वॉल्यूम रिपोर्ट और लिक्विडिटी

बाजार में उछाल से चढ़े चवन्नी शेयर
बढ़ता ज्वार सभी जहाजों को आगे बढ़ा देता है और शेयर बाजार में आई तेजी से कम मशहूर शेयरों (जिनमें चवन्नी शेयरों की काफी संख्या है) वॉल्यूम रिपोर्ट और लिक्विडिटी की कीमतें दोगुनी हो गई हैं। बीएस रिसर्च ब्यूरो की तरफ से संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसे 206 शेयरों ने पिछले एक साल में सौ फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है। इनमें से छह ने 500 फीसदी से ज्यादा की छलांग लगाई है। इसकी तुलना में बेंचमार्क बीएसई सेंसेक्स इस अवधि में महज 22 फीसदी चढ़ा है जबकि बीएसई मिडकैप ने 32 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है।
चवन्नी शेयर 1 रुपये से लेकर 10 रुपये के दायरे में उपलब्ध होते हैं और इनका बाजार पूंजीकरण 100 करोड़ रुपये से कम होता है। यह भारी जोखिम वाला निवेश है और इसका ट्रेडिंग वॉल्यूम काफी कम होता है। ज्यादातर ब्रोकरेज के पास इसकी कवरेज नहीं होती है, जो 300 करोड़ रुपये से इससे ज्यादा बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों पर नजर रखते हैं। इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, इनमें से ज्यादातर फर्मों के पास अच्छे कारोबारी मॉडल, चल संपत्तियां या आय का आधार नहीं है। खुदरा निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि इन वॉल्यूम रिपोर्ट और लिक्विडिटी शेयरों में 50 से 90 फीसदी तक का नुकसान संभव है। अगर ऐसे शेयरोंं का निलंबन होता है तो हम 100 फीसदी भी गंवा सकते हैं।
उन्होंने कहा, ऐसे शेयरों का 10 फीसदी फंडामेंटल वजहों से बढ़ सकता है, लेकिन ज्यादातर तेजी ऑपरेटरों के चलते होती है, जो इन फर्मों के प्रवर्तकों की तरफ से दी जाने वाली पूंजी का इस्तेमाल करते हैं।
वास्तव में 200 से ज्यादा चवन्नी शेयर की कीमत पिछले एक साल में दोगुनी हो गई है, करीब 700 ने नकारात्मक रिटर्न दिया है। इनमें से 138 शेयरों ने इस अवधि में अपनी कीमत का आधा से ज्यादा गंवा दिया है। आईडीबीआई कैपिटल मार्केट्स के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर ने कहा, निवेशक उत्साह के माहौल को देखते हुए चवन्नी शेयरों में तब निवेश करते हैं जब बाजार चढ़ रहा होता है और यह इस उम्मीद में होता है कि शेयर की कीमत दोगुनी हो जाएगी। जब उत्साह का माहौल खत्म होता है तो निवेशक कम लिक्विडिटी के चलते इससे निकल नहीं पाते और फंसे रह जाते हैं।
जिन चवन्नी शेयरों ने तेज बढ़त दर्ज की है वे स्टॉक एक्सचेंजों के रेडार पर आ गए हैं। हाल में बीएसई और एनएसई ने 774 शेयरों को निगरानी ढांचे के दायरे में रख दिया है, जहां उनकी प्रतिभूतियों पर निगरानी बढ़ गई हैं। यह निवेशकों के लिए चेतावनी और सलाह है कि वे ऐसे सौदे करते समय अतिरिक्त सतर्कता बरतें और बाजार के प्रतिभागी पहले से ही जरूरी जांच परख कर लें। रिपोर्ट के मुताबिक, आयकर विभाग भी जांच कर रहा है।
X99 एक्सचेंज
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सबसे उच्च स्तर पर
प्रकार
Token
x99Token विनिमय बाजार
ट्रेडिंग वॉल्यूम के आधार पर , सभी x99Token एक्सचेंजों की सूची जहां आप X99 खरीद सकते हैं, बेच सकते हैं, व्यापार कर सकते हैं की सूची
निम्नलिखित तालिका सभी एक्सचेंजों को दर्शाती है जहां आप X99 क्रिप्टो खरीद सकते हैं। कुछ एक्सचेंजों में गहराई (डेप्थ) प्रतिशत होते हैं जो यह दर्शाता है कि कितनी लिक्विडिटी उपलब्ध है, मौजूदा कीमत से 2% ऊपर या नीचे लाइव बिड। सूची को 24-घंटे की वॉल्यूम और CL ट्रस्ट रेटिंग के आधार पर क्रमबद्ध किया गया है। अलग-अलग जोड़ियों को संबंधित वॉल्यूम के साथ अलग-अलग सूचीबद्ध किया गया है।
