दलाल पर राय

राहुल गांधी पत्रकार को 'दलाल' कह गए, ऐसी ही 8 उपमाओं में पिसता भारतीय मीडिया
मॉब लिंचिंग से जुड़ा सवाल पूछने वाले पत्रकार से कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सीधे ही कह दिया कि 'आप सरकार की दलाली (Dalal) मत कीजिये'. वैसे राहुल गांधी हों, या सत्ता पक्ष के नेता, सवाल पूछना किसी को अच्छा नहीं लगता. यदि सवाल पूछा भी गया है तो मनमुताबिक ढंग से क्यों नहीं पूछा गया, इस पर ऐतराज होने लगता है.दलाल पर राय
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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. दरअसल, इस वायरल वीडियो में मॉब लिंचिंग से जुड़ा एक सवाल पूछने पर राहुल गांधी सवाल करने वाले पत्रकार पर ही भड़क गए. जैसे ही राहुल गांधी से उनके मॉब लिंचिंग वाले ट्वीट को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने खीझते हुए अपना गुस्सा पत्रकार पर ही उड़ेल दिया. राहुल गांधी ने पत्रकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए उसे सरकार की दलाली न करने की सलाह दे डाली. राहुल गांधी का ये व्यवहार इसलिए भी चौंकाता है, क्योंकि अपनी रैलियों और भाषणों में वह कई बार लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप मोदी सरकार पर लगाते रहे हैं. जबकि, वह खुद लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया को सवालों के घेरे में खड़ा करने से नहीं चूक रहे हैं. पत्रकार को लेकर राहुल गांधी का गुस्सा देख गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी की याद आ गई, जिसने कुछ दिन पहले ही लखीमपुर मामले में सवाल पूछने पर पत्रकार का कॉलर पकड़ लिया था. वैसे, मीडिया पर नेताओं का हमलावर होना कोई नई बात नहीं है. पहले भी मीडिया को कई उपनामों और विशेषणों से नवाजा जाता रहा है. आइए जानते हैं कि मीडिया को अब तक कौन-कौन से उपनाम दिए गए हैं?
#WATCH | Congress leader Rahul Gandhi responds when asked about his today's tweet on 'lynching'. pic.twitter.com/UUxi3bpSOa
— ANI (@ANI) December 21, 2021
लुटियंस मीडिया- जब यूपीए 2 के अंतिम दिनों में नरेंद्र मोदी और भाजपा ने सरकार पर हमलावर रुख अपनाया, तो उन्होंने मीडिया के उस वर्ग को भी आड़े हाथों लिया, जिसका सरकार, खासकर कांग्रेस से काफी नजदीकी रिश्ता रहा. सत्ता के गलियारों के नजदीक यानी लुटियंस जोन में सक्रिय इन पत्रकारों को बीजेपी और उनके समर्थकों ने लुटियंस मीडिया का नाम दिया. इन पत्रकारों को बड़े नेताओं तक बिना रोक-टोक के एंट्री मिलती थी. इन पत्रकारों के बारे में प्रचारित किया गया कि इन्हें भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ माहौल बनाने का काम सौंपा गया था. कांग्रेस और पत्रकारों के बीच ये कथित लुटियंस मीडिया का ये गठजोड़ राडिया टेप के प्रकरण से भी चर्चित हुआ.
प्रेस्टिट्यूट- भाजपा सांसद वीके सिंह ने मीडिया के लिए प्रेस्टिट्यूट नाम का इस्तेमाल किया था. प्रेस्टिट्यूट शब्द के इस्तेमाल को लेकर वीके सिंह की जमकर आलोचना हुई थी. दरअसल, अमेरिका के विवादास्पद लेखक गेराल्ड सेलेंट ने अमेरिकी सरकार और कॉरपोरेट की तरफदारी करने वाली मीडिया को लेकर पहली बार प्रेस्टिट्यूट शब्द का उपयोग किया था.
न्यूज ट्रेडर्स- नरेंद्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान कुछ पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को न्यूज ट्रेडर्स यानी बाजारू की संज्ञा दी थी. दरअसल, 2002 में हुए गुजरात दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी हमेशा से ही कुछ पत्रकारों के निशाने पर रहे थे. जिसके जवाब में भाजपा नेता नरेंद्र मोदी ने इन तमाम लोगों को न्यूज ट्रेडर्स के तौर पर संबोधित किया था.
वीके सिंह ने मीडिया को प्रेस्टिट्यूट, तो नरेंद्र मोदी ने बाजारू कहा था.
