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तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं

तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं
Technical Analysis Vs Fundamental Analysis

वित्त वर्ष 2012 में बिजली वितरण कंपनियों का कुल तकनीकी और वाणिज्यिक घाटा घटकर 17% रह गया Hindi-khabar

“FY2022 के लिए प्रारंभिक विश्लेषण से पता चलता है कि 56 DISCOMs 96% से अधिक इनपुट पावर का योगदान करते हैं, यह दर्शाता है कि DISCOMs का AT&C नुकसान FY2021 में ~22% से घटकर FY2022 में ~17% हो गया है,” बयान पढ़ा।

पिछले दो साल में देश की डिस्कॉम का एटीएंडसी घाटा करीब 21-22 फीसदी रहा है। बयान में कहा गया है कि मंत्रालय ने उपयोगिताओं के प्रदर्शन में सुधार के लिए कई उपाय किए हैं।

मंत्रालय ने कहा तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं कि एटीएंडसी हानि में कमी से उपयोगिताओं के वित्त में सुधार होता है, जो उन्हें अपने सिस्टम को बेहतर बनाए रखने और आवश्यकतानुसार बिजली खरीदने में सक्षम बनाता है; उपभोक्ता लाभ।

एटीएंडसी घाटे में कमी के परिणामस्वरूप आपूर्ति की औसत लागत (एसीएस) और औसत वसूली योग्य राजस्व (एआरआर) के बीच अंतर कम हुआ है।

“एसीएस-एआरआर अंतर (सब्सिडी प्राप्तियों के आधार पर, नियामक राजस्व और उदय अनुदान को छोड़कर) में कमी आई है ₹ FY2021 में 0.69/kWh से FY2022 में 0.22/kWh, ”मंत्रालय ने कहा।

एक वर्ष में एटीएंडसी हानि में 5% की कमी और एसीएस-एआरआर अंतर में 47 पैसे की कमी मंत्रालय द्वारा की गई कई पहलों का परिणाम है।

4 सितंबर, 2021 को बिजली मंत्रालय ने पीएफसी और आरईसी, बिजली क्षेत्र के ऋण देने वाले संस्थानों के विवेकपूर्ण मानदंडों में संशोधन किया। घाटे में चल रही डिस्कॉम तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं दो उधारदाताओं से तब तक वित्तपोषण प्राप्त करने में सक्षम नहीं होंगी जब तक कि वे एक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर घाटे को कम करने के लिए कार्य योजना तैयार नहीं करते हैं और राज्य सरकार से अपनी प्रतिबद्धता प्राप्त नहीं करते हैं।

मंत्रालय ने यह भी निर्णय लिया है कि डिस्कॉम द्वारा वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए किसी भी योजना के तहत भविष्य में कोई भी सहायता केवल घाटे में चल रही डिस्कॉम को उपलब्ध होगी यदि कंपनी अपने एटीएंडसी लॉस/एसीएस-एआरआर गैप को एक निर्दिष्ट स्तर के भीतर एक निर्दिष्ट स्तर तक नीचे लाने का उपक्रम करती है। समय सीमा। और अपनी राज्य सरकार की प्रतिबद्धता प्राप्त करता है।

“पुनर्निर्मित वितरण क्षेत्र योजना (RDSS) निर्धारित करती है कि योजना के तहत धन तभी उपलब्ध होगा जब डिस्कॉम एक सहमत हानि कटौती प्रक्षेपवक्र के लिए प्रतिबद्ध हो,” यह कहा।

इसके अलावा, मंत्रालय ने नुकसान कम करने के उपाय करने के लिए RDSS के तहत आवश्यक भुगतान प्रदान करने के लिए वितरण कंपनियों के साथ काम किया है।

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Fundamental Analysis Vs Technical Analysis । तकनीक विश्लेषण Vs मौलिक विश्लेषण

Fundamental Analysis Vs Technical Analysisतकनीक विश्लेषण Vs मौलिक विश्लेषण

मित्रों, आज का हमारे Article का topic है, Fundamental Analysis Vs Technical Analysisतकनीक विश्लेषण Vs मौलिक विश्लेषण

शेयर मार्केट में Shares price के भविष्य को देखने के लिए दो तरह की Analysis करते है । एक है Technical Analysis और दूसरा है Fundamental Analysis

दोनों Analysis, यानि Technical Analysis Vs Fundamental Analysis-तकनीक विश्लेषण Vs मौलिक विश्लेषण को थोडा विस्तार से समजते है ।

Technical Analysis । तकनीक विश्लेषण क्या है ?

