क्रिप्टो रोबोट

रुझान के साथ व्यापार

रुझान के साथ व्यापार

खुला व्यापार क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपरिभाषा देशों द्वारा आयात-निर्यात में भेदभाव को समाप्त करने की नीति को “मुक्त व्यापार” (Free trade) कहते हैं। टैरिफ और कुछ ग़ैर-टैरिफ बाधाओं को समाप्त करने से मुक्त व्यापार भागीदारों की एक-दूसरे के बाज़ारों में पहुँच आसान होती है।

खुली तथा बंद अर्थव्यवस्था क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएक बंद अर्थव्यवस्था एक है जो अन्य देशों के साथ बातचीत नहीं करता है। एक बंद अर्थव्यवस्था माल या सेवाओं का आयात या निर्यात नहीं करेगी, और स्थानीय रूप से उनकी जरूरतों के आधार पर आत्मनिर्भर हो जाएगी। एक बंद अर्थव्यवस्था एक खुली अर्थव्यवस्था के विपरीत है, जिसमें एक देश बाहर के क्षेत्रों के साथ व्यापार करता है।

मुक्त व्यापार की नीति क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमुक्त व्यापार आयात और निर्यात के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने की नीति है। विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के खरीदारों और विक्रेता स्वैच्छिक रूप से माल और सेवाओं पर टैरिफ, कोटा, सब्सिडी या प्रतिबंध लागू करने के बिना सरकार के व्यापार कर सकते हैं। मुक्त व्यापार व्यापार संरक्षणवाद या आर्थिक अलगाववाद के विपरीत है।

मुक्त व्यापार क्या है भूगोल?

इसे सुनेंरोकेंविश्व के दो राष्ट्रों के बीच व्यापार को और उदार बनाने के लिए मुक्त व्यापार संधि की जाती है। इसके तहत एक दूसरे के यहां से आयात-निर्यात होने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क, सब्सिडी, नियामक कानून, ड्यूटी, कोटा और कर को सरल बनाया जाता है। इस संधि से दो देशों में उत्पादन लागत बाकी के देशों की तुलना में काफ़ी सस्ती होती है।

बंद अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते है?

इसे सुनेंरोकेंबंद अर्थव्यवस्था उसे कहते हैं जिसमें बाहरी अर्थव्यवस्थाओं के साथ कोई व्यापारिक गतिविधि नहीं होती है। इसलिए बंद अर्थव्यवस्था पूरी तरह से आत्मनिर्भर होती है, जिसका अर्थ है व्यापार संबंधित कोई भी आयात देश में नहीं आता है और कोई भी निर्यात देश से बाहर नहीं जाता है।

कौन सा देश बंद अर्थव्यवस्था है?

इसे सुनेंरोकेंब्राज़ील कम से कम माल आयात करता है – जब सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के एक हिस्से के रूप में मापा जाता है – दुनिया में और दुनिया की सबसे बंद अर्थव्यवस्था है।

भारत में कौन सी अर्थव्यवस्था अपनाई गई है?

इसे सुनेंरोकेंकृषि‍ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है जो न केवल इसलि‍ए कि‍ इससे देश की अधि‍कांश जनसंख्‍या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्‍कि‍ इसलि‍ए भी भारत की आधी से भी अधि‍क आबादी प्रत्‍यक्ष रूप से जीवि‍का के लि‍ए कृषि‍ पर नि‍र्भर है ।

खुली एवं बंद अर्थव्यवस्था क्या है?

इसे सुनेंरोकेंएक बंद अर्थव्यवस्था वस्तुओं और सेवाओं का आयात या निर्यात नहीं करेगी, और स्थानीय स्तर पर उनकी आवश्यकता के अनुसार उत्पादन करके आत्मनिर्भर बन जाएगी। खुली अर्थव्यवस्थाओं को अधिक निवेश, विकास और विकास के कारण पसंद और प्रोत्साहित किया जाता है जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार और ज्ञान और पूंजी के बंटवारे के परिणामस्वरूप होता है।

बंद अर्थव्यवस्था क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंएक बंद अर्थव्यवस्था वह है जिसमें बाहरी अर्थव्यवस्थाओं के साथ कोई व्यापारिक गतिविधि नहीं है। इसलिए बंद अर्थव्यवस्था पूरी तरह से आत्मनिर्भर है, जिसका मतलब है कि कोई भी आयात देश में नहीं आता है और कोई भी निर्यात देश से बाहर नहीं जाता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था क्या कहलाती है?

