विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार

Rupee Vs Dollar: अमेरिका में वित्त मंत्री सीतारमण बोलीं- भारतीय रुपये ने बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है
Rupee Vs Dollar: निर्मला सीतारमण ने कहा कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा, हमें इसे ऐसे देखना चाहिए कि डॉलर मज़बूत हो रहा है। लेकिन दूसरी मार्केट करेंसी देखें तो रुपया डॉलर की तुलना में काफी अच्छा कर रहा है।
Rupee Vs Dollar: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रुपये वर्सेज डॉलर पर चर्चा के बीच अमेरिका में कहा है कि भारतीय रुपये ने बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रुपये ने कई अन्य उभरती बाजार मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।
अमेरिकी यात्रा पर वाशिंगटन डीसी में मौजूद निर्मला सीतारमण ने शनिवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा, हमें इसे ऐसे देखना चाहिए कि डॉलर मज़बूत हो रहा है। लेकिन दूसरी मार्केट करेंसी देखें तो रुपया डॉलर की तुलना में काफी अच्छा कर रहा है। रुपये में गिरावट से निपटने के लिए किए जा रहे उपायों के संबंध में पूछे गए सवाल पर वित्त मंत्री ने ये बातें कही।
सीतारमण ने कहा कि अन्य देशों की मुद्राएं भी अमेरिकी डॉलर की मजबूती के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं हैं जबकि भारतीय रुपये ने कई अन्य उभरती बाजार मुद्राओं की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। मुद्रास्फीति के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि बुनियादी बातें अच्छी हैं और विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा है। हम एक आरामदायक स्थिति में हैं और इसलिए मैं दोहरा रही हूं कि मुद्रास्फीति भी प्रबंधनीय स्तर पर है। हम इसे और आगे लाने के प्रयास कर रहे हैं।
क्रिप्टोकरेंसी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम इससे संबंधित मामलों को जी 20 की टेबल पर लाना चाहते हैं ताकि सदस्य इस पर चर्चा कर सकें और एक ढांचे या एसओपी पर पहुंच सकें, ताकि वैश्विक स्तर पर देशों में तकनीकी रूप से संचालित नियामक ढांचा हो सके।
रूस-यूक्रेन वॉर का भी किया जिक्र
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच ऊर्जा संकट का मुद्दा भी उठाया और कहा कि कई देशों को ऊर्जा उत्पादन के लिए कोयले की ओर वापस जाना पड़ा है क्योंकि गैस का खर्च वहन नहीं किया जा सकता है या उपलब्ध नहीं है।
बता दें कि शनिवार को सीतारमण ने वाशिंगटन में विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने भारत के #G20 प्रेसीडेंसी, एमडीबी के पूंजी पर्याप्तता ढांचे में सुधार, ऋण कमजोरियों को दूर करने और एमआईजीए के माध्यम से भारत के साथ डब्ल्यूबीजी के जुड़ाव को बढ़ाने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
उन्होंने आईएमएफ-डब्ल्यूबी वार्षिक बैठक 2022 के मौके पर यूएई के वित्तीय मामलों के राज्य मंत्री मोहम्मद अल हुसैनी से भी मुलाकात की। दोनों नेताओं ने आगामी G20 इंडिया प्रेसीडेंसी, UAE के CoP28 चेयर, जलवायु वित्त और पारस्परिक हित के अन्य क्षेत्रों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
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कल संसद में पेश होगा आर्थिक सर्वेक्षण, जानिए क्या है Budget से इसका संबंध
इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट में यह जानकारी भी दी जाती है कि मनी सप्लाई का ट्रेंड क्या है, इसके अलावा कृषि, औद्योगिक उत्पादन, बुनियादी ढांचा, रोजगार, निर्यात, आयात, विदेशी मुद्रा के मुद्दे पर अर्थव्यवस्था की वर्तमान हालत क्या है।
Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: January 30, 2022 14:07 IST
Photo:FILE
Highlights
- आर्थिक सर्वेक्षण का डाटा केंद्रीय बजट के लिए एक दृष्टिकोण प्रदान करता है
- आसान भाषा में समझें तो इकोनॉमिक सर्वे मौजूदा वित्त वर्ष का एक लेखा-जोखा होता है
- 1964 से वित्त मंत्रालय बजट से एक दिन पहले सर्वेक्षण जारी करता आ रहा है
नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र की शुरूआत सोमवार को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रपति रामनाथ गोविन्द के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में संबोधन के साथ होगी। सत्र के पहले दिन 31 जनवरी को राष्ट्रपति अभिभाषण के बाद दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पेश किया जाएगा। आइए समझते हैं कि आर्थिक सर्वेक्षण का क्या महत्व है और इसके जरिये सरकार किस तरह का बजट पेश करेगी उसका आकलन कैसे कर सकते हैं।
क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे
आसान भाषा में समझें तो इकोनॉमिक सर्वे मौजूदा वित्त वर्ष का एक लेखा-जोखा होता है। उदाहरण के तौर पर इस साल एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जो बजट पेश करने जा रही हैं, वह आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए होगा, लेकिन सोमवार को जो आर्थिक सर्वे पेश किया जाएगा वह मौजूदा साल 2021-22 के लिए है। इसमें पूरे साल के आर्थिक विकास का लेखा-जोखा होगा। पहली बार देश का आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में पेश किया गया था। 1964 से वित्त मंत्रालय बजट से एक दिन पहले सर्वेक्षण जारी करता आ रहा है। इस रिपोर्ट को डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स यानी DEA विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार की तरफ से तैयार किया जाता है।
इन विषयों की दी जाती है जानकारी
इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट में यह जानकारी भी दी जाती है कि मनी सप्लाई का ट्रेंड क्या है, इसके अलावा कृषि, औद्योगिक उत्पादन, बुनियादी ढांचा, रोजगार, निर्यात, आयात, विदेशी मुद्रा के मुद्दे पर अर्थव्यवस्था की वर्तमान हालत क्या है। यह दस्तावेज सरकार का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जो अर्थव्यवस्था की प्रमुख चिंताओं पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
बजट कैसा होगा आकलन कर सकते हैं आप
इकोनॉमिक सर्वे देखकर आप आकलन कर सकते हैं कि सरकार का जोर इस बार किस सेक्टर पर अधिक होगा। आर्थिक सर्वेक्षण का डाटा और विश्लेषण आमतौर पर केंद्रीय बजट के लिए एक नीतिगत दृष्टिकोण प्रदान करता है।
चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 31.072 खरब अमेरिकी डॉलर पहुंचा
चीनी राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा प्रबंध ब्यूरो ने कहा कि इस साल अगस्त के अंत तक चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 31.072 खरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो जुलाई माह की तुलना में 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि.
चीनी राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा प्रबंध ब्यूरो ने कहा कि इस साल अगस्त के अंत तक चीन का विदेशी मुद्रा भंडार 31.072 खरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो जुलाई माह की तुलना में 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि है और इस विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार साल की शुरुआत की तुलना में 34.5 अरब अमेरिकी डॉलर अधिक रहा।चीनी राष्ट्रीय विदेशी मुद्रा प्रबंध ब्यूरो के प्रवक्ता वांग छ्वनयिंग ने कहा कि अगस्त में चीन का विदेशी मुद्रा बाजार सुव्यवस्थित रहा है और विदेशी मुद्रा की आपूर्ति व मांग में बुनियादी तौर पर संतुलन बना रहा है। वैश्विक आर्थिक विकास, व्यापारी परिस्थिति और भू-राजनीति जैसे अनेक तत्वों से प्रभावित होकर प्रमुख देशों के बान्ड की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।
वांग ने कहा कि चीन में आर्थिक पैमाना बहुत विशाल है। चीन में विकास की प्रवृत्ति में कोई बदलाव नहीं है। इन सबने विदेशी मुद्रा के भंडार के पैमाने में स्थिरता बरकरार रखने के लिए दृढ़ आधार तैयार किया है।
पीएम मोदी के जापान दौरे से भारत को क्या मिला, दुनिया के सबसे बड़े द्विपक्षीय मुद्रा अदला-बदली करार से कितना फायदा, 15 बड़ी बातें
वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि जापान के साथ इस तरह की सुविधा से रुपये की विनिमय दर तथा पूंजी बाजारों में बड़ी स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी
पीएम मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने संयुक्त प्रेस कांन्फ्रेंस की
नई दिल्ली: भारत और जापान ने आपस में 75 अरब डालर के बराबर विदेशी मुद्रा की अदला-बदली की व्यवस्था का करार किया है. यह सबसे बड़े द्विपक्षीय मुद्रा अदला-बदली व्यवस्था समझौतों में से एक है. वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि जापान के साथ इस तरह की सुविधा से रुपये की विनिमय दर तथा पूंजी बाजारों में बड़ी स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी. इस समझौते से दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग और प्रगाढ़ होगा तथा इसमें विविधता बढ़ेगी. जापान की यात्रा पर गये प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे की प्रतिनिधि स्तर की वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिति, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की. दोनों नेताओं के बीच शिखर स्तर की बातचीत के बाद भारत-जापान की साझा सोच पर जारी वक्तव्य में कहा गया है, ‘‘वित्तीय तथा आर्थिक सहयोग बढ़ाने के दृष्टिकोण से जापान और भारत की सरकारें 75 अरब डालर के द्विपक्षीय मुद्रा अदला-बदली समझौते (बीएसए) पर सहमति का स्वागत करती हैं.’’