यह एक बाजार का Past Historical data का अध्ययन है । जिसमें Price और Volume के data का इस्तेमाल हौता है। उस data को chart के रूप में उपयोग किया जाता है ।

Technical Analysis का मुख्य लक्ष्य, Future के price की भविष्यवाणी करना है, और इसके लिए पिछले बीते सालो का data का उपयोग किया जाता है। शेयर मार्केट में Technical Analysis का उपयोग, शेयर मार्केट का Sentiment को पहेचान के लिए होता है ।

Technical Analysis । तकनीक विश्लेषण मुख्य तह…

> Shares के वास्तविक Trend का पता लगाने के लिए ।

> Price Target का Projection करने के लिए ।

> किसी भी Share में Risks का मूल्यांकन करने के लिए, Stop-Loss के साथ ।

> Trends के वास्तविक direction का पता लगाने के लिए ।

Fundamental Analysis । मौलिक विश्लेषण क्या है ?

किसी भी Business के financial statements के Analysis की यह एक विधि है. आमतौर पर business’s assets – व्यवसाय की संपत्ति, liabilities – देनदारियों और earning – कमाई का Analysis करने के लिए, Fundamental Analysis उपयोग होता है । Fundamental Analysis उपयोगका shares के Inner Strength – आंतरिक मजबूती का पता लगाने के लिए होता है ।

Fundamental Analysisमौलिक विश्लेषण मुख्य तह…

> Share Price का Valuation का अंदाज करने के लिए ।

> Company के business के future performance का Projection करने के लिए ।

> Company Management का मूल्यांकन और इसके Credit risk की गणना करने के लिए ।

> Shares के Intrinsic value या आंतरिक मूल्य का पता लगाने के लिए ।

Fundamental Analysis Vs Technical Analysis Table

मित्रों ,

हम इस Article में, इस बात की चर्चा नहीं करेंगे, कि इन दोनों Analysis में से तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं कौनसा Analysis अच्छा है या कौन सा अच्छा नहीं है । इस Article में, हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि, कोनसा Analysis कब अच्छा है?। यानि की Technical Analysis को कब करना अच्छा है, और Fundamental Analysis को कब करना अच्छा है?।

अगर,आप यह दोनों Analysis कर सकते हो तो, आप कोई भी शेयर का चयन , कोनसा, कब और कितना खरीदना , वह सब आसानी से Analysis कर पाओगे ।

Technical Analysis Vs Fundamental Analysis, दोनों ही different type के analysis हैं और different type के लोगों के काम आते हैं ।

अब थोडा विस्तार से यह difference जानने की कोशिश करते है ।

निचे एक Table है , जिसमे आप आसानी समाज जाओगे की क्या Main differences है ,Technical Analysis Vs Fundamental Analysis में ।

Technical Analysis Vs Fundamental Analysis , तकनीक विश्लेषण Vs मौलिक विश्लेषण

Technical Analysis Vs Fundamental Analysis

Basic Principle बुनियादी सिद्धांत

Fundamental Analysis का उपयोग, कोनसा shares खरीदना है ? वह जानने के लिए करते हैं ।

जब की Technical Analysis का उपयोग, कब share करीदना है ? वह जानने के लिए करते हैं ।

Main Purpose मुख्य उद्देश्य

Fundamental Analysis का उपयोग shares में Long term Investments के लिए करते है ।

जब की Technical Analysis का उपयोग shares में Swing और Short Term Trading के लिए करते है ।

Main Study मुख्य अध्ययन

Fundamental Analysis में मुख्य अध्ययन Company Balance Sheet, Assets, Liability, Cash Flow, PE ratio Debt/equity ratio, etc. Company Management, Industry Survey, and Economy data का अध्ययन करते है ।

जब की Technical Analysis में मुख्य अध्ययन Market movements, Chart, Price Data, Indicators, Oscillators, Price Pattern, Trends का अध्ययन करते है ।

To evaluate मूल्यांकन

Fundamental Analysis में Shares के Intrinsic value का मूल्य को जानने के लिए करते है ।

