विदेशी मुद्रा दर राजस्थान

विदेशी मुद्रा भंडार घटा, भुगतान संतुलन का संकट तो नहीं?
दुनिया भर के देशों के सामने आ रहे आर्थिक संकट के विदेशी मुद्रा दर राजस्थान बीच अब भारत की आर्थिक स्थिति को लेकर आख़िर चिंताएँ क्यों उठने लगी हैं? क्या विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ रहा है इसलिए?
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विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है। डॉलर के मुक़ाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। भुगतान संतुलन में भी कुछ गड़बड़ी दिख रही है। तो क्या ये किसी आर्थिक संकट की ओर इशारा करते हैं?
भुगतान संतुलन को किसी देश की आर्थिक स्थिति को पता लगाने की अहम नब्ज माना जा सकता है। अब यदि इस आधार पर देखें तो भारत की आर्थिक स्थिति कितनी ख़राब या कितनी बढ़िया दिखती है? इस हालात को समझने से पहले यह समझ लें कि भुगतान संतुलन क्या है। तकनीकी भाषा में कहें तो किसी देश के भुगतान संतुलन उसके शेष विश्व के साथ एक समय की अवधि में किये जाने वाले मौद्रिक लेन-देन का विवरण है। लेकिन मोटा-मोटी समझें तो भुगतान संतुलन का मतलब है कि किसी देश के विदेशी मुद्रा भंडार में अपने आयात के बिल को चुकाने की क्षमता कितनी है।
भारत को 1991 में अपने सबसे बड़े भुगतान संतुलन संकट का सामना करना पड़ा था। उसी संकट के बाद भारत ने आर्थिक सुधार कार्यक्रम को गति दी। उस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अपने आयात बिल के एक महीने से भी कम समय के लिए भुगतान कर सकता था। इसे ख़तरे के निशान में माना जाता है। क्योंकि यदि किसी देश के पास एक महीने से भी कम भुगतान करने के लिए पैसे न हों तो वह देश कंगाल हो सकता है। इसकी मिसाल श्रीलंका में मौजूदा संकट में भी मिलती है। श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार खाली था और उसके पास सामान आयात करने पर उसके चुकाने के भी पैसे नहीं थे। वह पेट्रोल-डीजल भी नहीं खरीद पा रहा था। बिजली संकट पैदा हो गया था। कई ज़रूरी चीजें आयात नहीं हो पा रही थीं। इसी वजह से वह देश कंगाल घोषित हो गया।
बहरहाल, भारत का भुगतान संतुलन 1991 के बाद से लगातार सुधरा। कभी-कभार उतार-चढ़ाव को छोड़ दिया जाए तो विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ता गया। 1991 के बाद से आयात के बिल को चुकाने के लिए भारत के पास विदेशी विदेशी मुद्रा दर राजस्थान मुद्रा भंडार पर्याप्त रहा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी सीएमआईई के आँकड़ों से पता चलता है कि मार्च 1992 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतना था कि तब के 4.8 महीने के आयात का भुगतान किया जा सकता था।
2000 के पहले दशक में यह विदेशी मुद्रा भंडार इतना हो गया कि 16 महीने से भी ज़्यादा के आयात का भुगतान किया जा सका था। अप्रैल 2020 में तो यह 28.1 महीने तक पहुँच गया। लेकिन उसके बाद से यह लगातार कम होता गया।
अगस्त 2022 के महीने में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 8.8 महीने के आयात के लिए भुगतान के बराबर है। यह आँकड़ा अप्रैल 2020 के बाद भारी गिरावट को दिखाता है।
वैसे, आर्थिक मामलों के जानकार इस गिरावट को विदेशी मुद्रा दर राजस्थान ख़तरे के निशान के तौर पर नहीं देखते हैं। लेकिन चिंता की बात यह है कि 2 साल से लगातार स्थिति ख़राब होती दिख रही है। सवाल है कि क्या आगे स्थिति सुधरेगी?