# | विनिमय केंद्र | जोडा | 24घंटे वॉल्यूम | मूल्य | वॉल्यूम(%) | फैलाव | -2% गहराई | +2% गहराई | CL रेटिंग ⚠ | अपडेटिड |
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1 | PancakeSwap (V2) | X99/WBNB | $56 828,515,528 X99 | $6.77E-8 2.08E-10 WBNB | 100% | 18 दिन पहले |
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आखिर ऐसा क्या हुआ जो अब RBI 2000 रुपये के नए नोट नहीं छाप रहा…
जाली नोटों के बारे में रिजर्व बैंक ने कहा कि कुल नकली नोटों में 3.9 परसेंट रिजर्व बैंक में जबकि 96.1 परसेंट अन्य बैंकों में पाए गए थे. 2020-21 के दौरान कुल 2,08,625 जाली नोट पकड़ में आए.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: अंकित त्यागी
Updated on: May 29, 2021 | 10:42 AM
आखिरकार वही हुआ जिसका अंदेशा था. तमाम तरह की मीडियो रिपोर्ट और कही-सुनी बातों में जिक्र हो रहा था कि 2,000 नोट चलन में कम हो जाएंगे. पिछले कुछ महीनों में ये नोट कम देखे भी जा रहे थे. लेकिन इस बात को गुरुवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की सालाना रिपोर्ट में साफ कर दिया गया. रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2,000 रुपये के करेंसी नोट की फ्रेश सप्लाई नहीं करेगा. यानी कि बैंकों में अब 2,000 के नए करेंसी नोट नहीं आएंगे. हालांकि पिछले साल भी रिजर्व बैंक ने 2,000 के नोट जारी नहीं किए थे.
नोट के बारे में यह जानकारी 26 मई को जारी हुई आरबीआई की सालाना रिपोर्ट में सामने आई. रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि कोरोना काल में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लिक्विडिटी या रुपये-पैसे का प्रवाह बनाए रखना जरूरी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2021 में पिछले साल की तुलना में पेपर कैश या नोटों की संख्या 0.3 परसेंट तक घट गई है. इस दौरान 2,23,301 लाख नोट जारी किए गए हैं. पिछले साल यह सप्लाई 2,23,875 नोटों की थी.
पिछले साल भी घटे 2 हजार के नोट
रिपोर्ट से साफ है कि देश में 2,000 के नोटों का प्रचलन पिछले साल भी कम था और इस साल भी कम रहेगा. RBI धीरे-धीरे इसकी सप्लाई को कर रहा है. पहले ऐसी बात सामने आई थी कि देश का सबसे बड़ा नोट चलन में कम हो रहा है. इसके पीछे कुछ व्यावहारिक दिक्कतें बताई गई थीं.
एटीएम से यह नोट निकाल लें तो जल्दी खुले नहीं होते. गिर जाए तो एक बार में 2,000 रुपये का झटका लगता है. एटीएम से अगर रंग लगा या कटा-फटा यह नोट मिल जाए तो बदलवाने के लिए पापड़ बेलने पड़ते हैं.
इन सभी दिक्कतों के चलते लोग इस नोट को एटीएम से नहीं चाहते थे. बाद में रिजर्व बैंक ने भी धीरे-धीरे इसका प्रचलन कम कर दिया है. जो बाहर बाजार में नोट हैं, वो धीरे-धीरे बैंकों में जमा हो रहे हैं.
सरकार ने दी 2000 रुपये के नोट को लेकर पूरी जानकारी
सरकार ने लोकसभा में बताया है पिछले दो सालों में 2 हजार रुपये के एक भी नोट की छपाई नहीं हुई है, जबकि इसकी संख्या में कमी आ गई है. वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने संसद को एक लिखित जवाब में बताया था कि किसी मूल्य के बैंक नोटों की छपाई का फैसला जनता की लेन-देन की मांग को पूरा करने के लिए RBI के की सलाह पर लिया जाता है. 2019-20 और 2020-21 में 2000 रुपये के नोट की छपाई का ऑर्डर नहीं दिया गया है.
