आयोजित होने के बाद, विक्रेता व्यापार को रद्द नहीं कर सकता है; इसे केवल खरीदार द्वारा रद्द किया जा सकता है या सिस्टम द्वारा स्वतः रद्द किया जा सकता है यदि भुगतान विंडो के भीतर खरीदार द्वारा भुगतान नहीं किया जाता है।
गुमनामी के संदर्भ में, क्रिप्टो इस अर्थ में छद्म नाम है कि आपका नाम आपके द्वारा किए गए लेनदेन से सीधे जुड़ा नहीं है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अधिकांश पी2पी प्लेटफॉर्म ट्रेडिंग से पहले अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) और एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (एएमएल) प्रक्रियाओं को लागू करते हैं। सभी उपयोगकर्ता केवाईसी प्रक्रियाओं से गुजरते हैं; हालांकि, ये सुरक्षा प्रक्रियाएं अन्य वित्तीय प्लेटफॉर्म पर भिन्न हो सकती हैं।
P2P प्लेटफॉर्म किसी भी समय इंटरनेट ट्रेडिंग कैसे की जाती है आपके वांछित क्रिप्टो के लिए खरीदारों और विक्रेताओं को ढूंढना आसान बनाता है, जिसका अर्थ है कि किसी भी समय अपनी वांछित मुद्रा के लिए खरीदार या विक्रेता ढूंढना आसान है। हालांकि, स्कैमर्स भी नए प्लेटफॉर्म के साथ पी2पी ट्रेडिंग का तेजी से फायदा उठा रहे हैं, और शून्य ट्रेडिंग फीस का वादा कर रहे हैं। प्लेटफॉर्म चुनने से पहले अपना शोध करना महत्वपूर्ण है और ऑनलाइन ट्रेड करते समय हमेशा सावधानी बरतें।
Trading क्या है Trading कितने प्रकार कि होती है?
Trading क्या है? यह प्रश्न ज्यादातर स्टॉक मार्केट में नए लोगों को परेशान करता है। आज कई small retailers स्टॉक मार्केट में है जो trading और investment में अंतर नहीं समझ पाते है। अगर आपको भी ट्रेडिंग शब्द का मतलब नहीं पता है। तो आज कि लेख में हम आपको trading meaning in hindi के बारे में बारीकी से समझाएंगे। इसलिए आज का पोस्ट आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए इस अंत तक पढ़े। तो फिर आइए जानते हैं।
Trading क्या है?
Trading को आसान शब्दों में व्याख्या करें तो हिंदी में इसे " व्यापार " कहा जाता है। यानी कि किसी वस्तु या सेवा का आदान प्रदान करके मुनाफा कमाना।
Stock Market Trading भी इसी तरह होता है। जैसे कि हम किसी वस्तु को खरीद और बिक्री करके मुनाफा कमाते हैं। बिल्कुल वैसे ही स्टॉक मार्केट में वस्तु की जगह कंपनियों के शेयर कि खरीद और बिक्री करके मुनाफा कमाया जाता है। ट्रेडिंग कि समय अवधि 1 साल की होती है। मतलब यह हुआ कि 1 साल के अंदर शेयर को खरीदना और बेचना है। अगर एक साल के बाद शेयर को बेचते हैं तो यह निवेश कहलाता है। यह एक तरह का ऑनलाइन पर आधारित बिजनेस होता है।
उदाहरण के तौर पर अगर हम share market में शेयर खरीद रहे हैं तो हमारे जैसे कोई अन्य व्यक्ति होगा जो उन शेयर को बेच रहा होगा। चलिए इसे अब अपने डेली लाइफ इंटरनेट ट्रेडिंग कैसे की जाती है से जोड़ते हैं। मान लीजिए आपने होलसेल स्टोर से कोई सामान ₹50 खरीदा और उसे बाद में ₹60 लगा कर कस्टमर्स को बेच दिया। अगर यह आप रोजाना करते हैं तो इसे ट्रेडिंग कहा जाता है।
बिल्कुल ऐसे ही शेयर बाजार में भी होता है। इंटरनेट ट्रेडिंग कैसे की जाती है आप शेयर को खरीदते हैं और 1 साल के अंदर खरीदे हुए शेयर को प्राइस बढ़ने के बाद बेच देते है। तो यह Stock Market Trading कहलाता है।
Trading को काफी रिस्की कहा जाता है क्योंकि इसमें यह कोई नहीं जानता कि कुछ समय बाद शेयर के भाव में क्या मूवमेंट आयेगा। अगर शेयर से जुड़ी न्यूज़ अच्छी आती है तो शेयर के भाव में तेजी दिखाई देगी। वहीं इसका उल्टा करे तो शेयर से जुड़ी न्यूज़ खराब आती है तो शेयर के भाव में मंदी देखने को मिल सकती है।
Stock Market Trading कितने प्रकार के होते हैं?
