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इक्विटी शेयर के प्रकार

इक्विटी शेयर के प्रकार

What is share in Hindi | Types of Shares in Hindi | शेयर क्या है और इसके प्रकार

Types of Shares in Hindi ( शेयर के प्रकार )

सेक्शन 43 (Company Act 2013) के अनुसार कंपनी दो तरह के शेयर जारी कर सकती है|

Equity Shares:-

Equity Shares वो शेयर्स होते हैं जो preference शेयर्स नहीं हैं| आसान शब्दों में कहें इक्विटी शेयर होल्डर कंपनी के true (सच्चे) ओनर (मालिक) कहलाते हैं|

  • इक्विटी शेयर पर preference शेयर के बाद डिविडेंड दिया जाता है और Dividend fix नहीं होता है| मान लेते हैं preference शेयर पर डिविडेंड 1,00,000 बनता है और प्रॉफिट भी 1,00,000 ही हुआ है| यहाँ इक्विटी शेयर को प्रॉफिट में हिस्सा नहीं मिलेगा| इसके उलट यदि प्रॉफिट 10,00,000 हुआ है तो इक्विटी शेयर होल्डर को 9,00,000 रूपए मिलेंगे|
  • ऊपर दिए हुए Example में risk इक्विटी शेयर होल्डर ने लिया है इसलिए इक्विटी शेयर होल्डर true ओनर कहलाते हैं|
  • इक्विटी शेयर होल्डर को बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर को चयन करने के लिए वोटिंग राईट होता है|
  • कंपनी की बुक चेक करने का अधिकार होता है|

Preference Shares:-

Preference Shares holder के पास 2 अधिकार होते हैं|

  1. इनको इक्विटी शेयर होल्डर से पहले डिविडेंड दिया जाता है और इनका डिविडेंड फिक्स्ड होता है| जैसे किसी ने कंपनी के 10% preference shares @ 100 each ख़रीदे हैं| यदि 200 शेयर्स ख़रीदे हैं तो 20,000 लगायें हैं| इन्हें 20,000 का 10%, 2000 रूपए डिविडेंड के रूप में मिल जाएगा|
  2. यदि कंपनी बंद होती है, इस परिस्थिति में पहले Preference Share holder का पैसा वापस किया जाएगा| यदि पैसा बचता है तो इक्विटी शेयर होल्डर को जाएगा| बाकि नुक्सान इक्विटी शेयर होल्डर को ही उठाना पड़ेगा|

Types of Preference Shares (प्रेफेरेंस शेयर के प्रकार)

On The Basis of Dividend (लाभ के आधार पर):-

Cumulative Preference Share:-

इस तरह के शेयर्स में पिछले साल का डिविडेंड भी इकठ्ठा होता रहता है, मान लेते हैं 2019 चल रहा है, कंपनी 2018 और 2017 का डिविडेंड कम प्रॉफिट होने के कारण, preference शेयर्स को pay नहीं कर पायी|

इस case में यदि आपके पास Cumulative Preference Share हैं तो आको पिछले साल का भी डिविडेंड मिल जाएगा| इस तरह के शेयर में पिछले साल का डिविडेंड भी इकठ्ठा (Cumulate) होता रहता है|

Non-Cumulative Preference Share:-

इस तरह के शेयर में पिछले साल का डिविडेंड नहीं मिलता है| यदि पिछले साल डिविडेंड मिलने से रहा गया था कम प्रॉफिट होने के कारण तो वो अगले साल नहीं मिलेगा|

On the Basis of Participation in Profits

Participating Preference Shares:-

कंपनी में डिविडेंड पहले preference Shares होल्डर को दिया जाता है इसके बाद Equity शेयर holder को, इसके बाद भी यदि प्रॉफिट बच जाता है, तो इस तरह के प्रॉफिट के लिए भी Preference शेयर्स participate कर सकते हैं| इस तरह के preference शेयर्स, Participating Preference Shares कहलाते हैं| लेकिन यह आर्टिकल ऑफ़ एसोसिएशन (AOA) में लिखा होना चाहिए|

कभी कभी कंपनी इक्विटी शेयर के प्रकार Equity Share holder को भी Fixed Dividend देती है|