उन्होंने बताया था कि 2019-20 और 2020-21 में 2000 रुपये के नोट की छपाई का ऑर्डर नहीं दिया गया है.केंद्र सरकार की मानें तो 2000 रुपये के बैंक नोट की छपाई बंद करने का फैसला इसकी जमाखोरी रोकने और ब्लैक मनी पर शिकंजा कसने के लिए लिया गया है.
कौन सा नोट सबसे ज्यादा चलन में
2,000 के नए नोट चलन में भले न आएं लेकिन अभी सबसे ज्यादा 500 और 2,000 के नोट ही प्रचलन में हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल नोटों की तादाद देखें तो 500 और 2,000 के करेंसी नोट अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा हैं और इसका आंकड़ा 85.7 परसेंट है. यह आंकड़ा पिछले साल से थोड़ा ज्यादा है. पिछले साल अर्थव्यवस्था में 500 और 2,000 के नोट 83.4 परसेंट थे, लेकिन इस बार 85.7 परसेंट हैं.
आर्थिकी (economy) में सभी नोटों का हिसाब लगाएं कि सबसे ज्यादा और सबसे कम कौन है तो इसमें 500 रुपये का नोट सबसे ऊपर है. वॉल्यूम के हिसाब से देखें तो 500 के नोट का शेयर सबसे ज्यादा है और यह 31.1 परसेंट के आसपास है. उसके बाद 10 रुपये का नोट आता है जिसका वॉल्यूम 23.6 परसेंट है. नोटों की यह मात्रा 31 मार्च, 2021 के चलन के हिसाब से बताई गई है.
2,000 नया नोट नहीं छपा
पिछले साल के रिपोर्ट में बताया गया था कि वित्तीय वर्ष 2020 में 2,000 रुपये का एक भी नया नोट नहीं छापा गया. सुरक्षा का हवाला देते हुए देश के इस सबसे बड़े नोट की छपाई पर रोक लगा दी गई. कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि जाली नोट मिलने की घटनाएं सामने आई हैं जिसके बाद आरबीआई ने नोटों को कम करने या बाजार से सभी नोटों को वापस मंगा लेने का निर्णय किया. साल 2018 में 2,000 के नोटों का प्रचलन 33,632 की तादाद में था जो 2019 में घटकर 32,910 पर आ गया. मार्च 2020 में यह संख्या घटकर 27,398 रह गई.
क्या हुआ था नोटबंदी में
साल 2016 में केंद्र सरकार ने नोटबंदी का ऐलान किया था जिसमें देश के दो सबसे बड़े नोट 500 और 1,000 को प्रचलन ने बाहर कर दिया गया. यह कदम काला धन पर रोक लगाने के लिए उठाया गया था. उसके बाद अर्थव्यवस्था में 2,000 के नए नोट जोड़े गए. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 1 जुलाई, 2020 से 31 मार्च 2021 तक सिक्योरिटी प्रिंटिंग पर कुल 4,012.1 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
पिछले साल जुलाई 2019 से जून 2020 तक सिक्योरिटी प्रिंटिंग पर 4,377.8 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. जाली नोटों के बारे में रिजर्व बैंक ने कहा कि कुल नकली नोटों में 3.9 परसेंट रिजर्व बैंक में जबकि 96.1 परसेंट अन्य बैंकों में पाए गए थे. 2020-21 के दौरान कुल 2,08,वॉल्यूम रिपोर्ट और लिक्विडिटी 625 जाली नोट पकड़ में आए. 2019-20 में यह संख्या 2,96,695 थी और 2018-19 में 3,17,384 थी.
AMC के बिज़नेस में उतरने की तैयारी में Zerodha, CEO नितिन कामत ने कंपनी और मार्केट के भविष्य पर क्या कहा?
भारत अब दुनिया भर के उन अंतिम कुछ देशों में से एक है जिसके पास तेज ग्रोथ है, एक स्थिर सरकार है.
लोगों की भारत में वॉल्यूम रिपोर्ट और लिक्विडिटी बहुत दिलचस्पी है. इसलिए जब भी बाजार गिरता है, तो यह भारत उतना नहीं गिरता है जितना कि अमेरिका या अन्य देशों में. भारतीय शेयर बाजार में अभी बहुत सी पूंजी आ रही है. सिर्फ रिटेल ही नहीं, बल्कि विदेशी पूंजी भी.