इसे सुनेंरोकेंअर्थव्यवस्था (Economy) उत्पादन, वितरण एवम खपत की एक सामाजिक व्यवस्था है। यह किसी देश या क्षेत्र विशेष में अर्थशास्त्र का गतित चित्र है। यह चित्र किसी विशेष अवधि का होता है। उदाहरण के लिए अगर हम कहते हैं ‘ समसामयिक भारतीय अर्थव्यवस्था ‘ तो इसका तात्पर्य होता है।

भारत में कौन सी अर्थव्यवस्था को अपनाया गया है एक वाक्य में उत्तर?

इसे सुनेंरोकेंभारत की अर्थव्यस्था उपभोग आधारित अर्थव्यस्था है इसलिए कम निर्यात के बावजूद भी भारत का घरेलू बाज़ार इतना बड़ा है कि मंदी का असर उस तरह से नहीं पड़ता है. जीडीपी का आकार बढ़ने का सीधा मतलब यह नहीं लगाया जा सकता कि लोगों का जीवन स्तर उसी अनुपात में सुधर रहा है.

खुली अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंखुली अर्थव्यवस्था अर्थव्यवस्था का एक दर्शन है। खुली अर्थव्यवस्था को अगर उसके शाब्दिक अर्थ से समझें तो इसका मतलब होता है एक ऐसा देश या समाज जहाँ किसी को किसी से भी व्यापार करने की छूट होती है और ऐसा भी नही कि इस व्यापार पे कोई सरकारी अंकुश या नियंत्रण नही होता।

खुली अर्थव्यवस्था में कौन सा क्षेत्र शामिल है?

इसे सुनेंरोकेंखुली अर्थव्यवस्था ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसका संबंध आर्थिक रूप से दुनिया के अन्य देशों के साथ होता है। अर्थात किसी ऐसे देश की अर्थव्यवस्था जो अन्य देशों से आयात निर्यात का लेनदेन, उपहारों का आदान-प्रदान तथा अन्य प्रकार के भुगतान ओं को संपन्न करती हैं । खुली अर्थव्यवस्था कहलाती है।

GNP का पूर्ण रूप क्या है?

इसे सुनेंरोकेंक्या है ग्रॉस नेशनल प्रॉडक्ट (जीएनपी)? Gross National Product: ग्रॉस नेशनल प्रॉडक्ट यानी सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीएनपी) किसी देश के निवासियों के स्वामित्व में उत्पादन के सभी माध्यमों द्वारा किसी निश्चित अवधि में किए गए सभी उत्पादों एवं सेवाओं का एक आकलन होता है।

पूंजीवादी अर्थव्यवस्था क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपूंजीवादी अर्थव्यवस्था वह है जिसमें उत्पत्ति के साधनों का प्रमुख भाग पूंजीवादी उद्योगों में कार्यरत होता है । पूंजीवाद प्रणाली में निजी संपत्ति का अधिकार होता है । जिसका प्रयोग उन व्यक्तियों के द्वारा स्वयं के लाभ के लिए किया जाता है ।

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधि‍त मुद्दों के बावजूद वि‍श्‍व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्‍वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्‍त करने की दृष्‍टि‍ से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्‍मूलन और रोजगार उत्‍पन्‍न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

