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शेयर को कब बेचे

शेयर को कब बेचे
कार बेचने वाली इस कंपनी ने 1 लाख का बनाया ₹53 लाख, एक्सपर्ट ने कहा खरीद लो

शेयर बेचने पर उसी शेयर को कब बेचे दिन क्यों नहीं निकाल सकते पैसे? Zerodha के फाउंडर Nithin Kamath ने बताया कारण

भारत दुनिया का दूसरा ऐसा बड़ा देश होगा, जहां T+1 सिस्टम लागू होने जा रहा है

चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा ऐसा बड़ा देश होगा, जहां शेयरों के सेटलमेंट के लिए T+1 सिस्टम को लागू किया जाएगा। फिलहाल शेयरों के सेटलमेंट के लिए T+2 सिस्टम लागू है। T का अर्थ ट्रेडिंग वाला दिन है। इसका मतलब है कि जब कोई इनवेस्टर किसी शेयर को बेचता है तो वह उससे मिलने वाली रकम को दो दिन बाद अपने डीमैट खाते से निकाल सकता है।

अब 25 फरवरी 2022 से दो दिन की यह अवधि घटकर एक दिन हो जाएगा। हालांकि शुरुआत में यह सिस्टम मार्केट कैप के हिसाब से सिर्फ 100 छोटी कंपनियों में ही लागू किया जाएगा। फिर चरणबद्ध तरीके से इसमें और कंपनियों को शामिल किया जाएगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक लार्ज कैप शेयरों में T+1 सिस्टम को लागू होने में एक साल का वक्त लग जाएगा।

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ब्रोकरेज फर्म जीरोधा (Zerodha) के फाउंडर नितिन कामत (Nitin Kamath) ने बताया कि जीरोधा के कस्टमर केयर पर ग्राहकों की तरफ से सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला सवाल यही है कि वे शेयर बेचने के दो दिनों बाद तक अपने पैसे क्यों नहीं निकाल पाते हैं? कामत ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, "उम्मीद है कि T+1 सिस्टम लागू होने के बाद अब इस सवाल में कुछ कमी आएगी।"

लेकिन भारत में आखिर T+0 सिस्टम क्यों नहीं लागू हो पा रहा है। यानी कि शेयरों को बेचने पर उसी दिन निवेशक शेयर को कब बेचे पैसे क्यों निकाल सकते हैं? जबकि यूपीआई क्रांति आने के बाद देखें तो बैंकिंग सिस्टम में रोजाना 4 अरब से अधिक ट्रांजैक्शन हो रहे हैं और सभी ट्रांजैक्शन उसी दिन सेटर हो जाते है?

इस सवाल पर नितिन कामत ने कहा कि हमें यह समझना है कि बैंक ट्रांजैक्शन में सिर्फ एक ही एसेट का लेन-देन होता है और वह है पैसा। जबकि स्टॉक मार्केट के ट्रांजैक्शन में दो चीजों का लेन-देन होता है- स्टॉक और पैसा।


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कामत ने कहा, "स्टॉक भी अब डिजिटल रूप में मौजूद हैं और उन्हें तुरंत एक स्थान से दूसरी जगह ट्रांसफर किया जा सकता है। लेकिन इन्हें इंट्राडे ट्रेडिंग की वजह से तुरंत ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। स्टॉक मार्केट में अधिकतर ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडर्स की तरफ से की जाती है, जो स्टॉक की डिलीवरी दिए या लिए बिना ही उसे खरीदते और बेचते हैं। ऐसे में अगर आप एक्सचेंज पर किसी इंट्राडे ट्रेडर से शेयर खरीदते हैं, तो हो सकता है कि उसके पास आपके डीमैट खाते में तुरंत ट्रांसफर करने के लिए कोई शेयर न हो।"

कामत ने कहा कि आमतौर पर इंट्राडे ट्रेडर दिन का कारोबार खत्म होने से पहले अपनी पोजिशन क्लीयर करते हैं। उन्होंने कहा कि आखिर में स्टॉक को डिलीवर करने की जिम्मेदारी उसी की होती है, जिसके पास स्टॉक होता है।

कामत ने बताया, "दिन का कारोबार खत्म होने पर ही बाय और सेल से जुड़ी सभी पोजिशन क्लीयर होती है। ब्रोकर्स इसके बाद ट्रांजैक्शन को सेटल करने के लिए स्टॉक और पैसे को क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन के पास ट्रांसफर करते हैं। इस प्रक्रिया में लगने वाले समय के चलते तुरंत ट्रांसफर या T+0 सिस्टम लागू होना काफी मुश्किल है।"

शेयर बाजार में पैसे कमाने के 7 गोल्‍डेन टिप्‍स, देखते-देखते बन जाएंगे मालामाल

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how to make money from stock market: शेयर बाजार एक ऐसी जगह है, जहां निवेशकों को लगता है कि रातोंरात कमाई की जा सकती है. कई बार ऐसा होता है कि कुछ घंटे में ही शेयर से मोटा मुनाफा हो जाता है. बावजूद इसके यह ध्‍यान रखना चाहिए कि इक्विटी में ट्रेडिंग हमेशा से आसान नहीं है. बाजार में आपको अनुशासन और धैर्य की जरूरत पड़ती है. मार्केट में निवेश से पहले अच्‍छी तरह रिसर्च कर लेनी चाहिए. आइए जानते हैं 7 ऐसे गोल्‍डेन टिप्‍स, जिनका अगर ध्‍यान रखा जाए तो शेयर बाजार से जमकर कमाई की जा सकती है.