विदेशी मुद्रा भंडार 16 सितंबर को समाप्त सप्ताह में कम होकर 545.65 अरब डॉलर पर आ गया है। यह मार्च 2022 में 607.31 अरब डॉलर था। इधर, आज के शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले घरेलू मुद्रा 40 पैसे गिरकर 81.93 रुपये के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गई। आरबीआई ने पिछले कुछ महीनों में रुपये के मूल्य को स्थिर करने के लिए विदेशी विदेशी मुद्रा दर राजस्थान मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इस्तेमाल किया है।
पहले दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के आर्थिक तंगी से गुजरने के बाद भी भारत की अर्थव्यवस्था की सेहत अच्छी बताई जा रही थी। लेकिन अब कहा जा रहा है कि भारत पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। और इसी वजह से भारत की आर्थिक वृद्धि की दर के पूर्वानुमानों को अब पहले से कम किया जा रहा है।
बता दें कि मशहूर अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी ने हाल ही में 2022 में भयावह आर्थिक मंदी की चेतावनी दी है। रूबिनी को संदेह है कि अमेरिका और वैश्विक मंदी पूरे 2023 तक चलेगी और यह इस बात पर विदेशी मुद्रा दर राजस्थान निर्भर करता है कि आपूर्ति के झटके और वित्तीय संकट कितने गंभीर होते हैं।
नूरील रूबिनी वो अर्थशास्त्री हैं जिन्होंने 2008 के आर्थिक संकट की सटीक भविष्यवाणी की थी। कहा जाता है कि जब उन्होंने आर्थिक संकट के बारे में सबसे पहले बात की थी, तब किसी ने उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया था, लेकिन उनकी सारी बातें सही साबित हुईं। तब अमेरिका गंभीर आर्थिक संकट से गुजरा था। नूरील रूबिनी को उनकी 2008 की सटीक भविष्यवाणी के लिए डॉ. डूम का उपनाम दिया गया था।
कहा जा रहा है कि दुनिया भर की आर्थिक अनिश्चितताओं, बढ़ती महंगाई ने आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित किया है। जब दुनिया की अर्थव्यवस्थाएँ तंग होंगी तो भारत भी प्रभावित होगा। ऐसे हालात में कहा जा रहा है कि सरकार को राजकोषीय घाटा को काबू में रखना मुश्किल होगा। हालाँकि सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत रखने के लक्ष्य पर कायम है। लेकिन क्या यह इस लक्ष्य को पाने में सफल होगी?
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, व्यापार घाटा 43 महीने के उच्चतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा
मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. यह गिरावट विदेशी मुद्रा आस्तियों में बढ़ोतरी के बावजूद आई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है.
इससे पहले के सप्ताहांत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.76 अरब डॉलर घटकर 406.06 अरब डॉलर रह गया था.
इससे पूर्व विदेशी मुद्रा भंडार 13 अप्रैल 2018 को 426.028 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया था. आठ सितंबर 2017 को मुद्रा भंडार पहली बार 400 अरब डॉलर के स्तर को लांघ गया था लेकिन उसके बाद से उसमें उतार-चढ़ाव बना रहा.
रिजर्व बैंक के आंकड़े दर्शाते हैं कि समीक्षाधीन सप्ताह में कुल मुद्राभंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा, विदेशी मुद्रा आस्तियां 7.39 करोड़ डॉलर की मामूली वृद्धि के साथ 380.792 अरब डॉलर की हो गईंं.
डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले मुद्राभंडार में रखे गये विदेशी मुद्रा आस्तियां, यूरो, पॉंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की मूल्य वृद्धि अथवा उनके अवमूल्यन के प्रभावों को भी अभिव्यक्त करता है.
समीक्षाधीन सप्ताह में स्वर्ण भंडार 32.99 करोड़ डॉलर घटकर 21.039 अरब डॉलर रह गया.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में विशेष निकासी अधिकार 29 लाख डॉलर बढ़कर 1.489 अरब डॉलर हो गया.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि आईएमएफ में देश का मुद्राभंडार भी 49 लाख डॉलर बढ़कर 2.489 अरब डॉलर का हो गया.
व्यापार घाटा 43 माह के उच्चस्तर पर
वहीं, देश का निर्यात कारोबार जून में 17.57 प्रतिशत बढ़कर 27.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पेट्रोलियम और रसायन जैसे क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन की वजह से निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. हालांकि, कच्चे तेल का आयात महंगा होने से व्यापार घाटा 43 महीने के उच्च स्तर 16.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
वाणिज्य मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन महीने में आयात भी 21.31 प्रतिशत बढ़कर 44.3 अरब डॉलर रहा.
जून, 2018 में व्यापार घाटा नवंबर, 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है. उस समय व्यापार घाटा 16.86 अरब डॉलर रहा था. जून, 2017 में व्यापार घाटा 12.96 अरब डॉलर था.
