एक सुरक्षित दलाल कौन है?

तो, मान लें कि आपको वह संपूर्ण अपार्टमेंट मिल गया है जो आप जानना आप बसने और जीवन के लिए अपना बनाने जा रहे हैं (या कम से कम कुछ साल), लेकिन यह केवल बिना शुल्क वाले दलालों द्वारा सूचीबद्ध किया जा रहा है। निराशा मत करो! ब्रोकर से पूछें कि क्या मकान मालिक आपके द्वारा शुल्क का भुगतान करने के बदले में किराया कम करने को तैयार होगा। हो सकता है कि आप वास्तविक किराए तक कीमत पर बातचीत करने में सक्षम हों, और यहां तक कि अगर आपको बीच में कहीं मिलना है, तो भी आप हर साल लीज को नवीनीकृत करने के लिए खुद को बड़ी बचत करने का मौका देंगे।
युवा पत्रकारों पर समाज के ठेकेदार दलाल व तथाकथित पत्रकार लगाते हैं आरोप ।
युवा पत्रकारों पर समाज के ठेकेदार दलाल व तथाकथित पत्रकार लगाते हैं आरोप । उमेश दुबे (रिपोर्टर ) भदोही । पुराने समाज के ठेकेदार दलाल व तथाकथित पत्रकार नई पीढ़ी के पत्रकारों को नहीं देना चाहते हैं आगे बढ़ना. बहुत बड़ी विडंबना है कि कुछ तथाकथित पत्रकारों को यह लगने लगा है कि समाज में
युवा पत्रकारों पर समाज के ठेकेदार दलाल व तथाकथित पत्रकार लगाते हैं आरोप ।
उमेश दुबे (रिपोर्टर )
भदोही । पुराने समाज के ठेकेदार दलाल व तथाकथित पत्रकार नई पीढ़ी के पत्रकारों को नहीं देना चाहते हैं आगे बढ़ना. बहुत बड़ी विडंबना है कि कुछ तथाकथित पत्रकारों को यह लगने लगा है कि समाज में सब एक साथ उनके उम्र के ही लोग जवान हो जाते है सब एक साथ पत्रकारिता का कार्य करने के लिए तैयार भी हो जाते हैं और जो पहले आकर जवान हो जाता है वही बुढ़ापे तक का समाज में ठेकेदार बन जाता है मतलब नई युवा पीढ़ी अगर किसी कार्य को करने एक सुरक्षित दलाल कौन है? के लिए समाज में आगे आए तो उनकी संख्या को इजाफा के तौर पर देखा जाने लगता है. लेकिन शायद उन्हें यह नहीं पता कि उनसे जादे पढ़ लिखकर युवा नई तकनीक के साथ उनसे जादे बेहतर कार्य पत्रकारिता में ही नहीं बल्कि किसी भी क्षेत्र में करने के लिए जज्बा लिए आते. पहले वाले तथाकथित समाज के ठेकेदारों को अब कि नए युवा पीढ़ी के पत्रकारों से द्वेष भावना जागृत होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसमें पुराने समाज के तथाकथित पत्रकारों व ठेकेदारों का ब्लॉक से लेकर जिले तक की सारी मट्ठाधिशी समाप्त हो जाती है. जो कुछ भी अवैध तरीके से कार्य उनके द्वारा किए जाते हैं वह भी खुल के सामने आने लगता है ऐसी स्थिति में नए शिक्षा और तकनीक लिए आए पत्रकारों को रास्ते से हटाने का हर हथकंडा अपनाने की कोशिश और शिकायत थाने पुलिस से लेकर जिले के अधिकारियों तक से तथाकथित पत्रकार व समाज के ठेकेदार के द्वारा की जानी लगती है. अब आरोप लगाना उन तथाकथित पत्रकारों दलालों और समाज के ठेकेदारों एक सुरक्षित दलाल कौन है? से बेहतर कौन जान सकता है. चुकी वे खुद पहले अपने समाज में उसी कार्य को करके
बिना शुल्क वाले अपार्टमेंट के बारे में हर कोई क्या एक सुरक्षित दलाल कौन है? गलत करता है
आम तौर पर एजेंटों की तीन श्रेणियां होती हैं जो अपार्टमेंट सूचीबद्ध करती हैं और दिखाती हैं: दलाल जिनके लिए किराएदार शुल्क का भुगतान करते हैं, बिना शुल्क वाले दलाल, और अपार्टमेंट मालिक जो स्वयं नौकरी की देखभाल करते हैं। आप शायद जानते हैं कि सर्वोत्तम सौदे आमतौर पर स्वामी-सूचीबद्ध स्थितियों में पाए जाते हैं। चूंकि प्रक्रिया में बिचौलिए के लिए कोई दलाल नहीं है और श्रद्धांजलि की मांग करता है, मालिक और किराएदार दोनों पैसे बचा सकते हैं। बेशक, यदि आप प्रतिस्पर्धी बाजार के साथ किसी भी बड़े शहर में किराए पर ले रहे हैं, तो संभावना है कि आपके पास ब्रोकर के साथ काम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। उस स्थिति में, एक नो-फीस ब्रोकर बेहतर सौदे की तरह लगता है, है ना? बहुत बुरा है ऐसी कोई बात नहीं .
