बाजार ज़ोखिम

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अवार्ड सेरेमनी पर एंकरिंग स्क्रिप्ट । Award ceremony anchoring script । खिलाड़ियों के अभिनंदन समारोह पर एंकरिंग स्क्रिप्ट । खिलाड़ी के सम्मान समारोह की एंकरिंग स्क्रिप्ट
ज़िद करो और जीतो- मुझे लगता है कि आज के जश्न का अगर कोई टाइटल-कोई शीर्षक रखना हो तो इससे बेहतर नही हो सकता। ऊंचे इरादों, कठिन परिश्रम और सतत सफलता प्राप्त कर सदा जयवंत रहने वालीं, एक मिसाल प्रस्तुत करने वालीं दो विजेताओं के अभिनदंन समारोह में, मैं अंजली जेठानी आज के इस जश्न की होस्ट, आप सब स्वजनों का बहुत बहुत स्वागत करती हूँ। यथायोग्य अभिवादन करती हूँ।
पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब
खेलोगे कूदोगे बनोगे ख़राब।
आप में से ज़्यादातर लोगों ने ये मसल-ये नसीहत अवश्य सुनी होगी। कुछ नहीं तो ये अवश्य ही सुना होगा कि पुराने समय में भारतीय जनमानस की ऐसी ही मानसिकता थी। और देखते देखते ज़माना कितना बदल गया। पहले parents अपनी समझ और कायम की हुई राय के अनुसार ही अपने बच्चों को शिक्षक, डॉक्टर या इंजीनियर बनाते थे!! जी हाँ, मैं बनाते कह रही हूँ-बनते नही!
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कहते हैं कि वक़्त बदलता है तो ख़यालात बदलते हैं। खेल कूद के प्रति भारतीय जनमानस के नज़रिये में भी समय के साथ बदलाव आया। ध्यानचंद जी के हॉकी के जादू से शुरू हुआ यह बदलाव हमारे द्वारा क्रिकेट का वर्ल्ड कप जीते जाने के बाद स्पष्ट दिखने लगा। लोगों के नज़रिये में सकारात्मक बदलाव आया। सचिन तेंदुलकर, सानिया मिर्जा, विश्वनाथन आनंद जैसे विश्वस्तरीय खिलाड़ियों से लोगों ने प्रेरणा ली। उन्हें आदर्श माना और फिर तो माता पिता अपने बच्चों को कहने लगे कि बनो जो बनना हो।
तो आइये, मैं आप सबको करीब से। बहुत करीब से।।। एक बड़े निर्णय, एक कड़े निर्णय, बड़े सपने, कड़ी मेहनत और अनगिनत समझौतों की नींव पर बुनी सफलता की एक ऐसी इबारत से रूबरू कराती हूँ जिसे हम सबने अभी तक इतने निकटता से ना तो जाना होगा, न ही मेहसूस किया होगा। कड़े परिश्रम, अनुशासन और सफलता की इस यात्रा के बारे में दो पंक्तियाँ कहती हूँ कि..
लाइव क्रिकेट स्कोर भारत बनाम दक्षिण अफ्रिका, आयसीसी विश्व कप २०१५: भारत ने दक्षिण अफ्रिका को १३० रनों से हराया
Updated: February 22, 2015 4:26 PM IST
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३९ ओवर: शमी के दुसरे ही गेंद पर पारनेल ने एक बेहतरीन पुल शॉट खेल कर चौका जादा, शामी ने सिर्फ बाउंसर बाजार ज़ोखिम का ही इस्तेमाल किया और दक्षिण अफ़्रीकी बल्लेबाजों को बैक फुट पर रखा
३८ ओवर: अश्विन ने अपनी बेहतरीन गेंदबाजी जारी राखी और ओवर की दूसरी ही गेंद पर मोर्ने मोर्कल को अपनी फिरकी के जाल में फांस लिया और क्लीन बोल्ड कर दिया.
