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क्या है डिजिटल रुपया

Cryptocurrency: क्रिप्टो में क्यों आया भूचाल? क्या निवेशकों को क्रिप्टो पर अब भरोसा नहीं रहा?

क्रिप्टो में क्यों आया भूचाल? क्या निवेशकों को क्रिप्टो पर अब भरोसा नहीं रहा? क्रिप्टो में कितना रिस्क? जानिए क्रिप्टोकरेंसी पर पूरा एनालिसिस एलिमेंट प्लेटफॉर्म्स के चेयरमैन और मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा से.

क्रिप्टो करेंसी में धन दोगुना करने का लालच देकर ठगी करने वाला कंपनी सचिव गिरफ्तार

नोएडा। उत्तर प्रदेश के नोएडा में साइबर क्राइम थाना सेक्टर 36 ने क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से पैसे को दोगुना करने का लालच देकर लोगों से करोड़ों की ठगी करने हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित एक कंपनी के सचिव को गिरफ्तार किया है। पूछताछ के दौरान पता चला कि आरोपी चीन से जुड़े एक गिरोह के साथ मिलकर यह ठगी का कारोबार कर रहा था। साइबर क्राइम थाना पुलिस की गिरफ्त में खड़ा यह आरोपी 21 वर्षीय प्रशांत सिंह है। साइबर क्राइम प्रभारी रीता यादव ने बताया कि प्रशांत सिंह को हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया है।

रीता यादव ने बताया कि नोएडा के सेक्टर 93 पूर्वांचल सिल्वर सिटी अपार्टमेंट के निवासी नीतीश लांबा शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें कहा गया था कि उसे बीटीसी एनालिसिस नाम के व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़कर क्रिप्टो करेंसी को दुगना करने के नाम पर आरोपियों ने धोखाधड़ी कर 13 लाख 73 हजार तीन सौ ठग लिए थे।

रीता यादव ने बताया कि जब इस मामले की तफ्तीश शुरू की गई, इस दौरान प्रशांत सिंह का नाम प्रकाश में आया। जांच के बाद प्रशांत को गिरफ्तार कर लिया गया. उसके साथी अक्षय डी कुशवाहा, अशोक तिवारी और मिलन सिंह यादव को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. रीता यादव ने बताया कि आरोपी प्रशान्त सिंह ने पूछताछ के दौरान बताया कि हम लोग बोगस कम्पनियां खुलवाकर उनके बैंक खातों में ट्रेडिंग के नाम पर धोखाधड़ी से धन प्राप्त करते है।

क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से चीन से जुड़े अपने साथियों के साथ मिलकर नीतीश लांबा के लगभग 15 लाख रुपये कई बोगस कम्पनियों के बैंक खातो में जमा करा दिये। इको ग्रीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड गुरुग्राम, हरियाणा क्रिप्टो धन के सीईओ गौरव जोशी और कम्पनी सेक्रेटरी आकाश गर्ग, के साथ मिलकर एक नयी कम्पनी ग्रीन ट्रुथ टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड बनायी गयी, जिसमें अक्षय, आशुतोष आदि को डायरेक्टर बनाकर लोगों को क्रिप्टो करेंसी को दोगुना करने का लालच देकर धोखाधड़ी कर रुपये जमा कराते थे। इस तरह करोड़ो रुपये की धोखाधड़ी अब तक कर चुके है।

क्रिप्टो करेंसी धोखाधड़ी के मामले में कंपनी सचिव पर लाखों की ठगी के आरोप

नेशनल डेस्क : क्रिप्टो करेंसी में धन दोगुना करने का लालच देकर कथित रूप से करोड़ों रुपये की ठगी के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की साइबर अपराध शाखा ने बुधवार को हरियाणा के गुरुग्राम से एक कंपनी सचिव को गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि 31 वर्षीय संदिग्ध प्रशांत सिंह क्रिप्टो करेंसी संबंधी धोखाधड़ी करने वाले चीन से जुड़े गिरोह से जुड़ा हुआ है।