गोदी मीडिया- 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू और एक्सक्लूसिव बयान कुछ मीडिया चैनलों तक ही सिमट कर रह गए. आसान शब्दों में कहा जाए, तो कुछ न्यूज चैनलों और कुछ खास पत्रकारों के साथ नरेंद्र मोदी और भाजपा की सहजता दिखाई पड़ने लगी. ऐसे में जिसे लुटियंस मीडिया कहा जा रहा था, उसे मौका मिल गया. और उन्होंने मोदी और भाजपा से नजदीकी रखने वाले पत्रकारों को गोदी मीडिया कहना शुरू कर दिया.
मोदी मीडिया- 2019 में दोबारा नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कुछ मीडिया संस्थानों ने अपने प्रतिस्पर्धी मीडिया संस्थानों पर मोदी मीडिया होने के आरोप लगाने शुरू कर दिये. पूर्व पत्रकारों और कांग्रेस के इकोसिस्टम से जुड़ा एक बड़ा समूह मीडिया संस्थानों को मोदी मीडिया कहा जाने लगा.
दलाल मीडिया- लगातार दो बार सत्ता से बाहर रहने पर कांग्रेस अपनी निराशा और गुस्सा पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर निकालने लगी है. इसका ताजा उदाहरण राहुल गांधी का पत्रकार के सवाल पर भड़कना कहा जा सकता है.
Rahul Gandhi, the entitled brat, shoots the messenger when asked about opposition disrupting Parliament.Government asked opposition parties to come for a discussion, but Congress among others, didn’t turn up. Congress and Rahul Gandhi are incapable of discussion, hence disrupt. pic.twitter.com/hrHcPTct51
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 20, 2021
लिबरल मीडिया- राजनीतिक विचाराधाराओं की एक छटा सोशल मीडिया पर भी दिखाई पड़ती है. यहां भी मेनस्ट्रीम मीडिया पर तरह-तरह के लेबल चिपकाए जाते रहे हैं. जैसे, कुछ खास पत्रकारों और न्यूज चैनलों को चिन्हित कर दिया गया है, कि ये राइटविंग के खिलाफ हमलावर रहेंगे, हिंदुओं को निशाने पर रखेंगे. जबकि मुस्लिम कट्टरपंथ और वामपंथ के प्रति झुकाव रखेंगे. ऐसे मीडिया पर ये भी आरोप लगाया जाता है कि ये भारतीय संस्कृति को बुरी दृष्टि में दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ता.
पत्तलकार- ऐसा नहीं है कि केवल नेताओं या पूर्व पत्रकारों द्वारा ही मीडिया की भूमिका पर सवाल खड़े किए जाते हों. सोशल मीडिया के इस युग में अब पत्रकारों पर ऑनलाइन हमले भी होने लगे हैं. अगर किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता को किसी पत्रकार की कही बात पसंद नहीं आती है, तो उसके साथ गाली-गलौज से लेकर तमाम तरह की धमकी तक दे दी जाती है. इन्हें दलाल पर राय पत्तलकार जैसे उपनामों से विभूषित कर दिया जाता है.
राहुल गांधी ने मॉब लिंचिंग के सीधे सवाल पर पत्रकार को दलाल घोषित कर दिया.
एक मशहूर मुहावरा 'दो पाटों के बीच फंसना' और मीडिया के साथ ये लंबे समय से चरितार्थ हो रहा है. भारतीय मीडिया दो पाटों के बीच फंसकर रह गई है. जहां एक पाट के तौर पर लंबे समय तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस है, तो दूसरी तरफ 2014 से बहुमत के साथ सत्ता में आई भाजपा. कांग्रेस और भाजपा की आपसी राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के बीच भारतीय मीडिया सबसे आसान शिकार बनकर रह गई है. 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने से पहले भी मीडिया पर कुछ इसी तरह के आरोप लगाए जाते थे. और, अब भी वैसे ही आरोप लगाए जाते हैं. हालांकि, फर्क सिर्फ इतना है कि पहले जो पक्ष आरोप दलाल पर राय लगाता था, वो आज सत्ता में है और आज जो पक्ष आरोप लगा रहा है, वो सत्ता से बाहर हो चुका है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो सियासी नफा-नुकसान के लिए पहले भी मीडिया पर आरोप लगाए जाते थे और आज भी लगाए जा रहे हैं. लेकिन, मीडिया इन तमाम हमलों और आरोपों को झेलते हुए भी अपना काम कर रही है.