इति‍हास

ऐति‍हासि‍क रूप से भारत एक बहुत वि‍कसि‍त आर्थिक व्‍यवस्‍था थी जि‍सके वि‍श्‍व के अन्‍य भागों के साथ मजबूत व्‍यापारि‍क संबंध थे । औपनि‍वेशि‍क युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रि‍टि‍श भारत से सस्‍ती दरों पर कच्‍ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्‍य मूल्‍य से कहीं अधि‍क उच्‍चतर कीमत पर बेचा जाता था जि‍सके परि‍णामस्‍वरूप स्रोतों का द्धि‍मार्गी ह्रास होता था । इस अवधि‍ के दौरान वि‍श्‍व की आय में भारत का हि‍स्‍सा 1700 ए डी के 22.3 प्रति‍शत से गि‍रकर 1952 में 3.8 प्रति‍शत रह गया । 1947 में भारत के स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात अर्थव्‍यवस्‍था की पुननि‍र्माण प्रक्रि‍या प्रारंभ हुई । इस उद्देश्‍य से वि‍भि‍न्‍न नीति‍यॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्‍यम से कार्यान्‍वि‍त की गयी ।

1991 में भारत सरकार ने महत्‍वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्‍तुत कि‍ए जो इस दृष्‍टि‍ से वृहद प्रयास थे जि‍नमें वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, कर सुधार और वि‍देशी नि‍वेश के प्रति‍ आग्रह शामि‍ल था । इन उपायों ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को गति‍ देने में मदद की तब रुझान के साथ व्यापार से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था बहुत आगे नि‍कल आई है । सकल स्‍वदेशी उत्‍पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्‍टर लागत पर) जो 1951 - 91 के दौरान 4.34 प्रति‍शत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रति‍शत के रूप में बढ़ गयी ।

कृषि‍

कृषि‍ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है जो न केवल इसलि‍ए कि‍ इससे देश की अधि‍कांश जनसंख्‍या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्‍कि‍ इसलि‍ए भी भारत की आधी से भी अधि‍क आबादी प्रत्‍यक्ष रूप से जीवि‍का के लि‍ए कृषि‍ पर नि‍र्भर है ।

वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपायों के द्वारा कृषि‍ उत्‍पादन और उत्‍पादकता में वृद्धि‍ हुई, जि‍सके फलस्‍वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्‍त हुई । कृषि‍ में वृद्धि‍ ने अन्‍य क्षेत्रों में भी अधि‍कतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जि‍सके फलस्‍वरूप सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था में और अधि‍कांश जनसंख्‍या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मि‍लि‍यन रुझान के साथ व्यापार टन का एक रि‍कार्ड खाद्य उत्‍पादन हुआ, जि‍समें सर्वकालीन उच्‍चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्‍पादन हुआ । कृषि‍ क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रति‍शत प्रदान करता है ।

उद्योग

औद्योगि‍क क्षेत्र भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लि‍ए महत्‍वपूर्ण है जोकि‍ वि‍भि‍न्‍न सामाजि‍क, आर्थिक उद्देश्‍यों की पूर्ति के लि‍ए आवश्‍यक है जैसे कि‍ ऋण के बोझ को कम करना, वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्‍मनि‍र्भर वि‍तरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परि‍दृय को वैवि‍ध्‍यपूर्ण और आधुनि‍क बनाना, क्षेत्रीय वि‍कास का संर्वद्धन, गरीबी उन्‍मूलन, लोगों के जीवन स्‍तर को उठाना आदि‍ हैं ।

स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात भारत सरकार देश में औद्योगि‍कीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्‍टि‍ से वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपाय करती रही है । इस दि‍शा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगि‍क नीति‍ संकल्‍प की उदघोषणा करना है जो 1948 में पारि‍त हुआ और उसके अनुसार 1956 और 1991 में पारि‍त हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रति‍बंधों को हटाना, पहले सार्वजनि‍क क्षेत्रों के लि‍ए आरक्षि‍त, नि‍जी क्षेत्रों में भागेदारी, बाजार सुनि‍श्‍चि‍त रुझान के साथ व्यापार मुद्रा वि‍नि‍मय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि‍ के द्वारा महत्‍वपूर्ण नीति‍गत परि‍वर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्‍यधि‍क अपेक्षि‍त तीव्रता प्रदान की ।

