भारत में म्युचुअल फंड इतिहास

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What is Mutual Fund in Hindi? – म्यूचुअल फंड के बारे में सटीक और सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
Here you will find complete information about of what is Mutual Fund, how Mutual Fund Works, Mutual Fund Benefits in Hindi with exact details in Hindi
Mutual Fund in Hindi – आप अक्सर टीवी पर म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) से संबधित एक विज्ञापन जुरूर देखा होगा कुछ इस तरह का की म्यूचुअल फंड में निवेश करे और भविष्य को सुन्हेरा करे और आपके मन में यह बात भी आई होगी की आखिर Mutual Fund होता क्या है क्या इसमें निवेश करके हमे क्या फ़ायदा होगा ये कैसे काम करता है आदि. इन सभी सबलो के जवाब इस पोस्ट में विस्तार व् पूरी सामान्य ज्ञान जानकारी साथ जानेगे.
म्यूचुअल फंड क्या है – What is Mutual Fund in Hindi
म्यूचुअल फंड का मतलब वैसे तो इसके नामे से ही पता चल रही है की यह एक तरह से इन्वेंस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट है जहा कई निवेशको का पैसा म्यूचुअल फंड लगा होता है जिसे म्यूचुअल फंड द्वारा एक फण्ड में डाल दिया जाता है। और लोगो द्वारा इकट्ठा किय गए पैसो को म्यूचुअल फंड शेयरों और बॉन्ड मार्केट में निवेश किया जाता है जब बहुत से निवेशक मिल कर एक फण्ड में निवेश करते हैं तो फण्ड को बराबर बराबर हिस्सों में बाँट दिया जाता है जिसे इकाई या यूनिट कहते हैं.
म्यूचुअल फंड में यदि आप निवेश करना चाहते तो आपके पास हजारो रूपये हो ये जरूरी नहीं है बल्कि आप सिर्फ 500 रूपये भी म्यूचुअल फंड में हर महीने निवेश कर सकते है इसके आपके पास डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है और जरूरी है कि आपका नाम भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में दर्ज होना चाहिए. म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले किसी एक्सपर्ट या ब्रोकर्स की सहयता जुरूर ले.
म्यूचुअल फंड का सबसे प्रमुख बांड तथा शेयर मार्केट्स हैं इसके अलावा गोल्ड अथवा अन्य किसी माल (Commodities) में निवेश कर सकते है. फंड्स के कई प्रकार होते हैं जिन्हें उनके निवेश के अनुसार जाना जाता है. मुख्य हैं डेट, इक्विटी और बैलेंस्ड फण्ड. सबसे अधिक विविधिता इक्विटी फंड्स में पायी जाती है.
म्यूच्यूअल फण्ड को मुख्य पांच भागों में बांटा गया है 1. स्पोंसर जो म्यूच्यूअल फण्ड सेट करता है इसको कम से कम म्यूच्यूअल फण्ड 40 प्रतिशत निवेश करना होता है इसको कोई भी हानि का दायित्व नहीं होता. 2. 1882 में म्यूच्यूअल फण्ड को इंडियन ट्रस्ट एक्ट के अनुसार एक ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया ट्रस्ट के दस्तावेज़ भारतीय पंजीकरण अधिनियम 1908 के अंतर्गत बनते हैं और ट्रस्ट पंजीकृत होता है. 3. ट्रस्टी जिसका मुख्य दायित्व यूनिट होल्डर के लाभ को सुरक्षित रखना होता है, 4. एसेट मैनेजमेंट कंपनी जिसका चुनाव ट्रस्टी द्वारा होता है. एएमसी को एसईबीआई द्वारा अनुमोदित होना चाहिए. 4. संरक्षक कोई ट्रस्ट कंपनी, बैंक अथवा इसी तरह के आर्थिक संस्थान, जो एसईबीआई से अनुमोदित हो, म्यूच्यूअल फण्ड के निवेशकों के निवेश को सुरक्षा प्रदान करते है. 5. रजिस्ट्रार और ट्रान्सफर एजेंट का चयन एएमसी द्वारा होता है. रजिस्ट्रार सभी आवेदन पत्रों का नियमन करता है, वहीँ ट्रान्सफर एजेंट निवेशकों से बात करता है और उनके रिकार्ड्स को समय दर समय अपडेट करता रहता है.