आधिकारिक बयान के अनुसार, इस साल अप्रैल में दर्ज धोखाधड़ी के मामले में पुलिस निरीक्षक रीता यादव के नेतृत्व में एक टीम ने मंगलवार को सिंह को गिरफ्तार किया। नोएडा के एक निवासी ने दावा किया है कि व्हाट्सऐप ग्रुप ‘बीटीसी एनालिसिस' का हिस्सा बनने के बाद बिटक्वाइन में निवेश के जरिए धन दोगुना करने का लालच देकर सिंह ने उसके क्रिप्टो धन साथ 13 लाख रुपये की ठगी की है। पुलिस ने बताया, ‘‘पूछताछ के दौरान आरोपी ने पुलिस को बताया कि उसने लोगों को क्रिप्टो करेंसी में निवेश का लालच देकर ठगी की है।

वे फर्जी कंपनियों के खातों में पैसे मंगवाते थे और वहां से पैसे गिरोह के खाते में भेजे जाते थे।'' उन्होंने बताया, ‘‘प्रशांत सिंह और उनके सहयोगियों ने क्रिप्टो करेंसी में निवेश के क्रिप्टो धन नाम पर लोगों से करोड़ों रुपये ठगे हैं। इनमें से कई को गिरफ्तार किया जा चुका है।'' पुलिस ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और आईटी कानून के तहत क्रिप्टो धन मामले दर्ज किए गए हैं।

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क्रिप्टो और डिजिटल रुपया में क्या है अंतर जाने इसके फायदे

क्रिप्टो रुपया पूरी तरह से गैर सरकारी है। इस पर सरकार या सेंट्रल बैंक का कोई नियंत्रण नहीं होता। यह रुपया गैरकानूनी होता है। लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की डिजिटल ई- रुपया पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में होती है। क्रिप्टो रुपया का भाव घटता बढ़ता रहता है। लेकिन डिजिटल में ऐसा नहीं होता है।

Updated: November 16, 2022 10:34:41 pm

भारतीय रिजर्व बैंक ने एक नवंबर को अपनी डिजिटल रुपया लॉन्च किया है। डिजिटल मुद्रा में लेनदेन की कोई सीमा नहीं होती है। डिजिटल ई रुपया में नोट वाली रूपया के सारे फीचर होंगे, डिजिटल मुद्रा को नोट की मुद्रा में बदला जा सकता है। अर्थव्यवस्था के जानकार बताते हैं कि भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में बहुत ही बेहतर होगा। इस मुद्रा पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का नियंत्रण होने के कारण काले धन को वैध बनाने तथा आतंकवादी गतिविधि के लिए धन प्रदान करने पर काफी हद तक अंकुश लगेगा।

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भारतीय रिजर्व बैंक ने एक नवंबर को अपनी डिजिटल रुपया’ को लॉन्च कर दिया है। केंद्रीय बैंक ने अभी थोक लेन- देन के लिए डिजिटल रुपया (E-Rupee) जारी किया है। यह फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है।भारत सरकार ने एक फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी। 30 मार्च, 2022 को केंद्रीय बैंक डिजिटल क्रिप्टो धन मुद्रा (सीबीडीसी) जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित किया। थोक लेनदेन के लिए डिजिटल रुपया लांच किया गया है। इसे परीक्षण के तहत सरकारी सुरक्षा में बाजार लेनदेन का निपटान किया जाएगा। आरबीआई ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू करने का फैसला किया है।

केंद्रीय बैंक डिजिटल रुपया के बारे में क्रिप्टो धन पेश अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यह ई-रुपया लाने का मकसद रूपया के मौजूदा स्वरूपों का पूरक तैयार करना है। इससे उपभोक्ता को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे।

डिजिटल मुद्रा के पायलट प्रोजेक्ट में फिलहाल नौ बैंक होंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक शामिल हैं।

