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भारी उलटफेर पैटर्न

भारी उलटफेर पैटर्न

- 1720
1720 वह दौर जब पूरी दुनिया में प्लेग महामारी फैली, इसे ग्रेट प्लेग ऑफ मार्सिले कहा जाता है। मार्सिले फ्रांस का एक शहर है, जहां इस महामारी के कारण 1 लाख लोगों की मौत हुई थी। प्लेग फैलते ही कुछ महीनों में 50 हजार लोग मारे गए थे।

टाइम्स नाउ : बंगाल में बीजेपी को मिल सकती हैं 107 सीटें

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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में भारतीय जनता पार्टी को पिछले चुनाव की तुलना में बहुत अधिक सीटें मिलने के आसार हैं। टाइम्स नाउ- सी वोटर चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में पाया गया है कि इस राज्य में उसे इस बार 107 सीटें मिल सकती है। दूसरी ओर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को 154 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है।

बड़ा उलटफेर!

पश्चिम बंगाल विधानसभा में 294 सीटें हैं और बीजेपी को साल 2016 के चुनाव में सिर्फ तीन सीटें मिली थीं। इस लिहाज से यह बहुत बड़ा उलटफेर है। यह बहुत बड़ा उलटफेर इसलिए भी है कि तृणमूल कांग्रेस को पिछली बार 211 सीटें मिली थीं। इस तरह सत्तारूढ़ दल को 57 सीटों का नुक़सान होता दिख रहा है जबकि बीजेपी 104 सीटों के फ़ायदे के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बन कर उभर सकती है।

इस सर्वे पर भरोसा किया जाए को टीएमसी को 146 से 162 सीटें मिल सकती हैं। दूसरी ओर बीजेपी के सीटों की संख्या 99 और 115 के बीच हो सकती है। ज़ाहिर है, साल 2016 की तुलना में दोनों ही दलों के लिए यह बहुत बड़ा अंतर है। पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने के लिए 148 सीटों की ज़रूरत है। इस लिहाज़ से टीएमसी की सरकार बनती दिख रही है, पर इसके साथ ही उसे बहुत बड़ा नुक़सान भी होता दिख रहा है।

कांग्रेस-वाम मोर्चा को नुक़सान

इसी तरह कांग्रेस, वाम मोर्चा और दूसरे दलों को भी भारी नुक़सान होने की आशंका है। इन दलों को इस बार 33 सीटें मिल सकती हैं, जबकि पिछली बार इन्हें 76 सीटें मिली थीं, यानी इन्हें 43 सीटों का नुक़सान होता साफ दिख रहा है।

 - Satya Hindi

बता दें कि बीजेपी ने पश्चिम बंगाल पर विशेष फोकस किया है और नरेंद्र मोदी समेत तमाम केंद्रीय नेता कई बार राज्य का दौरा कर चुके हैं और कई सभाओं कों संबोधित कर चुके हैं।

पश्चिम बंगाल बीजेपी ने 'कट मनी', 'सिंडेकट' और ममता बनर्जी के परिवारवाद को मुद्दा बनाया और चुनाव पूर्व सर्वेक्षण से पता चलता है कि ये चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।

अमित शाह, गृह मंत्री

वोट शेयर

इस सर्वे पर भरोसा करें तो सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को 42.2 प्रतिशत, बीजेपी को 37.5 प्रतिशत, कांग्रेस-लेफ्ट के तीसरे मोर्चे को 14.8 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है।

ममता से नाराज़गी?

टाइम्स नाउ-सी वोटर के चुनाव-पूर्व सर्वेक्षण में पाया गया है कि लोग राज्य सरकार के कामकाज से बहुत खुश नहीं हैं जबकि केंद्र सरकार के कामकाज से संतुष्ट दिखते हैं। इसी तरह टीएमसी के उठाए मुद्दे बाहरी पार्टी को लोगों ने ज़्यादा तरजीह नहीं दी जबकि बीजेपी के उठाए मुद्दों मसलन 'कट मनी' और 'सिंडिकेट' को लोगों ने अधिक महत्व दिया है।

सर्वे में यह पूछा गया कि क्या मुख्यमंत्री ममता बनर्जी घोटाले में फंसे हुए लोगों को बचाने की कोशिश कर रही हैं, इस सवाल के जवाब में 45.7 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों ने 'हाँ'में जवाब दिया जबकि 35.3 प्रतिशत के आसपास लोगों ने कहा कि ऐसा नहीं है।