म्यूच्यूअल फण्ड मुक्य तीन प्रकार के होते है
ओपन एंडेड स्कीम्स, क्लोज्ड एंडेड स्कीम, इंटरवल स्कीम
म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने के के फायदे – Benefits of Investment in Mutual Fund
हर कोई व्यक्ति अपना पैसा Mutual Funds में निवेश करने से पहले यह जरूर सोचता है की कही उसका पैसा डूब तो नहीं जायगा या कोई बड़ा घटा तो नहीं होगा लेकिन ऐसा नहीं है क्युकी आपके द्वारा निवेश किया गया आपका पैसा म्यूच्यूअल फंड्स एक्सपर्ट द्वारा उनके अनुभव के साथ मैनेज किआ जाता है आपका पैसा लगाने से पहले ये पूरी अच्छी तरह से रिसर्च व् जानकारी करते है की किस फण्ड में आपका पैसा निवेश करना चाहिए निवेशको को इसमें अधुकतम सुरक्षा मिलती है आप बहुत ही आसन तरीके से Mutual Funds में निवेश कर सकते हो और उतनी ही आसानी से अपना पैसा निकाल भारत में म्युचुअल फंड इतिहास भी सकते हो इसमें ऑनलाइन व् ऑफलाइन दोनों तरीको से आप फंड्स खरीद और बेच सकते है यदि आप किसी बड़ी कम्पनी में आपका पैसा निवेश करना चाहते तो और आपके पास उतना बजट नहीं है जबकि म्यूच्यूअल फण्ड में कई लोगो का पैसा एक साथ इकठ्ठा होता है तो आपके पैसे से बढ़ी कम्पनी में पैसा निवेश किआ जाता है जहा आपका पैसा भरी फायदा पता है म्यूच्यूअल फण्ड सिर्फ बड़े नहीं छोटे व् कम बजट वाले निवेशकों का पैसा बड़ी कंपनियो में निवेश करता है. Mutual Funds में निवेश करने पर आपको टैक्स पर भी छुट मिलती है.
म्यूचुअल फंड का इतिहास – History of Mutual Fund in Hindi
भारत का पहला म्यूचुअल फंड 1963 में यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के रूप में आया. इसका मुख्य उद्देश्य था छोटे निवेशकों को आकर्षित करना और उन्हें निवेश तथा बाजार से सम्बंधित विषयों से अवगत कराना. 1992 में सेबी ने एक विधेयक पास किया जिसके तहत बाजार में निवेशकों के पैसे को सुरक्षा प्रदान किया जाए तथा सिक्योरिटी बाजार को नियंत्रित किया जाए. जहां तक म्यूचुअल फंड का संबंध है सेबी ने 1993 में म्यूचुअल फंड को लेकर नियमन अधिसूचित किया. उसके बाद से ही निजी क्षेत्र की कंपनियों को म्यूचुअल फंड में प्रवेश करने की इजाजत दे दी गई. सेबी समय-समय पर निवेशकों के पैसे को संरक्षित करने के लिए नियम बनाती है तथा कई तरह के दिशा-निर्देश जारी करती है.
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले एक चेतावनी
यदि इस पोस्ट को पढने के बाद आपका मन भी Mutual Funds में निवेश करने का हो रहा है तो पहले किसी अनुभवी एक्सपर्ट की सहायता ले और सभी दस्तावेज और फंड्स से जुडी सारी जानकारी को ध्यान से पड़े किसी भी नुकसान के आप खुद/ स्वयं ज़िम्मेदार होंगे.
उम्मीद है ऊपर दी गई Mutual Funds के बारे में पूरी व् सटीक जानकारी आपको अच्छी तरह से समझ आ गयी होगी यदि इस पोस्ट में कोई गलती या कुछ विशेष तथ्य छुट गया हो तो कृपया हमे ईमेल के जरिये बताये|
What is Mutual Fund: क्या है म्यूचुअल फंड (जानिए)
आज निवेशकों के पास बाजार में निवेश करने के बहुत से तरीके हैं. म्यूचुअल फंड भी निवेशकों को बाजार में निवेश करने के लिए अच्छे अवसर देता है. म्यूचुअल फंड में कम अवधि के लिए निवेश में मुनाफा कम होने का जोखिम तो हमेशा रहता है, खासतौर पर बैलेंस और डेट फंड को छोड़कर जब निवेश इक्विटी ओरिएंटेड फंड में किया जाए. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में लंबी अवधि के निवेश पर मिल रहे मुनाफे की अनदेखी भी नहीं की जा सकती. म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि के निवेश निवेशकों को काफी लुभा रहे हैं. इस तरह के निवेश में एक तो निवेशकों का पैसा सुरक्षित रहता है दूसरे इससे उन्हें अच्छे-खासे रिटर्न भी मिल जाते हैं.