आज औद्योगि‍क क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रति‍शत से बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रति‍शत अंशदान करता है ।

सेवाऍं

आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि‍ आधरि‍त अर्थव्‍यवस्‍था से ज्ञान आधारि‍त अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में परि‍वर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रति‍शत ( 1991-92 के 44 प्रति‍शत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक ति‍हाई है और भारत के कुल नि‍र्यातों का एक ति‍हाई है

भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्‍लेखनीय वैश्‍वि‍क ब्रांड पहचान प्राप्‍त की है जि‍सके लि‍ए नि‍म्‍नतर लागत, कुशल, शि‍क्षि‍त और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्‍ति‍ के एक बड़े पुल की उपलब्‍धता को श्रेय दि‍या जाना चाहि‍ए । अन्‍य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्‍यवसाय प्रोसि‍स आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परि‍वहन, कई व्‍यावसायि‍क सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधि‍त सेवाऍं और वि‍त्तीय सेवाऍं शामि‍ल हैं।

बाहय क्षेत्र

1991 से पहले भारत सरकार ने वि‍देश व्‍यापार और वि‍देशी नि‍वेशों पर प्रति‍बंधों के माध्‍यम से वैश्‍वि‍क प्रति‍योगि‍ता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति‍ अपनाई थी ।

उदारीकरण के प्रारंभ होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परि‍वर्तित हो गया । वि‍देश व्‍यापार उदार और टैरि‍फ एतर बनाया गया । वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश सहि‍त वि‍देशी संस्‍थागत नि‍वेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लि‍ए जा रहे हैं । वि‍त्‍तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्‍य अन्‍य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्‍ति‍यों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।

आज भारत में 20 बि‍लि‍यन अमरीकी डालर (2010 - 11) का वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश हो रहा है । देश की वि‍देशी मुद्रा आरक्षि‍त (फारेक्‍स) 28 अक्‍टूबर, 2011 को 320 बि‍लि‍यन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बि‍लि‍यन अ.डालर की तुलना में )

भारत माल के सर्वोच्‍च 20 नि‍र्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्‍च 10 सेवा नि‍र्यातकों में से एक है ।

Dhanteras 2022: धनतेरस कल, तैयारियां शुरू, सजने लगे बाजार

धनतेरस को लेकर शहरभर के बाजारों में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इसका सबसे अधिक रुझान आभूषण और बर्तनों के बाजारों में देखने मिल रहा है। व्यापारी अपने-अपने प्रतिष्ठानों की साज-सज्जा से लेकर नया सामान सजाने में जुटे हुए हैं।

Dhanteras 2022: धनतेरस कल, तैयारियां शुरू, सजने लगे बाजार

ग्वालियर.(नईदुनिया प्रतिनिधि)। धनतेरस को लेकर शहरभर के बाजारों में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इसका सबसे अधिक रुझान आभूषण और बर्तनों के बाजारों में देखने मिल रहा है। व्यापारी अपने-अपने प्रतिष्ठानों की साज-सज्जा से लेकर नया सामान सजाने में जुटे हुए हैं। अब चाहे नए फैंसी बर्तनों की बात करें या ट्रेंडिंग आभूषणों की या बात करें साेने-चांदी के सिक्कों की,धनतेरस को लेकर व्यापारियों की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। बता दें कि कोरोना काल की मार झेलने के बाद शहर के व्यापारियों को इस बार के त्यौहारों से काफी उम्मीदें हैं। उन्हीं उम्मीदों के आधार पर व्यापारी जोश और उत्साह के साथ धनतेरस के बाजार की तैयारियों में लगे हैं। सराफा व्यापारी बृजेश सहित अन्य व्यापारियों के अनुसार इस बार के बाजार से कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई होने की उम्मीद है।