- News18Hindi
- Last Updated : September 03, 2022, 12:05 IST
हाइलाइट्स
नितिन कामत (Nithin Kamath), देश की सबसे बड़ी ब्रोकिंग फर्म Zerodha के को-फाउंडर और सीईओ हैं.
भारत अब दुनिया भर के उन अंतिम कुछ देशों में से एक है जिसके पास तेज ग्रोथ है, एक स्थिर सरकार है.
मैं यह कह सकता हूं कि भारतीय बाजारों का प्रदर्शन दूसरे देशों के मुकाबले बेहतर रहना जारी रहेगा.
नई दिल्ली. नितिन कामत (Nithin Kamath), देश की सबसे बड़ी ब्रोकिंग फर्म जीरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर और सीईओ हैं. मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने ब्रोकिंग इंडस्ट्री, जीरोधा के सामने आने वाली चुनौतियों, उनके प्रतिद्वंदी कंपनियां कैसे फंडिंग की कमी का सामना करेंगी, उनकी भविष्य की योजनाएं और सेबी जैसी नियामकीय संस्थाओं के साथ अपने अनुभव को लेकर खुलकर बात की है. आज यहां हम उनसे बातचीत के मुख्य अंश आप सबसे साझा कर रहे हैं.
सवाल: आपने हाल ही में 1 करोड़ ग्राहकों की संख्या को छू लिया है. इसके लिए आपको बधाई! आपने बताया था कि जो ब्रोकर्स खाता खोलने का कोई शुल्क नहीं लेते हैं, उनके पास निष्क्रिय खातों का ढेर लग सकता है. क्या आप मुझे जीरोधा के निष्क्रिय खातों का अनुपात बता सकते हैं?
जवाब: हमारे पास 70 लाख ग्राहक हैं जिन्होंने पिछले साल कम से कम एक बार ट्रेड किया था. तो हां, हमारे पास 70 प्रतिशत सक्रिय खाते हैं. हमारे पास लगभग 50 लाख से अधिक खाते हैं जहां लोग डीमैट खातों में स्टॉक रखते हैं.
सवाल: अब एक बड़े कस्टमर बेस को हासिल करने और तगड़े कॉम्पिटीशन को देखते हुए, क्या आपको लगता है कि आने वाले समय में ग्रोथ धीमा हो सकता है? अगले 5 साल या निकट अवधि में CAGR से आपकी क्या उम्मीदें है?
जवाब: देखिए बात यह है कि इंडस्ट्री की ग्रोथ पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है कि बाजार कैसा प्रदर्शन करेगा. अगर आप अनुमान लगा सकते हैं कि निफ्टी क्या करेगा, तो आप अनुमान लगा सकते हैं कि ब्रोकिंग बिजनेस का प्रदर्शन कैसा रहेगा. अब, यह अनुमान लगाना वास्तव में कठिन है कि निफ्टी अगले तीन, चार या 5 सालों में क्या करेगा.
फिर भी अगर यह माना जाए कि निफ्टी अच्छा प्रदर्शन करेगा, तो मुझे लगता है कि नए यूजर्स के मामले में इंडस्ट्री में साल-दर-साल (YoY) आधार पर 20 प्रतिशत की ग्रोथ देखने को मिल सकती है.
सवाल: क्या आप बाजार के ग्रोथ के मुताबिक आगे बढ़ेंगे या इंडस्ट्री से बेहतर प्रदर्शन करेंगे?
जवाब: कॉम्पिटीशन काफी ज्यादा है. हालांकि हम अभी भी मानते हैं कि हमारे पास एक बेहतर प्रोडक्ट है. मैं यही कहूंगा कि हम वॉल्यूम रिपोर्ट और लिक्विडिटी अपने साथियों से बेहतर प्रदर्शन करना जारी रखेंगे.
सवाल: क्या आपके पास इंस्टीट्यूशनल ग्राहक भी हैं? अगर नहीं, तो क्या उन्हें जोड़ने की कोई योजना है?