म्यूचुअल फंड का इतिहास
यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के रूप में भारत का पहला म्यूचुअल फंड 1963 में आया. उदारीकरण के दौर में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और संस्थाओं को म्यूचुअल फंड लाने की अनुमति दी. 1992 में सेबी ने एक विधेयक पास किया जिसके तहत बाजार में निवेशकों के पैसे को सुरक्षा प्रदान किया जाए तथा सिक्योरिटी बाजार को नियंत्रित किया जाए. जहां तक म्यूचुअल फंड का संबंध है सेबी ने 1993 में म्यूचुअल फंड को लेकर नियमन अधिसूचित किया. उसके बाद से ही निजी क्षेत्र की कंपनियों को म्यूचुअल फंड में प्रवेश करने की इजाजत दे दी गई. सेबी समय-समय पर निवेशकों के पैसे को संरक्षित करने के लिए नियम बनाती है तथा कई तरह के दिशा-निर्देश जारी करती है.
म्यूचुअल फंड का अर्थ
म्यूचुअल फंड जैसा कि इसके नाम से पता चल रहा है कि एक फंड में कई लोगों का पैसा लगाया जाता है. म्यूचुअल फंड में विभिन्न निवेशकों से पैसा इकट्ठा किया जाता है और इस पैसे को शेयरों और बॉन्ड मार्केट में निवेश किया जाता है. निवेशक को उसके पैसे के लिए यूनिट आवंटित कर दिए जाते हैं. अब इन यूनिट के अनुपात में शेयर या बॉन्ड खरीदने-बेचने पर होने वाले मुनाफे को म्यूचुअल फंड हाउसेज फंड (यूनिट) धारकों में बांट देते हैं.
म्यूचुअल फंड धारकों को यह डिविडेंड या लाभांश फंड पर होने वाले सभी खर्च जैसे एएमसी (असेट मैनेजमेंट कंपनी) शुल्क, एडमिन खर्च, एजेंट का कमीशन आदि निकाल कर दिया जाता है. आमतौर पर म्यूचुअल फंड को बाजार में एक स्कीम के तहत समय-समय पर लॉंच किया जाता है. किसी भी म्यूचुअल फंड के लिए यह जरूरी है कि वह अपना नाम भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में दर्ज कराए.
आप म्यूचुअल फंड में खुद निवेश कर सकते हैं या निवेश भारत में म्युचुअल फंड इतिहास करने के लिए बॉर्कर की सहायता कर सकते हैं. इसके लिए आपको बैंक डीमैट अकाउंट खोलने की जरूरत है. निवेशकों के लिए सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) को अपनाना बेहतर है, जिसमें कितनी अवधि और कितना निवेश करना है, इस बारे में पूरी प्लानिंग की जाती है.
भारत के प्रधान मंत्री - डॉ. मनमोहन सिंह
प्रधान मंत्री का हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ साक्षात्कार
प्रश्न- देश के मौजूदा आर्थिक हालात को आप किस तरह से देखते हैं?
जवाब- हम निश्चित रूप से चुनौतीपूर्ण आर्थिक स्थिति के दौर से गुजर रहे हैं। ये हालात रातों-रात पैदा नहीं हुए हैं। काफी कुछ वैश्विक आर्थिक स्थिति की वजह से हुआ है। दुनिया में बिगड़े आर्थिक हालात के पीछे यूरोजोन एक बड़ा कारण रहा है। भारत के लिए यूरोप निर्यात का एक अहम क्षेत्र है और वहां की स्थिति निश्चित तौर पर हमें प्रभावित करती है। तेल के बढ़ते दाम का भी भारत पर असर हुआ है। हम तेल की अपनी कुल खपत का 80 फीसदी आयात करते हैं। इससे हमारा व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इसके अलावा कुछ घरेलू कारणों से भी हमारी आर्थिक विकास दर प्रभावित हुई है।
प्रश्न- इस साल देश की आर्थिक व्यवस्था के लिए पांच मुख्य चुनौतियां क्या हैं?