लोगों को लुभाएंगे फैंसी बर्तन

दौलतगंज के बर्तन व्यापारी अजय अग्रवाल के अनुसार धनतेरस पर अधिकांश लोग स्टील से बने बर्तन ही खरीदते हैं। इस बार बर्तन बाजार के बाजार ने साधारण बर्तनों के साथ-साथ स्टील से बने कुछ फैंसी बर्तन भी मंगवाए गए हैं । यह बर्तन दिखने में भी आकर्षक हैं साथ ही में टिकाऊ भी हैं तो लोगों को पसंद भी आएंगे। वहीं कापर और नान स्टिक बर्तनों की मांग भी इस बार काफी अच्छी रहेगी।

कीमत - बर्तन

Dengue in Gwalior: ग्‍वालियर में डेंगू डंक से अब तक 323 बच्चे बीमार हुए

3800 से 4800 रुपये फैंसी क्राकरी डिनर सेट

1600 से 3100 रुपये कापर मटका

1700 से 2300 रुपये ग्रिल पैन(प्रति पीस)

800 से 2000 रुपये कुक एंड सर्व (फैंसी बर्तन)

900 से 2600 रुपये नान स्टिक बर्तन

आभूषण बाजार भी बैठे हैं तैयार

सराफा व्यापारी बृजेश के अनुसार शहर का सराफा बाजार धनतेरस के लिए अपनी तैयारियों को लेकर सक्रिय है। शहरवासियों को आकर्षित करने के लिए सजी-धजी दुकानों से लेकर आकर्षक आभूषणों तक सराफा बाजार की तैयारियां पूरी है। परंपरागत तरीके से खरीदे जाने वाले सोने-चांदी के सिक्के, चांदी के बर्तन सहित अन्य आकर्षक आभूषणों को लेकर व्यापारियों की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। आगामी 22 अक्टूबर को धनतेरस पर शहर में सराफा का अच्छा व्यापार होने की उम्मीद जताई जा रही है ।

Dhanteras 2022: धनतेरस कल, तैयारियां शुरू, सजने लगे बाजार

धनतेरस को लेकर शहरभर के बाजारों में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इसका सबसे अधिक रुझान आभूषण और बर्तनों के बाजारों में देखने मिल रहा है। व्यापारी अपने-अपने प्रतिष्ठानों की साज-सज्जा से लेकर नया सामान सजाने में जुटे हुए हैं।

Dhanteras 2022: धनतेरस कल, तैयारियां शुरू, सजने लगे बाजार

ग्वालियर.(नईदुनिया प्रतिनिधि)। धनतेरस को लेकर शहरभर के बाजारों में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इसका सबसे अधिक रुझान आभूषण और बर्तनों के बाजारों में देखने मिल रहा है। व्यापारी अपने-अपने प्रतिष्ठानों की साज-सज्जा से लेकर नया सामान सजाने में जुटे हुए हैं। अब चाहे नए फैंसी बर्तनों की बात करें या ट्रेंडिंग आभूषणों की या बात करें साेने-चांदी के सिक्कों की,धनतेरस को लेकर व्यापारियों की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। बता दें कि कोरोना काल की मार झेलने के बाद शहर के व्यापारियों को इस बार के त्यौहारों से काफी उम्मीदें हैं। उन्हीं उम्मीदों के आधार पर व्यापारी जोश और उत्साह के साथ धनतेरस के बाजार की तैयारियों में लगे हैं। सराफा व्यापारी बृजेश सहित अन्य व्यापारियों के अनुसार इस बार के बाजार से कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई होने की उम्मीद है।

लोगों को लुभाएंगे फैंसी बर्तन

दौलतगंज के बर्तन व्यापारी अजय अग्रवाल के अनुसार धनतेरस पर अधिकांश लोग स्टील से बने बर्तन ही खरीदते हैं। इस बार बर्तन बाजार के बाजार ने साधारण बर्तनों के साथ-साथ स्टील से बने कुछ फैंसी बर्तन भी मंगवाए गए हैं । यह बर्तन दिखने में भी आकर्षक हैं साथ ही में टिकाऊ भी हैं तो लोगों को पसंद भी आएंगे। वहीं कापर और नान स्टिक बर्तनों की मांग भी इस बार काफी अच्छी रहेगी।