Non-Participating Preference Shares:-

इस तरह के शेयर्स को, equity शेयर होल्डर को प्रॉफिट बाटने के बाद बचे हुए प्रॉफिट में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं होता है|

On The Basis of Redemption

Irredeemable Preference Shares:-

इस तरह के शेयर्स का पैसा कंपनी बंद होने के समय पर ही दिया जाता है| लेकिन कंपनी एक्ट 2013 के अनुसार कंपनी लिमिटेड By शेयर्स, Irredeemable Preference Shares issue नहीं कर सकती हैं|

Redeemable Preference Shares:-

इस तरह के शेयर के पैसा कंपनी को 20 साल के भीतर वापस करना होता है, लेकिन Infrastructure Company 20 साल के बाद के भी Redeemable इक्विटी शेयर के प्रकार Preference Shares issue कर सकती है|

On The Basis of Conversion

Convertible Preference Shares:-

इस तरह के शेयर्स का जब टेन्योर (टाइम) पूरा हा जाता है तो शेयर होल्डर पैसा लेने के बजाये इन शेयर्स को equity शेयर्स में कन्वर्ट करवा सकते हैं|

Non-Convertible Preference Shares:-

इस तरह के शेयर्स को कन्वर्ट नहीं किया जा सकता है| टाइम पूरा होने के बाद आपको कंपनी से cash ही मिलेगा|

Difference between Equity Shares and Preference Shares in Hindi

इक्विटी शेयर और प्रेफेरेंस शेयर में अंतर

Basis Preference Share Equity Share
Rate of Dividend डिविडेंड फिक्स्ड रेट पर मिलता है डिविडेंड फिक्स्ड रेट पर नहीं मिलता, Preference शेयर्स पर डिविडेंड देने के बाद बचा हुआ प्रॉफिट इक्विटी शेयर्स को दिया जाता है
Dividend लेने का अधिकार पहले डिविडेंड मिलता है Preference शेयर्स को डिविडेंड मिलने के बाद बचा हुआ प्रॉफिट इन्हें मिलता है
पैसा वापस करने के आधार पर पैसा सेक्शन 55(2) के आधार पर वापस किया इक्विटी शेयर के प्रकार जाता है इनका पैसा कंपनी बंद होने के समय ही वापस किया जाता है, लेकिन सेक्शन 68(2) के अनुसार कंपनी अपने ही शेयर्स को मार्किट से खुद भी खरीद सकती है|
Convertibility इनको equity Shares में कन्वर्ट किया जा सकता है इन्हें कन्वर्ट नहीं किया जा सकता
वोटिंग राईट इन्हें वोटिंग राइट् नहीं होता वोटिंग राईट होता है
Arrear Of Dividend इन्हें पिछले साल का भी डिविडेंड मिल जाता है पिछले साल का डिविडेंड मिल जाता है
Management में हिस्सा लेने का अधिकार अधिक्कर नहीं होता अधिकार होता है

आशा करते है आपको शेयर की यह जानकारी (What is shares and types in Hindi) पसंद आई होगी| आपके कोई और डाउट हैं तो आप कमेंट में पूछ सकते हैं| जवाब देने की पूरी कोशिश करेंगे

10 Best Share Market Tips in Hindi (शेयर मार्केट टिप्स)

10 Best Share Market Tips in Hindi | शेयर मार्केट टिप्स

10 Best Share Market Tips in Hindi (शेयर मार्केट टिप्स)

शेयर बाजार में निवेश का मतलब है किसी कंपनी और उसके कारोबार में निवेश करना। अब जब आप अपना पैसा किसी बिजनेस में लगा रहे हैं तो उस कंपनी के बारे में पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है साथ ही उस कंपनी में वर्तमान में क्या चल रहा है और उस कंपनी ने आने वाले समय में ग्रोथ के लिए क्या किया है, यह भी पता होना आवश्यक हैं।

जिस प्रकार शेयर बाज़ार के नियम होते हैं, ठीक उसी प्रकार यहां कुछ शेयर मार्केट टिप्स (Share Market Tips in Hindi) दी गई हैं जो आपको सही निवेश करने में मदद करेंगी।

1. निवेश करने से पहले सीखना जरुरी है

बिना कुछ जाने कभी भी शेयर बाजार में न कूदें। पहले शेयर बाजार को अच्छी तरह से समझ लें फिर उसमें आएं। परन्तु अब सवाल आता हैं की आखिर शेयर मार्केट कैसे सीखे?