जवाब- भारत की अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत है। पिछले आठ वर्षों से हमने काफी कुछ हासिल किया है। हमने निकट भविष्य में कुछ उपायों पर ध्यान केन्द्रित करने की योजना बनाई है।
• कर प्रणाली को पूरी तरह स्पष्ट और पारदर्शी बनाया जाएगा, ताकि पूरी दुनिया जान सके कि भारत कर मामले में सभी के साथ सही और तर्कसंगत तरीके अपनाता है।
• विशेष उपायों से आर्थिक घाटे को नियंत्रित किया जाएगा और इस पर संबंधित अधिकारियों ने काम भी शुरू कर दिया है। इस मुद्दे पर हम सरकार में भी आम सहमति लेंगे।
• म्युचुअल फंड और बीमा उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के विशेष प्रयास किए जाएंगे। देश में सोने में निवेश कर इसकी सेविंग का दायरा बढ़ रहा है। हमें कुछ नए रास्ते खोजने होंगे, ताकि फलदायक निवेश बढ़े और रोजगार और विकास के नए अवसर पैदा हों।
• देश को बिजनेस फ्रैंडली बनाने की दिशा में काम किया जाएगा। निवेश की जो योजनाएं पाइपलाइन में हैं, उन्हें क्लीयरेंस देने को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि निवेशक यह महसूस कर सकें कि भारत का मतलब है बिजनेस। इसके अलावा बिजनेस के प्रस्ताव को सरकार की मंजूरी की प्रक्रिया को भी आसान बनाया जाएगा।
• हमने खासतौर से सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) के तहत ढांचागत विकास को बढ़ावा दिया है। सड़क़, रेलवे, बंदारगाह, और नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में निवेश के लिए नए द्वार खोले गए हैं। इन क्षेत्रों में हमारे हाथ मजबूत करने के लिए दुनिया के दरवाजे खुले हैं जिससे हमारी अर्थव्यवस्था और मजबूत हो सकेगी।
प्रश्न- आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव सरकार की नीतियों को किस तरह प्रभावित कर सकते हैं?
जवाब- पिछले बीस वर्षों में जिस तरह से देश विकास के पथ पर आगे बढ़ा है, मैं उससे काफी हद तक संतुष्ट हूं। इस बीच कई सरकारें आईं, मगर एक बार जो नीतियां बनाई गईं, उन पर अमल होता रहा है। मेरी संतुष्टि का यह भी एक बड़ा कारण है।
• फिर भी कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर विचार किया जाना चाहिए। सबसे पहले हमें मुक्त अर्थव्यवस्था के प्रबंधन के लिए स्थायी तौर पर संस्थागत व्यवस्था करनी होगी।
• दूसरा, आम लोगों भारत में म्युचुअल फंड इतिहास को अभी तक मुक्त अर्थव्यवस्था की पूरी तरह जानकारी नहीं है। ज्यादातर लोग आज भी बाजार को अपने हित से जोड़कर नहीं देख पाते हैं। पड़ोसी देश चीन में स्थिति इससे अलग है, वहां के लोग मुक्त अर्थव्यवस्था को भली-भाँति जानते भारत में म्युचुअल फंड इतिहास हैं और वहां पर इसके लिए जरूरी संस्थागत व्यवस्था विकसित की जा रही है। हमें भी इस बात को समझना होगा कि मुक्त अर्थव्यवस्था जनकल्याण की दिशा में अहम कदम साबित हो सकती है।
• देश में योजनाओं का आवंटन और इन्हें लागू करने की प्रक्रिया भी बड़ा मुद्दा है। हमने लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। मगर, मुझे इस बात की चिंता है कि मुक्त अर्थव्यवस्था का लाभ चंद लोगों तक सीमित रह गया है। देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा आर्थिक विकास के लाभ से वंचित रह जाता है। हमें इसमें जल्द सुधार लाना होगा।
प्रश्न- वोडाफोन कंपनी से जुड़े कर मामले से विदेशी निवेशकों में कई तरह की धारणाएं पैदा हुई है। आप उन्हें किस तरह संतुष्ट करने का इरादा रखते हैं?