जवाब: नहीं, हमारे पास केवल रिटेल क्लाइंट्स हैं. इंस्टीट्यूशन को निवेश के लिए रिसर्च, लिक्विडिटी और कंपनियों की अहम मैनेजमेंट रिपोर्ट का एक्सेस चाहिए होता है. हमारे पास इसके लिए कौशल नहीं है. साथ ही यह एक बहुत अधिक कॉम्पिटीशन वाला बाजार है और इसमें पैसा नहीं है. कुल मिलाकर बाजार का आकार भी बहुत बड़ा नहीं है. इन्हीं वजहों से हमने उनसे दूर रहने का फैसला किया.
सवाल: भारतीय बाजार में आपने अच्छी पकड़ बना ली है. ऐसे में क्या आप अब दूसरे देशों में भी विस्तार की योजना बना रहे हैं?
जवाब: नहीं, ऐसा नहीं है. साल 2018-19 में मैंने यह रिसर्च करने में कुछ समय खर्च किया था कि क्या हमने जो बनाया है, उसे दूसरे देशों में भी लागू किया जा सकता है. हालांकि रेगुलेशन, बैकएंड तकनीकों आदि के मामले में हर देश अलग है. यह फेसबुक और गूगल की तरह नहीं है, जहां एक ही प्लेटफॉर्म हर देश में बिना किसी बाधा के काम कर सकता है. इसलिए आपको कोई ग्लोबल ब्रोकिंग फर्म जल्द देखने को नहीं वॉल्यूम रिपोर्ट और लिक्विडिटी मिलती है.
सवाल: अतीत में हमने देखा है कि बाजार नीचे जाने के साथ ट्रेडिंग वॉल्यूम भी कम हो जाता है। आप अगले एक साल में वॉल्यूम में कितनी गिरावट की उम्मीद करते हैं?
जवाब: सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि बाजार कैसे व्यवहार करता है। इसलिए अगर बाजार नीचे जाता है, तो निश्चित रूप से ट्रेडिंग वॉल्यूम नीचे जाएगा और प्लेटफॉर्म पर आने वाले नए यूजर्स की संख्या भी घटेगी.
सवाल: जीरोधा के यूजर्स बार-बार ट्रेडिंग के समय तकनीकी खामियों की रिपोर्ट करते हैं. क्या यह किसी तकनीकी खामी के चलते होता है या बहुत ज्यादा वॉल्यूम के वजह से?
जवाब: सबसे हालिया मामला कारोबार खुलने के पहले 5 मिनट में प्राइस टिक को लेकर है. ऑर्डर देने में कोई दिक्कत नहीं है. अगर आप पीरियड में लगातार वॉल्यूम रिपोर्ट और लिक्विडिटी लॉग आउट करते रहेंगे तो यह टिक नहीं करेगा. लेकिन अगर आप 20-30 सेकेंड तक रुक कर इंतजार करते हैं तो यह टिक करना शुरू कर देगा. ज्यादातर लोग यह करते हैं कि अगर उन्हें प्राइस टिक होता हुआ नहीं दिखता है तो ऐप को अचानक बंद कर देते हैं और फिर से लॉन्च करते हैं.
हमारे ग्राहक सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, वे महानगरों में रह रहे हैं, और वे अंग्रेजी बोलने वाले हैं. हमारे पास ट्विटर यूजर्स काफी ज्यादा हैं, ऐसे में हमें बैंक-आधारित ब्रोकर्स से भी अधिक शिकायतें मिलती हैं, जो सबसे अधिक तकनीकी गड़बड़ियों का सामना वे करते हैं. हम अपने ‘अपटाम बनाम एक’ कॉम्पिटीशन को लोकल ही नहीं, ग्लोबल स्तर पर ट्रैक करते हैं. मुझे लगता है, पिछले 12 महीनों में, हमारे पास डाउनटाइम कम रहा है.
सवाल: जीरोधा और कौन से नए बिजनेस मॉडल पर काम कर रहा है?
जवाब: कुछ खास नहीं. हमने एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) लाइसेंस के लिए आवेदन किया है. हम मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. अंतिम मंजूरी अभी बाकी है.
सवाल: आप म्यूचुअल फंड (MF) बिजनेस कब शुरू कर रहे हैं?
जवाब: जब आप AMC लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं, तो SEBI आपको सबसे पहले सैद्धांतिक मंजूरी देता है. एक बार जब वे सैद्धांतिक मंजूरी दे देते हैं, तो आपको बोर्ड का गठन करना होगा, कस्टोडियन को नियुक्त करना होगा, पूरी ऑपरेशनल प्लानिंग तैयार करनी होगी और फिर अंतिम मंजूरी के लिए उनके पास वापस जाना होगा. हम अंतिम मंजूरी के लिए उनके पास गए हैं. अंतिम मंजूरी मिलने के तीन महीने के भीतर, हम म्यूचुअल फंड बिजनेस शुरू कर सकते हैं.