सीखने के लिए खुद को समय दें, बिजनेस से जुड़े अखबार पढ़ें, शेयर बाज़ार की किताबें पढ़े, कंपनियों के बिजनेस प्लान को समझें, बैलेंस शीट पढ़ना सीखें, पी/ई, ईपीएस, आरओई अच्छे से जानें फिर किसी भी शेयर में निवेश करें।

2. अपना निवेश लक्ष्य निर्धारित करें

शेयर मार्केट टिप्स (Share Market Tips in Hindi) में दूसरा सुझाव यह है कि एक निवेशक को सबसे पहले एक निवेश लक्ष्य बनाना चाहिए। कोई भी निवेश शुरू करने से पहले आपको निवेश के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा। और आप लक्ष्य कब निर्धारित कर सकते हैं जब आप जानते हैं कि जिस कारण से आप उस कंपनी में निवेश कर रहे हैं, वह कंपनी कितने समय तक बढ़ सकती है। जैसा कि आज का समय स्मार्टफोन का है, अगर कोई कंपनी स्मार्टफोन बना रही है तो वह बढ़ रही होगी और अपने शेयरधारकों को अच्छा रिटर्न दे रही होगी।

लेकिन क्या आप अभी से 5-10 साल में ग्रोथ की उम्मीद कर सकते हैं?

टेक्नोलॉजी में आए दिन कुछ न कुछ बदलाव और मांगें आती रहती हैं, जिससे आप आने वाले 2-4 सालों में कंपनी में निवेश करके अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं, लेकिन उससे आगे अगर कंपनी किसी नई तकनीक का इस्तेमाल नहीं करती है, तो शायद उसमें आप एक निश्चित समय के बाद ज्यादा लाभ या रिटर्न की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।

वहीं अगर आप ग्रीन एनर्जी जैसी कंपनियों को देखें तो हो सकता है कि अभी इसमें आपको ज्यादा अच्छा प्रदर्शन न दिखे, लेकिन आने वाले समय में आप इससे ज्यादा रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं। इसलिए अगर आप आज ऐसी कंपनी चुनते हैं तो आपको कम से कम 5 साल या उससे ज्यादा समय तक इसे होल्ड करके ही अच्छा रिटर्न कमाने का मौका मिलेगा।

3. अच्छी कंपनी को चुनें

आपको ऐसी कंपनी की इक्विटी (शेयर) खरीदनी चाहिए जो आर्थिक रूप से बहुत मजबूत हो, साथ ही यह भी देखें कि उसका प्रबंधन (मैनेजमेंट) कैसा है। क्योंकि जो कंपनी आर्थिक रूप से कमजोर हो जाती है या जिसका प्रबंधन खराब होता है, उसके शेयर मूल्य घटने की संभावना बढ़ जाती है।

आप निफ्टी और सेंसेक्स में शामिल कंपनियों के शेयर को बेजिझक खरीद सकते हैं क्योंकि वह कंपनियां अपने क्षेत्र की बहुत अच्छी कंपनियां हैं।

4. फंडामेंटल एनालिसिस करें

अब हर टेक्नोलॉजी या ग्रीन एनर्जी कंपनी आपको एक जैसा रिटर्न नहीं दे सकती और साथ ही इन सेक्टर्स की हर कंपनी प्रॉफिटेबल नहीं हो सकती। तो कैसे तय करें कि कौन सी कंपनी किस क्षेत्र में बेहतर है?

उसके लिए कंपनी का मौलिक विश्लेषण (फंडामेंटल एनालिसिस) करना जरुरी है। फंडामेंटल एनालिसिस आपको कंपनी की सभी वैल्यू, प्रॉफिट, रेवेन्यू, डेट आदि की जानकारी देता है। इसके साथ ही वह आने वाले समय में कंपनी में अपेक्षित ग्रोथ की भी जानकारी देता है। एक तरह से फंडामेंटल एनालिसिस किसी भी कंपनी की सभी अच्छी और बुरी चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का एक तरीका है।

