प्रवृत्ति पर व्यापार

क्या झारखंड बन रहा लिंचिंग खंड, वारदात के आंकड़े बता रहे सच्चाई!
झारखंड में मॉब लिंचिंग मामले लगातार सामने आ रहे हैं ( mob lynching in jharkhand). देश में भीड़ तंत्र के हाथों हत्या, जिंदा जला डालने, मारपीट, रेप, अमानवीय प्रताड़ना की घटनाओं का जिक्र हो तो सबसे पहले जिस राज्य का नाम आता है, वह है झारखंड. 2014 के आसपास जब ऐसी वारदात के लिए 'मॉब लिंचिंग' टर्म का इस्तेमाल किया जाने लगा, तब विपक्षी पार्टियों के नेता झारखंड को 'लिंचिंग खंड' का नाम दिया करते थे. इसकी सच्चाई क्या है आंकड़े ये साफ बताते हैं.
रांची: झारखंड में भीड़ हिंसा की लगातार होने वाली घटनाओं के आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं कि झारखंड में मॉब लिंचिंग के मामले कम नहीं हो रहे हैं (mob lynching in jharkhand). झारखंड सरकार ने इसी साल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सीपीआई एमएल के विधायक विनोद सिंह के एक सवाल के जवाब में बताया था कि वर्ष 2016 से 2021 के बीच राज्य में मॉब लिंचिंग की 46 घटनाएं हुईं.
2022 की बात करें तो भीड़ हिंसा की तकरीबन एक दर्जन वारदात सामने आ चुकी हैं. जाहिर है, राज्य में ऐसी घटनाओं का बदस्तूर सिलसिला चला आ रहा है. बीते छह अक्टूबर की रात बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड अंतर्गत धवैया गांव में दर्जनों लोगों ने गांव के ही 45 साल के शख्स इमरान अंसारी की पीट-पीटकर हत्या कर दी. गांववालों का आरोप था कि इस शख्स का गांव में दूसरे धर्म की एक महिला से नाजायज रिश्ते थे.
इस वारदात को लेकर गांव और आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बन गई. हालात नियंत्रित करने के लिए 300 से भी ज्यादा पुलिसकर्मियों की तैनाती से लेकर धारा 144 तक लागू करनी पड़ी. कुल 11 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया.
3 अक्टूबर को झारखंड-छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित गुमला जिला अंतर्गत जारी थाना क्षेत्र की डूमरटोली बस्ती में भीड़ ने गुमला निवासी 22 वर्षीय एजाज खान की पीट-पीटकर हत्या कर दी. उस पर लाठियों और धारदार हथियार से कई वार किए गए थे. मारे गए युवक पर छत्तीसगढ़ में बकरी चुराने का आरोप था. इस मॉब लिंचिंग के खिलाफ कुछ संगठनों ने कई दिनों तक जस्टिस फॉर एजाज हैशटैग से अभियान चलाया.
25 सितंबर की रात दुमका जिले के सरैयाहाट प्रखंड अंतर्गत असवारी गांव में भीड़ ने डायन का आरोप लगाकर एक परिवार की तीन महिलाओं सहित चार लोगों को भयावह तरीके से प्रताड़ित किया. इन चारों को जबरन मल-मूत्र पिलाया और उन्हें लोहे की गर्म छड़ों से दागा. दूसरे रोज पुलिस ने उन चारों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया.
4 सितंबर की रात राजधानी रांची से 50 किलोमीटर सोनाहातू थाना क्षेत्र के राणाडीह गांव में सैकड़ों की भीड़ ने गांव की तीन महिलाओं को डायन करार देकर लाठियों और धारदार हथियारों से मार डाला. हद तो यह हमलावरों की भीड़ में मृतक महिलाओं में से एक का पुत्र भी शामिल था. दूसरे रोज पुलिस जब गांव में पहुंची तो सर्च अभियान के दौरान उसे ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा.
