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क्या मैं विदेशी मुद्रा में पैसे कमा सकता हूं

क्या मैं विदेशी मुद्रा में पैसे कमा सकता हूं
नवभारत टाइम्स 5 दिन पहले

$ डॉलर कमाने का तरीका – घर बैठे डॉलर में पैसे कैसे कमाए

How to Earn Money in Doller Hindi: दोस्तों हर कोई व्यक्ति अपने जीवन में अधिक पैसे कमाना चाहता है और Google पर यह सर्च करता रहता है की “पैसे कैसे कमाए”. लेकिन जिस इंसान के पास ज्ञान है और अपनी बुद्धि का सही इस्तेमाल करता है तो उसके लिए अधिक पैसा कमाना कोई बड़ी बात नहीं है. अधिक पैसे कमाने का बढ़िया जरिया है कि आप डॉलर में पैसे कमाओ.

पर बहुत सारे लोगों को डॉलर क्या है के बारे में पता नहीं रहता है और जिन्हें पता भी रहता है तो उनको आईडिया नहीं रहता है कि डॉलर में पैसे कैसे कमाए . अगर आपको भी डॉलर के बारे में पता नहीं है या डॉलर से पैसे कमाने के बारे में पता नहीं है तो आप एकदम सही लेख पर आये हैं.

आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको 5 ऐसे तरीकों के बारे में बताने वाले हैं जिनके द्वारा आप आसानी से डॉलर में पैसे कमा सकते हैं और अधिक पैसे कमा कर अपनी जरूरतों और शौक को पूरा कर सकते हैं.

चलिए आपका ज्यादा समय न लेते हुए शुरू करते हैं इस लेख को और जानते हैं डॉलर में पैसे कैसे कमाए , लेकिन उससे पहले जानेंगे डॉलर क्या होता है .

$ डॉलर कमाने का तरीका – घर बैठे डॉलर में पैसे कैसे कमाए -$ Dollar Kamane Ka Tarika

डॉलर क्या है (What is Doller in Hindi)

डॉलर एक विदेशी मुद्रा या Currency है जो 20 से अधिक देशों में इस्तेमाल की जाती है. जिस प्रकार से भारत की मुद्रा रुपया है वैसे ही अमेरिका की मुद्रा का नाम डॉलर है. कुछ अन्य देशों की मुद्रा निम्न है जैसे कि –

  • अमेरिका की मुद्रा – अमेरिकी डॉलर (USD)
  • ऑस्ट्रेलिया की मुद्रा – ऑस्ट्रेलियन डॉलर (AUD)
  • सिंगापूर की मुद्रा – सिंगापूर डॉलर (SGD)
  • कनाडा की मुद्रा – कैनेडियन डॉलर (CAD)

इसी प्रकार से अमेरिका की मुद्रा का नाम डॉलर हैं. 1 डॉलर की कीमत लगभग 75 रूपये के आस – पास है. अभी तक आप समझ गए होंगे कि डॉलर क्या है अब जानते हैं कि आखिर हम किस प्रकार से घर में रहकर डॉलर में पैसे कमा सकते हैं.

डॉलर में पैसे कैसे कमाए (How to Earn Money in Doller Hindi)

डॉलर में पैसे कमाने के लिए आप निम्न पांच तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इन पाँचों तरीकों से पैसे कमाने के लिए आपको शुरूवात में मेहनत करनी होगी और फिर आप क्या मैं विदेशी मुद्रा में पैसे कमा सकता हूं बाद में आप दिन-रात डॉलर में पैसे कमाते रहेंगे.

  • ब्लॉग या वेबसाइट बनाकर गूगल की मदद से डॉलर कमाए
  • YouTube चैनल बनाकर Adsense से डॉलर कमाए
  • Affiliate Marketing करके डॉलर Earn करे
  • Freelancing करके डॉलर में पैसे कमाए
  • Quora के द्वारा कमा सकते हो डॉलर

डॉलर कमाने का तरीका (Dollar Kamane Ka Tarika)

अब इन सभी के बारे में एक – एक कर जानते हैं आखिर ये इनके माध्यम से डॉलर में पैसे कैसे कमाए जाते हैं.