बाहरी पार्टी

सर्वे के अनुसार, 39.40 प्रतिशत लोगों ने बाहरी आदमी के मुद्दे को ग़ैरज़रूरी बताया, जबकि 31.20 प्रतिशत ने इसे ज़रूरी माना है। इसके अलावा 29.4% ने कहा कि वे ठीक-ठीक कह नहीं सकते।

'कट मनी'

सर्वे में भाग लेने वालों से पूछा गया कि क्या 'कट मनी' का मुद्दा वोट डालने के फैसले को प्रभावित करेगा? इसके जवाब में 45.20 प्रतिशत लोगों ने कहा 'हाँ', 27.60% ने कहा 'नहीं'। 27.20 प्रतिशत ने कहा 'पता नहीं।'

'जय भारी उलटफेर पैटर्न श्री राम' नारे का असर

'जय श्री राम' का नारा भी चुनाव का एक मुद्दा बन चुका है और इसका असर भी वोटिंग पैटर्न पर पड़ सकता है। सर्वे के अनुसार, 'जय श्री राम' के नारे पर आप क्या सोचते हैं, इस सवाल के जवाब में 40.70 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे सांप्रदायिक धुव्रीकरण होगा। भारी उलटफेर पैटर्न लेकिन 37.60% ने इसे आध्यात्मिक आह्वान माना। इसके साथ ही 21.70 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें पता नहीं।

आईएसएफ़ की भूमिका

सर्वे से साफ है कि इस चुनाव में अब्बास सिद्दीक़ी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट अहम भूमिका निभाएगा और उसका नुक़सान सत्तारूढ़ दल को होगा। लगभग 46 प्रतिशत लोगों ने माना है कि आईएसएफ़ की अहम भूमिका होगी जबकि 35 प्रतिशत लोगों ने ऐसा नहीं माना है।

सर्वे के मुताबिक़, 40.40 प्रतिशत लोगों ने माना है कि आईएसएफ़ का फ़ायदा बीजेपी को मिलेगा जबकि 28.80 प्रतिशत लोगों का कहना है कि ऐसा नहीं है।

बचा है ममता पर भरोसा?

टाइम्स नाउ-सी वोटर के सर्वे पर भरोसा करें तो ममता बनर्जी सरकार पर लोगों का भरोसा अभी भी बचा हुआ है। इसे इससे समझा जा सकता है कि जब लोगों से यह पूछा गया कि आप मुख्यमंत्री के प्रदर्शन से कितने संतुष्ट हैं? इसके जवाब में 44.76 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि 'बहुत संतुष्ट' हैं, 34.54% ने कहा कि 'कुछ हद तक' संतुष्ट, 19.47 प्रतिशत ने कहा कि 'संतुष्ट नहीं'।

बड़ी खबर: सरकार ने दी राहत, तेल तिलहन से हटाया स्टॉक लिमिट बैन

Stock limits for all Edible Oils

नई दिल्ली : तेल और तिलहन के संबंध में स्टॉक सीमा आदेश में प्रमुख संशोधन। थोक विक्रेताओं और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं को तत्काल प्रभाव से स्टॉक सीमा आदेश से छूट दी गई है। छूट से उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा क्योंकि थोक विक्रेता और बड़े चेन रिटेलर अधिक किस्मों/ब्रांडों को रखने में सक्षम होंगे।

खाद्य तेलों (Edible Oil) की घरेलू कीमतों को कम करने के लगातार प्रयास में, भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक आदेश जारी किया था, जिसमें लाइसेंसिंग आवश्यकताओं, स्टॉक सीमा और निर्दिष्ट खाद्य पदार्थों पर आवाजाही प्रतिबंध (संशोधन) को हटाने के माध्यम से एक साथ रखे गए तेल और तिलहन पर स्टॉक सीमा लागू की गई थी। आदेश 08.10.2021 से प्रभावी।

इस आदेश के तहत, संबंधित राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा तेल और तिलहन के उपलब्ध स्टॉक और संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के खपत पैटर्न के आधार पर स्टॉक सीमा मात्रा की सीमा तय करने के लिए छोड़ दिया गया था। इसके बाद, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए खाद्य तेलों और तिलहनों पर स्टॉक सीमा मात्रा समान रूप से निर्धारित की गई थी और आदेश दिनांक 3 फरवरी, 2022 के आदेश द्वारा 30 जून, 2022 तक बढ़ा दिया गया था। बाद में, केंद्रीय आदेश दिनांक 30 मार्च, 2022 के द्वारा आदेश को 31.12.2022 तक बढ़ा दिया गया।