इस साल फरवरी महीने में हजारीबाग के बरही में सरस्वती पूजा विसर्जन जुलूस के दौरान भीड़ ने रूपेश पांडेय नाम के एक 17 वर्षीय किशोर को पीट-पीटकर मार डाला था, तो इसकी गूंज पूरे देश में पहुंची थी. यह मामला संसद में भी उठा था. इसके पहले जनवरी के पहले हफ्ते में सिमडेगा के कोलेबिरा थाना क्षेत्र अंतर्गत बेसराजरा बाजार में भीड़ ने संजू प्रधान नाम के एक आदिवासी युवक को लकड़ी चोरी के आरोप में पहले तो जमकर पीटा और फिर बाद में उसे सरे बाजार लकड़ियों की चिता सजाकर उसे जिंदा जला दिया था. इस मामले में एक दर्जन से ज्यादा लोग गिरफ्तार किये गये थे. मई महीने में गुमला जिले के भरनो थाना क्षेत्र में भीड़ ने 45 वर्षीय शमीम अंसारी को लाठी-डंडों से पीट-पीटकर सिर्फ इसलिए मौत के घाट उतार दिया क्योंकि उन्होंने पेड़ काटने का विरोध किया था.
झारखंड सरकार ने मॉब लिंचिंग प्रवृत्ति पर व्यापार की घटनाओं पर अंकुश के लिए बीते वर्ष दिसंबर में विधानसभा से एंटी मॉब लिंचिंग बिल भी पास कराया था, लेकिन बीते मार्च में राज्यपाल ने यह बिल कुछ तकनीकी आपत्तियों के साथ सरकार को लौटा दी. आपत्तियों के निराकरण के बाद यह बिल सरकार दुबारा पास कराएगी, तब राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह कानून का रूप ले पाएगा. इस विधेयक में मॉब लिंचिंग में प्रवृत्ति पर व्यापार मौत होने पर दोषी को उम्र कैद तथा पांच से 25 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है. लिंचिंग के शिकार के इलाज का खर्च जुर्माने की राशि से दिया जाएगा. भीड़ हिंसा में किसी व्यक्ति के हल्का जख्मी होने पर भी आरोपियों को एक से तीन साल तक जेल या एक लाख से तीन लाख रुपये तक जुर्माना और गंभीर रूप से जख्मी होने की स्थिति में एक से 10 साल तक जेल या तीन से 10 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है.
इस विधेयक में दो या दो से अधिक लोगों द्वारा हिंसा को मॉबलिंचिंग के रूप में परिभाषित किया गया है. राज्यपाल रमेश बैस ने इसी बिंदू पर आपत्ति जताते हुए विधेयक लौटाया है. उन्होंने भीड़ को फिर से परिभाषित करने को कहा गया है.
संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम कहते हैं कि जिन बिंदुओं पर राजभवन को आपत्ति है, उन्हें दूर कर अगले सत्र में सरकार इस विधेयक को फिर से पारित कराएगी और कानून का रूप देगी. इस विधेयक में किसी के कारोबार या व्यापार का बहिष्कार करना, घर या आजीविका स्थल छोड़ने के लिए मजबूर करना, धर्म, वंश, जाति, लिंग जन्म स्थान, भाषा, लैंगिक, राजनैतिक संबद्धता और नस्ल के आधार प्रवृत्ति पर व्यापार पर हिंसा या परेशान करना और लिंचिंग के लिए उकसाने वाले को भी लिंचिंग के दोषी जैसी सजा जैसे कई प्रावधान किए गए हैं.
संसदीय कार्य मंत्री ने सदन को बताया कि मॉब लिंचिंग मामलों के त्वरित निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करने पर सरकार विचार कर रही है.