इसके लिए आपको कंपनी और उसके व्यवसाय का विस्तार से विश्लेषण करना होगा और विभिन्न अनुपातों की गणना करनी होगी जो आपको अंत में एक सही निर्णय लेने में मदद करता है। इसे आसान बनाने के लिए आप सबसे पहले स्टॉक मार्केट एनालिसिस कर सकते हैं, यानी आप इंडेक्स के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। इससे आप जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि कौन सा क्षेत्र फलफूल रहा है और कौन सा क्षेत्र घट रहा है और उसके अनुसार स्टॉक को श्रेय दे सकते हैं।

5. अलग-अलग सेक्टर्स में इन्वेस्ट करें

अपना सारा पैसा एक ही प्रकार के व्यवसाय में निवेश न करें। थोड़ा-थोड़ा करके आपको अपना पैसा कई तरह की कंपनियों में निवेश करना चाहिए।

शेयर बाजार में आपको निवेश के अलग-अलग विकल्प मिलते हैं जैसे इक्विटी शेयर, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड आदि। साथ ही बाजार में बहुत सारे सेक्टर हैं, आप अलग-अलग निवेश विकल्प चुन सकते हैं या उन सेक्टर्स में निवेश करने की योजना बना सकते हैं जो सेक्टर आने वाले समय में आपको अच्छा रिटर्न दे सकता है।

यह निवेशक को एक स्वस्थ और संतुलित पोर्टफोलियो बनाए रखने में मदद करता है। एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो अस्थिरता के प्रभावों को बेहतर ढंग से संभाल सकता है, क्योंकि एक सेक्टर में गिरावट अक्सर दूसरे में अपट्रेंड का कारण बनती है।

6. एवरेजिंग करें

किसी भी कंपनी में एक ही बार में पूरा पैसा निवेश न करें, बल्कि थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करें। जब भी मार्केट में गिरावट आये तब जिन शेयर्स को आपने पहले से ले रखा है उन्ही शेयर्स को फिर से कम दाम पर खरीद ले, इसे ही एवरेजिंग करना कहा जात है।

इस प्रकार से एवरेजिंग करने पर आपकी एवरेज बाइंग कास्ट निचे जाती जाएगी, और आप भविष्य में शेयर के बढ़ने पर ज्यादा मुनाफा कम सकेंगे। परन्तु एवरेजिंग केवल अच्छी और लो रिस्क कंपनियों के शेयर्स के साथ ही करें।

7. लम्बे अवधि के लिए निवेश करें

आपको शेयर बाजार में लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए। ऐसा करने से लाभ होना की सम्भावना बहुत हद तक बढ़ जाती है। Intra-day ट्रेडिंग से कम समय में अधिक पैसा कमाया जा सकता है लेकिन इसमें जोखिम भी है। इससे आपको नुकसान भी हो सकता है। इसलिए लॉन्ग टर्म निवेश ही करें।

8. भावनाओं पर काबू रखें

शेयर बाजार में निवेश के रास्ते में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक भावनाओं को नियंत्रित करना है। कई निवेशक महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं। समग्र बाजार प्रदर्शन और कंपनियों की कीमतें अल्पावधि में निवेशक भावना को दर्शाती हैं।

कभी-कभी किसी निवेशक का निर्णय अन्य निवेशकों के कार्यों से अत्यधिक प्रभावित होता है। इसके बजाय, तार्किक निर्णय लेने के लिए निवेशक को स्थिति का विश्लेषण करना चाहिए।

भावनाओं पर काबू रखना, इसे आप शेयर मार्केट टिप्स (Share Market Tips in Hindi) में सबसे महत्वपूर्ण सुझावों में से एक के रूप में देखें।

9. पोर्टफोलियो के लिए रिस्क प्रोफाइल बनाएं

स्टॉक एक्सचेंज में निवेश करना जोखिम भरा है, इसलिए आपको अपना खुद का जोखिम प्रोफाइल जरुर बनाना चाहिए। इसमें एक तरह से सुनिश्चित कर लें कि आप कितना रिस्क ले सकते हैं।

ज्यादातर ब्रोकर आपको स्टॉप लॉस ऑर्डर का विकल्प देते हैं। इससे यह फायदा होता है कि जैसे ही शेयर की कीमत गिरने लगती है, तो आपके शेयर को आपके ब्रोकर द्वारा एक विशेष कीमत पर स्वचालित रूप से बेच दिया जाता है। इससे आप नुकसान उठाने से बच जाते हैं।