- Scalping Trading
- Intraday Trading
- Swing Trading
- Positional Trading
Scalping Trading क्या है?
Scalping Trading वह trade जो कुछ सेकंड या मिनट के लिए trade किया जाए। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो केवल कुछ सेकंड या मिनट के लिए शेयर की खरीद और बिक्री करते हैं। ऐसे ट्रेडर्स को scalpers कहा जाता है। बता दू कि scalping trading को सबसे जायदा रिस्की होता है।
Intraday Trading क्या है?
Intraday Trading वह trade जो 1 दिन के लिए trade किया जाए। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो Market (9:15 am) के खुलने के बाद शेयर खरीद लेते हैं। और मार्केट बंद(3:30 pm) होने से पहले शेयर को बेच देते है। ऐसे ट्रेडर्स को Intraday ट्रेडर्स कहा जाता है। बता दू कि Intraday ट्रेडिंग scalping trading से थोड़ा कम रिस्की होता है। इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए पोस्ट को पढ़े।
Swing Trading क्या है?
Swing Trading वह trade जो कुछ दिनों के लिए शेयर को खरीदते और बेचते है। यानी मतलब यह हुआ कि वह traders जो एक दो हफ़्ते के लिए शेयर को खरीदने के बाद बेच देते हैं। इसमें ट्रेडर को पूरे दिन चार्ट को देखना नहीं पड़ता है। यह उन लोगो ( जॉब, स्टूडेंट्स आदि) के लिए बेहतर होता है जो ट्रेडिंग में अपना पूरा दिन नहीं दे सकते हैं।
Positional Trading क्या है?
Positional Trading वह ट्रेड जो कुछ महीने के लिए होल्ड किए जाएं। यह मार्केट का long term movement को कैप्चर करने के लिए किया जाता है। ताकि एक अच्छा मुनाफा हो सके। शेयर बाजार की रोजाना के up-down से इन पर जायदा असर नहीं होता है। यह बाकी सभी trading से कम रिस्की होता है।
Trading और Investment में क्या अंतर है?
- Trading में शेयर को short term के लिए खरीदा जाता है। वहीं Investment में शेयर को लंबे समय के लिए खरीद लिया जाता है।
- Trading में टेक्निकल एनालिसिस की जानकारी होना जरूरी होता है। वहीं Investment में fundamental analysis की जानकारी प्राप्त होनी चाहिए।
- Trading कि अवधि 1 साल तक की होती है। वहीं निवेश कि अवधि 1 साल से ज्यादा कि होती है।
- Trading करने वाले लोगों को traders कहा जाता है। वहीं निवेश (Investment) करने वाले लोगों को निवेशक (Invester) कहां जाता है।
- Trading short term मुनाफे को कमाने के लिए किया जाता है वहीं निवेश लंबी अवधि के मुनाफे को कमाने के लिए किया जाता है।
आपने क्या जाना
जैसे कि आपने हमारी आज के लेख में trading kya hai के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है। आज आपने ट्रेडिंग के साथ साथ ट्रेडिंग के प्रकार और निवेश से ट्रेडिंग किस तरह अलग होता है यह भी जाना है। अगर आपको भी share market में trade करना है तो सबसे पहले इसके बारे में विस्तार से जानकारी अवश्य ले। नहीं तो आपको अच्छा खासा नुकसान झेलना पड़ सकता है।
Web3 इंटरनेट का कलयुग है, लेकिन कैसे? जानिए क्या है इसका इतिहास
जमाना टेक्नोलॉजी का है. टेक्नोलॉजी हर पल बदल रही है. ये असंभव को संभव बना रही है. इंटरनेट इसी की देन है. इंटरनेट — WWW (World Wide Web) की दुनिया है. WWW को वेब (Web) की संज्ञा दी गई है.
अब ज़रा यहां थोड़ा रुकें. हम हमारी दुनिया में, यानि की वास्तविक दुनिया में, आपको अतीत में लेकर चलते हैं. महर्षि व्यास जी के मुताबिक़ चार युग हैं — सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलयुग. वर्तमान युग कलयुग है.
अब ज़रा लौटते हैं फिर से अपने लेख पर. हम कहेंगे कि वेब के तीन युग हैं — Web 1.0, Web 2.0 और Web 3.0. Web 3.0 को Web3 (web3) भी कहा जाता है. अब अगर हम Web3 को इंटरनेट की दुनिया का कलयुग कहें तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.
Web 3.0 या Web3 को समझने से पहले हमें Web 1.0, Web 2.0 को एक नज़र देखना होगा.