1 – ब्लॉग या वेबसाइट बनाकर गूगल एडसेंस के द्वारा डॉलर में पैसे कमाए

डॉलर में पैसे कमाने का सबसे अच्छा तरीका है आप अपना खुद का एक ब्लॉग शुरू कर लें. जिन लोगों को ब्लॉग के बारे में ज्यादा पता नहीं है तो उनकी जानकारी के लिए बता दूँ ब्लॉग एक ऐसा जरिया है जिसके द्वारा आप अपने ज्ञान, अनुभव या राय को दुनिया तक इन्टरनेट के माध्यम से पहुंचा सकते हैं.

जैसे आप अभी यह लेख पढ़ रहे हैं तो यह भी एक ब्लॉग ही है. अगर आपको blogging के बारे में और अधिक जानना है तो हमने पहले से ही अपने ब्लॉग में ढेरों सारे पोस्ट Blogging से Related लिखे हुए हैं जिन्हें पढ़कर आपको Blogging की सारी जानकारी मिल जायेगी.

Blog बनाने के कुछ दिन आपको आपको अपने Blog को Google AdSense Approval के लिए भेजना पड़ता है और फिर Google की टीम आपका Blog Check करके Approval दे देती है. और आप अपनी वेबसाइट पर AdSense के Ad लगाकर कमाई कर सकते हैं.

Blog में न केवल आप AdSense के द्वारा कमाई करते हैं बल्कि आपके पास बहुत सारे अन्य विकल्प भी होते हैं पैसे कमाने के लिए, जिनके लिए आप हमारे निम्न लेखों को पढ़ सकते हैं.

2 – YouTube Channel बनाकर गूगल एडसेंस से पैसे कमाए

YouTube के बारे में आज बच्चा – बच्चा जानता है और आप भी अच्छी तरह से YouTube के बारे में जानते होंगे. YouTube के माध्यम से लाखों लोग हर महीने हजारों डॉलर में कमाई कर रहे हैं.

अगर आपको किसी भी Field का अच्छा Knowledge है तो आप भी You Tube पर अपना Channel बना सकते हैं और अपने Field के Related Video बनाकर अपने Channel में डाल सकते हैं.

जैसे ही आपके 1000 Subscriber और 4000 Watch Hour पुरे हो जाते हैं तो आप अपने Channel को गूगल एडसेंस से Monetize कर सकते हैं और डॉलर में पैसे कमा सकते हैं.

अगर आपकी YouTube पर विडियो वायरल हो जाती है तो आपको 1000 Subscriber करने में देरी नहीं होगी.

3 – Affiliate Marketing से डॉलर में पैसे कमाए

Affiliate marketing से आप डॉलर में अधिक पैसे कमा सकते हैं और जल्दी अमीर भी बन सकते हैं. जिन लोगों को Affiliate Marketing के बारे में पता नहीं है उनकी जानकारी के लिए बता दूँ,

Affiliate marketing एक प्रकार की Digital Marketing होती है जहाँ पर आपको किसी दूसरी कंपनी के Product को एक लिंक के द्वारा, जिसे Affiliate Link कहते हैं, Promote करना होता है और जब कोई यूजर आपकी लिंक पर क्लिक करके Product खरीदता है तो कंपनी कुछ कमीशन आपको देती है यह कमीशन 30 प्रतिशत से लेकर 90 प्रतिशत तक हो सकती है.

डॉलर में पैसे कमाने के लिए आप Clickbank, Warriorplus, Hosting कंपनी आदि के Affiliate Program को ज्वाइन कर सकते हैं. और उनके Product को Blog, YouTube, Facebook, Instagram पेज आदि के द्वारा Promote कर सकते हैं.

4 – Freelancing के द्वारा डॉलर में पैसे कमाए

Freelancing भी डॉलर में पैसे कमाने का एक बहित ही बढ़िया माध्यम है. अगर आपके अन्दर कोई भी डिजिटल स्किल है तो आप Freelancing वेबसाइट में अपना अकाउंट बनाकर काम पा सकते हैं और बदले में डॉलर में अधिक पैसे कम सकते हैं.

एक उदाहरण के द्वारा इसे समझते हैं कि Freelancing के द्वारा पैसे कैसे कमा सकते हैं. जैसे माना आपको वेब डिजाइनिंग आती है तो आप Freelancing Website पर जाकर अपना अकाउंट बनायें और अपनी Profile को आकर्षक बनायें. यहाँ पर बहुत सारे लोग होते हैं जो वेब डिजाइनिंग के लिए Freelancer को Hire करते हैं.