10. लालची होने से बचें

शेयर बाजार अप्रत्याशित और अत्यधिक अस्थिर हैं। कभी-कभी तो कई अनुभवी निवेशक भी बाजार की चाल को ठीक से समझ नहीं पाते हैं।

इसलिए शुरुआती निवेशकों के लिए यह थोड़ा मुश्किल है। इन्हीं कारणों से ट्रेडर्स को सलाह दी जाती है कि वे अपना निवेश करने से पहले बाजार में प्रवेश और बाहर निकलने की कीमतों का निर्धारण करें।

साथ ही, यह सलाह दी जाती है कि निवेशक द्वारा लक्ष्य प्राप्त करने के बाद पोजीशन को बंद कर दें। इसके बाद वे अपना मुनाफा बुक कर सकते हैं। शेयर बाजार के सुझावों से यह समझना आवश्यक है कि बाजार की स्थितियों की अपेक्षाओं के साथ कभी भी लालची न हों।

अंतिम शब्द

तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने शेयर मार्केट टिप्स (Share Market Tips in Hindi) के बारे में विस्तार से जाना हैं। मैं आशा करता हूँ की आप सभी को हमारा यह आर्टिकल जरुर से पसंद आया होगा।

अब यदि आपको यह लेख पसंद आया हैं और इससे कुछ भी नया सिखने को मिला हो तो इसे अपने सभी दोस्तों के साथ भी जरुर से शेयर करें।

आर्टिकल को अंत तक पढने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

सुधांशु HindiQueries के संस्थापक और सह-संस्थापक हैं। वह पेशे से एक वेब डिज़ाइनर हैं और साथ ही एक उत्साही ब्लॉगर भी हैं जो हमेशा ही आपको सरल शब्दों में बेहतर जानकारी प्रदान करने के प्रयास में रहते हैं।

What is equity cash segment in Hindi :-



Cash segment in Hindi जब कभी हम TV न्यूज़पेपर आदि जगहों पर हम News देखते हैं या पढ़ते हैं तो बात आती है स्टॉक मार्केट की यह होता क्या है हम कैसे समझे यदि आप थोड़ी बहुत जानकारी शेयर बाजार के बारे में रखते हैं तब बात आती है इक्विटी मार्केट की तो equity मार्केट होता क्या है यह कैसे काम करता है यह जानकारी आज हम इस लेख में पड़ेंगे

Stock market, equity market , इक्विटी share क्या है? in Hindi




शेयर का मतलब होता है हिस्सा , और बाजार उस जगह को कहते हैं जहां आप खरीद-बिक्री कर सकें.

उदाहरण के तौर पर यदि हम बात करें तो शेयर बाजार in Hindi का मतलब होता है हिस्सा जैसा कि हम एक कंपनी खोलते हैं तो मुझे पैसे की जरूरत पड़ती है यदि यह पैसा हम Loan पर बैंक से लेते हैं तो बैंक को मुझे INTREST देना पड़ेगा अगर बिजनेस अच्छा हुआ तो अच्छी बात है अगर बिजनेस नहीं अच्छा हुआ तो यहां पर हमारे दोनों जगह से LOSS होने के CHANCE रहते हैं कंपनी का लॉस और बैंक के इंटरेस्ट का loss. तो company इस स्थिति से बचने के लिए कंपनी अपने शेयर issue करती है जो लोग उस कंपनी मैं पैसा देते हैं और उस कंपनी के उतने percent के मालिक बन जाते हैं जब कंपनी पहली बार अपने शेयर मार्केट में issue करती है तो इसे ही हम आईपीओ बोलते हैं.