15 बड़ी बातें
वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘‘अदला-बदली समझौते से भारत विदेशी विनिमय और पूंजी बाजारों में बड़ी स्थिरता आएगी. इस सुविधा के तहत भारत के लिये जापान से उक्त राशि के बराबर विदेशी पूंजी इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी.''
दोनों देशों के बीच संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की संभावना को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री ने पिछले चार साल में हासिल उल्लेखनीय उपलब्धियों की समीक्षा की.
भारत और जापान ने सोमवार को आपस में 75 अरब डालर के बराबर विदेशी मुद्रा की अदला-बदली की व्यवस्था का करार किया.
विदेशी मुद्रा अदला-बदली समझौते के बारे में आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘जापान के 75 अरब डालर की विदेशी मुद्रा की द्विपक्षीय अदला-बदली की यह व्यवस्था दुनिया में इस तरह के विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार सबसे बड़े समझौतों में एक है.''
उन्होंने कहा, ‘‘जापान के अनुरोध को स्वीकार करते हुए भारत बुनियादी ढांचे के लिये पांच साल या उससे अधिक की न्यूनतम परिपक्वता अवधि के विदेशी वाणिज्यक कर्जों के मामले में ‘हेजिंग' यानी संबंधित विदेशी कर्ज को लेकर विदेशी विनिमय दर के वायदा और विकल्प बाजार में सौदे करने की अनिवार्यता को खत्म करने पर सहमत हो गया है.''
दोनों नेताओं ने समृद्ध भविष्य के लिये भारत-जापान आर्थिक भागीदारी की संभावना के सही मायने में हकीकत रूप देने को लेकर भारत की युवा आबादी के लाभ तथा जापान की पूंजी एवं प्रौद्योगिकी के बीच तालमेल को लेकर प्रतिबद्धता दोहरायी.
संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘भारत ने मेक इन इंडिया, कौशल भारत और स्वच्छ भारत मिशन जैसी रूपांतरणकारी पहल में जापान के मजबूत समर्थन का स्वागत किया.''
दोनों नेताओं ने येन में कर्ज के लिये दस्तावेज के अदाल-प्रदान, मुंबई-अहमदाबाद उच्च गति की रेल समेत विभिन्न परियोजनाओं में प्रगति की समीक्षा की और संतोष जताया.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे ने सोमवार को पाकिस्तान से कहा कि वह मुंबई और पठानकोट आतंकवादी हमलों के अपराधियों को इंसाफ के कठघरे में लाए.
वक्तव्य में कहा गया है कि उन्होंने अल कायदा, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और उनसे संबद्ध संगठनों समेत विभिन्न समूहों से आतंकवादी खतरों के खिलाफ सहयोग मजबूत करने का प्रण किया.
दोनों नेताओं ने आतंकवादियों की पनाहगाहों, बुनियादी ढांचा नष्ट विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार करने, आतंकवादी नेटवर्क और वित्तपोषण के चैनल तोड़ने और आतंकवादियों के सरहद पार आवागमन रोकने का सभी देशों विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार का आह्वान किया.
भारत के आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी) मंत्रालय और कनागावा प्रीफेक्चरल गवर्नमेंट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे के दौरान सहयोग पत्र (एमओसी) पर हस्ताक्षर हुए. यह सहयोग-पत्र एक दूसरे एमओसी का पूरक है जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देता है.
विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, ‘‘यह सहयोग पत्र हाल ही में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार परिवार कल्याण मंत्रालय और ऑफिस ऑफ द हेल्थकेयर पॉलिसी ऑफ द कैबिनेट ऑफिस ऑफ जापान एवं जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच हुए एक सहयोग पत्र का पूरक होगा.
इसका उद्देश्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन में चिन्हित क्षेत्रों विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, गैर-संचारी बीमारियों की देखभाल, साफ-सफाई, स्वच्छता, पोषण एवं बुजुर्गों की देखभाल जैसे क्षेत्रों में सहयोग का बढ़ावा देना है.''
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ वार्षिक द्विपक्षीय सम्मेलन के बाद मोदी ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, "भारत और जापान के बीच बिना सहयोग के, 21वीं सदी एशियाई सदी नहीं हो सकती."