जब की Technical Analysis में Shares के Sentiments को जानने के लिए करते है ।

Time Frame Data समय सीमा

Fundamental Analysis में Share’s Quarterly, Six month, Yearly Results के Data का use करते है ।

जब की Technical Analysis में Share’s के 1 Minute से Monthly-Time Frame Price data का use करते है ।

यह थे मुख्य difference, Technical Analysis और Fundamental Analysis का जिसको विस्तार से हमने बताया ।

अब काफी लोग यह सोचते होंगे कि, हमें कौन सा Analysis करना चाहिए? ।

Technical Analysis या Fundamental Analysis? तो इसका सीधा सा Answer है कि अगर आप एक Trader हैं तो, आप को Technical Analysis का उपयोग कीजिए । और अगर आप एक Investors हैं तो, आप Fundamental Analysis का उपयोग कीजिए ।

दोस्तों, यह थी Technical Analysis Vs Fundamental Analysis के विषय में संपूर्ण जानकारी ।

आपने आज क्या सिखा? ।

उम्मीद है की आपको मेरा यह आर्टिकल, Fundamental Analysis Vs Technical Analysis तकनीक विश्लेषण Vs मौलिक विश्लेषण जरुर पसंद आई होगा । इसे पढ़ने के बाद, आप आसानी से समज पाए होंगे की, यह दोनों Analysis के बिच का difference क्या है?। Technical Analysis का उपयोग Trader लोग करते है, और Fundamental Analysis का उपयोग Investors लोग करते है ।

हमारी हमेशा से यही कोशिश रहेगी की, readers को Share Market और Financial Ideas के विषय में पूरी जानकारी प्रदान कर सकू ।

यदि आपको इस article को लेकर कोई भी और जानकारी चाहिए हैं, या कोई तरह का doubt हो तो, आप नीचे हमे comments लिख सकते हैं ।

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स्थैतिक अर्थशास्त्र । स्थैतिक अर्थशास्त्र का महत्व । स्थैतिक विश्लेषण की सीमाएं एवं दोष

अर्थशास्त्र में स्थैतिक यह ऐसी दशा है कि जिसमें प्रतिदिन तथा प्रतिवर्ष कार्य समान गति से सरलता पूर्वक चलता है। प्रोफ़ेसर पीगू का यह कथन इस संदर्भ में विशेष महत्वपूर्ण है, “जिन बूदों से मिलकर झरना बनता है, वे सदा बदलती रहती हैं किंतु झरना अपरिवर्तित ही रहता है।’’

वास्तव में, स्थैतिक दशा के संबंध में अर्थशास्त्रियों में काफी मतभेद है।

  • प्रोफ़ेसर मार्शल के शब्दों में “एक स्थैतिक अवस्था के सभी महत्वपूर्ण स्थान पर दृष्टिगोचर होते हैं जहां (अ) जनसंख्या और धन दोनों में वृद्धि हो रही हो और दोनों में वृद्धि की दर लगभग समान होती है, (ब) भूमि की कोई कमी नहीं होती,(स)उत्पत्ति की विधियों और दशाओं में बहुत कम परिवर्तन होता है और (द) जहां मनुष्य का चरित्र स्वयं स्थित रहता है।”
  • प्रोफ़ेसर हिक्स के अनुसार, “आर्थिक सिद्धांत के उन भागों को आर्थिक स्थैतिक कहा जाता है, जिनमें हम तिथि (Dating) का ध्यान नहीं रखते और प्रावैगिकअर्थशास्त्र उन भागों को कहते हैं जिनमें प्रत्येक इकाई या मात्रा का संबंध किसी तिथि से होता है।”
  • प्रोफ़ेसर मैकफाई ने स्थैतिक अर्थशास्त्र की परिभाषा इस प्रकार की है, “किसी अर्थव्यवस्था को स्थिर दशा में कहा जाता है जबकि वे साधन जो कि उत्पादन, उपभोग, विनिमय और वितरण पर नियंत्रण करते हैं, स्थिर हो अथवा स्थिर मान लिए गए हो। जनसंख्या की प्रवृत्ति न घटने की ओर होती है तथा इसकी आए के ढांचे में परिवर्तन नहीं होता है। उत्पादन प्रणाली तथा कुल उत्पादन पूर्ववत रहते हैं या कम से कम जनसंख्या में वृद्धि होती है तो यह मान लिया जाता है कि कुल उत्पादन भी उसी दर से बढ़ रहा है।”