इक्विटी share क्या है? in Hindi अगर शाब्दिक अर्थ में कहें तो शेयर बाजार (Stock Market) किसी सूचीबद्ध(listed) कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने-बेचने की जगह है. भारत में बोम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) नाम के दो " शेयर बाजार (Stock Market) एक ऐसा market है जहाँ बहुत से companies के shares ख़रीदे और बेचे जाते हैं. किसी कंपनी का share खरीदने का मतलब है उस कंपनी में हिस्सेदार बन जाना. आप जितने पैसे लगायेंगे उसी के हिसाब से कुछ प्रतिशत के मालिक आप उस कंपनी के हो जाते हैं. जिसका मतलब यह है की अगर उस कंपनी को भविष्य में कोई मुनाफा होगा तो आपके लगाये हुए पैसे से (पैसा बढेगा) दुगना पैसा आपको मिलेगा और अगर घाटा हुआ तो आपको एक भी पैसे नहीं मिलेंगे यानि की आपको पूरी तरह से नुकसान होगा.ये एक ऐसी जगह है जहाँ कुछ लोग या तो बहुत पैसे कमा लेते हैं या तो अपने सारे पैसे गवा देते हैं जिस तरह Share market में पैसे बनाना आसान है ठीक उसी तरह यहाँ पैसे गवाना भी उतना ही आसान है क्यूंकि share market in hindi में उतार चढ़ाव होता रहता है

जैसा कि हमने ऊपर पढ़ा शेयर मार्केट क्या होता है आपने देखा कि शेयर का मतलब होता है हिस्सा , और बाजार उस जगह को कहते हैं जहां आप खरीद-बिक्री कर सकें जहां भी share का नाम आता है तो हम उसे ही इक्विटी शेयर कहते हैं इक्विटी शेयर का मतलब होता है उसके आगे या पीछे कुछ नहीं लिखा होना चाहिए जैसे-
Proferance share, DVR SHARE

शेयर कितने प्रकार के होता है?

भारत में मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं

  • Equity share-इक्विटी शेयर
  • Preferance share-प्रेफरेंस शेयर
  • DVR SHARE

What is cash market? in Hindi इक्विटी शेयर का मतलब वहां से होता है only SHARE से होता है जब भी कभी कोई SHARE का नाम लेता है तो वह इक्विटी की ही बात करता है
अगर किसी share के आगे या पीछे कुछ भी ना लिखा हो वहां पर हम उसे इक्विटी शेयर कहते हैं


जब भी कंपनी अपने शेयर मार्केट में issue करती है तो वहां केवल 49% परसेंट ही issue करती है यदि वह 50% कर देती है तो जो भी कोई उस कंपनी का 50% शेयर खरीद लेता है तो वह कंपनी का आधा मालिक हो जाता है तो इस तरह कंपनी के दो मालिक हो जाते हैं इसलिए जब भी कंपनी कभी अपने शेयर इश्यू करती है तो केवल 49 परसेंट ही लोगों में देती है बाकी फुल 51% अपने पास रखती है

जो व्यक्ति उस कंपनी का शेयर खरीदता है उसे ही हम शेयर होल्डर बोलते हैं

जब भी कंपनी का प्रॉफिट होता है तो यह प्रॉफिट शेयर होल्डर को भी मिलता है साथ ही इक्विटी शेयर फोल्डर को सबसे अंत में बचे लाभ में से डिविडेंड के रूप में हिस्सा दिया जाता है और अगर कभी कंपनी के पास प्रॉफिट का पैसा नहीं रहता तो इक्विटी शेयर फोल्डर को कोई लाभ नहीं मिलता

हां यह जरूर है- कि अगर कंपनी ज्यादा लाभ कमा रही है तो इक्विटी शेयर होल्डर को अधिक लाभ मिलने की संभावना होती है

PREFERENCE SHARE( प्रेफरेंस शेयर )क्या होता है? In Hindi




प्रेफरेंस शेयर शब्द का मतलब directly वहां से होता है जहां शेयर होल्डर को कितना लाभ दिया जाएगा यह पहले से ही सुनिश्चित होता है और दूसरा प्रेफरेंस शेयर होल्डर को वोट देने का अधिकार नहीं होता यह सबसे बड़ा फर्क है
इक्विटी और प्रेफरेंस शेयर में यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रेफरेंस शेयर का कई अलग-अलग प्रकार होते हैं
लेकिन ,मुख्य समझने वाली बात यह है- कि आज के समय में प्रेफरेंस शेयर के बजाय कोई भी कंपनी इक्विटी शेयर निर्गमित करने में ज्यादा रुचि रखता है

> BSE क्या है-in hindi?

> NSE क्या है-in Hindi?