३७ ओवर: शमी ने पहली बॉल योर्कर डालने की कोशिश की मगर पारनेल ने एक रन ले लिया, दूसरी गेंद पर शमी ने गेंद को पटका और स्टेन गेंद पर नियंत्रण नहीं पा सके और धवन को एक आसान सा कैच दे बैठे.
३६ ओवर: अश्विन ने फिर सटीक गेंदबाजी का प्रदर्शन किया और बल्लेबाजों को हाथ खोलने का कोई मौक़ा नहीं दिया. डेल स्टेन ने आक्रामकता दिखाने की कोशिश की मगर खुच खास नहीं कर पाए.
३४ ओवर: अश्विन द्वारा डाले गए इस ओवर में दक्षिण अफ़्रीकी टीम की आखरी हॉप मिलर रन औत होगये, उन्हें कप्तान धोनी ने रन-आउट किया, उसके बाद फिलांडर को औत किया.
हीमोफीलिया को रख शराबी रोग क्यों कहा जाता है?
इसे सुनेंरोकेंहीमोफीलिया आनुवंशिक रोग है जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है क्योंकि रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता। विशेषज्ञों के अनुसार इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे ‘क्लॉटिंग फैक्टर’ कहा जाता है।
रक्तदान के लिए सभी को प्रेरित करना क्यों आवश्यक है?
इसे सुनेंरोकेंकई लोग हमेशा खून डोनेट करने के लिए तैयार रहते हैं। रक्तदान करने के बाद सेहत ठीक रहती है। हर युवा को रक्तदान के लिए प्रेरित करना होगा। सबको यह बात समझानी चाहिए कि ऑक्सीजन कृत्रिम रूप बाजार ज़ोखिम से बन सकती है, रक्त नहीं।
रक्त का बहना रुक गया है इसका क्या कारण हो सकता है?
इसे सुनेंरोकेंक्या है हीमोफीलिया ये एक आनुवांशिक बीमारी है जिसमें ख़ून का थक्का बनना बंद हो जाता है. जब शरीर का कोई हिस्सा कट जाता है तो ख़ून में थक्के बनाने के लिए ज़रूरी घटक खून में मौजूद प्लेटलेट्स से मिलकर उसे गाढ़ा कर देते हैं. इससे ख़ून बहना अपने आप रुक जाता है.
हीमोफीलिया रोग में रक्त का थक्का क्यों नहीं बनता?
इसे सुनेंरोकेंWorld Hemophilia Day 2020: हीमोफीलिया एक आनुवांशिक बीमारी है, इस बीमारी से पीड़ित लोगों में खून का थक्का नहीं बनता है। इन रोगियों के खून में प्रोटीन की कमी होती है जिसे क्लौटिंग फैक्टर (clotting factor) भी कहते है। यह प्रोटीन फैक्टर खून में थक्का जमा कर उसका बहना रोक देता है
हीमोफीलिया रोग का वाहक कौन है?
इसे सुनेंरोकेंहीमोफिलिया रोग के वाहक एक्स गुणसूत्र में पाए जाते है। लगभग 10,000 पुरुषों में से 1 पुरुष के हीमोफीलिया से पीड़ित होने का ज़ोखिम होता है। महिलाएं ज्यादातर इस रोग के लिए जिम्मेदार आनुवांशिक इकाइयों की वाहक की भूमिका निभाती हैं। हीमोफिलिया ए- यह हीमोफिलिया का बेहद सामान्य प्रकार है।
रक्त का थक्का कौन बनाता है?
इसे सुनेंरोकेंरक्त स्कंदन फाइब्रिनोजेन नामक एंजाइम केद्वारा होता हैइन्हें भी देखें रक्त का थक्का बनाने में सोडियम आयन सहायक होता है। सोडियम की ++ आयनिक क्षमता अधिक होती है जिस वजह से यह रक्त का स्कंदन में तथा निर्जलीकरण में सहायक होता है।
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