झारखंड में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर एस अली नाम के एक शख्स ने झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर रखी है. अली ने राज्य में मॉब लिंचिंग के जो आंकड़े जुटाए हैं, उसके मुताबिक 17 मार्च 2016 से 13 मार्च 2021 तक 42 लोगों की मॉब लिंचिग हुई है, जिसमें 23 की मौत हुई, जबकि 19 गंभीर रूप से घायल हुए हैं. अली के मुताबिक साल 2017 में देशभर मे हो रही मॉब लिंचिंग की प्रवृत्ति पर व्यापार घटना को लेकर तहसीन पूनावाला सुप्रीम कोर्ट गए थे. उस मामले में झारखंड को भी पार्टी बनाया गया था.
उसी साल झारखंड हाई कोर्ट में रंजीत उरांव ने भी ऐसी ही घटनाओं पर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की. उसके बाद कोर्ट ने कहा कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, ऐसे में वहां से जो डायरेक्शन आएगा, उसे राज्य में लागू करना होगा.
झारखंड हाईकोर्ट के एडवोकेट योगेंद्र यादव कहते हैं कि राज्य में भीड़ हिंसा की प्रवृत्ति बेहद खतरनाक है. अदालतों में आने वाले ऐसे मामलों के पीछे अंधविश्वास, प्रेम प्रसंग, जातीय एवं प्रवृत्ति पर व्यापार धार्मिक विद्वेष, आपसी रंजिश जैसी वजहें प्रमुख होती हैं. ऐसे मामलों की जांच के लिए स्पेशल सेल बनाने, फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित करने जैसे कदम उठाने के साथ जरूरी है कि इस प्रवृत्ति पर रोक के लिए व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए.
'पॉक्सो एक्ट' का मकसद युवा वयस्कों के बीच सहमति के संबंधों को अपराध बनाना नहीं है: हाईकोर्ट
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने अपने फैसले में कहा, “मेरी राय में पॉक्सो का मकसद 18 साल से कम उम्र के बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाना था। इसका इरादा कम उम्र के वयस्कों के बीच सहमति से बने रोमांटिक संबंधों को अपराध बनाना कभी भी नहीं था।”
Edited By: Shashi Rai @km_shashi
Published on: November 14, 2022 13:34 IST
Image Source : फाइल फोटो दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने 'पॉक्सो' एक्ट को लेकर एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम का मकसद बच्चों को यौन शोषण से बचाना है, लेकिन इसका इरादा कम उम्र के वयस्कों के बीच सहमति से बने रोमांटिक संबंधों को अपराध बनाना कभी भी नहीं था। हालांकि, अदालत ने सचेत किया कि हर मामले से जुड़े तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर संबंध की प्रवृत्ति पर गौर करना जरूरी है, क्योंकि कुछ मामलों में पीड़ित पर समझौता करने का दबाव हो सकता है। उच्च न्यायालय ने 17 साल की किशोरी से शादी करने वाले एक लड़के को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की, जिसे पॉक्सो अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था। अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में लड़की को लड़के के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर नहीं किया गया था।
कोर्ट ने बताया 'पॉक्सो' का मकसद
उच्च न्यायालय ने कहा कि लड़की के बयान से स्पष्ट था कि दोनों के बीच रोमांटिक रिश्ते थे और उनके प्रवृत्ति पर व्यापार बीच सहमति से यौन संबंध बने थे। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने अपने फैसले में कहा, “मेरी राय में पॉक्सो का मकसद 18 साल से कम उम्र के बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाना था। इसका इरादा कम उम्र के वयस्कों के बीच सहमति से बने रोमांटिक संबंधों को अपराध बनाना कभी भी नहीं था।” उन्होंने कहा, “हालांकि, हर मामले से जुड़े तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर इस पर गौर करना चाहिए। ऐसे मामले हो सकते हैं, जिसमें यौन अपराध का शिकार व्यक्ति दबाव या प्रताड़ना के कारण समझौता करने के लिए मजबूर हो सकता है।”
सहमति से बने रिश्ते पर विचार की जरूरत: कोर्ट
अदालत ने कहा कि जमानत देते समय प्यार की बुनियाद पर बने सहमति के रिश्ते पर विचार किया जाना चाहिए और मौजूदा मामले में आरोपी को जेल में परेशान होने के लिए छोड़ देना न्याय का मजाक बनाने जैसा होगा। उच्च न्यायालय ने कहा, “हालांकि, पीड़िता नाबालिग है और इसलिए उसकी सहमति के कोई कानूनी मायने नहीं हैं, लेकिन हमारा मानना है कि जमानत देते समय प्यार की बुनियाद पर बने सहमति के रिश्ते के तथ्यों पर विचार किया जाना चाहिए। मौजूदा मामले में पीड़िता के बयान को नजरअंदाज करना और आरोपी को जेल में परेशान होने के लिए छोड़ देना जानबूझकर न्याय न देने जैसा होगा।”
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#1 पाठ: ट्रेंड के विरुद्ध ट्रेडिंग करना पैसे खोने का एक आसान तरीका IQ Option
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जब कीमत गतिशील रूप से गिरती है तो खरीदारी न करें!
