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Technical Analysis का मीनिंग क्या होता है?

Technical Analysis का मीनिंग क्या होता है?
Q: जेरोधा का हेडक्वार्टर कहा पर हैं?
Ans: बैंगलुरू, कर्नाटका में.

Technical Analysis का मीनिंग क्या होता है?

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जेरोधा को किसने बनाया हैं? (Zerodha Owner and Founder )

नितीन कामत Zerodha Founder & CEO हैं. यह एक भारतीय कंपनी है जो कि साल 2010 में इसकी शुरुवात हुईं थीं.

जेरोधा शब्द दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया हैं, 'जेरो' यानी 'शुन्य' और 'रोध' यानी 'बाधा' , मतलब 'शुन्य बाधा' यह मतलब होता है. यही शब्द की नींव पर कंपनी को चालु किया गया हैं.

क्या जेरोधा प्लॅटफाॅर्म सुरक्षित हैं ? ( Kya Zerodha Safe Hai )

बिल्कुल सुरक्षित है, शेअर मार्केट में अभी फिलहाल जितने भी लेन देन होते हैं उसमें से बहुत सारी लेन देन जेरोधा के माध्यम से हि होते हैं क्योंकी लोगों का इसपर भरोसा हैं.
आज जो भी मार्केट में डिस्काउंट ब्रोकर है उसमें सबसे पसंदिदा और सबसे अच्छी सर्विस वाली कोई ब्रोकरेज नाम होगा तो वह हैं जेरोधा.
यह देखा जाये तो आजतक लाभदायक कंपनी ही रही हैं, साल 2017-2018 के दौरान इस कंपनी ने लगभग 180 करोंड़ से ज्यादा का मुनाफा कमाया था और यह अभी तक चल रहा हैं.

वैसे तो जब ये लाॅन्च हुआ था तब यह डिस्काउंट ब्रोकर के नाम Technical Analysis का मीनिंग क्या होता है? से आया था इसलिये अगर दुसरे ब्रोकर को देखे तो यह काफी सस्ता और कम Brokerage Charges Platform हैं.
अगर ओवरऑल की बात करें तो Demat Account के Technical Analysis का मीनिंग क्या होता है? लिये आपको 300 रुपयें देने पड़ते हैं और Yearly Maintenance Charge 300 रुपयेें हैं. अगर Trending Account Opening कि बात करें तो इसके लिये कोई चार्ज नहीं हैं
अगर Option Trading कि बात करें तो 20-25 रुपयें हर एक ट्रेंड को लगाता हैं.
अगर Equity Delivery Trading Charges कि बात करें तो यह ना के बराबर है यानी 0.01 और 20 रुपये प्रती ट्रेंड हैं.

जेरोधा इस्तमाल के क्या फायदे हैं? (Benefits Of Zerodha Account)

अगर तुलना करें Upstox, Angel One, 5Paisa, ICICI direct, Groww, Motilal Oswal जैसे दुसरे ब्रोकर से तो ओवरऑल Zerodha Discount Broker हि आपको अच्छा रहेगा, अगर बात करें सर्विस और ब्रोकरेज चार्जेस की.
चलिये देखते कौन कौन से ऐसे फायदे हैं जो की आपको Zerodha से मिलेंगे.
1. सबसे महत्वपूर्ण बात जेरोधा डिलीवरी पर कोई भी शुल्क नहीं लेता हैं.
2. अगर आप इसके जरिये म्युचुअल फंड में निवेश करते हो तो यह बिल्कुल भी निशुल्क हैं, आपका कोई भी फीस नहीं देनी पड़ती हैं.
3. अगर आप Zerodha Signup करते हो और अपना अकांउट बनाते हो तो आपको Zerodha Login details से ही आप Zerodha Coin और Zerodha Versity जैसे Platform को भी निशुल्क इस्तमाल कर सकते हों.
4. रोज जेरोधा प्लॅटफाॅर्म वर १० हजार करोड़ से भी ज्यादा का Technical Analysis का मीनिंग क्या होता है? लेन देन होता है इसलिये यह एक ट्रस्टेड प्लॅटफाॅर्म आप मान सकते हो.
5. आज के समय जेरोधा के‌ पास 36 लाख से भी ज्यादा ग्राहक हैं.
6. इसके हर एक सेक्शन के लिये आपको अलग अलग प्लॅटफाॅर्म मौजुद है जिसके जरिेये आप आसानी से अपने Mobile Phone और कंप्यूटर से भी ट्रेडिंग कर सकते हों. जिसका इंटरफेस बहुत User Friendly है जो कोई भी आसानी से समझ सकता हैं.