स्टॉक लिमिट ऑर्डर देश में अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों बाजारों में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों के कारण लगाया गया था। इसकी उच्च अस्थिरता उस समय जमाखोरी, मुनाफाखोरी और कालाबाजारी को बढ़ावा दे रही थी। सरकार के समय पर हस्तक्षेप से आसमान छूती कीमतों में भारी गिरावट आई थी और जमाखोरी, विशेषकर सोयाबीन पर नियंत्रण रखने में मदद मिली थी।

चूंकि प्रमुख खाद्य तेलों की कीमत की स्थिति में अब धीरे-धीरे उलटफेर देखने को मिल रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ-साथ घरेलू बाजार में भी खाद्य तेल की कीमतों में काफी गिरावट आई है, विभाग द्वारा स्टॉक सीमा आदेश की समीक्षा की गई थी। बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं और थोक विक्रेताओं को स्टॉक नियंत्रण आदेश से छूट देने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी क्योंकि रिपोर्टें आ रही थीं कि नियंत्रण आदेश के कारण थोक विक्रेताओं और बड़ी श्रृंखला के खुदरा दुकानों को उनकी बिक्री में समस्या का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि उनके लिए निर्दिष्ट सीमा बहुत कम थी और उनके प्रतिस्थापन शहर की सीमा में स्टॉक रोजमर्रा के आधार पर संभव नहीं है।

इसलिए, आपूर्ति श्रृंखला को और अधिक निर्बाध बनाने के लिए, सरकार ने मंगलवार यानी आज थोक विक्रेताओं और बड़ी श्रृंखला खुदरा विक्रेताओं की श्रेणी को वर्तमान स्टॉक सीमा आदेश से छूट देने के लिए अधिसूचना जारी की है। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा।

थोक विक्रेताओं और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं को स्टॉक सीमा आदेश से हटाने से उन्हें खाद्य तेलों की विभिन्न किस्मों और ब्रांडों को रखने की अनुमति मिल जाएगी, जिन्हें वे स्टॉक नियंत्रण आदेश के कारण वर्तमान में रखने में असमर्थ हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने ब्राजील का राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर लूला डी सिल्वा को बधाई दी

नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्राजील में राष्ट्रपति पद के चुनाव में जीत दर्ज करने पर वामपंथी ‘वर्कर्स पार्टी’ के लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा को बधाई दी और कहा कि वह द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ व व्यापक बनाने के साथ ही उनके साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हैं।

ब्राजील में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में सिल्वा ने निवर्तमान राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो को हराया है।

मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘ब्राजील में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने पर लूला डी सिल्वा को बधाई। द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ व व्यापक बनाने के साथ ही वैश्विक मुद्दों पर सहयोग के लिए मैं साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं।’’
ब्राजील के राष्ट्रपति चुनाव में सिल्वा को 50.9 फीसद और बोलसोनारो को 49.1 प्रतिशत मत मिले। चुनावी नतीजों को भारी उलटफेर के रूप में देखा जा रहा है।

सिल्वा 2003 से 2010 के दौरान भी ब्राजील के राष्ट्रपति रह चुके हैं। सिल्वा (77) को 2018 में भ्रष्टाचार के मामले में सज़ा सुनाई गई थी, जिस वजह से वह उस साल चुनाव नहीं लड़ सके थे।

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संयोग या पैटर्न, हर 100 साल से ऐसी ही जानलेवा बीमारियां कर भारी उलटफेर पैटर्न रही है दुनिया को तबाह

कोरोना वायरस की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है, वुहान से आए इस वायरस ने न जाने कितनी जानें ले ली लेकिन अभी तक इसका कोई इलाज सामने नही आया है। लोग खुद को बचाने के लिए हर एहतियात बरत रहें हैं लेकिन क्या आप जानते है कि दुनिया में हर साल 100 साल बाद ऐसी महामारी आती ही है। अब इसे संयोग कहे या कुछ और पर हर 100 साल बाद दुनिया में एक ऐसी महामारी जरूर फैलती है जिससे लाखों करोड़ों लोगों की जान चली जाती है। 2020 में जिस तरह कोरोना पूरी दुनिया में फैला उसी तरह 1720, 1820 और 1920 में भी महामारियों ने कई लोगों की जान ले ली। तो आइए जानते है कि इन 400 सालों में किस तरह इन महामारियों ने लोगों की जिंदगी को तबाह किया -