इसके लिए पहले वह freelancer की Profile को देखते हैं और उसके बाद उन्हें काम देते हैं. और जब आप काम पूरा करके दे देते हैं तो आपको आपके पैसे दे दिए जाते हैं. अगर आप विदेशों के Client का काम करते हैं तो वह आपको पैसे डॉलर में देते हैं और इस प्रकार से आप Freelancing से डॉलर में पैसे कमा सकते हैं.

डॉलर मजबूत हो या रुपया कमजोर, महंगाई बढ़ना तो दोनों ही सूरतों में तय है; जानिए कैसे

डॉलर मजबूत हो या रुपया कमजोर, महंगाई बढ़ना तो दोनों ही सूरतों में तय है; जानिए कैसे

डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में कमी का सिलसिला जारी है. इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले इस वर्ष भारतीय मुद्रा रुपये (Rupee) में आई 8 प्रतिशत की गिरावट को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा है कि कमजोरी रुपये में नहीं आई है बल्कि डॉलर में मजबूती आई है. बता दें कि शुक्रवार को क्या मैं विदेशी मुद्रा में पैसे कमा सकता हूं अमेरिकी मुद्रा की तुलना में रुपया 8 पैसे फिसलकर 82.35 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक की सालाना बैठकों में शामिल होने के बाद सीतारमण ने संवाददाताओं से बातचीत में भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद को मजबूत बताया. उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती के बावजूद भारतीय रुपये में स्थिरता बनी हुई है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में भारत में मुद्रास्फीति कम है और मौजूदा स्तर पर उससे निपटा जा सकता है.

रुपये में गिरावट आने से जुड़े एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘सबसे पहली बात, मैं इसे इस तरह नहीं देखूंगी कि रुपया फिसल रहा है बल्कि मैं यह कहना चाहूंगी कि रुपये में मजबूती आई है. डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है. मजबूत हो रहे डॉलर के सामने अन्य मुद्राओं का प्रदर्शन भी खराब रहा है लेकिन मेरा खयाल है कि अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपया ने बेहतर प्रदर्शन किया है.’’

अगर आम आदमी के हिसाब से सोचें तो दोनों की सूरतों में उसके लिए मुश्किलें बढ़ना तय है. रुपया गिरे या डॉलर चढ़े, दोनों ही परिस्थितियों में चीजों के आयात के लिए देश से तो भारी मात्रा में करेंसी बाहर जाएगी. इसका असर आखिरकार देश में महंगाई में वृद्धि के तौर पर सामने आएगा. नतीजा आम आदमी पर मार.

रुपया गिरने से कैसे होता है नुकसान

डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में कमी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर यह होता है कि इंपोर्ट बिल बढ़ जाते हैं. जब रुपये में कमजोरी आती है तो हर वह चीज जो आयात की जाती है मसलन- पेट्रोलियम पदार्थ, उर्वरक, खाद्य तेल, कोयला, सोना, रसायन, . वगैरह की कीमतों में इजाफा होता है. हम जो भी सामान विदेश से मंगवाते हैं, उसकी कीमत डॉलर में होती है. ऐसे में हमें उस डॉलर मूल्य के बराबर रुपये में पेमेंट करना होता है. डॉलर का मूल्य रुपये के मुकाबले जितना ज्यादा चढ़ेगा, देश से उतनी ही ज्यादा करेंसी आयात के लिए बाहर जाएगी. नतीजा विदेशी मुद्रा भंडार कम होने लगता है. ऐसे में देश में सामान मंगाना महंगा होता जाएगा और उसकी भरपाई के लिए उस सामान का दाम भारत के अंदर बढ़ाना पड़ेगा. RBI की कैलकुलेशन के मुताबिक, रुपये में हर 5% की गिरावट महंगाई में 0.10% से 0.15% की बढ़ोतरी करती है,.

भारत के इंपोर्ट बिल में बहुत बड़ा हिस्सा क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल का होता है, जिसे रिफाइन करके पेट्रोल-डीजल, एलपीजी, पीएनजी, एटीएफ आदि को बनाया जाता है. देश में महंगा क्रूड आयात होना मतलब, उससे बनने वाले उत्पादों का महंगा होना और नतीजा आम आदमी का बजट बिगड़ना. पेट्रोल-डीजल महंगा होने से सामान के परिवहन की लागत बढ़ना और इसकी भरपाई के लिए उत्पादकों का उस सामान को महंगा करना. लिहाजा फल-सब्जी समेत कई तरह की चीजों के दाम बढ़ जाना. CNG, LPG, PNG महंगी होने से गाड़ी चलाना और खाना पकाना महंगा हो जाना. एटीएफ के दाम बढ़ने से एयर टिकट के दाम बढ़ जाना यानी हवाई सफर महंगा.