जवाब- कर मामलों से निवेशकों का सीधा संबंध होता है। वित्त मंत्रालय पिछले तीन माह से इस मसले पर स्थिति स्पष्ट कर रहा है। निवेशकों को विश्वास में लेने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, बाजार में पूंजी प्रवाह कम हुआ है, जिससे आर्थिक विकास भी प्रभावित हुआ है। मगर, इसका मतलब नहीं कि हालात बहुत बिगड़ गए हैं। कोका कोला कंपनी ने कुछ दिन पहले भारत में पांच बिलियन डॉलर निवेश का ऐलान किया है। आईकेईए भी भारत में बड़े निवेश की योजना बना रही है। उपभोक्ताओं की खरीदारी बढ़ रही है। ब्याज दरों का उपभोक्ता पर कोई प्रभाव नहीं है।
प्रश्न- सरकार की नीतियों के पंगु हो जाने की बात भी कही जा रही है। आपने 'गठबंधन की मजबूरी' की बात कही, क्या यही इसकी मुख्य वजह है? क्या आप देश की जनता के साथ संवाद बढ़ाने का इरादा रखते है?
जवाब- मुझे लगता है कि यह अवधारणा से जुड़ा मसला है। यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में हमने बाध्यकारी परिस्थितियों में काम किया। फिर भी उस समय हमने विकास को गति देने के लिए काफी कुछ किया है। हमने आम आदमी की जरूरतों पर ध्यान केन्द्रित किया, जो एनडीए सरकार के कार्यकाल मेँ 'शाइनिंग इंडिया' के पीछे चला गया था। यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि आम लोगों से जुड़ी योजनाएं रही हैं। इससे विकास के नए आयाम स्थापित हुए हैं। हमने यह सब विभिन्न दलों के सहयोग से किया है। मगर आज परिस्थितियां बदल गई हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है कि तीन वर्षों में विभिन्न दलों का नेतृत्व बदल गया है, मगर लोगों की सोच और उम्मीदों में भी बदलाव आया है।
प्रश्न- एक वित्त मंत्री के तौर पर आपकी नजर में लंबित सुधारों जैसे पेंशन, बीमा, वस्तु एवं सेवाकर और प्रत्यक्ष कर को लागू करने के लिए क्या रोडमैप है?
• सबसे पहले मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि कानून आर्थिक विकास में कोई अडंगा नहीं है। अर्थव्यवस्था के सुधार की दिशा में कदम उठाने के लिए कानूनी कार्रवाई की जरूरत नहीं पड़ती है।
• यह ज्यादा जरूरी है कि सरकार की नीतियों में राजनीतिक दलों की आमराय कायम की जाए। विचारों में मतभेद होना लाजिमी है। इसलिए लोकतंत्र में आमराय बनाना लंबे समय तक आर्थिक सफलता का सूत्र है और हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
प्रश्न- क्या हम आशा कर सकते हैं कि कुछ युवा मंत्रियों को कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा मिलेगा?
जवाब- आपको इस सवाल के जवाब के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा।
प्रश्न- आप पाकिस्तान कब जा रहे हैं? इस यात्रा के लिए आदर्श स्थिति क्या होनी चाहिए?
जवाब- मैं इस यात्रा को सकारात्मक रूप में देख रहा हूं। हालांकि यात्रा के लिए अभी तिथि तय नहीं है। आप जानते हैं कि ऐसी यात्राओं का उद्देश्य उपयुक्त निष्कर्ष वाला होना चाहिए।
प्रश्न- अपने कार्यकाल में भ्रष्टाचार बढ़ने के आरोपों को किस तरह लेते हैं?
जवाब- भारत के इतिहास में अब से पहले सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने, सरकार को लोगों के प्रति जवाबदेह बनाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में इतने कम समय में इतने कदम कभी नहीं उठाए गए। सूचना का अधिकार कानून लाना इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है जिसके लिए आने वाली पीढ़िया कांग्रेस पार्टी और इसकी अध्यक्ष को हमेशा याद रखेंगी। वास्तव में इस एक कानून ने किसी अन्य कदम की तुलना में जवाबदेही बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में ज्यादा अहम भूमिका निभाई है। इसकी मदद से काफी मुद्दे प्रकाश में आए, नहीं तो वे दबे पड़े थे।
हम पब्लिक प्रोक्योरमेंट बिल लाए, जिसकी मदद से भ्रष्टाचार की मूल जड़ पर वार किया गया। इसके साथ ही व्हिसल ब्लोअर, लोकपाल और न्यायिक जवाबदेही समेत कई अन्य बिल लाए गए, ताकि समाज को भ्रष्टाचार से मुक्त किया जा सके।
व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप के बीच मैं अपनी अखंडता पर कायम रहा। जहां तक मीडिया की आलोचना की बात है यह उनका काम है और मैं प्रभावपूर्ण ढंग से इस काम को किए जाने पर मीडिया को बधाई देता हूं। मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि वह अपनी रिपोर्ट को जारी करने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि उसमें दोनों पक्षों की बात जरूर सामने आए।
प्रश्न- वो एक चीज क्या है जिसके लिए आप चाहेंगे कि आपको याद किया जाए?