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- 1720
1720 वह दौर जब पूरी दुनिया में प्लेग महामारी फैली, इसे ग्रेट प्लेग ऑफ मार्सिले कहा जाता है। मार्सिले फ्रांस का एक शहर है, जहां इस महामारी के कारण 1 लाख लोगों की मौत हुई थी। प्लेग फैलते ही कुछ महीनों में 50 हजार लोग मारे गए थे।

- 1820
फिर इसके 100 साल बाद दुनिया को एक और महामारी का मुंह देखना पड़ा, 1820 में एशियाई देशों में कॉलेरा ने महामारी का रूप लिया। इस महामारी ने जापान, फ्रांस की खाड़ी के देश, भारत, बैंकॉक, भारी उलटफेर पैटर्न मनीला, जावा, ओमान, चीन, मॉरिशस, सीरिया आदि देशों को अपनी जकड़ में लिया। कॉलेरा की वजह से सिर्फ जावा में 1 लाख लोगों की मौत हुई थी, सबसे ज्यादा मौतें थाईलैंड, इंडोनेशिया और फिलीपींस में हुई थी।

- 1920
फिर 1820 के बाद 1920 में एक महामारी फैली जिसका नाम था स्पैनिश फ्लू वैसे ये फैला तो 1918 से ही था, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर 1920 में देखने को मिला। इस फ्लू से पूरी दुनिया में तकरीबन 1.70 करोड़ से 5 करोड़ के बीच लोग मारे गए थे।

- 2020
2020 में चीन से आए कोरोना की शुरूआत हुई और इस बीमारी ने भी आज महामारी का रूप ले लिया है। अब तक भारत देश में 400 से ज्यादा केस सामने आ चुके है और तकरीबन 7 मौतें हो चुकी है।

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गैप (चार्ट पैटर्न)

एक अंतराल के एक रिक्त स्थान या अंतराल के रूप में परिभाषित किया गया है। एक पर तकनीकी विश्लेषण चार्ट, एक अंतराल के एक क्षेत्र है जहाँ कोई व्यापार जगह लेता है प्रतिनिधित्व करता है। जापानी कैंडलस्टिक चार्ट पर, एक विंडो को गैप के रूप में व्याख्यायित किया जाता है।

ऊर्ध्वगामी प्रवृत्ति में , एक अंतराल तब उत्पन्न होता है जब एक दिन की उच्चतम कीमत अगले दिन की न्यूनतम कीमत से कम होती है। इसके विपरीत, नीचे की प्रवृत्ति में, एक अंतर तब होता है जब किसी एक दिन की सबसे कम कीमत अगले दिन की उच्चतम कीमत से अधिक होती है।

उदाहरण के लिए, एक शेयर की कीमत बुधवार को $30.00 के उच्च स्तर तक पहुँचती है, और गुरुवार को $31.20 पर खुलती है, शुरुआती घंटों में $31.00 तक गिरती है, फिर से सीधे $31.45 तक जाती है, और $30.00 और $31.00 क्षेत्र के बीच कोई ट्रेडिंग नहीं होती है। यह नो-ट्रेडिंग ज़ोन चार्ट पर गैप के रूप में दिखाई देता है ।

एक चाल की शुरुआत से पहले स्पॉट किए जाने पर अंतराल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

एक स्टॉक के एक्स-डिविडेंड होने के परिणामस्वरूप होने वाले गैप को छोड़कर, चार प्रकार के अंतराल होते हैं । प्रत्येक प्रकार का अपना विशिष्ट निहितार्थ होता है इसलिए उनके बीच अंतर करने में सक्षम होना महत्वपूर्ण है।