गिरते रुपये का यह असर क्रूड के अलावा इंपोर्ट की जाने वाली तमाम चीजों पर पड़ता है. इनमें खाने के तेल से लेकर फर्टिलाइजर और स्टील तक हर तरह की चीजें शामिल हैं. इतना ही नहीं, इन इंपोर्टेड चीजों का कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल करके बनने वाली वस्तुओं की लागत भी बढ़ जाती है.

विदेशी कर्ज पर ब्याज का बढ़ जाता है बोझ

रुपये में गिरावट का एक और बड़ा नुकसान यह होता है कि इससे विदेशी मुद्रा में लिए गए सारे कर्ज और उन पर दिए जाने वाले ब्याज में अचानक बढ़ोतरी हो जाती है. इनमें सरकार द्वारा लिए गए विदेशी लोन के अलावा सरकारी और प्राइवेट बैंकों और कंपनियों द्वारा लिए गए फॉरेन करेंसी लोन भी शामिल हैं. इसके अलावा विदेश में पढ़ाई करना भी महंगा हो जाता है.

शेयर बाजार में भी होती है उथल-पुथल

रुपये में लगातार गिरावट से शेयर बाजार में भी उथल-पुथल मचती है. विदेशी निवेशकों का भरोसा घटता है और वह डॉलर की मजबूती को देखकर भारतीय शेयर बाजारों से पैसे निकालने लगते हैं. नतीजा शेयर बाजार नीचे आ जाते हैं. विदेशी निवेशकों के इस कदम से रुपये में कमजोरी और बढ़ने का खतरा रहता है.

रुपये को संभालने के चलते घट रहा विदेशी मुद्रा भंडार

हाल ही में ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अमेरिकी मुद्रा डॉलर, यूरो और येन जैसी अन्य आरक्षित मुद्राओं के मुकाबले दो दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. इसने इन मुद्राओं की होल्डिंग की डॉलर वैल्यू को कम कर दिया. इसकी वजह से दुनिया भर में विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign-Currency Reserves) में काफी तेजी से गिरावट आ रही है. भारत से लेकर चेक ​गणराज्य तक, कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपनी-अपनी मुद्रा को समर्थन देने के लिए हस्तक्षेप किया है. भारत की बात करें तो भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 7 अक्टूबर 2022 तक 532.87 अरब डॉलर था, जो एक साल पहले के 642.45 अरब डॉलर से कहीं कम है.

रुपये में कमजोरी के कुछ फायदे भी

रुपये में कमजोरी को आम तौर पर एक्सपोर्ट/निर्यात करने वालों के लिए अच्छी खबर माना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि रुपये में गिरावट होने पर विदेशी बाजार में भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की कीमत कम हो जाती है, जिससे उनकी मांग बढ़ने की उम्मीद रहती है. साथ ही डॉलर में मिलने वाले पेमेंट को रुपये में एक्सचेंज करने पर मिलने वाली रकम बढ़ जाती है. हालांकि ध्यान रहे कि अगर निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में आयातित कच्चे माल का इस्तेमाल हुआ है या जिन देशों को निर्यात किया जा रहा है, उन देशों की मुद्रा भारतीय रुपये के मुकाबले कमजोर हुई है तो रुपये में गिरावट का फायदा निर्यात में भी नहीं होता है. लेकिन ऐसे उत्पाद जिनमें आयातित कच्चे माल का इस्तेमाल न हुआ हो या और हम ऐसे किसी देश को आयात कर रहे हों जहां की मुद्रा में कमजोरी भारतीय मुद्रा की तुलना में कम हो, तो रुपये में कमजोरी का फायदा एक्सपोर्ट के मामले में होता है.

इसके अलावा एक फायदा यह भी है कि कमजोर रुपया घरेलू उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है. इसकी वजह है कि रुपये में कमजोरी से महंगे हुए आयात को कम करने के लिए आयात घटाया जाता है, जिससे घरेलू स्तर पर बनी वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ जाती है.

देश में कहां पहुंच चुकी है महंगाई

खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर 2022 में 5 महीने के उच्चस्तर 7.4 प्रतिशत पर पहुंच गई. खुदरा मुद्रास्फीति लगातार 9वें महीने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दो से छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा महंगाई सितंबर में 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई. यह अगस्त में 7 प्रतिशत और सितंबर, 2021 में 4.35 प्रतिशत थी. खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति इस साल सितंबर में बढ़कर 8.60 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 7.62 प्रतिशत थी.

