इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के भुगतान के साधन

इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के भुगतान के साधन
नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनईएफटी) एनईएफटी इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर सिस्टम है, जो देश भर में अन्य बैंक खातों में धन अंतरण की सुविधा प्रदान करता है . यह विशेष रूप से खुदरा प्रेषण के धन अंतरण करने के लिए एक सरल, संरक्षित, सुरक्षित, तेज और लागत प्रभावी तरीका है.
विशेषताएँ और लाभ
ग्राहक एनईएफटी के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के भुगतान के साधन पैसे अंतरित कर सकते हैं. इच्छुक ग्राहक एनईएफटी का उपयोग करके किसी भी राशि को प्रेषित कर सकते हैं जिसके लिए निम्न चरणों का पालन करना होगा:
- लाभार्थी बैंक/शाखा का आईएफएससी (इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम कोड)
- लाभार्थीकापूरीखातासंख्या
- लाभार्थी का नाम
यह सुविधा सभी ग्राहकों के लिए ऑनलाइन माध्यम से इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग ग्राहकों के लिए भी उपलब्ध है.
कॉरपोरेट ग्राहकों के लिए शाखाओं के माध्यम से बल्क अपलोड की सुविधा भी उपलब्ध है.
समय सीमा
ग्राहक इस सुविधा का उपयोग सभी कार्यदिवसों में सुबह 8 बजे से शाम 06.30 बजे के बीच और शनिवार को सुबह 8 बजे से 06:30 बजे के बीच (दूसरे और चौथे शनिवार को छोड़कर) कर सकते हैं . सभी कार्यदिवसों में सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे के बीच और शनिवार को सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे के बीच (2 और चौथे शनिवार को छोड़कर) अनुसार 12 घंटे हैं
बल्क में एनईएफटी के लिए फाइल उसी दिन के प्रसंस्करण के लिए शाम 6 बजे से पहले अपलोड की जानी चाहिए. रविवार को अवकाश रहता हैं.
भेजे गए धन को उसी दिन या धन के लास्ट बैच के समय में भेजे जाने के मामले में अगले दिन लाभार्थी के खाते में अंतरित कर दिया जाएगा. यूनियन बैंक अपनी सभी शाखाओं के माध्यम से अपने सभी ग्राहकों को एनईएफटी सुविधा प्रदान करता है.
एनईएफ़टी प्रभार:
- रु.10,000/- तक की राशि के लेनदेन के लिए: रु.2.50 +कर
- रु.10,000/-से ऊपर और 1 लाख रुपए तक की लेनदेन राशि के लिए: रु.5.00 रुपये +कर
- 1 लाख रुपये से अधिक और 2 लाख रुपए तक की लेनदेन राशि के लिए: रु.15.00 रुपये +कर
- 2 लाख से अधिक की लेनदेन राशि के लिए: रु.25.00 + कर
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
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नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर(एनईएफ़टी) पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के भुगतान के साधन के उत्तर प्राप्त करें.
प्रश्न 1. एनईएफ़टी सिस्टम क्या है?
उत्तर: नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर सिस्टम (एनईएफ़टी) एक ऐसी प्रणाली है जो आपके खाते से इलेक्ट्रॉनिक रूप से हमारे देश के अन्य बैंकों में किसी अन्य खाते में इलेक्ट्रॉनिक रूप से पैसा अंतरित करने के लिए डिज़ाइन की गई है.
प्रश्न 2. क्या यह आवश्यक है कि मेरा बैंक खाता इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के भुगतान के साधन होना चाहिए?
उत्तर:हाँ. अब तक यह सुविधा हमारे बैंक खाते वाले ग्राहकों के लिए उपलब्ध है. हालाँकि, यह सुविधा गैर- ग्राहकों को भी रु.5,00,000/- तक प्रेषण के लिए उपलब्ध होगी. shortly.
प्रश्न3. क्या राशि के संबंध में कोई सीमा है?
उत्तर: कोई सीमा नहीं है. कोई भी राशि हस्तांतरित की जा सकती है.