जवाब- मैंने अपने जीवनकाल में भारत को रहने और काम के लिए एक आदर्श स्थान बनाने की कोशिश की है। इसके लिए मैंने वित्तमंत्री के रूप में भी काम किया। प्रधानमंत्री के तौर पर मैंने वहीं काम किए लेकिन इस बार मेरा दायरा बढ़ा हुआ है। मैंने भारत को शांतिपरक, सौहार्दपूर्ण, सुरक्षित व उन्नत देश बनाने की कोशिश की, जहां हर भारतीय अपना बेहतर जीवन बिता सके। मैं इसे इतिहास पर छोड़ता हूं कि मैं सफल रहा या नहीं।
सेबी ने म्यूचुअल फंड पर सलाहकार समिति का पुनर्गठन किया
बाजार नियामक सेबी ने अपनी म्यूचुअल फंड सलाहकार समिति में बदलाव किया है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नवीनतम अपडेट के अनुसार, 25 सदस्यीय सलाहकार परिषद की अध्यक्षता भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पूर्व डिप्टी गवर्नर उषा थोराट (Usha Thorat) करेंगी। पहले, पैनल में 24 लोग शामिल थे।
समिति का उद्देश्य:
- समिति का मिशन म्यूचुअल फंड विनियमन और विकास से संबंधित समस्याओं पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को सलाह देना है।
- यह नियामक को प्रकटीकरण आवश्यकताओं और म्यूचुअल फंड कानूनों को सरलीकरण और पारदर्शिता के करीब लाने के लिए कानूनी ढांचे में बदलाव के लिए आवश्यक कदमों पर सलाह दे सकता है।
सलाहकार समिति में सदस्य:
- एनजे इंडिया इन्वेस्ट के अध्यक्ष नीरज चोकसी को नियामक द्वारा सलाहकार परिषद में नियुक्त किया गया है।
- एसबीआई म्यूचुअल फंड में इंडिपेंडेंट ट्रस्टी सुनील गुलाटी और डीएसपी म्यूचुअल फंड में इंडिपेंडेंट ट्रस्टी धर्मिष्ठा नरेंद्रप्रसाद रावल अन्य सदस्यों में शामिल हैं।
- टाटा एसेट मैनेजमेंट के एमडी और सीईओ प्रथित डी भोबे, एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट के एमडी और सीईओ विनय टोनसे, मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के सीईओ स्वरूप मोहंती, सुंदरम एसेट मैनेजमेंट कंपनी के एमडी और सीईओ।
- पैनल में सुनील सुब्रमण्यम, मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी के एमडी और सीईओ नवीन अग्रवाल और एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के अध्यक्ष ए बालासुब्रमण्यम भी शामिल हैं।
- समिति में बीएसई, एनएसई, कंप्यूटर एज मैनेजमेंट सर्विसेज (सीएएमएस), केफिन टेक्नोलॉजीज, साथ ही वित्त मंत्रालय और सेबी के अधिकारी भी शामिल हैं।
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ये हैं निवेश के लिए 10 सबसे अच्छे म्यूचुअल फंड
हमने पांच अलग-अलग कैटेगरी से दो स्कीमों को चुना. इन कैटेगरी में एग्रेसिव हाइब्रिड, लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और मल्टीकैप शामिल हैं.
यह भी मुमकिन है कि जिन स्कीमों के नाम बताए जाएं, वे लक्ष्यों और जोखिम प्रोफाइल के अनुकूल न हों. यही देखते हुए हमने टॉप 10 म्यूचुअल फंड स्कीमों की एक लिस्ट बनाई है. इसमें पांच अलग-अलग कैटेगरी से दो स्कीमों को चुना गया है. इन कैटेगरी में एग्रेसिव हाइब्रिड, लार्जकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप और मल्टीकैप शामिल हैं. हमारा मानना है कि नियमित म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए ये पर्याप्त होनी चाहिए.