लेकिन कीमतों ने एक नया प्रतिरोध पैदा करना जारी रखा। यदि आप कीमतों में तेजी से गिरने प्रवृत्ति पर व्यापार और पिछले तोड़ने की सूचना देते हैं समर्थन और प्रतिरोध स्तरों, यह बहुत संभावना है कि वे गिरते रहेंगे। इस बिंदु पर, यह अनुशंसा की जाती है कि आप प्रवृत्ति के साथ जाएं और बिक्री आदेश दें। प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार करने से ट्रेडों के खोने की बहुत संभावना है
अंततः प्रवृत्ति उलट जाएगी और कीमतें नए प्रतिरोध और समर्थन स्तरों का निर्माण करेंगी। इस बिंदु पर, कीमतें वापस उछलने से पहले एक निश्चित मूल्य बिंदु से टकराती हैं। ये मजबूत प्रतिरोध और समर्थन स्तर हैं। अगर कीमत भी टूटती है, तो यह समय है प्रवृत्ति के साथ व्यापार प्रवृत्ति पर व्यापार फिर से।
बाजार के खिलाफ व्यापार करने का क्या मतलब है?
बाजार बढ़ रहा है, गिर रहा है या एक किनारे की प्रवृत्ति में है। आम तौर पर केवल ये तीन संभावनाएं होती हैं। यह कहना कि कोई बाजार के खिलाफ व्यापार कर रहा है, प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार करने जैसा ही है। बग़ल में आंदोलनों में जब बाजार के बीच रहता है समर्थन और प्रतिरोध स्तर, किसी को प्रतिरोध पर बेचने की स्थिति खोलने के लिए लुभाया जा सकता है, भले ही कीमत उसी समय ऊपर जा रही हो। इसके विपरीत, आप इस तथ्य के बावजूद समर्थन पर खरीद सकते हैं कि कीमत कम हो रही है। इस मामले में, हालांकि, यह प्रवृत्ति या बाजार के खिलाफ व्यापार नहीं कर रहा है। यह केवल इस तथ्य का लाभ उठा रहा है कि कीमत ऊपर प्रतिरोध रेखा और नीचे समर्थन रेखा से बंधे मूल्य चैनल में बढ़ रही है।
आप प्रवृत्ति के खिलाफ व्यापार से कैसे बचते हैं?
अब देखो IQ Option नीचे EUR / USD चार्ट। आप ध्यान देंगे कि कीमतें वापस उछलने से पहले एक निश्चित स्तर (समर्थन) तक गिर जाती हैं। छोटे रुझान होते हैं, लेकिन यदि आप कम समय के फ़्रेम का व्यापार नहीं कर रहे हैं तो उनका बहुत अधिक उपयोग होने की संभावना नहीं है।
इस बिंदु पर, किनारे पर बैठना और बैलों और भालुओं को इससे बाहर निकलने देना सबसे अच्छा है। लेकिन एक बार यह समर्थन टूट जाता है (ए बड़ी मंदी वाली मोमबत्ती), आप निश्चित रूप से जानते हैं कि एक डाउनट्रेंड विकसित हो गया है। यह है अपना विक्रय व्यापार करने का समय.