मैकफाई स्थैतिक अर्थशास्त्र को ‘स्थिर अर्थव्यवस्था’ (Stationary Economy ) का ध्यान मानते हैं। प्रोफ़ेसर टिनबर्जन, स्टिगलर तथा प्रोफ़ेसर क्लार्क ने भी मैकफाई की तरह स्थैतिक अर्थशास्त्र को स्थिर अर्थशास्त्र का अध्ययन माना है। स्टिगलर नहीं ऐसी अर्थव्यवस्था को स्थैतिक कहां है जिसमें तीन आधारभूत तथ्यों-(अ) रुचि, (ब) साधनों और (स) प्रविधि में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

इस प्रकार उपर्युक्त व्याख्या से स्पष्ट है कि ‘स्थैतिक’शब्द के अर्थ के संदर्भ में अर्थशास्त्री एकमत नहीं हैं। प्रत्येक अर्थशास्त्री ने अपने अपने विचारों को अलग-अलग ढंग से प्रस्तुत किया है। स्थैतिक अर्थशास्त्र के कुछ उदाहरण हैं-

  1. यही कैसा जंगल है, जिसमें वृक्ष को गति और नष्ट होते रहते हैं परंतु वन के शुद्ध क्षेत्रफल में कोई विस्तार व संघ को नहीं होने पाता। मार्शल
  2. यह कैसी वाटर टैंक,जिसमें निरंतर पानी आ रहा है और साथ-साथ पानी बाहर निकल भी रहा है परंतु पानी घुसने व निकलने की गति इतनी नियमित तथा समान है कि टैंक का जलस्तर पूर्ववत बना रहता है। -पीग
  3. एक ऐसा ‘साम्य’जो कुछ समय के बाद भी भंग नहीं होता, स्थैतिकता का प्रतीक है। -जे.के.मेहता

स्थैतिक अर्थशास्त्र का महत्व

परिवर्तन अर्थव्यवस्था के अध्ययन में सहायक

अर्थव्यवस्था की कार्यविधि अत्यंत कठिन है तथा आर्थिक तत्वों में निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं। अतः इस परिवर्तनशील अर्थव्यवस्था का वैज्ञानिक अध्ययन अत्यंत कठिन है और इसके लिए हमें स्थैतिक प्रीति की सहायता लेनी पड़ती है। जैसा की प्रोफ़ेसर मेहता ने बताया कि गतिशील अर्थव्यवस्थाओं का अध्ययन, प्रावैगिक अवस्थाओं को छोटी-छोटी स्थैतिक अवस्थाओं में तोड़ देने से सुविधाजनक हो जाता है। इस प्रकार स्थैतिक को प्रावैगिक की की अवस्था में मान सकते हैं। मेहता के शब्दों में, “प्रावैगिक अर्थशास्त्र स्थैतिक अर्थशास्त्र की लगातार टीका (Running Commentary) है, अतः स्थैतिक अर्थशास्त्र के नियम प्रावैगिक अर्थशास्त्र में लागू किए जाने चाहिए।”

उच्च गणित के ज्ञान की आवश्यकता नहीं

प्रावैगिक विश्लेषण के लिए उच्च गणित का ज्ञान आवश्यक होता है परंतु इस स्थैतिक विश्लेषण के लिए गणित के ज्ञान की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

जटिल समस्याओं के समाधान में महत्व

आर्थिक स्थैतिक मेंहमें यह अध्ययन करते हैं कि एक व्यक्ति अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करने के लिए अपनी सीमित आय को विभिन्न वस्तुओं में किस प्रकार बैठता है, एक उत्पादक दिए हुए उत्पादन साधनों को अनुकूलतम ढंग से मिलाकर कैसे अधिकतम लाभ प्राप्त करता है, वास्तुओंऔर सेवाओं की कीमतें कैसे निर्धारित होती है और राष्ट्रीय आय का विवरण पति के विभिन्न साधनों में किस प्रकार होता है। इस जटिल समस्याओं को हल करने में स्थैतिक विश्लेषण का बहुत अधिक महत्व है।