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की तिमाही में निर्यात 14.21 प्रतिशत बढ़कर 82.47 अरब डॉलर रहा है. पहली तिमाही में आयात 13.49 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 127.41 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इस दौरान व्यापार घाटा 44.94 अरब डॉलर रहा.
जून में पेट्रोलियम उत्पादों, रसायन, फार्मास्युटिकल्स, रत्न एवं आभूषण तथा इंजीनियरिंग क्षेत्रों की वजह से निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ.
हालांकि, इस दौरान कपड़ा, विदेशी मुद्रा दर राजस्थान चमड़ा, समुद्री उत्पाद, पॉल्ट्री, काजू, चावल और कॉफी के निर्यात में गिरावट आई.
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष गणेश गुप्ता ने बढ़ते व्यापार घाटे पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे चालू खाते का घाटा (कैड) प्रभावित होगा, जिससे राजकोषीय मोर्चे पर सरकार की परेशानी बढ़ेगी.
जून माह के दौरान कच्चे तेल का आयात 56.61 प्रतिशत बढ़कर 12.73 अरब डॉलर रहा.
वहीं, सोने का आयात तीन प्रतिशत घटकर 2.38 अरब डॉलर रह गया.
इसके बीच, भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार मई में सेवाओं का निर्यात 7.91 प्रतिशत घटकर 16.17 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा दर राजस्थान रह गया. माह के दौरान सेवाओं में व्यापार संतुलन 5.97 अरब डॉलर रहने का अनुमान है. मई में सेवाओं का आयात 10.21 अरब डॉलर रहा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रूपए की विनिमय दर में 11 पैसे का सुधार
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मुंबईं, घरेलू शेयर बाजार में कमजोर रख के बावजूद अन्तरबैंक विदेशीमुद्रा विनिमय बाजार में शुावार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रूपया शुरूआती नुकसान से उबरते हुए 11 पैसे की तेजी के साथ 74.12 (अनंतिम) पर बंद हुआ अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रूपये में भारी उतार चढ़ाव रहा। रूपया नुकसान के साथ 74.33 रूपये प्रति डॉलर पर खुला। यह एक दिन पहले 74.23 रूपये पर बंद हुआ था। कारोबार के दौरान यह 74.11 से 74.35 रूपये के दायरे में रहा और अंत में पिछले दिन के बंद भाव के मुकाबले 11 पैसे की तेजी के साथ 74.12 रूपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर विदेशी मुद्रा दर राजस्थान सूचकांक 0.03 प्रतिशत बढ़कर 94.25 हो गया। बीएसईं का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 360.78 अंक की गिरावट के साथ 58,765.58 अंक पर बंद हुआ। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक, पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने बृहस्पतिवार को 2,225.60 करोड़ रूपये विदेशी मुद्रा दर राजस्थान के शेयरों की बिकवाली की।
विदेशी मुद्रा भंडार 3.68 अरब डॉलर बढ़कर 461.15 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
नई दिल्ली। देश का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व 461.157 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। आरबीआई के आंकड़े के मुताबिक समाप्त सप्ताह में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 3.689 अरब डॉलर का इजाफा हुआ। केंद्रीय बैंक के आंकड़े के मुताबिक पिछले सप्ताह देश का विदेश मुद्रा भंडार 2.52 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 454.948 अरब डॉलर हो गया था।
रिजर्व बैंक की ओर से आंकड़े के मुताबिक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति में मुख्य रूप से वृद्धि की वजह से फॉरेन रिजर्व में यह उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है। आलोच्य सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 3.013 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 427.949 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंच गया। विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति में विदेशी मुद्रा भंडार में जमा यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में भाव तेजी या अवमूल्यन के प्रभाव को शामिल किया जाता है।
विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति को डॉलर के टर्म में एक्सप्रेस किया जाता है। केंद्रीय बैंक के आंकड़े के मुताबिक आलोच्य सप्ताह में देश का गोल्ड रिजर्व यानी स्वर्ण भंडार 66.6 करोड़ डॉलर की बढ़ोत्तरी के साथ 28.058 अरब डॉलर हो गया।
आंकड़ों के मुताबिक समाप्त सप्ताह में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से देश का विशेष निकासी अधिकार 70 लाख डॉलर बढ़कर 1.447 अरब डॉलर हो गया। इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में देश का रिजर्व 30 लाख डॉलर बढ़कर 3.703 अरब डॉलर हो गया।
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, व्यापार घाटा 43 महीने के उच्चतम स्तर पर, स्वर्ण भंडार भी घटा
मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया. यह गिरावट विदेशी मुद्रा आस्तियों में बढ़ोतरी के बावजूद विदेशी मुद्रा दर राजस्थान आई है. भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों में इस बात की जानकारी दी गई है.