Web 1.0
सर टिम बर्नर्स-ली (Sir Tim Berners-Lee) ने 1989 में इंटरनेट के शुरुआती विकास का बीड़ा उठाया, जब वह यूरोपियन रिसर्चर कंपनी CERN (European इंटरनेट ट्रेडिंग कैसे की जाती है Council for Nuclear Research) में बतौर कंप्यूटर साइंटिस्ट काम कर रहे थे.
अक्टूबर 1990 तक, बर्नर्स-ली ने तीन फंडामेंटल टेक्नोलॉजी की ईज़ाद की. जो वेब की फाउंडेशन बन गईं. पहले वेबपेज एडिटर/ब्राउज़र (WorldWideWeb.app) को इस तरह बयां किया गया है:
HTML: हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज (HyperText Markup Language), वेब की मार्कअप या फ़ॉर्मेटिंग लैंग्वेज
URI या URL: यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स आइडेंटिफ़ायर या लोकेटर (Uniform Resource Identifier or Locator), वेब पर प्रत्येक रिसॉर्स की पहचान करने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक यूनिक एड्रेस
HTTP: हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (HyperText Transfer Protocol), जो पूरे वेब से लिंक किए गए रिसॉर्सेज को एक्सेस करता है
1990 के दशक के मध्य तक, नेटस्केप नेविगेटर (Netscape Navigator) जैसे वेब ब्राउज़र की शुरूआत ने Web 1.0 के युग की शुरुआत की. यह सर्वर (वह सिस्टम जहां अलग-अलग कंप्यूटर्स का डाटा स्टोर होता है) से एक्सेस किए जाने वाले स्टेटिक वेबपेजेज का युग था. उस समय के अधिकांश इंटरनेट यूजर ईमेल और रीयल-टाइम न्यूज़ को एक्सेस करने जैसे फीचर्स से बेहद खुश थे. कंटेंट क्रिएशन अभी भी अपने शुरुआती दौर में था. यूजर्स के पास इंटरैक्टिव ऐप्लीकेशंस के लिए बहुत कम अवसर थे. हालांकि इसमें सुधार हुआ क्योंकि ऑनलाइन बैंकिंग और ट्रेडिंग ने तेजी से तूल पकड़ा. ये सब Web 1.0 में था.
Web 2.0
Web 2.0 इंटरनेट का उपयोग करने के तरीके में आए बड़े बदलाव को बताता है. पिछले 15 से 20 वर्षों में, Web 1.0 के स्टेटिक वेबपेजेज Web 2.0 की इंटरैक्टिविटी, सोशल कनेक्टिविटी और यूजर-जनरेटेड कंटेंट ने को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है. Web 2.0 यूजर-जनरेटेड कंटेंट को दुनिया भर के लाखों लोगों द्वारा एक पल में देखना संभव बनाता है. इस कारण हाल के वर्षों में इस तरह के कंटेंट में बूम आया है.
Web 2.0 में आई तेजी ने मोबाइल इंटरनेट एक्सेस और सोशल नेटवर्क जैसे इनोवेशंस के साथ-साथ iPhone और Android जैसे पावरफुल मोबाइल डिवाइसेज को भी तवज्जोह दिलाई है. इस शताब्दी के दूसरे दशक में, इन डेवलपमेंट्स ने उन ऐप्स के प्रभुत्व को सक्षम किया, जिन्होंने ऑनलाइन इंटरैक्टिविटी और यूटिलिटी का विस्तार किया. उदाहरण के तौर पर Airbnb, Facebook, Instagram, TikTok, Twitter, Uber, WhatsApp और YouTube आदि कुछ चर्चित नाम हैं.
इन प्रमुख प्लेटफार्म्स के रेवेन्यू में आए तगड़े उछाल ने Web 2.0-केंद्रित इन कंपनियों को मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों की फेहरिस्त में शुमार कर दिया है. ये नामचीन कंपनियां है — Apple, Amazon, Google, इंटरनेट ट्रेडिंग कैसे की जाती है Meta (पहले Facebook), और Netflix.
इन ऐप्लीकेशंस ने लाखों लोगों को रोज़गार के अवसर देकर गिग इकॉनमी (gig economy) में हाथ बटाया है. लेकिन Web 2.0 कुछ उद्योगों के लिए इस हद तक विनाशकारी रहा है कि उनमें से कुछ के लिए अस्तित्वगत खतरा है. ये ऐसे सेक्टर हैं जो या तो नए वेब-केंद्रित बिजनेस मॉडल के अनुकूल होने में विफल रहे हैं या ऐसा करने में धीमे रहे हैं. ये सेक्टर हैं — रिटेल, एंटरटेनमेंट, मीडिया, और एडवर्टाइजिंग. इन सेक्टर्स को गहरा झटका लगा है.