प्रश्न4. क्या देश के किसी भी बैंक में पैसा अंतरित किया जा सकता है.
उत्तर: नहीं. पैसा केवल उन शाखाओं के बैंकों में अंतरित किया जा सकता है जहां यह एनईएफटी सुविधा सक्षम है. हालांकि, वर्तमान में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने कई सूचीबद्ध शाखाओं के रूप में नामित किया है. दिनों दिन संख्या बढ़ती जा रही है.
प्रश्न 5. मुझे कैसे पता चलेगा कि जिस शाखा में पैसा अंतरित किया जाना है वह एनईएफटी के लिए सक्षम है या नहीं?
उत्तर: उत्तर: आप या तो http://www.rbi.org.in/scripts/neft.aspx से समय-समय पर आरबीआई द्वारा प्रकाशित और अद्यतन जानकारी प्राप्त कर सकते हैं या आपको उस बैंक से जानकारी मिल सकती है, जहां आप खाता संचालित कर रहे हैं.
प्रश्न 6. निधि अंतरण करने के लिए मुझे किन प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए?
उत्तर: यह बहुत सरल है. आवेदन पत्र भरें जिसमें आपको अपने खाते का विवरण, अंतरित की जाने वाली राशि, लाभार्थियों का नाम, बैंक और शाखा और लाभार्थी बैंक का आईएफएससी कोड देना होगा.
प्रश्न 7. आईएफ़एससी कोड क्या है और मुझे यह कहां मिलेगा?
उत्तर: भारतीय वित्तीय प्रणाली कोड (आईएफ़एससी) का अर्थ है एनईएफ़टी इनेबल्ड ब्रांचेज के 11 अंकों का एक यूनिक कोड है. आम तौर पर, यह कोड चेक बुक पर मुद्रित किया जाएगा या यह उस शाखा से प्राप्त किया जा सकता है जहां खाता बनाए रखा गया है.
प्रश्न 8. निधि अंतरण करने और लाभार्थी को निधि प्राप्त करने में मुझे कितना समय लगेगा?
उत्तर: आपके लिए निधि अंतरण इसमें आपको कुछ मिनट लगते हैं और लाभार्थी को उसी दिन या अगले दिन धनराशि के आधार पर धनराशि मिल जाएगी.
प्रश्न 9. किस समय तक प्रेषण स्वीकार किया जाता है?
उत्तर: आरबीआई के अनुसार, एनईएफटी के लिए सभी सप्ताह के दिनों में सुबह 8 बजे और 06:30 बजे और शनिवार को सुबह 8 बजे से 06:30 बजे के बीच (2 और 4 शनिवार को छोड़कर) का समय निर्धारित है.
प्रश्न 10. क्या मैं स्टॉप पेमेंट आरंभ कर सकता हूं?
उत्तर: एक बार लेनदेन के माध्यम से डाल दिया जाता है, तो आप भुगतान रोक नहीं सकते हैं.
प्रश्न 12. क्या मैं अपने ग्राहकों से उसी तरह से धन प्राप्त कर सकता हूं?
उत्तर: हाँ. अपने ग्राहकों को एनईएफटी के माध्यम से करने के लिए कहें और अपने शाखा का आईएफएससी कोड और अपने ग्राहक को 15 अंकों का खाता नंबर दें.
प्रश्न 13. मुझे निधि अंतरण के बारे में कैसे पता चलेगा? क्या मैं किसी भी तरह से लेनदेन को ट्रैक कर सकता हूं? क्या मुझे पावती मिल सकती है?
उत्तर: आप लेनदेन को ट्रैक कर सकते हैं. या तो आप लाभार्थी से स्वयं या अपनी शाखा से पुष्टि प्राप्त कर सकते हैं, जहां से लेनदेन शुरू किया गया है. आप इलेक्ट्रॉनिक रूप से उत्पन्न पावती प्राप्त कर सकते हैं. पंजीकृत मेल आईडी पर.
प्रश्न 14. लाभार्थी के खाते में क्रेडिट न होने या देरी के मामले में, मुझे किससे संपर्क करना चाहिए?