मंडलीय अस्पताल में चला 'ऑपरेशन दलाल'
शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा में दलालों की धर-पकड़ के लिए शुक्रवार को 'आपरेशन दलाल' चलाया गया। ओपीडी, वॉर्ड व इमरजेंसी सहित पूरे परिसर में छापेमारी की गई। कबीरचौरा चौकी प्रभारी प्रीतम तिवारी की निगरानी में चले सर्च अभियान के दौरान परिसर में मौजूद छह दलालों को पुलिस ने चिह्नित कर कानूनी कार्रवाई की। ऑन ड्यूटी स्वास्थ्य कर्मियों की पहचान की गई।
डीएम कौशल राज शर्मा को काफी दिनों से शिकायतें मिल रही थी कि मंडलीय अस्पताल में दलाल सक्रिय हैं। दलाल और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) की सांठ-गांठ खूब चलती है। डीएम ने दलालों पर लगाम लगाने के लिए एसएसपी अमित पाठक को पत्र लिखकर त्वरित कार्यवाही करने का निर्देश दिया था। इसी क्रम में पुलिस ने ऑपरेशन दलाल अभियान चलाकर दलालों दलाल पर राय पर शिकंजा कसा। चौकी प्रभारी प्रीतम तिवारी ने बताया कि सूचना थी कि दलाल मंडलीय अस्पताल से मरीजों को बहलाकर निजी एंबुलेंस से अन्यत्र ले जाते हैं। इसके एवज में उन्हें मोटी रकम मिलती है। इनकी मिलीभगत अस्पताल कर्मियों से भी है।
महिलाएं भी हैं सक्रिया
चौकी प्रभारी के अनुसार अस्पताल के आस-पास दलाल दिनभर मंडराते रहते हैं। जैसे ही कोई गंभीर मरीज आता है उसे वे निशाना बनाते हैं। लिहाजा ऑपरेशन दलाल के जरिए उन पर लगाम लगाने की कोशिश की गई है। छह दलालों को चिह्नित कर कानूनी कार्रवाई की गई। उनसे पूछताछ की जा रही है। वहीं सूत्रों के मुताबिक पुलिस के हत्थे चढ़े दलालों से उनके धंधे के बारे में कई अहम सुराग मिलने की उम्मीद है।
छापेमारी में चौकी प्रभारी के अलावा कांस्टेबल दिनेश कुमार यादव, संजय वर्मा, अजीत राय आदि सहित बड़ी संख्या में पुलिस कर्मी शामिल थे। चौकी प्रभारी ने बताया कि दलालों के खिलाफ अभियान जारी रहेगा। कुछ महिला दलाल चिह्नित की हैं। पुलिस उन पर भी पैनी नजर रख रही है। इसके लिए बाकायदा सादे वेश में महिला पुलिसकर्मियों को लगाया गया है।
-एमआर-दलाल के जाल में अस्पताल
मंडलीय अस्पताल में दलाल व मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) की दलाल पर राय सांठ-गांठ बहुत जबर्दस्त है। एक तरफ ओपीडी शुरू होते ही दलाल दिखने लगते हैं तो वहीं एमआर भी ओपीडी के अंदर-बाहर मंडराते हैं। ग्रुप बनाकर जहां एमआर डाक्टर से बकायदा ओपीडी टाइम में मिलते हैं तो वहीं डाक्टरों के बगल में बैठकर दलाल खुद रजिस्टर पर मरीजों का दलाल पर राय नंबर चढ़ाते हैं। अस्पताल में दलाल सक्रिय हैं इसे कबीरचौरा चौकी प्रभारी भी स्वीकार करते हैं। उनका कहना है कि टीम गठित की जा रही जो नियमित तौर पर दलालों पर अंकुश लगाएगी।
RSS पर भड़के राजद नेता, बोले- अन्नदाता को वो लोग पाकिस्तानी बता रहे हैं जो खुद अंग्रेजों के दलाल थे
इस मौके पर देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करते हुए राजद नेता जगदानंद सिंह ने कहा कि बापू यह मानते थे कि हमारा देश गाँवों का देश है। इस देश का विकास तब तक नहीं हो सकता। जब तक देश के गांव विकास नहीं करेंगे।
उन्होंने केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आखिर आज भारत दुनिया का सबसे भूखा राष्ट्र क्यों बन गया है?
वहीं बिहार देश का सबसे भूखा राज्य है। जहां गरीबी और भुखमरी चरम सीमा पर पहुंच गई है।
आपको बता दें कि यह राजद नेता इससे पहले भी हिंदूवादी संगठन आरएसएस पर कई बार इस तरह की टिप्पणियां कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने आरएसएस को भारत का तालिबान करार दिया था।
आरएसएस को भारत का तालिबान करार देते हुए राजद नेता ने कहा था कि जिस तरह से अफगानिस्तान में तालिबान एक संस्कृति है।
उसी तरह से भारत में आरएसएस ही तालिबान है। आरएसएस के लोग हमेशा देश के अल्पसंख्यकों को मारते हैं।
इस दौरान उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर तालिबानी संगठन धार्मिक उन्मादी हैं तो फिर आरएसएस भी वही है।
सरकार ने ऐतिहासिक राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया है. इसके अलावा भी सरकार ने इस इलाके में कई बदलाव किए हैं.