  • ब्रेकअवे गैप - तब होता है जब कीमतें भीड़भाड़ वाले क्षेत्र से अलग हो जाती हैं। जब कीमत एक अंतराल के साथ एक त्रिकोण (आरोही या अवरोही) से अलग हो रही है तो इसका मतलब यह हो सकता है कि भावना में बदलाव मजबूत है और आने वाला कदम शक्तिशाली होगा। भारी उलटफेर पैटर्न वॉल्यूम पर नजर रखनी चाहिए। गैप बनने के बाद अगर यह भारी है तो इस बात की अच्छी संभावना है कि बाजार इस गैप को भरने के लिए वापस नहीं आएगा । जब कीमत कम मात्रा में टूट रही है, तो संभावना है कि कीमतों के अपने रुझान को फिर से शुरू करने से पहले अंतर को भारी उलटफेर पैटर्न भर दिया जाएगा।
  • कॉमन गैप - जिसे एरिया गैप , पैटर्न गैप या अस्थायी गैप के रूप में भी जाना जाता है , तब होता है जब ट्रेडिंग कम समय में समर्थन और प्रतिरोध स्तर के बीच बंधी होती है और बाजार मूल्य बग़ल में बढ़ रहा होता है ("जहां मूल्य प्रवृत्ति . न तो अपट्रेंड और न ही डाउनट्रेंड का अनुभव कर रहा है। इसके बजाय, मूल्य गतिविधि बिना किसी विशिष्ट रुझान के अपेक्षाकृत संकीर्ण सीमा के बीच दोलन कर रही है")। [१] कोई भी उन्हें मूल्य भीड़ क्षेत्र में भी देख सकता है। आम तौर पर, आने वाले दिनों में अंतराल को भरने के लिए कीमत वापस बढ़ जाती है या बढ़ जाती है । यदि अंतराल भर दिया जाता है, तो वे थोड़ा पूर्वानुमान महत्व देते हैं।
  • थकावट का अंतर - एक चाल के अंत का संकेत देता है। ये अंतराल एक तीव्र, सीधी-रेखा अग्रिम या गिरावट से जुड़े हैं। एक उलट दिन मापने के अंतर और थकावट के अंतर के बीच अंतर करने में आसानी से मदद कर सकता है। जब यह भारी मात्रा के साथ शीर्ष पर बनता है, तो इस बात की काफी संभावना है कि बाजार समाप्त हो गया है और प्रचलित प्रवृत्ति रुक ​​गई है जो आमतौर पर कुछ अन्य क्षेत्र पैटर्न के विकास के बाद होती है। थकावट के अंतर को एक बड़े उलटफेर के रूप में नहीं पढ़ा जाना चाहिए।
  • मापने वाला गैप - एक भगोड़ा अंतर के रूप में भी जाना जाता है , जो आमतौर पर मूल्य चाल के आधे रास्ते में बनता है । यह भीड़भाड़ वाले क्षेत्र से जुड़ा नहीं है, यह लगभग तेजी से आगे बढ़ने या गिरावट के बीच में होने की अधिक संभावना है। इसका उपयोग मोटे तौर पर मापने के लिए किया जा सकता है कि एक कदम कितना आगे जाएगा। भगोड़ा अंतराल आमतौर पर काफी समय के लिए नहीं भरा जाता है।

यह बहुत संभव है कि गैप और थकावट के अंतर को मापने के बीच भ्रम एक निवेशक को खुद को गलत तरीके से रखने और एक प्रमुख अपट्रेंड के अंतिम भाग के दौरान महत्वपूर्ण लाभ से चूकने का कारण बन सकता है। आयतन पर नज़र रखने से अंतराल और थकावट के अंतर को मापने के बीच सुराग खोजने में मदद मिल सकती है । आम तौर पर, ध्यान देने योग्य भारी मात्रा थकावट के अंतराल के आगमन के साथ होती है

कुछ बाजार सट्टेबाज बाजार के खुलने पर अंतर को "फीका" करते हैं। उदाहरण के लिए इसका मतलब यह है कि यदि एसएंडपी 500 एक दिन पहले 1150 (16:15 ईएसटी) पर बंद हुआ और आज 1160 (09:30 ईएसटी) पर खुलता है, तो वे इस "अपगैप" के बंद होने की उम्मीद में बाजार को छोटा कर देंगे। एक "डाउनगैप" का मतलब होगा कि आज का दिन, उदाहरण के लिए, 1140 पर खुलता है, और सट्टेबाज "डाउनगैप को बंद करने" की उम्मीद में खुले में बाजार खरीदता है। बाजार के आधार पर किसी भी दिन ऐसा होने की संभावना लगभग 70% [ उद्धरण वांछित ] है । एक बार किसी भी दिन या तकनीकी स्थिति पर "अंतराल भरने" की संभावना स्थापित हो जाने के बाद, इस व्यापार के लिए सर्वोत्तम व्यवस्थाओं की पहचान की जा सकती है। कुछ दिनों में गैप भरने की इतनी कम संभावना होती है कि सट्टेबाज गैप की दिशा में ट्रेड करेंगे।

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