उत्तर: आप स्वयं उस शाखा से संपर्क कर सकते हैं जहाँ से आपने धन अंतरण के लिए अनुरोध किया है.
प्रश्न 15. क्या मैं एनईएफटी के माध्यम से विदेश में प्रेषण भेज सकता हूं?
उत्तर: नहीं. यह देश के भीतर लागू होता है.
प्रश्न 16. क्या मैं एनईएफटी के माध्यम से विदेश से अपने खाते में प्रेषण प्राप्त कर सकता हूं?
उत्तर: नहीं.
प्रश्न 17. क्या मैं एनआरआई खातों से प्रेषण प्राप्त/ भेज सकता हूं?
उत्तर: हाँ. फेमा के प्रावधानों की प्रयोज्यता के अधीन.
ऑल्ट न्यूज़ सिर्फ़ घरेलू भुगतान ही ले सकता था: ऑनलाइन भुगतान मंच रेज़रपे
ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ़्तार किए जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने कहा था कि इस वेबसाइट की तरफ से विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) का कथित रूप से उल्लंघन किए जाने की जांच की जा रही है. संस्थान पर विदेशों से चंदा प्राप्त करने का आरोप लगा था, जिसका उसने खंडन किया था. The post ऑल्ट न्यूज़ सिर्फ़ घरेलू भुगतान ही ले सकता था: ऑनलाइन भुगतान मंच रेज़रपे appeared first on The Wire - Hindi.
ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ़्तार किए जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने कहा था कि इस वेबसाइट की तरफ से विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) का कथित रूप से उल्लंघन किए जाने की जांच की जा रही है. संस्थान पर विदेशों से चंदा प्राप्त करने का आरोप लगा था, जिसका उसने खंडन किया था.
नई दिल्ली: ऑनलाइन भुगतान मंच रेजरपे (Razorpay) ने शुक्रवार को कहा कि तथ्यों की पड़ताल करने वाली वेबसाइट ‘ऑल्ट न्यूज’ सिर्फ घरेलू भुगतान वाला चंदा ही ले सकती थी और एफसीआरए के बगैर विदेशी लेनदेन की इजाजत नहीं थी.
रेजरपे का यह बयान ऐसे समय आया है, जब दिल्ली पुलिस ने पिछले हफ्ते एक अदालत को बताया था कि वे इस वेबसाइट के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ अपनी जांच में ऑल्ट न्यूज़ द्वारा विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के कथित उल्लंघनों की भी जांच कर रहे हैं.
साल 2018 में किए गए एक ट्वीट के जरिये धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में बीते 27 जुलाई को जुबैर को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.
बीते दो जुलाई को दिल्ली पुलिस ने जुबैर के खिलाफ एफआईआर में आपराधिक साजिश, सबूत नष्ट करने और विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम की धारा 35 के तहत नए आरोप जोड़े हैं. ये आरोप जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दखल का द्वार खोलते हैं.
रेजरपे के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) हर्षिल माथुर ने ट्विटर पर लिखा है कि उनके भुगतान मंच ने ऑल्ट न्यूज मामले में जांच के दायरे वाले ‘सिर्फ खास आंकड़े’ ही जांच अधिकारियों के साथ साझा किए हैं.
ऑल्ट न्यूज का नाम लिए बिना माथुर ने कहा, ‘मुझे चल रही जांच के कारण इस संबंध में अन्य जानकारियों को साझा करने की अनुमति नहीं है. मैं यह बताना चाहता हूं कि संबंधित कारोबार सिर्फ घरेलू भुगतान को स्वीकार करने के लिए ही स्वीकृत था. यह चंदा लेने के लिए एफसीआरए अनुमति के बगैर अंतरराष्ट्रीय लेनदेन की इजाजत न देने की हमारी नीति के अनुरूप है.’
उन्होंने कहा कि सोमवार (चार जुलाई) को एक विशेष समयावधि के लेनदेन संबंधी आंकड़े साझा करने का लिखित नोटिस रेजरपे को मिला था. उन्होंने कहा कि कानूनी सलाह के बाद पुलिस के साथ इस नोटिस का पालन करने का फैसला किया गया.
मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी के बाद ऑल्ट न्यूज विदेशी फंड प्राप्त करने का आरोप लगा था. बीते चार जुलाई को फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज और इसके मूल संगठन प्रावदा मीडिया फाउंडेशन ने एक बयान जारी करके इन आरोपों का खंडन किया था.
बयान में कहा गया था, ‘हमारा भुगतान मंच जिसके माध्यम से हम दान प्राप्त करते हैं, वह विदेशी स्रोतों से फंड प्राप्त करने की अनुमति नहीं देता है और हमें सिर्फ भारतीय बैंक खातों से ही दान मिला है.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रेजरपे द्वारा साझा किए गए डेटा पर चिंताओं के बीच उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों के अनुरोध का विशिष्ट दायरा केवल यह निर्धारित करना था कि क्या कोई विदेशी चंदा लिया गया था.
उन्होंने आगे कहा, ‘और इसलिए दाताओं का पैन, पता, पिन कोड आदि साझा नहीं किया गया था, जो हमें लगता है कि जांच के दायरे से बाहर थे.’
एक ट्विटर अकाउंट से एक शिकायत पर मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी के बाद ऑल्ट न्यूज़ के भुगतान की जांच हो रही है.
ऑल्ट न्यूज़ के यह कहने पर कि जानकारी साझा करने से पहले उनसे संपर्क नहीं किया गया था, माथुर ने कहा कि रेजरपे ने व्यवसाय के उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबरों पर संपर्क किया था, लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो सका.
उन्होंने कहा, ‘आखिरकार, हम समझते हैं कि ऐसी स्थिति में उनके लिए फोन पर बात करना मुश्किल हो सकता था और हम अन्य माध्यमों को खोजने की कोशिश कर सकते थे.’
ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा कि उनके फर्म को बीते चार जुलाई को एक विशिष्ट समय अवधि के लिए लेनदेन का डेटा प्रस्तुत करने के लिए एक लिखित नोटिस मिला था.
उन्होंने कहा, ‘जैसा कि हमारी प्रक्रिया है, हमने इस पर कई कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श किया और सर्वसम्मति से विचार किया कि हमें अनुरोध का पालन करना होगा.’
उन्होंने कहा कि उपभोक्ता के नुकसान को रोकने और बचाने के लिए रेजरपे ने ऑल्ट न्यूज के व्यवसाय खाते को अस्थायी रूप से अक्षम कर दिया है तथा जांच के उद्देश्य पर स्पष्टता की प्रतीक्षा कर रहा है.
उन्होंने कहा, ‘जैसे ही हमें वह स्पष्टता मिली, हमने तुरंत उनके खाते को भुगतान फिर से सक्षम कर दिया.’
मालूम हो कि मोहम्मद जुबैर को बीते 27 जून को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 (किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए किया गया जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) और 153 (धर्म, जाति, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच विद्वेष को बढ़ाना) के तहत मामला दर्ज कर गिरफ़्तार किया गया था.
जुबैर की गिरफ्तारी 2018 के उस ट्वीट को लेकर हुई थी जिसमें 1983 में बनी फिल्म ‘किसी से न कहना’ का एक स्क्रीनशॉट शेयर किया गया था.
ज़ुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर में उल्लेख था, ‘हनुमान भक्त (@balajikijaiin) नामक ट्विटर हैंडल से मोहम्मद जुबैर (@zoo_bear) के ट्विटर हैंडल द्वारा किए गए एक ट्वीट को साझा किया गया था, जिसमें जुबैर ने एक फोटो ट्वीट की थी, जिसमें एक जिस पर साइनबोर्ड पर होटल का नाम ‘हनीमून होटल’ से बदलकर ‘हनुमान होटल’ दिखाया गया था. तस्वीर के साथ जुबैर ने ‘2014 से पहले हनीमून होटल… 2014 के बाद हनुमान होटल…’ लिखा था.’