8 सितंबर को सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के एक हिस्से को आम जनता के लिए खोल दिया गया. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण भी किया.
यही नहीं सरकार ने ऐतिहासिक राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया है. इसके अलावा भी सरकार ने यहां कई बदलाव किए हैं.
केंद्र सरकार का कहना है कि इन बदलावों से इंडिया गेट कर्तव्य पथ और दलाल पर राय सेंट्रल विस्टा के इस हिस्से का आकर्षण बढ़ गया है. न्यूज़लॉन्ड्री ने सरकार द्वारा कराए गए इन कार्यों पर आम जनता से बातचीत की है. जानिए क्या है उनकी राय.
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पैनलिस्ट ने एंकर को दी गाली, कहा- हमने 500 चैनल खोल दिए, तुम जैसे पत्रकार बन गए, इसलिए मुल्क भोग रहा है
एंकर के एतराज पर गुस्साए कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘बात नहीं सुननी तो बुलाया मत करो। दलाल और भड़वे की तरह बात मत किया करो। तुम दलाल हो। तुम हिंदू-मुस्लिम चाहते हो। देश में आग लगाना चाहते हो।’
पूरे घटनाक्रम पर सोशल मीडिया में लोगों की राय बंटी हुई है। कुछ लोगों ने कांग्रेस प्रक्ता की इस भाषा को इसका पतन बताया है जबकि कुछ लोगों ने कांग्रेस प्रवक्ता का समर्थन किया है। (फोटो सोर्स वीडियो स्क्रीन शॉट)
लाइव डिबेट शॉ में ‘मॉब लिंचिंग’ पर आयोजित टीवी प्रोग्राम पर अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल कर कांग्रेस प्रवक्ता राजीव त्यागी सुर्खियों में छाए हुए हैं। आरोप है कि हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज 18’ पर डिबेट के दौरान उन्होंने एंकर अमीश देवगन को ‘दलाल’ और ‘भड़वा’ कहकर पुकारा। एंकर के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘500 चैनल हमने खोल कर रख दिए और तुम जैसे (अमीश देवगन) जैसे पत्रकार, पत्रकार बन गए। इसलिए मुल्क इसे भोग रहा है।’ एंकर के एतराज पर गुस्साए कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा, ‘बात नहीं सुननी तो बुलाया मत करो। दलाल और भड़वे की तरह बात मत किया करो। तुम दलाल हो। तुम हिंदू-मुस्लिम चाहते हो। देश में आग लगाना चाहते हो।’
पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। वीडियो मशहूर लेखक हरीश बर्णवाल ने भी शेयर किया है। इसमें उन्होंने लिखा है, ‘कांग्रेसियों का घमंड सातवें आसमान पर है। जरा देखिए किस प्रकार कांग्रेस प्रवक्ता चैनल के शो में एंकर को भड़वा और दलाल कह रहा है। मैं अमीश देवगन की तारीफ करना चाहूंगा कि इसके बाद भी उन्होंने अपनी भाषा खराब नहीं होने दी। ऐसे कांग्रेसियों को जनता ही सबक सिखाएगी।’ पूरे घटनाक्रम पर सोशल मीडिया में लोगों की राय बंटी हुई है। कुछ लोगों ने कांग्रेस प्रवक्ता की इस भाषा को पार्टी का पतन बताया है जबकि कुछ लोगों ने कांग्रेस प्रवक्ता का समर्थन किया है।
डिबेट का दूसरा हिस्सा भी सामने आया है। इसमें पत्रकार ने जब कांग्रेस प्रवक्ता से कहा कि वे अपने बयान के लिए माफी मांग सकते हैं। इसके जवान में राजीव त्यागी ने कहा कि वो अपने बयान पर पूरी तरह कायम है और माफी नहीं मागेंगे। उन्होंने एंकर पर एक संगीन आरोप लगाते हुए कहा कि वो मानवता को खत्म कर रहे हैं। सिर्फ कुछ सुविधाओं के लिए देश के चैन और अमन को खत्म कर रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा कि अमीश देवगन देश के किसानों पर बहस आयोजित नहीं करते हैं। राफेल डील पर डिबेट नहीं करते, सिर्फ हिंदू-मुस्लिम करते हैं।