टॉप 10 स्कीमों की लिस्ट
1. एक्सिस ब्लूचिप फंड
2. मिराए एसेट लार्जकैप फंड
3. पराग पारेख लॉन्ग टर्म इक्विटी फंड
4. कोटक स्टैंडर्ड मल्टीकैप फंड
5. एक्सिस मिडकैप फंड
6. डीएसपी मिडकैप फंड
7. एक्सिस स्मॉलकैप फंड
8. एसबीआई स्मॉलकैप फंड
9. एसबीआई इक्विटी हाइब्रिड फंड
10. मिराए एसेट हाइब्रिड इक्विटी फंड
हालांकि, इन स्कीमों में निवेश करने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. पहली बात यह कि हर एक कैटेगरी के बारे में जानें और पता करें कि क्या वह आपके निवेश के लक्ष्य और जोखिम प्रोफाइल से मेल खाती है.
एग्रेसिव हाइब्रिड स्कीमों के लिए अपनी कुल रकम का 65-80 फीसदी इक्विटी में निवेश करना जरूरी है. बाकी का 20-35 फीसदी उन्हें डेट में निवेश करना होता है. ये पूर्व की बैलेंस्ड या इक्विटी हाइब्रिड स्कीमों की तरह निवेश करती हैं. इक्विटी में कम से कम 65 फीसदी निवेश की सीमा के चलते इन पर इक्विटी स्कीमों की तरह टैक्स लगता है.
इसमें 'एग्रेसिव' शब्द से आपको भ्रमित नहीं होना चाहिए. कई म्यूचुअल फंड एडवाइजर नए निवेशकों को एग्रेसिव हाइब्रिड स्कीमों में पैसा लगाने की सलाह देते हैं. उनकी दलील होती है कि इक्विटी और डेट का मिलाजुला पोर्टफोलियो उथल-पुथल के दौरान इन्हें स्थिरता देता है.
वहीं, लार्जकैप म्यूचुअल फंड स्कीमें बेहद बड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं. सेबी के वर्गीकरण नियमों के अनुसार, लार्जकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों के लिए निवेशकों से जुटाई गई रकम का कम से कम 80 फीसदी शीर्ष 100 कंपनियों में निवेश करना जरूरी है. चूंकि ये स्कीमें अपेक्षाकृत कम अस्थिर होती हैं. इसलिए इनमें रिटर्न भी सामान्य होता है. ऐसे में लार्जकैप स्कीमों में निवेश करते हुए रिटर्न की अपेक्षाओं को वास्तविक रखने की जरूरत है.
मिडकैप म्यूचुअल फंड स्कीमें मध्यम आकार की कंपनियों में निवेश करती हैं. इनमें बड़े आकार की कंपनी बनने का दमखम होता है. बेशक इनके साथ जोखिम और अस्थिरता ज्यादा होती है. लेकन, इनसे अधिक रिटर्न की भी अपेक्षा की जा सकती है. एडवाइजर नए निवेशकों को मिडकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों की सलाह नहीं देते हैं. न ही उन्हें इन स्कीमों में पैसा लगाने को कहा जाता है जो अपने निवेश के साथ ज्यादा जोखिम नहीं ले सकते हैं.
स्मॉलकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों के लिए अपनी कुल रकम का 80 फीसदी छोटी कंपनियों में निवेश करना जरूरी है. शेयर बाजार में 250वें पायदान के नीचे आने वाली सभी कंपनियां इस श्रेणी में आती हैं. इनमें हमेशा सात से 10 साल की लंबी अवधि को ध्यान में रखकर ही निवेश करना चाहिए. छोटी अवधि में केवल ज्यादा रिटर्न के लिए इनमें निवेश करने पर आप नुकसान उठा सकते हैं. इनके साथ बहुत ज्यादा जोखिम होता है. नए निवेशकों को इन स्कीमों में पैसा लगाने की सलाह नहीं दी जाती है.
मल्टीकैप म्यूचुअल फंड स्कीमों का सुझाव अक्सर उन निवेशकों को दिया जाता रहा है जो निवेश के साथ थोड़ा जोखिम ले सकते हैं. सेबी के नए नियमों के अनुसार, मल्टीकैप स्कीम को अपने कुल एसेट का कम से कम 75 फीसदी इक्विटी या इक्विटी से जुड़े इंस्ट्रूमेंट में निवेश करना होगा. उनके लिए लार्ज, मिड और स्मॉलकैप शेयरों में न्यूनतम 25-25 फीसदी निवेश करना अनिवार्य किया गया है.
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