प्रत्याशाएं-

प्रत्याशाएं प्रायः प्रावैगिक अर्थशास्त्र के क्षेत्र में आती है परंतु प्रत्याशाओं मैं एक बार समाप्त परिवर्तन के प्रयोग को स्थैतिक विश्लेषण के द्वारा अध्ययन किया जाता है। प्रोफ़ेसर हैरोड किस्मत से सहमति प्रकट करते हुए हिक्स ने अपनी पुस्तक ‘व्यापार- चक्र’ में कीन्स के सामान्य सिद्धांत को पूर्ण रूप से स्थैतिक माना है क्योंकि इसमें प्रत्याशाए विद्यमान हैं।

कीन्स का सिद्धांत

धनात्मक बचत के सिद्धांत को छोड़कर कीन्स विश्लेषण के सभी घटक स्थैतिक प्रकृति के हैं। अनैच्छिक बेरोजगारी, तरलता पसंदगी, पूंजी की सीमांत उत्पादकता और सीमांत उपभोग प्रवृत्ति इन सभी घटकों (चरों) की व्याख्या करते हुए कीन्स ने एक बार समाप्त परिवर्तन दिखाया है, जो स्थैतिक विश्लेषण का प्रयोग है।

स्थैतिक विश्लेषण की सीमाएं एवं दोष

काल्पनिक

स्थैतिकअर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था का अध्ययन करता है परंतु वास्तविक संसार गतिशील एवं परिवर्तनशील है। इस प्रकार गतिशील संसार को स्थिर मानकर अध्ययन करना उचित नहीं है।

अवास्तविक मान्यताएं-

स्थैतिक विश्लेषण अवास्तविक मान्यताओं, जैसे-पूर्ण गतिशीलता, जनसंख्या का निश्चित आकार, अनिश्चितता की उपस्थिति इत्यादि पर आधारित है। व्यवहार जीवन में यह मान्यताएं नहीं प्राप्त की जाती है। संसार की परिवर्तनशील दशाओं के विश्लेषण के लिए स्थैतिक जी टी का प्रयोग बहुत ही सीमित है।

निष्कर्ष के रूप में यह, कहा जा सकता है कि स्थैतिक अर्थशास्त्र का महत्व होते हुए भी वास्तविक जीवन की आर्थिक समस्याओं के अध्ययन, विश्लेषण और उनके समाधान में इनका सीमित योग है। स्थैतिक विश्लेषण कैसे मानचित्र की भांति है, जिसमें ऊंचाइयों का कोई संकेत नहीं है। इस प्रकार का चित्र केवल एक ऐसे क्षेत्र के संबंध में उपयोगी सिद्ध हो सकता है,जो समतल प्रदेश हो परंतु यदि हम इस क्षेत्र को वास्तविक दशा-नदी,समुद्र आदि का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं इस प्रकार के चित्र की व्यवहारिक उपयोगिता बहुत ही सीमित होगी।

अर्थशास्त्र महत्वपूर्ण लिंक

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डाउ थ्योरी क्या है? सिद्धांत और सीमाएं

डाउ थ्योरी क्या है?

सभी तकनीकी विश्लेषण सिद्धांत, जैसा कि हम आज जानते हैं, डाउ सिद्धांत से लिया गया है। इसलिए, यदि आप विदेशी मुद्रा में तकनीकी विश्लेषण को समझना चाहते हैं, तो आपको निम्नलिखित 6 मूलभूत सिद्धांतों को जानना होगा।

सिद्धांत 1: बाजार सब कुछ दर्शाता है

डाऊ थ्योरी के अनुसार, अतीत, वर्तमान और भविष्य की जानकारी शेयर बाजार को प्रभावित करती है और शेयर की कीमत और संबंधित सूचकांकों के माध्यम से परिलक्षित होती है। इनमें ब्याज दर, आय, मुद्रास्फीति आदि शामिल हैं। केवल भूकंप, सूनामी और आतंकवाद जैसी वस्तुनिष्ठ स्थितियों को बाहर रखा गया है। हालांकि, जल्द ही वस्तुनिष्ठ कारकों के तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं जोखिमों की कीमत बाजार में आ जाती है।