हालांकि मैन्युफैक्चरिंग प्रॉडक्ट्स की कीमतों में नरमी, खाद्य वस्तुओं और ईंधन के दाम में कमी आने से थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति (WPI or Wholesale Inflation) सितंबर में लगातार चौथे महीने घटकर 10.7 प्रतिशत पर आ गई. थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने, अगस्त में 12.41 प्रतिशत थी. यह पिछले साल सितंबर में 11.80 प्रतिशत थी. WPI इस वर्ष मई में 15.88% के रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी. WPI मुद्रास्फीति में लगातार चौथे महीने गिरावट का रुख देखने को मिला है. सितंबर 2022 में लगातार 18वें महीने, यह दहाई अंकों में रही.

सीतारमण ने बातचीत में यह भी कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद अच्छी है, व्यापक आर्थिक बुनियाद भी अच्छी है. विदेशी मुद्रा भंडार अच्छा है. मैं बार-बार कह रही हूं कि मुद्रास्फीति भी इस स्तर पर है जहां उससे निपटना संभव है." उन्होंने कहा कि वह चाहती हैं कि मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से नीचे आ जाए, इसके लिए सरकार भी प्रयास कर रही है. बाकी की दुनिया की तुलना में अपनी स्थिति को लेकर हमें सजग रहना होगा. वित्त मंत्री वित्तीय घाटे को लेकर पूरी तरह से सतर्क हैं.

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क्या विदेश में रहने वाले रिश्तेदार से गिफ्ट पर इनकम टैक्स चुकाना पड़ेगा?

अगर आपको गिफ्ट मिला है तो आपको यह जानना चाहिए कि इस पर आयकर के क्या नियम हैं.

क्या विदेश में रहने वाले रिश्तेदार से गिफ्ट पर इनकम टैक्स चुकाना पड़ेगा?

एक सवाल-जवाब के जरिये इसे समझने की कोशिश करते हैं:

एक सवाल है-मेरी बहन का बेटा (भांजा) पिछले सात साल से अमेरिका में रह रहा है. वह वहां जॉब कर रहा है. कुछ समय पहले मैंने बहन की मदद की थी. अब मेरा भांजा मुझे गिफ्ट के रूप में 50,000 डॉलर भेजना चाहता है. मैं इस रकम से परिवार के लिए एक फ्लैट खरीदना चाहता हूं. क्या मुझे इस रकम पर टैक्स चुकाना होगा? क्या इसके बारे में रिजर्व बैंक को जानकारी देनी होगी?

सीनियर चार्टर्ड अकाउंटेंट दिलीप लखानी ने इस सवाल का जवाब दिया है. उनका कहना है कि आपका भांजा आपको बैंक अकाउंट के जरिये यह रकम आसानी से भेज सकता है. इस तरह का बैंक ट्रांजेक्शन फेमा (विदेशी मुद्रा कानून) के तहत मान्य है. आप इस रकम को गिफ्ट की तरह दिखा सकते हैं और यह आपके रकम प्राप्त करने के सर्टिफिकेट में भी लिखा होगा.

यह सर्टिफिकेट आपको बैंक से मिल जाता है. इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 56(2) के तहत आपको गिफ्ट में मिली इस रकम पर टैक्स चुकाना पड़ेगा.

आम तौर पर किसी रिश्तेदार द्वारा दिया गया गिफ्ट टैक्स फ्री होता है. रिश्तेदार की परिभाषा में हालांकि नजदीकी संबंधी ही शामिल हैं. आपका भांजा आपके रिश्तेदार की क़ानूनी परिभाषा में शामिल नहीं है.

आपको इसके लिए अपने भांजे की वित्तीय स्थिति के बारे में भी घोषणा करनी होगी. इसके लिए आप उससे बैंक स्टेटमेंट मांग सकते हैं. अगर आयकर विभाग का एसेसमेंट अधिकारी आपकी बात से संतुष्ट नहीं होता तो वह इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 68 के तहत इस रकम पर 60 फीसदी तक टैक्स लगा सकता है.

रुपया लगातार गिर रहा है, लेकिन यह वरदान भी साबित हो सकता है

क्या कोई रुपए में गिरावट के सिर्फ दो बुरे नतीजे बता सकता है?