इस युग का सबसे महत्वपूर्ण साल रहा है 2004. इस साल ने दुनिया की काया पलट दी. इस साल में दो उल्लेखनीय विकास हुए जिन्होंने Web 2.0 के विकास और इसे अपनाने में तेजी लाई. Google ने इसी साल IPO लॉन्च किया. और फेसबुक (अब मेटा) का जन्म भी इसी साल में हुआ. ये सब Web 2.0 की देन है.
Web 3.0 - इंटरनेट का कलयुग
Web 3.0 इंटरनेट की ग्रोथ की अगली स्टेप के लिए जिम्मेदार है. क्रिप्टो, ब्लॉकचेन, मेटावर्स और NFT इसी की देन है. Web 3.0 डिसेंट्रलाइजेशन (Decentralization), खुलेपन और ज्यादा बड़े यूजर यूटिलिटी कॉन्सेप्ट्स पर बनाया गया है.
Web3 का उद्देश्य यूजर्स को अपने डेटा पर ज्यादा कंट्रोल देना है.
बर्नर्स-ली ने 1990 के दशक में इनमें से कुछ प्रमुख कॉन्सेप्ट्स की व्याख्या की थी, जैसा कि नीचे बताया गया है:
Decentralization: वेब पर कुछ भी पोस्ट करने के लिए सेंट्रल अथॉरिटी से किसी तरह की परमिशन की जरुरत नहीं है. कोई सेंट्रल कंट्रोल नोड नहीं है. इसका सीधा मतलब यह है कि अंधाधुंध सेंसरशिप और मॉनिटरिंग से आज़ादी है.
Bottom-up design: एक्सपर्ट्स के एक छोटे ग्रुप द्वारा कोड लिखे और कंट्रोल किए जाने के बजाय, इसे ज्यादा पार्टनर्स और एक्सपेरिमेंट को बढ़ावा देते हुए, सभी के पूर्ण दृष्टिकोण में विकसित किया गया था.
Web 3.0 2001 में बर्नर्स-ली द्वारा संकल्पित सिमेंटिक वेब की मूल अवधारणा से काफी आगे निकल गया है. यह आंशिक रूप से इसलिए है क्योंकि मानव भाषा को उसकी सभी सूक्ष्म बारीकियों और विविधताओं के साथ-एक प्रारूप में परिवर्तित करना बहुत महंगा और स्मारकीय रूप से कठिन है. कंप्यूटर द्वारा आसानी से समझा जा सकता इंटरनेट ट्रेडिंग कैसे की जाती है है, और क्योंकि पिछले दो दशकों में Web 2.0 पहले ही काफी विकसित हो चुका है.
"Web3" शब्द की ईज़ाद 2014 में Ethereum के को-फाउंडर गेविन वुड (Gavin Wood) ने की थी. लेकिन पिछले साल इस शब्द ने तब सुर्खियां बटौरी जब Twitter और Discord कम्यूनिटी में इसको लेकर हलचल मची.
इस ऑनलाइन चर्चा ने Web3-केंद्रित निवेश के लिए नए रास्ते की शुरुआत की है. Web3 प्रोजेक्ट्स को पूरा करने वाली कंपनियों ने Softbank Vision Fund 2 और Microsoft से फंडिंग जुटाई है. Facebook में शुरुआती इंटरनेट ट्रेडिंग कैसे की जाती है निवेशक a16z ने भी Web3 सीड इन्वेस्टमेंट के लिए 1 बिलियन डॉलर जुटाने का वादा किया था.
सबसे बड़ी बात ये है कि Web3 की दुनिया में, इन्फॉर्मेशन को वर्चुअल डिजिटल वॉलेट में स्टोर किया जाता है. इन्फॉर्मेशन डेटा सेंटर में स्टोर नहीं की जाती. यूजर इंटरनेट ट्रेडिंग कैसे की जाती है इन वॉलेट का उपयोग Web3 ऐप्लीकेशन से जुड़ने के लिए करते हैं, जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलती हैं. जब कोई यूजर किसी एप्लिकेशन से डिस्कनेक्ट करना चाहता है, तो वे बस लॉग ऑफ करते हैं. अपने वॉलेट को डिस्कनेक्ट करते हैं और अपना इंटरनेट ट्रेडिंग कैसे की जाती है डेटा अपने साथ ले जाते हैं.
हालांकि Web3 अभी अपने शुरुआती दौर में है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य क्या रुख लेता है. उम्मीद टेक्नोलॉजी के सदुपयोग की है. उम्मीद इंसानियत के लिए भलाई की है. क्यूंकि उम्मीद पर दुनिया कायम है.