बाजार सब कुछ दर्शाता है। यह एक ऐसी चीज है जिससे कोई इंकार नहीं कर सकता। ऐसे कई ट्रेडर हैं, जिन्हें बाजार की दिशा निर्धारित करने के लिए सिर्फ कीमतों में उतार-चढ़ाव को देखने की जरूरत है।

नोट: डॉव के अनुसार, सूचना व्यापारियों को बाजार के बारे में सब कुछ जानने में मदद नहीं करती है। इसका उपयोग उन घटनाओं की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है जो पहले हो चुकी हैं, होने वाली हैं और होने की संभावना है। भविष्य में सभी की कीमत बाजार में उतारी जाएगी।

सिद्धांत 2: बाजार के तीन प्रकार के रुझान

डाउ थ्योरी के आधार पर, बाजार में 3 बुनियादी रुझान होते हैं:

बाजार के तीन प्रकार के रुझान

मुख्य प्रवृत्ति (स्तर 1 प्रवृत्ति) आमतौर पर 1 से 3 साल तक रहती है। यह चक्र कब होगा, यह ठीक-ठीक पता लगाना कठिन होगा। क्योंकि अभी बाजार में किसी व्यक्ति या संगठन द्वारा हेरफेर नहीं किया जाता है।

सेकेंडरी ट्रेंड (लेवल 2 ट्रेंड) 1 से 3 महीने तक रहता है। विशेष रूप से, द्वितीयक प्रवृत्ति हमेशा मुख्य प्रवृत्ति के विरुद्ध जाती है।

मामूली प्रवृत्ति (स्तर 3 की प्रवृत्ति) 3 सप्ताह से अधिक नहीं चलेगी। यह आमतौर पर द्वितीयक प्रवृत्ति के विपरीत दिशा में होता है।

– निवेश प्रक्रिया में, व्यापारी अक्सर मुख्य प्रवृत्ति पर ध्यान केंद्रित करते हैं और शायद ही कभी माध्यमिक प्रवृत्तियों और मामूली प्रवृत्तियों पर ध्यान देते हैं क्योंकि उनके पास बहुत अधिक शोर होता है।

– यदि निवेशक द्वितीयक रुझानों और मामूली रुझानों के बारे में बहुत अधिक चिंतित हैं, तो वे बाजार में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से बहुत अधिक विचलित होते हैं। यह बड़ी तस्वीर से अलग हो जाता है और वे लंबे समय में महान अवसरों से चूक सकते हैं।

सिद्धांत 3: मुख्य प्रवृत्ति में 3 चरण होते हैं

डो थ्योरी का कहना है कि मुख्य प्रवृत्ति को 3 बुनियादी चरणों में विभाजित किया जाएगा जिनमें शामिल हैं:

– संचय चरण: इस समय बाजार बहुत धीमी गति से चलता है या बिल्कुल नहीं चलता है। यह एक अपट्रेंड की शुरुआत होगी जिसमें निवेशक बाजार में कूदना चाहते हैं। इस चरण से पहले, यह आमतौर पर एक डाउनट्रेंड का अंत होता है इसलिए जोखिम बहुत कम होगा। हालाँकि, यह पहचानने के लिए सबसे कठिन चरण भी है जब यह ज्ञात नहीं होता है कि डाउनट्रेंड समाप्त हो गया है या अभी भी जारी है।

– उछाल (सार्वजनिक भागीदारी) चरण तब होता है जब निवेशकों ने संचय चरण में एक निश्चित संख्या में शेयरों को इकट्ठा किया है। उन्होंने धैर्यपूर्वक बाजार से सकारात्मक संकेतों की प्रतीक्षा की, फिर तेजी का दौर शुरू हुआ। यह वह समय होता है जब कीमत में सबसे अधिक अस्थिरता होती है जब निवेशक बाजार में एक निश्चित स्थिति रखना शुरू करते हैं और भारी मुनाफा कमाते हैं।

संक्रमण (वितरण) का चरण तब होता है जब बाजार एक निश्चित स्तर तक बढ़ जाता है जहां खरीदार कमजोर होने लगते हैं। यह अपट्रेंड का अंतिम चरण है। इस समय, निवेशक बाजार में नए प्रवेशकों को बेचते हैं। बाजार में अब गिरावट का दौर शुरू होगा।