न्यू यॉर्क और बोस्टन (और कुछ अन्य स्थानों में भी) में आप अपने वार्षिक किराए के 8 से 15 प्रतिशत के बीच कहीं भी भुगतान करने की उम्मीद कर सकते हैं, जिसने आपको अपार्टमेंट सुरक्षित करने में मदद की। इसे परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए, 8 प्रतिशत लगभग एक महीने के किराए के बराबर है। तो, एक काल्पनिक ,500 इकाई के लिए, जिसकी कीमत ,500 जितनी हो सकती है। आउच।
आईपीसी की धारा 120बी – दिमागी साठगांठ दिखाने वाले साक्ष्य के अभाव में आपराधिक साजिश के लिए किसी व्यक्ति को दोषी ठहराना सुरक्षित नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने देखा है कि किसी अवैध कार्य को करने के उद्देश्य से साजिशकर्ताओं के बीच साजिश रचने के लिए दिमागी साठगांठ दिखाने के सबूत के अभाव में किसी व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराना सुरक्षित नहीं है।
न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा पारित 17 मार्च, 2020 के फैसले ("आक्षेपित आदेश") के खिलाफ एक आपराधिक अपील पर विचार कर रही थी। आक्षेपित आदेश के माध्यम से उच्च न्यायालय ने अपीलकर्ता/आरोपी द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया था और अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, रेवाड़ी द्वारा पारित दोषसिद्धि और सजा के आदेश को बरकरार रखा था।
इन बॉलीवुड सेलिब्रिटी के बच्चों को पढ़ा चुकी हैं ममता दलाल
धीरुभाई अंबानी इंटरनेशनल स्कूल में ममता दलाल सिर्फ टीचर ही नहीं है बल्कि वो स्कूल का एडमिन डिपार्टमेंट भी देखती हैं। इतना ही नहीं देश के सबसे बड़े क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर और शाहरुख खान की बेटी सुहाना खान को भी ममता दलाल पढ़ा चुकी हैं। इसके अलावा वो ऐश्वर्या, रवीना टंडन, ऋतिक रोशन और चंकी पांडे के बच्चों को भी पढ़ा चुकी हैं।
वन विभाग की फर्जी एनओसी
चंद्रदीप ने वन भूमि बेचने के लिए डीएफओ, बोकारो के जाली एनओसी (492, दिनांक 27 दिसंबर, 2014) का उपयोग किया है. इसकी जानकारी मिलने के बाद डीएफओ ने अपने पत्रांक-3654, दिनांक 17.12.2019 के जरिये कहा है कि उनके कार्यालय से पत्रांक संख्या-492, दिनांक 17.12.2014 निर्गत नहीं किया गया है. यह कथित एनओसी फर्जी है.
वन विभाग ने लिखा उपायुक्त को पत्र
वन प्रमंडल पदाधिकारी, बोकारो ने उपायुक्त बोकारो को पत्र लिखकर बताया है कि मौजा बांधगोंडा अंतर्गत थाना नंबर-35, प्लॉट नंबर 978 की वन भूमि की फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी बना कर बिक्री की गयी है. विभाग ने जमाबंदी को रद्द करने के लिए भी लिखा है. इस बारे में चास के वन क्षेत्र पदाधिकारी ने अंचल अधिकारी को बिक्री की गयी वन भूमि की जमाबंदी रद करने के लिए लिखा था. इसके आलोक में सीओ ने अखबारों एक सुरक्षित दलाल कौन है? में विज्ञापन देकर उक्त जमीन की खरीद-बिक्री करने वाले लोगों को अपना पक्ष रखने को भी कहा गया था. लेकिन अभी तक न तो जमाबंदी रद्द होने की सूचना है और न ही वन भूमि की खरीद-बिक्री करनेवालों पर किसी तरह की कार्रवाई की जानकारी है.
वन भूमि हड़पने के उद्देश्य से जमीन दलाल चंद्रदीप कुमार ने उक्त जमीन के मूल रैयत के वंशज अशोक शर्मा की जगह अपने भाई कुलदीप कुमार को अशोक शर्मा बना दिया. कुलदीप कुमार ने अशोक शर्मा बनकर 1 एकड़ वन भूमि की फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी चंद्रदीप कुमार के नाम लिख दी. यही नहीं, फर्जी पीओए के आधार पर चंद्रदीप ने अपने छोटे भाई सकलदेव कुमार और रिश्तेदार राज कुणाल को गवाह भी बना दिया. हैरानी की बात तो यह है कि फर्जी पीओए बनाते समय जमीन में मूल रैयत अशोक शर्मा की जमीन ही नहीं बची थी. इसके अलावा चंद्रदीप ने पावर 1 एकड़ जमीन का लिया था, मगर उसने 1.29 एकड़ जमीन बेच दी.
इस डीड से बेची गयी जमीन
डीड संख्या 4753 से 6 डिसमिल, 6928 से 6 डिसमिल, 105/2015 से 20 डिसमिल, 1177/2015 से 28 डिसमिल, डीड संख्या 1178/15 से 6 डिसमिल, डीड संख्या 1179/15 से 6 डिसमिल, डीड संख्या 1180/15 से 6 डिसमिल, डीड संख्या 1728/15 से 11 डिसमिल, डीड संख्या 2614/15 से 6 डिसमिल तथा डीड संख्या 3431/2015 से 6 डिसमिल जमीन विभिन्न लोगों को रजिस्ट्री कर दी गयी है.
चंद्रदीप कुमार द्वारा बेची गयी जमीन के खरीदार कुंवर जी पांडेय, रीता कुमारी, सुनीता सिन्हा, आशा देवी, दामोदर सिंह, रेणु सिन्हा, प्रशांत चंद्रवंशी, बासुदेव, चंद्र किशोर झा, सुनीता सिन्हा आदि हैं.