जब कीमतें बढ़ रही हों तो ट्रेंड के साथ ट्रेडिंग करना मुश्किल होता है।
आप एक प्रवृत्ति में कैसे व्यापार करते हैं?
प्रवृत्ति के साथ व्यापार करने के लिए कई तकनीकें हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसकी पहचान करने में सक्षम होना। आप खुद से पूछ रहे होंगे कि कैसे दिन के कारोबार में प्रवृत्ति की पहचान करें? शुरुआती लोगों के लिए ट्रेंड ट्रेडिंग आम तौर पर मौजूदा प्रवृत्ति का आकलन करने के लिए चलती औसत का उपयोग करती है। कुछ प्रवृत्ति रेखाओं का उपयोग करके भी प्रवृत्ति का निर्धारण करते हैं। हालांकि, शुरुआती लोगों के लिए उनके आधार पर व्यापारिक निर्णय लेने के लिए ये बहुत व्यक्तिपरक हो सकते हैं। प्रवृत्ति को निर्धारित करने का सबसे आसान तरीका अवलोकन के माध्यम से है। प्रत्यक्ष रूप से यह देखना आसान है कि बाजार दिशा में आगे बढ़ रहा है या नहीं। यदि नहीं, तो प्रतीक्षा करें और प्रवृत्ति में शामिल हों जब आप देख सकते हैं बाजार की दिशा इरादे। प्रवृत्ति आपका मित्र है। इसके बारे में याद रखें। यदि आप एक प्रवृत्ति बनाते हुए देखते हैं, तो उसके साथ व्यापार करें। कभी भी किसी ट्रेंड के खिलाफ ट्रेड न करें क्योंकि आप कभी नहीं जानते कि यह कब रिवर्स या रेंज में जा रहा है।
केवल बाजार ही आपको संकेत देंगे। क्या आप ट्रेंड फॉलोअर हैं? आप किन रणनीतियों का उपयोग करते हैं कीमतों के समर्थन और प्रतिरोध प्रवृत्ति पर व्यापार को तोड़ने के अलावा एक प्रवृत्ति की पहचान करें स्तर? उन्हें टिप्पणी अनुभाग में साझा करें।
पॉक्सो का मकसद युवा वयस्कों के बीच सहमति के संबंधों को अपराध बनाना नहीं: अदालत
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम का मकसद बच्चों को यौन शोषण से बचाना है, लेकिन इसका इरादा कम उम्र के वयस्कों के बीच सहमति से बने रोमांटिक संबंधों को अपराध बनाना कभी भी नहीं था। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
दिल्ली उच्च न्यायालय (फाइल फोटो)
नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम का मकसद बच्चों को यौन शोषण से बचाना है, लेकिन इसका इरादा कम उम्र के वयस्कों के बीच सहमति से बने रोमांटिक संबंधों को अपराध बनाना कभी भी नहीं था।.
हालांकि, अदालत ने सचेत किया कि हर मामले से जुड़े तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर संबंध की प्रवृत्ति पर गौर करना जरूरी है, क्योंकि कुछ मामलों में पीड़ित पर समझौता करने का दबाव हो सकता है।(भाषा)
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Bikaji Foods IPO : बीकाजी फूड्स के IPO के सब्सक्रिप्शन के लिए आज है अंतिम तारीख, जानें- GMP के क्या हैं संकेत?
Bikaji Foods IPO : बीकाजी फूड्स के IPO के सब्सक्रिप्शन के लिए आज अंतिम तारीख है. बीकाजी फूड्स आईपीओ के संभावित शेड्यूल के अनुसार, आवंटन की तारीख 11 नवंबर को होने की संभावना है.