सवाल: बाजार पर एक बार फिर से आते हैं. यूएस फेड की टिप्पणी के बाद बिकवाली का एक और दौर शुरू हो गया है. क्या आपको लगता है कि बाजार में जून के मध्य से आई तेजी खत्म हो सकती है?
जवाब: यह वास्तव में काफी मुश्किल सवाल है. किसी के लिए भी इसका अनुमान लगाना लगभग नामुमकिन सा है. लोगों की भारत में बहुत दिलचस्पी है. इसलिए जब भी बाजार गिरता है, तो यह भारत उतना नहीं गिरता है जितना कि अमेरिका या अन्य देशों में. भारतीय शेयर बाजार में अभी बहुत सी पूंजी आ रही है. सिर्फ रिटेल ही नहीं, बल्कि विदेशी पूंजी भी.
भारत अब दुनिया भर के उन अंतिम कुछ देशों में से एक है जिसके पास तेज ग्रोथ है, एक स्थिर सरकार है, और आपके पास लोगों की सही वॉल्यूम रिपोर्ट और लिक्विडिटी वॉल्यूम रिपोर्ट और लिक्विडिटी जनसांख्यिकी है. खासतौर से 20-30 साल के युवाओं की एक बड़ी संख्या. तो, ये सभी कारक हैं जो विश्व स्तर पर भारत में बहुत रुचि पैदा करते हैं. इसलिए, हम बेहतर प्रदर्शन कर वॉल्यूम रिपोर्ट और लिक्विडिटी रहे हैं. मैं यह कह सकता हूं कि भारतीय बाजारों का प्रदर्शन दूसरे देशों के मुकाबले बेहतर रहना जारी रहेगा. हालांकि बाजार की दिशा को लेकर कोई अनुमान लगाना वाकई मुश्किल है.
ब्रेकिंग न्यूज़ वॉल्यूम रिपोर्ट और लिक्विडिटी हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
लाइटनिंग लैब ने फ्लैश बैटरी लिक्विडिटी मार्केट की शुरुआत की
पूल की मदद से, उपयोगकर्ता आसानी से तरलता प्राप्त करने या देशी बिटकॉइन राजस्व प्राप्त करने के लिए चैनलों का व्यापार कर सकते हैं। ?
अधिक जानें और अभी ट्रेडिंग शुरू करें: https://t.co/tOe7xs6Rac
-LightningLabs⚡️ (@lightning) 2 नवंबर, वॉल्यूम रिपोर्ट और लिक्विडिटी 2020
पहले, नोड को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि साथियों ने कितने फंड भेजे हैं और फंड आवंटन की दक्षता। उपयोगकर्ता समूह चैट और ओवर-द-काउंटर सेवाओं के माध्यम से इस समस्या को हल करने का प्रयास करते हैं।
फ्लैश बैटरी बाजार लाइटनिंग नेटवर्क की तरल संपत्तियों को एक विनिमेय वित्तीय उत्पाद LiFi में परिवर्तित करता है। मूल्य निर्धारण संकेतों की मदद से, नोड्स समझ सकते हैं कि बाजार को कब और कहां तरलता की आवश्यकता है।
संदेश में कहा गया है: “खनन पूल में खरीदारों द्वारा आय प्रदान की जाती है, और वे बिचौलियों के साथ काम करने पर जोखिम के बिना लाइटनिंग नेटवर्क में नए फंड के उपयोग के लिए अतिरिक्त भुगतान करने को तैयार हैं”।
याद रखें कि अक्टूबर की शुरुआत में, डेवलपर्स ने LND क्लाइंट के लाइटनिंग नोड के ऑपरेटरों से तुरंत संस्करण 0.11.0 या उच्चतर संस्करण में अपडेट करने का आग्रह किया था। इसका कारण भेद्यता थी, लेकिन टीम ने तकनीकी विवरणों के बारे में विस्तार से नहीं बताया।
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सूचना स्रोत: 0x जानकारी द्वारा FORKLOG से संकलित।कॉपीराइट लेखक, ForkLog से संबंधित है, और अनुमति के बिना पुन: प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है