Stock Market Tips: किसी शेयर में निवेश से पहले आप खुद भी करें रिसर्च, जानें फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का फर्क और अहमियत

Stock Market Tips: किसी शेयर में निवेश से पहले आप खुद भी करें रिसर्च, जानें फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का फर्क और अहमियत

फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है. (Image- Pixabay)

Stock Market Tips: स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए बेहतरीन शेयरों का चयन करना पहला स्टेप होता है. इसके लिए मुख्य रूप से दो तरीकों से एनालिसिस किया जाता है जैसे कि फंडामेंटल एनालिसिस या टेक्निकल एनालिसिस. हालांकि कभी-कभी कंफ्यूजन होती है कि इन दोनों ही एनालिसिस के जरिए शेयरों का चयन किया जाए या किसी एक एनालिसिस के सहारे स्टॉक मार्केट से मुनाफे की रणनीति अपनाई जाए.

Fundamental Analysis

इसमें कंपनी के फाइनेंशियल्स और P/E Ratio और P/B Ratio जैसे रेशियो को देखते हैं. इसके अलावा और भी रेशियो को एनालाइज करते हैं. अब अगर जैसे पीई रेशियो की बात करें तो इसकी वैल्यू अगर कम है तो इसका मतलब है कि इसमें ग्रोथ की काफी गुंजाइश है जब पीबी रेशियो कम है तो इसका मतलब हुआ कि स्टॉक अंडरवैल्यूड है. इसके अलावा फंडामेंटल एनालिसिस में बीटा को भी देखते हैं जो अगर एक से अधिक है तो इसका मतलब हुआ कि मार्केट की तुलना में यह अधिक वोलेटाइल है. जो कंपनियां हाई डिविडेंड यील्ड वाली हैं और कर्ज मुक्त हैं, वे फंडामेंटली रूप से बहुत मजबूत हैं.

टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल एनालिसिस की तुलना में थोड़ा अधिक कांप्लेक्स है. इसके तहत रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI), बोलिंजर बैंड्स (Bollinger Bands) जैसे 30-40 टेक्निकल इंडिकेटर्स का एनालिसिस किया जा सकता है. इस एनालिसिस में स्टॉक की मजबूती और रूझानों का अनुमान लगाया जाता है.

Fundamental vs Technical Analysis

फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस को कुछ फैक्टर पर किया जााता है जैसे कि समय, रिस्क और ट्रैकिंग.

  • समय- फंडामेंटल एनालिसिस आमतौर पर ऐसे समय में किया जाता है जब आपको लंबे समय के लिए किसी स्टॉक को होल्ड करना है. इसके तहत ऐसे स्टॉक की पहचान की जाती है जो समय के साथ और मजबूत होंगे. इसके विपरीत टेक्निकल एनालिसिस को शॉर्ट टर्म में किसी स्टॉक में पैसे लगाने के लिए किया जाता है. इसमें बुलिश स्टॉक की पहचान की जाती है.
  • रिस्क- फंडामेंटल रूप से मजबूत शेयरों में निवेश पर रिस्क कम होता है जबकि टेक्निकल वैरिएबल्स में ऐसा दावा नहीं किया जा सकता है.
  • ट्रैकिंग- फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है.
  • वैल्यू: फंडामेंटल एनालिसिस में किसी कंपनी के कारोबार, इंडस्ट्री और मार्केट के साथ घरेलू व अंतरराष्ट्रीय माहौल का आकलन करते हुए फेयर वैल्यू डेवलप करते हैं. वहीं टेक्निकल में हिस्टोरिकल रिटर्न और भाव में बदलाव के जरिए आगे कीमतों में उतार-चढ़ाव का आकलन किया जाता है.

Technical Analysis का मीनिंग Technical Analysis का मीनिंग क्या होता है? क्या होता है?

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समर्थन और प्रतिरोध - एक व्यापारी का सबसे अच्छा दोस्त

यदि कोई आपको बताता है कि प्रतिभूतियों या परिसंपत्तियों की भविष्य की कीमतों की भविष्यवाणी की जा सकती है, तो क्या जीवन बहुत आसान नहीं होगा? यह वह जगह है जहां समर्थन और प्रतिरोध की अवधारणा आती है। आम आदमी के शब्दों में समर्थन वह क्षेत्र है जिसके परे कीमत नहीं गिरती है और प्रतिरोध सटीक विपरीत है, अर्थात, कीमत इस सीमा को पार नहीं करती है। ये मूल्य बाधाएं समर्थन और प्रतिरोध के पास खरीदने और बेचने के उच्च स्तर के कारण बनती हैं। हालांकि ये खरीदने और बेचने के लिए प्राथमिक तकनीकी संकेतकों के रूप में कार्य करते हैं, वे हमेशा सटीक नहीं होते हैं। समर्थन और प्रतिरोध प्रकृति में गतिशील हैं जिसका अर्थ है कि कमजोर समर्थन और प्रतिरोध आसानी से टूट सकता है और मजबूत का उल्लंघन किया जा सकता है या नहीं किया जा सकता है। किसी भी दिशा में इस तरह के उतार-चढ़ाव को "ब्रेकआउट" के रूप में जाना जाता है।

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