Published: November 7, 2022 2:16 PM IST
Bikaji Foods IPO : बीकाजी फूड्स इंटरनेशनल लिमिटेड का प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO) सदस्यता के दूसरे दिन पूरी तरह से सब्सक्राइब हो गया. इसके अलावा, दो दिनों के लगातार नुकसान के बाद, भारतीय द्वितीयक बाजार में प्रमुख बेंचमार्क सूचकांकों की प्रवृत्ति उलट गई, जो सप्ताहांत सत्र में उच्च स्तर पर समाप्त हुई. ये घटनाक्रम शायद ग्रे मार्केट में भी अच्छी तरह से नीचे खिसक गया है. बाजार पर्यवेक्षकों के अनुसार, बीकाजी फूड्स इंटरनेशनल लिमिटेड के शेयर आज ग्रे मार्केट में 40 रुपये के प्रीमियम पर स्थिर हैं. शुक्रवार को बीकाजी फूड्स का आईपीओ जीएमपी 27 रुपये प्रति इक्विटी शेयर था.
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क्या है बीकाजी फूड्स के आईपीओ का जीएमपी?
शेयर बाजार के पर्यवेक्षकों के अनुसार, बीकाजी फूड्स का आईपीओ जीएमपी आज 40 रुपये है, जो पिछले दो दिनों से अपरिवर्तित बना हुआ है. शुक्रवार को बीकाजी फूड्स का आईपीओ जीएमपी 27 रुपये पर था. उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों में बीकाजी फूड्स के आईपीओ जीएमपी में बढ़ोतरी के दो प्रमुख कारण हैं- शुक्रवार को दलाल स्ट्रीट पर ट्रेंड रिवर्सल और सब्सक्रिप्शन के दूसरे दिन पब्लिक इश्यू का पूरी तरह से सब्सक्राइब होना. उन्होंने कहा कि अगर सोमवार को बाजार उच्च स्तर पर खुलता है तो ग्रे मार्केट की धारणा और तेज हो सकती है क्योंकि बीकाजी फूड्स का आईपीओ जीएमपी एक बार सदस्यता खोलने से पहले 100 रुपये पर था.
इस जीएमपी का क्या मतलब है?
बाजार पर्यवेक्षकों ने कहा कि बीकाजी फूड्स का आईपीओ जीएमपी आज 40 रुपये का है, जिसका मतलब है कि ग्रे मार्केट इस आईपीओ को लगभग 340 रुपये के स्तर (₹300 + ₹40) पर सूचीबद्ध होने की उम्मीद कर रहा है, जो कि बीकाजी फूड्स के आईपीओ मूल्य बैंड से लगभग 13 फीसदी अधिक है. कंपनी ने आईपीओ को 285 से 300 रुपये प्रति इक्विटी शेयर का प्राइस बैंड तय किया है.
बीकाजी फूड्स प्रवृत्ति पर व्यापार आईपीओ के सदस्यता की स्थिति
दो दिनों की बोली के बाद, बीकाजी फूड्स का आईपीओ सब्सक्रिप्शन स्टेटस बताता है कि 881.22 करोड़ रुपये के पब्लिक इश्यू को 1.48 गुना सब्सक्राइब किया गया प्रवृत्ति पर व्यापार है, जबकि इसके रिटेल हिस्से को 2.33 गुना सब्सक्राइब किया गया है.
बीकाजी फूड्स आईपीओ के अन्य विवरण
सार्वजनिक निर्गम 3 नवंबर 2022 को सदस्यता के लिए खुला और यह 7 नवंबर 2022 तक बोली लगाने के लिए खुला रहेगा. इसका मतलब है कि निवेशकों के पास आईपीओ के लिए आवेदन करने के लिए सिर्फ आज का दिन है, क्योंकि सार्वजनिक पेशकश के लिए बोली सोमवार को समाप्त होगी.
बीकाजी फूड्स आईपीओ के संभावित शेड्यूल के अनुसार, आवंटन की तारीख 11 नवंबर को होने की संभावना है, जबकि बीकाजी फूड्स आईपीओ लिस्टिंग की तारीख 16 नवंबर 2022 को होने की संभावना है.
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