हर्षा इंजीनियर्स ने शेयर बाजार में की धमाकेदार एंट्री, एक ही झटके में निवेशक मालामाल

जहां एक तरफ लगातार चौथे सत्र में शेयर बाजार की खराब शुरुआत हुई है। वहीं दूसरी तरफ हर्षा इंजीनियर्स (Harsha Engineers ) के IPO के 36 शेयर को कब बेचे प्रतिशत के प्रीमियम के साथ 444 रुपये प्रति शेयर पर लिस्ट हुए।

हर्षा इंजीनियर्स ने शेयर बाजार में की धमाकेदार एंट्री, एक ही झटके में निवेशक मालामाल

हर्षा इंजीनियर्स (Harsha Engineers) के IPO ने शेयर मार्केट में आज धमाकेदार एंट्री की है। कंपनी के शेयम डेब्यू के साथ निवेशकों को मालामाल कर गए हैं। जहां एक तरफ लगातार चौथे सत्र में शेयर बाजार की खराब शुरुआत हुई है। वहीं दूसरी तरफ हर्षा इंजीनियर्स के IPO के 36 प्रतिशत के प्रीमियम के साथ 444 रुपये प्रति शेयर पर लिस्ट हुए। सुबह 10.25 पर कंपनी के शेयर लिस्टिंग प्राइस से 6.96 प्रतिशत की तेजी के साथ 474.90 रुपये पर ट्रेड कर रहा था।

कैसा प्री-ओपनिंग सेशन?

हर्षा इंजीनियर्स के IPO के प्री-ओपनिंग (Pre-Opening Session) सेशन के दौरान ही शानदार प्रदर्शन कर रहे थे। सुबह 9.10 बजे बीएसई (BSE) में कंपनी के शेयर 22.70 प्रतिशत की प्रीमियम के साथ 404.90 रुपये पर ट्रेड कर रहे थे। बता दें, बता दें, हर्षा इंजीनियरिंग के आईपीओ को 74.70 प्रतिशत गुना अधिक सब्सक्राइब किया गया था।

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कब आया था कंपनी का आईपीओ?

इस कंपनी का आईपीओ 14 सिंतबर से 16 सितंबर 2022 तक खुला था। कंपनी इस आईपीओ के जरिए 755 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था, जिसमें से ₹300 करोड़ ओएफएस के जरिए था। बता दें, कंपनी ने आईपीओ के लिए लॉट साइज 45 शेयरों का रखा था।

अहमदाबाद स्थित कंपनी के संचालन से राजस्व वित्तीय वर्ष 2022 के लिए 51.24 प्रतिशत बढ़कर ₹1321.48 करोड़ हो गया, जो वित्त वर्ष 2021 के लिए ₹873.75 करोड़ था। इंजीनियरिंग कारोबार से संचालन से इसके राजस्व में वृद्धि के कारण, जबकि कर के बाद लाभ वित्तीय वर्ष 2021 के लिए 45.44 करोड़ से वित्तीय वर्ष 2022 के लिए 102.35 प्रतिशत बढ़कर 91.94 करोड़ हो गया है।

(डिस्‍क्‍लेमर: यहां सिर्फ शेयर के परफॉर्मेंस की जानकारी दी गई है, यह निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश जोखिमों शेयर को कब बेचे के अधीन है और निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)

काम की बात : कितना जरूरी है शेयर को सही मौके पर बेच देना? क्या है बेचने का सही समय

शेयर बाजार में सही समय पर स्टॉक्स को बेच देना भी अच्छे रिटर्न के लिए जरूरी है.

शेयर बाजार में सही समय पर स्टॉक्स को बेच देना भी अच्छे रिटर्न के लिए जरूरी है.

शेयर मार्केट में पैसा कमाने के लिए जितना जरूरी एक अच्छे स्टॉक में निवेश करना है उतना ही जरूरी सही समय आने पर उसे बेच दे . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : June 24, 2022, 11:51 IST

नई दिल्ली. शेयर बाजार में निवेश करने के तीन चरण हैं. पहला एक अच्छा शेयर चुनना, दूसरा उसे खरीदना और तीसरा उसे सही समय पर बेचना. हालांकि, तीसरे हिस्से पर नए निवेशक उतना ध्यान नहीं देते और नतीजतन उन्हें बड़े घाटे का सामना करना पड़ता है.

शेयर बेचने का क्या सही समय शेयर को कब बेचे होता है और निवेशक घाटा लेने के बाद भी भी शेयर क्यों नहीं बेच रहे होते आज इस लेख आपको इसी के बारे में बताएंगे.