अगर एक अमेरिकी डॉलर (American dollar) 80 रुपए का हो जाता है तो इतनी हाय तौबा क्यों? अगर मेरी दादी आज जिंदा होतीं तो यह भोला सा सवाल जरूर करतीं. वैसे अर्थव्यवस्था का जो हाल है, उसे देखते हुए चारों तरफ से हाय-तौबा मची है. नेताओं से लेकर शेयर मार्केट के सट्टेबाज, और सोशल मीडिया से लेकर क्रिप्टो करंसी के दीवाने नौजवान- हर तरफ से रुपए में गिरावट पर त्राहिमाम-त्राहिमाम की चीख पुकार सुनाई दे रही है.

'लक्ष्मण रेखा' करोगे पार तो नहीं बचेगी सरकार

वैसे मैं किसी को डराना नहीं चाहता, लेकिन अगर रुपए में गिरावट ही आपके लिए कयामत की दस्तक है तो आपने दूसरे खौफनाक मंजर नहीं देखे. विदेशी निवेशकों ने इस कैलेंडर वर्ष में 30 बिलियन डॉलर वापस खींच लिए हैं. भारत को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 70 बिलियन डॉलर का व्यापार घाटा हुआ है. हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 50 बिलियन डॉलर गिरकर 600 बिलियन डॉलर हो गया है. करीब 270 बिलियन डॉलर के विदेशी कर्ज का बोझ हमारे कंधों पर है जिसे नौ महीने के भीतर चुकाना है. ऐसे में सोचिए कि डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत 80 के इस पार होगी या उस पार?

चीन और जापान ने अपनी करंसी को जानबूझकर कमजोर रखा

लेकिन मुझे यह '80 का फोबिया' बेहद हास्यास्पद लगता है. मैं सोचता हूं कि इस बात को कितने लोग समझते होंगे कि जापान और चीन ने कैसे जानबूझकर अपनी मुद्राओं की कीमत कम रखी- सिर्फ इसलिए ताकि निर्यात बाजार में उनके उत्पाद धूम मचा सकें.

अब क्या मैं विदेशी मुद्रा में पैसे कमा सकता हूं यह तो सभी लोग जानते होंगे कि इन दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं ने पिछले 50 सालों में चामत्कारिक रूप से आसमान छुआ है. बेशक, उनकी आर्थिक कायापलट की दूसरी वजहें भी हैं लेकिन कृत्रिम तरीके से रॅन्मिन्बी और येन के मूल्यह्रास से भी उन्हें बहुत फायदा हुआ. यह भी सच है कि दोनों देशों को ‘करंसी मैन्यूपुलेटर्स’ कहकर बदनाम किया गया, चूंकि पश्चिमी ब्लॉक चोटिल हुआ और उन्हें इन दोनों देशों की मजबूत अर्थव्यवस्थाओं से संघर्ष करना पड़ रहा है.

तो, चीन और जापान ने जानबूझकर अपनी करंसियों को कमजोर क्यों किया? क्योंकि शुरुआती दौर में सस्ती करंसी ने उनके अपने टेक, अप्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं की ‘हिफाजत’ की. इस बीच उन्हें अपने औद्योगिक आधार को आधुनिक और उत्पादक बनाने के लिए पर्याप्त समय मिल गया.

लेकिन यहां हम अपने आधे-अधूरे ज्ञान का इस्तेमाल रुपये में गिरावट पर अफसोस जताने के लिए कर रहे हैं. इस दौरान हम यह भूल रहे हैं कि चीन ने किस तरह हमें शिकस्त दी है. सोचिए, सिर्फ तीन दशक पहले, हमारी जीडीपी चीन के बराबर थी. उफ्फ हमारी प्रति व्यक्ति आय भी उससे ज्यादा थी. लेकिन आज चीन की अर्थव्यवस्था 20 ट्रिलियन डॉलर की है और हम हर मंच पर अपने 3 ट्रिलियन डॉलर के आसपास की अर्थव्यवस्था का ढिंढोरा पीटने की वजह ढूंढ रहे हैं.

सच कहूं तो अगर अर्थव्यवस्था का विकास ही हमारे लिए राष्ट्रीय गौरव है तो हमें प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने पर जोर देना चाहिए, न कि रुपए को 'मजबूत' रखने पर.