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क्या है डिजिटल रुपया

सेंट्रल बैंक डिजिटल रुपया किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। इसमें केंद्रीय बैंक पैसे छापने के बजाय सरकार के पूर्ण विश्वास और क्रेडिट द्वारा समर्थित इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते क्रिप्टो धन जारी करता है। बीते दिनों रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था।

देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी () आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। ये फायदे भी होंगे

केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के लेन- देन होगा चेक, बैंक खाता से लेनदेन का झंझट नहीं रहेगा। नकली रुपया की समस्या से छुटकारा मिलेगा। पेपर नोट की प्रिंटिंग का खर्च बचेगा

क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स की 65 करोड़ की डिपाजिट जब्त, चीनी फिनटेक कंपनियों के धन को अवैध तरीके से क्रिप्टो धन विदेश भेजने का आरोप

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले एक साल से वजीरएक्स क्रिप्टो एक्सचेंज को चलाने वाली मूल कंपनी जनमय लैब प्राइवेट लिमिटेड से चीनी फिनटेक कंपनियों की लेनदेन की जानकारी मांगी जा रही थी। लेकिन इसके निदेशक समीर म्हात्रे इसमें सहयोग नहीं कर रहे थे।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। ईडी ने क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स की 65 करोड़ रुपये का बैंक डिपाजिट जब्त कर लिया है। वजीरएक्स पर ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी करने वाली चीनी कंपनियों के धन को अवैध तरीके से विदेश भेजने और जांच के लिए उनका डाटा मुहैया नहीं कराने का आरोप है। ईडी के अनुसार मोबाइल एप के सहारे लोन देने और फिर जबरन वसूली करने वाली ये चीनी कंपनियां जांच शुरू होने के बाद अपना कारोबार समेटकर भाग गईं और वजीरएक्स के सहारे सारा धन विदेश भेज दिया।

शहरी आबादी को विश्वस्तरीय सुविधा देने की बात अभी काफी दूर है।

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले एक साल से वजीरएक्स क्रिप्टो एक्सचेंज को चलाने वाली मूल कंपनी जनमय लैब प्राइवेट लिमिटेड से चीनी फिनटेक कंपनियों की लेनदेन की जानकारी मांगी जा रही थी। लेकिन इसके निदेशक समीर म्हात्रे इसमें सहयोग नहीं कर रहे थे। इसीलिए उनके घर और दफ्तर की भी तलाशी ली गई। ईडी के अनुसार समीर म्हात्रे का वजीरएक्स पर पूरी तरह से नियंत्रण है, उसके डाटा का पूरा एक्सेस उनके पास है।

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हालांकि उन्होंने पैसे बचाने के लिए एक्सचेंज पर होने वाले लेनदेन का कोई ब्यौरा अपने प्लेटफार्म पर सुरक्षित नहीं रखा। ब्लाकचेन के सहारे चलने वाले इस एक्सचेंज पर उन चीनी फिनटेक कंपनियों के साथ हुए लेनदेन का एक भी ब्यौरा नहीं था। इस कारण यह पता लगाना असंभव हो गया कि इन फिनटेक कंपनियों ने क्रिप्टो करेंसी के रूप में कितना धन किन-किन कंपनियों में ट्रांसफर किया है।

कोई चीनी फिनटेक कंपनी भारत में नहीं थी

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पंजीकृत ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार वजीरएक्स कुल 16 चीनी फिनटेक कंपनियों को भारत से धन विदेश में ले जाने की सुविधा मुहैया करा रहा था। सबसे बड़ी बात यह है कि फिनटेक कंपनियां भारत में पंजीकृत भी नहीं थी। इसके बजाय ये ऐसी भारतीय गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के साथ करार कर लेती थीं, जिसने काम करना बंद कर दिया था। मोबाइल एप पर तत्काल लोन उपलब्ध कराने का प्रलोभन देकर ये कंपनियां भारी ब्याज वसूलती थी। शिकायत मिलने और लोन लेने वाले कुछ लोगों के आत्महत्या कर लेने के बाद एजेंसियों ने उनके खिलाफ जांच शुरू की थी।

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