कीमत - बर्तन

Dengue in Gwalior: ग्‍वालियर में डेंगू डंक से अब तक 323 बच्चे बीमार हुए

3800 से 4800 रुपये फैंसी क्राकरी डिनर सेट

1600 से 3100 रुपये कापर मटका

1700 से 2300 रुपये ग्रिल पैन(प्रति पीस)

800 से 2000 रुपये कुक एंड सर्व (फैंसी बर्तन)

900 से 2600 रुपये नान स्टिक बर्तन

आभूषण बाजार भी बैठे हैं तैयार

सराफा व्यापारी बृजेश के अनुसार शहर का सराफा बाजार धनतेरस के लिए अपनी तैयारियों को लेकर सक्रिय है। शहरवासियों रुझान के साथ व्यापार को आकर्षित करने के लिए सजी-धजी दुकानों से लेकर आकर्षक आभूषणों तक सराफा बाजार की तैयारियां पूरी है। परंपरागत तरीके से खरीदे जाने वाले सोने-चांदी के सिक्के, चांदी के बर्तन सहित अन्य आकर्षक आभूषणों को लेकर व्यापारियों की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। आगामी 22 अक्टूबर को धनतेरस पर शहर में सराफा का अच्छा रुझान के साथ व्यापार व्यापार होने की उम्मीद जताई जा रही है ।

आदिवासी युवाओं में व्यापार के प्रति रुझान बढ़ा: चंपिया

आदिवासी समाज के युवाओं में व्यापार के प्रति रुझान बढ़ा है। हम कह सकते हैं कि आने वाले समय में आदिवासी समाज देश की अर्थव्यवस्था में अहम कड़ी.

आदिवासी युवाओं में व्यापार के प्रति रुझान बढ़ा: चंपिया

आदिवासी समाज के युवाओं में व्यापार के प्रति रुझान बढ़ा है। हम कह सकते हैं कि आने वाले समय में आदिवासी समाज देश की अर्थव्यवस्था में अहम कड़ी होंगे।

यह बातें टाटा स्टील कॉरपोरेट रिलेशन की वरिष्ठ प्रबंधक बहालेन चंपिया ने मंगलवार को ट्राइबल कल्चर सेंटर सोनारी में आदिवासी उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में अहम एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं। आदिवासी समाज इससे अछूता नहीं है।

विशिष्ट अतिथि टाटा पावर स्किल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट के हेड मौलाय आचार्य ने कहा कि आदिवासी समाज के युवाओं में काफी क्षमता है। सम्मानित अतिथि टाटा पावर के हेड स्टोर बी. राजेश ने कहा कि बदलते दौर में युवाओं में कौशल विकास की क्षमता अनिवार्य है। रांची के प्रो. डॉ. अमर ई. तिग्गा, विनोद कुमार और ट्राइबल चैंबर के राष्ट्रीय अध्यक्ष खेलाराम मुर्मू ने भी विचार रखे। ट्राइबल चैंबर के राष्ट्रीय अध्यक्ष खेलाराम मुर्मू ने कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम का मकसद आदिवासी समुदाय को व्यापार से जोड़ना है। ट्राइबल चैंबर प्रशिक्षण ले रहे युवा आदिवासी उद्यमियों का सभी प्रकार का कागजात तैयार कर व्यापार में बढ़ाएगा।

कार्यक्रम में 30 युवा प्रशिक्षण ले रहे हैं। कार्यक्रम में ट्राइबल चैंबर के कोषाध्यक्ष विवेक मिंज, जकता सोरेन, सुरेन मुर्मू, मनोज लकड़ा, सोमाय सोरेन, बैजनाथ, अभय, प्रीतम सिरका, मनोज मुंडी, माथुर मुर्मू, रोशन नाग, ब्रज देवगम, रोशन हेम्ब्रम, अमित हेम्ब्रम, उपेंद्र बानरा, मनोज सरदार, संतोष सरदार मौजूद थे।

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