रुपए में गिरावट का नुकसान गिनाइए

क्या कोई मुझे दो, सिर्फ दो वजहें बता सकता है कि रुपए में गिरावट का बुरा नतीजा क्या होगा? मैं देख सकता हूं कि लोगों ने झट से अपने हाथ उठा लिए क्योंकि एक प्रतिकूल प्रभाव तो सार्वभौमिक और निर्विवाद है. रुपये में गिरावट से आयातित वस्तुएं कुछ समय के लिए महंगी हो जाएंगी. तेल की कीमतें, उर्वरक, पूंजीगत वस्तुओं का निवेश सब महंगा हो जाएगा- आयात के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी. तो, कोई शक नहीं कि कमजोर रुपये का एक भयानक नतीजा आयातित मुद्रास्फीति है.

चलिए अब यह बताइए कि दूसरा बुरा नतीजा क्या है? खामोशी. बहुत से लोग चुप हो जाएंगे. दूसरा नतीजा. हम्म मेरे ख्याल से, रुपए में गिरावट देश के स्वाभिमान को मिट्टी में मिला देगा.

अरे छोड़िए भी. यह कोई आर्थिक दलील नहीं, सिर्फ एक मूर्खतापूर्ण, राजनीतिक और भावुक टिप्पणी है. क्योंकि कड़वी सच्चाई यह है कि आयात महंगा होने के अलावा, रुपए में गिरावट का ऐसा कोई- मैं दोहराता हूं- ऐसा कोई बहुत बड़ा नुकसान नहीं होने वाला. हां, इसमें बहुत सी अच्छी बातें छिपी हुई हैं, जैसे उच्च निर्यात आय, एसेट्स की कीमत में सुधार, अधिक घरेलू निवेश वगैरह वगैरह.

इसके अलावा, अगर बाजार अच्छा है, और सरकारें घबराती नहीं हैं या क्या मैं विदेशी मुद्रा में पैसे कमा सकता हूं जूझने को तैयार रहती हैं ,तो एक ऐसी व्यवस्था कायम होने लगती है जो अपने आप को सुधारती चले. अपनी गलतियों से सीखती रहे. कैसे? ठीक है, मैं समझाता हूं, शुरुआत आपके बाजीगर, यानी गिरते रुपए से.

इसका फायदा है- इसे समझने के लिए कुछ क्या मैं विदेशी मुद्रा में पैसे कमा सकता हूं उदाहरण

विडंबना यह है कि एक डॉलर को खरीदने के लिए जैसे-जैसे ज्यादा से ज्यादा रुपये की जरूरत होती है, तो धीरे-धीरे यह पहिया उलटने लगता है. भारतीय एसेट्स और निवेश, जिन्हें पहले 'महंगा' होने के लिए छोड़ दिया गया था, अब आकर्षक लगने लगते हैं. यह साबित करने के लिए हम एक आसान सा उदाहरण दे रहे हैं-

कल्पना कीजिए कि छह महीने पहले, एक विदेशी निवेशक ने शेयर A को 75 रुपये में बेच दिया और एक डॉलर वापस घर ले गया. इसके दो पहलू हैं. एक, A के शेयर की कीमत गिर गई. और दो, रुपया भी गिर गया.

अब दूसरे विदेशी निवेशक, रुपये और शेयर की कीमत में गिरावट (यानी, उनके पोर्टफोलियो की कीमत पर दोहरी मार), दोनों के डर से बिक्री शुरू करते हैं.

कल्पना कीजिए कि इस बिक्री की होड़ में शेयर A की कीमत 75 रुपये से घटकर 60 रुपये हो जाती है, जबकि अब एक डॉलर खरीदने के लिए 80 रुपये की जरूरत है, जो पहले 75 रुपये में उपलब्ध था.

सोचें कि हमारे पहले विदेशी निवेशक के दिमाग में क्या चल रहा है, जिसने शेयर A को 75 रुपये में बेच दिया था और एक डॉलर ले गया था. वह लार टपकाने लगा है. क्योंकि अब, वह शेयर A को लगभग 75 सेंट्स में खरीद सकता है और उसे प्रत्येक डॉलर के लिए 25 सेंट का शुद्ध मुनाफा होगा. यानी अपने लेनदेन में उसे 25% की भारी कमाई हो सकती है.