सिद्धांत 4: प्रवृत्तियों को मात्रा द्वारा निर्धारित किया जाता है

वॉल्यूम अपट्रेंड या डाउनट्रेंड के समानुपाती होगा। यानी, बाजार के रुझान में, कीमत बढ़ने पर वॉल्यूम बढ़ता है और कीमत घटने पर वॉल्यूम घटता है। कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जहाँ वॉल्यूम अभी भी चलन के विपरीत जाता है। यह दर्शाता है कि प्रवृत्ति को जारी रखना कठिन है और भविष्य में इसके उलटने की उच्च संभावना है।

रुझान मात्रा द्वारा निर्धारित किए जाते हैं

सिद्धांत 5: औसत को एक दूसरे की पुष्टि करनी चाहिए

डाऊ थ्योरी के अनुसार, बुल मार्केट से बियर मार्केट में मार्केट रिवर्सल की पुष्टि दो सूचकांकों (पारंपरिक रूप से इंडस्ट्रियल एवरेज और ट्रांसपोर्टेशन) से होनी चाहिए। यानी अगर सामान्य बाजार गिरता है तो सूचकांक (बाजार के अंदर का व्यक्तिगत) घटेगा। इसके विपरीत यदि सामान्य बाजार में वृद्धि होती तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं है तो सूचकांक में भी वृद्धि होगी। इसका मतलब यह है कि एक संकेतक के चार्ट पर होने वाले संकेतों को दूसरे संकेतक के चार्ट पर होने वाले संकेतों से मेल खाना चाहिए या उसके अनुरूप होना चाहिए।

सिद्धांत 6: प्रवृत्ति तब तक बनी रहती है जब तक कि उत्क्रमण के संकेत दिखाई न दें

उत्क्रमण के संकेत दिखाई देने तक एक प्रवृत्ति जारी रहेगी। यही कारण है कि निवेशकों को सही निर्णय लेने के लिए ट्रेंड रिवर्सल को पहचानने के लिए धैर्य रखने और सावधानीपूर्वक निरीक्षण करने की आवश्यकता है।

डॉव सिद्धांत की सीमाएं

डाउ सिद्धांत निवेशकों को बाजार को समझने में मदद करता है। तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं हालाँकि, इसकी निम्नलिखित सीमाएँ भी हैं।

  • डॉव सिद्धांत हमेशा सही नहीं होता है। क्योंकि यह काफी हद तक बाजार की वास्तविक स्थिति और डाउ थ्योरी को लागू करने वाले निवेशकों की विश्लेषणात्मक क्षमता पर भी निर्भर करता है।
  • डॉव थ्योरी बहुत देर हो चुकी है जब बाजार हमेशा सेकंड टू मिनट चल रहा होता है।
  • आम तौर पर, डाउ थ्योरी निवेशकों की मदद नहीं करता है जब मध्यवर्ती अस्थिरता होती है।
  • डॉव थ्योरी अक्सर निवेशकों को भ्रमित करती है
  • डॉव थ्योरी वास्तविक बाजार आंदोलनों के आधार पर तार्किक उत्तर देती है। हालाँकि, कुछ मामलों में, डॉव थ्योरी के सिद्धांतों के आधार पर, बाजार में अभी भी तेजी हो सकती है लेकिन वास्तव में, यह एक खतरनाक दौर में प्रवेश कर चुका है।

निष्कर्ष

इस लेख के माध्यम से, उम्मीद है, आपने डाउ सिद्धांत क्या है, इसके 6 सिद्धांतों और इसकी सीमाओं के बारे में सबसे सामान्य तरीके से सवाल का जवाब दिया है।

मैं अनुशंसा करता हूं कि आप पूरे 6 सिद्धांतों को समझने के बाद ही डाउ थ्योरी का उपयोग करें। यह तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं वित्तीय बाजार में तकनीकी विश्लेषण संकेतकों को बेहतर ढंग से समझने में आपकी सहायता करेगा। कई लोग ऐसे भी रहे हैं जिन्होंने इससे मोटा मुनाफा कमाया है। क्या आप अगला बनना चाहते हैं? अवसर आने पर देर न करें और जब वे चले जाएं तो पछताएं। मेरा मानना है कि आप अपने व्यापार में एक गाइड के रूप में डाउ थ्योरी को चुनने के लिए एक बुद्धिमान व्यापारी हैं।

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