इससे पहले के सप्ताहांत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.76 अरब डॉलर घटकर 406.06 अरब डॉलर रह गया था.
इससे पूर्व विदेशी मुद्रा भंडार 13 अप्रैल 2018 को 426.028 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया था. आठ सितंबर 2017 को मुद्रा भंडार पहली बार 400 अरब डॉलर के स्तर को लांघ गया था लेकिन उसके बाद से उसमें उतार-चढ़ाव बना रहा.
रिजर्व बैंक के आंकड़े दर्शाते हैं कि समीक्षाधीन सप्ताह में कुल मुद्राभंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा, विदेशी मुद्रा आस्तियां 7.39 करोड़ डॉलर की मामूली वृद्धि के साथ 380.792 अरब डॉलर की हो गईंं.
डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले मुद्राभंडार में रखे गये विदेशी विदेशी मुद्रा दर राजस्थान मुद्रा आस्तियां, यूरो, पॉंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की मूल्य वृद्धि अथवा उनके अवमूल्यन के प्रभावों को भी अभिव्यक्त करता है.
समीक्षाधीन सप्ताह में स्वर्ण भंडार 32.99 करोड़ डॉलर घटकर 21.039 अरब डॉलर रह गया.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में विशेष निकासी अधिकार 29 लाख डॉलर बढ़कर 1.489 अरब डॉलर हो गया.
केंद्रीय बैंक ने कहा कि आईएमएफ में देश का मुद्राभंडार भी 49 लाख डॉलर बढ़कर 2.489 अरब डॉलर का हो गया.
व्यापार घाटा 43 माह के उच्चस्तर पर
वहीं, देश का निर्यात कारोबार जून में 17.57 प्रतिशत बढ़कर 27.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पेट्रोलियम और रसायन जैसे क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन की वजह से निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. हालांकि, कच्चे तेल का आयात महंगा होने से व्यापार घाटा 43 महीने के उच्च स्तर 16.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया.
वाणिज्य मंत्रालय के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन महीने में आयात भी 21.31 प्रतिशत बढ़कर 44.3 अरब डॉलर रहा.
जून, 2018 में व्यापार घाटा नवंबर, 2014 के बाद सबसे अधिक रहा है. उस समय व्यापार घाटा 16.86 अरब डॉलर रहा था. जून, 2017 में व्यापार घाटा 12.96 अरब डॉलर था.
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की तिमाही में निर्यात 14.21 प्रतिशत बढ़कर 82.47 अरब डॉलर रहा है. पहली तिमाही में आयात 13.49 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 127.41 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इस दौरान व्यापार घाटा 44.94 अरब डॉलर रहा.
जून में पेट्रोलियम उत्पादों, रसायन, फार्मास्युटिकल्स, रत्न एवं आभूषण तथा इंजीनियरिंग क्षेत्रों की वजह से निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ.
हालांकि, इस दौरान कपड़ा, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, पॉल्ट्री, काजू, चावल और कॉफी के निर्यात में गिरावट आई.
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष गणेश गुप्ता ने बढ़ते व्यापार घाटे पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे चालू खाते का घाटा (कैड) प्रभावित होगा, जिससे राजकोषीय मोर्चे पर सरकार की परेशानी बढ़ेगी.
जून माह के दौरान कच्चे तेल का आयात 56.61 प्रतिशत बढ़कर 12.73 अरब डॉलर रहा.
वहीं, सोने का आयात तीन प्रतिशत घटकर 2.38 अरब डॉलर रह गया.
इसके बीच, भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार मई में सेवाओं का निर्यात 7.91 प्रतिशत घटकर 16.17 अरब डॉलर रह गया. माह के दौरान सेवाओं में व्यापार संतुलन 5.97 विदेशी मुद्रा दर राजस्थान अरब डॉलर रहने का अनुमान है. मई में सेवाओं का आयात 10.21 अरब डॉलर रहा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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