शेयर बेचने का सही समय
इसके लिए कोई एक फिक्स टाइम या परिस्थिति नहीं है. बल्कि कई ऐसी परिस्थितियां बनती हैं जहां शेयर को कब बेचे आपको मार्केट समझते हुए शेयरों को निकाल देना होता है. मिंट में मगध कैपिटल के सीईओ विपुल प्रसाद लिखते हैं कि ऐसी 5 परिस्थितियां हैं जहां निवेशकों को स्टॉक्स बेच देनी चाहिए. पहली, स्टॉक अपनी उस कीमत को पार कर चुका है जहां के बाद अब वह ओवरवैल्यु हो रहा है. यानी शेयर अपनी सही वैल्यु प्राप्त कर चुका है. अगर आप फिर भी शेयर में निवेशित रहते हैं तो आपको गिरावट झेलनी पड़ सकती है. दूसरी परिस्थिति है जहां आपको पता चल जाएगा कि आपने इंपल्स में आकर या गलत अनुमान के शेयर को कब बेचे आधार पर शेयर खरीद लिए. निवेशक कई बार खुद को चुनौती देने के लिए जानबूझ कर भी ऐसा करते हैं.

अन्य तीन परिस्थितियां शेयर को कब बेचे शेयर को कब बेचे
तीसरी स्थिति है कंपनी के शीर्ष में हो रहा बदलाव या कोई अधिग्रहण. जिस कंपनी के शेयर आपके पास हैं और उसके शीर्ष शेयर को कब बेचे में कोई बड़ा बदलाव हो रहा है या कंपनी किसी बिजनेस बाहर निकल रही है या कोई अधिग्रहण कर रही है ऐसी स्थिति में शेयरों में गिरावट देखने को मिल सकती है. चौथा, आपके शेयर खरीदने के बाद मार्केट सेंटीमेंट में कुछ बदलाव. अगर सेबी ने कुछ नियामकीय बदलाव किए हैं जिसका प्रतिकूल प्रभाव उस कंपनी पर पड़ रहा है जिसके शेयर आपको पास हैं तब भी यह स्टॉक बेचने वाली स्थिति है. पांचवी स्थिति, जब आपको कोई और अच्छा शेयर नजर आए जिसके लिए आपको फंड की जरूरत है. ऐसे में भी आपको मौजूदा शेयर, जहां से आपको औसत या नेगेटिव रिटर्न मिल रहा है, बेच देना चाहिए.

निवेशक क्यों नहीं बेचते शेयर
विपुल प्रसाद के अनुसार, इसका सबसे बड़ा एक कारण होता है अभिमान. निवेशक घाटा नहीं उठाना चाहते इसलिए वह शेयर नहीं बेचते. निवेशक यह भूल जाते हैं कि शेयर को खरीदना, होल्ड करना और बेचना केवल भविष्य को ध्यान में रखकर करना चाहिए. शेयरों की खरीद कीमत और बिक्री कीमत दोनों को अलग-अलग रखकर ही देखना चाहिए.

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जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

Share शेयर को कब बेचे market: जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. आइए इसका जवाब बताते हैं.

  • शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
  • अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
  • राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर

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जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.

कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश

आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.

डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर

शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्‍थितियों में शेयरों का मूल्‍य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.

कैसे काम करता है शेयर बाजार

मान लीजिए किसी के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. लेकिन उसे जमीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है. वो किसी निवेशक के पास गया लेकिन बात नहीं बनी और ज्यादा पैसे की जरूरत है. ऐसे में एक कंपनी बनाई जाएगी. वो कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाजार में उतरने की बात करती है. कागजी कार्रवाई पूरा करती है और फिर शेयर बाजार का खेल शुरू होता है. शेयर बाजार में आने के लिए नई कंपनी होना जरूरी नहीं है. पुरानी कंपनियां भी शेयर बाजार में आ सकती हैं.

शेयर का मतलब हिस्सा है. इसका मतलब जो कंपनियां शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है. स्टॉक मार्केट में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है. जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वो उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है. ये हिस्सेदारी खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है. शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं. कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर्स ही करते हैं.

निफ्टी और सेंसेक्स कैसे तय होते हैं?

इन दोनों सूचकाकों को तय करने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो लोग उसके शेयर खरीदना चाहेंगे और शेयर की मांग बढ़ने से उसके दाम बढ़ेंगे. अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहेगा तो लोग शेयर बेचना शुरू कर देंगे और शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं.

इसके अलावा कई दूसरी चीजें हैं जिनसे निफ्टी और सेंसेक्स पर असर पड़ता है. मसलन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश अच्छी या खराब होने का असर भी शेयर मार्केट पर पड़ता है. खराब बारिश से बाजार में पैसा कम आएगा और मांग घटेगी. ऐसे में शेयर बाजार भी गिरता है. हर राजनीतिक घटना का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. चीन और अमेरिका के कारोबारी युद्ध से लेकर ईरान-अमेरिका तनाव का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. इन सब चीजों से व्यापार प्रभावित होते हैं.

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