जैसा कि हमारे आसान उदाहरण से साबित होता है, बिक्री और बाजार से निकासी का चक्र उलट जाएगा. किसी अर्थव्यवस्था में, जैसे-जैसे एसेट्स की कीमतें गिरती हैं, और रुपया भी गिरता है, विदेशी विक्रेता खरीदार बन जाते हैं. अब एसेट्स की कीमतें मजबूत होने लगती हैं, रुपया गिरना बंद हो जाता है, घरेलू निवेश बढ़ जाता है, आयात की जगह घरेलू माल बाजार में उपलब्ध होता है (जिसे आयात प्रतिस्थापन कहते हैं), जीडीपी तेजी से बढ़ती है, सरकार का राजस्व बढ़ता है.

महंगाई जोखिम है पर उससे निपटने में समझदारी दिखानी होगी

लेकिन मुद्रास्फीति एक बड़ा जोखिम बनी हुई है. इसलिए, नीति निर्माता मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि करते हैं. यह खपत और निवेश की मांग को कम करता है. कीमतें बढ़ना बंद हो जाती हैं.

लेकिन विडंबना यह है कि उच्च ब्याज दरों से विदेशी मुद्रा आकर्षित नहीं होती. जैसा कि हमने ऊपर देखा, विदेशी मुद्रा का प्रवाह ज्यादा होता है तो एसेट्स की कीमतें और क्या मैं विदेशी मुद्रा में पैसे कमा सकता हूं निवेश बढ़ते हैं. आमदनी तेजी से बढ़ने लगती है. आय बढ़ती है तो मांग भी बढ़ती है.

आर्थिक आत्मविश्वास बढ़ता है तो ब्याज दर का चक्र भी उलटने लगता है, जिससे टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं, निर्माण, आवास, पूंजीगत वस्तुओं और अन्य चीजों की मांग बढ़ जाती है. अर्थव्यवस्था में वृद्धि होने लगती है.

स्टॉक की कीमतें, जो रुपए में गिरावट की वजह से गिरने लगी थीं, अब ब्याज की दर कम होने की वजह से बढ़ने लगती हैं. इससे अर्थव्यवस्था में पूंजी निर्माण को और बढ़ावा मिलता है. आय प्रभाव लौटता है, यानी उपभोक्ता की आय में परिवर्तन होने के कारण उत्पाद या सेवा की मांग बदलती है. आखिर में, अगर निवेश और आयात प्रतिस्थापन चतुराई से होता है, तो अर्थव्यवस्था अधिक असरकारक और प्रतिस्पर्धी बन जाती है.

तो, जाहिर है रुपए की कीमत, मुद्रास्फीति की दर, एसेट्स के मूल्य और खपत/निवेश की मांग, सभी सिलसिलेवार होते हैं. A में बदलाव होता है तो B भी बदलता है, और इससे A फिर से बदल जाता है. बाजार खुद को सुधारता चलता है (बेशक, काफी दर्द और तनाव के जरिए).

विदेशी मुद्रा भंडार 14.72 अरब डॉलर बढ़कर 544.72 अरब डॉलर हुआ

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नवभारत टाइम्स 5 दिन पहले

मुंबई, 19 नवंबर (भाषा) देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के रुख को पलटते हुए 11 नवंबर को समाप्त सप्ताह में यह 14.72 अरब डॉलर बढ़कर 544.72 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह अगस्त 2021 के बाद सबसे तेज वृद्धि है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शनिवार को यह जानकारी दी।

हालांकि, मार्च के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में 110 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट आई है। वैश्विक अस्थिरता के बीच आरबीआई द्वारा रुपये को सहारा देने के चलते यह कमी हुई।

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 11 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 14.72 अरब डॉलर बढ़कर 544.72 अरब डॉलर हो गया। चार नवंबर को यह 529.99 क्या मैं विदेशी मुद्रा में पैसे कमा सकता हूं अरब डॉलर के स्तर पर था।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 11.8 अरब डॉलर बढ़कर 482.53 अरब डॉलर हो गईं।

स्वर्ण भंडार का मूल्य 2.64 अरब डॉलर बढ़कर 39.70 अरब डॉलर रहा।

इससे पहले 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 117.93 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रहा था।

आरबीआई ने सितंबर में शुद्ध आधार पर 10.36 अरब डॉलर मूल्य की विदेशी मुद्रा की बिक्री की है। सितंबर में डॉलर के मुकाबले रुपया 79.5 के भाव से गिरकर 81.5 पर आ गया। अक्टूबर में यह 83.29 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गया था।

इसके बाद 21 अक्टूबर से 11 नवंबर के बीच रुपया 2.3 प्रतिशत चढ़ा और शुक्रवार को 10 पैसे गिरकर 81.74 पर बंद हुआ।

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