DVR SHARE ( डीवीआर )शेयर क्या है

Full form of DVR -
DIFRENTIAL VOTING RIGHT

डीवीआर शेयर वह share होता है जो equity और प्रेफरेंस दोनों share में मिलाजुला होता है इसमें शेयर होल्डर को इक्विटी शेयर होल्डर की तरह पूरी तरह वोटिंग का अधिकार नहीं होता लेकिन डीवीआर शेयर फोल्डर को बहुत अधिक लाभ मिलता है

भारत में केवल दो कंपनियों ने ही डीवीआर शेयर इश्यू किया है पहला TATA MOTAR और दूसराJAIN IRRIGATION


मुझे उम्मीद है की आपको मेरी यह लेख इक्विटी share क्या है? in Hindi जरुर पसंद आई होगी. मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को share market के विषय में Www.hintme.in की तरफ से पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है.

इससे उनकी समय की बचत भी होगी और एक ही जगह में उन्हें सभी information भी मिल जायेंगे. यदि आपके मन में इस article को लेकर कोई भी doubts हैं या आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार होनी चाहिए तब इसके लिए आप नीच comments लिख सकते हैं. अगर आपको डिमैट अकाउंट से जुड़े कोई भी सवाल है तो कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करें और हमें बताएं.

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टाटा मोटर्स जनवरी 2023 से एनवाईएसई से अमेरिकी डिपॉजिटरी रसीदों को हटा देगी

Tata Motors to delist from NYSE from January 2023

भारत की अग्रणी मोटर कंपनी टाटा मोटर्स ने घोषणा की है कि वह जनवरी 2023 से संयुक्त राज्य अमेरिका में दुनिया के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (एनवाईएसई) से अपनी अमेरिकी डिपॉजिटरी रसीदों (एडीआर) को हटा देगी।

टाटा मोटर्स ने कंपनी में विदेशी शेयरधारकों की भागीदारी बढ़ाने और विदेशी पूंजी जुटाने के उद्देश्य से 2004 में एडीआर जारी किया था। टाटा मोटर्स ने कहा कि मौजूदा समय में कंपनी में काफी विदेशी निवेश है और उसके एडीआर मेंविदेशी निवेशकों की दिलचस्पी घट रही है। इसलिए कंपनी ने एडीआर को डीलिस्ट करने का फैसला किया है।

पहली भारतीय कंपनी जिसने एडीआर जारी किया था वह इनफ़ोसिस है जिसने 1999 में इसे जारी किया था और इसे अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज NASDAQ पर लिस्ट किया गया था ।

एडीआर क्या है?

यह एक अमेरिकी डिपॉजिटरी द्वारा अमेरिकी निवेशक को जारी किया गया एक डेरीवेटिव (derivative)उपकरण है जिसे एक अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जाता है। इसे एक गैर-अमेरिकी कंपनी के इक्विटी शेयरों के खिलाफ जारी किया जाता है। एडीआर में कंपनी के शेयर की तरह ही कारोबार किया जाता है और एडीआर धारक के पास वे सभी अधिकार होते हैं जो कंपनी के इक्विटी शेयरधारक को प्राप्त होते है सिर्फ वोटिंग अधिकारों को छोड़कर ।

यह काम किस प्रकार करता है ?

उदाहरण के लिए टाटा मोटर्स विदेशी पूंजी जुटाने और कंपनी में विदेशी भागीदारी बढ़ाने के लिए एडीआर जारी करना चाहती है।

उदाहरण के लिए टाटा मोटर्स या तो नए 10,000 शेयर बनाएगी या कंपनी के मौजूदा शेयरों का उपयोग करेगी। यह एक अमेरिकी डिपॉजिटरी से संपर्क करता है, जैसे सिटी बैंक को और उसे अपने 10,000 शेयर जमा करने के लिए कहता है।

सिटी बैंक टाटा मोटर्स के शेयरों को स्वीकार करेगा और टाटा मोटर्स के जमा शेयरों के बदले रसीद जारी करेगा। मान लीजिए एक शेयर के लिए एक रसीद जारी की जाती है तो कुल 10,000 रसीदें जारी की जाएगी । इन रसीदों को मान लीजये अमेरिकी निवेशक को $ 10 प्रति के रसीद के हिसाब से बेचा जाएगा।

इस प्रकार 10,00,00 डॉलर मूल्य की रसीदें बेची जाएंगी और डिपॉजिटरी अपना कमीशन काटकर शेष राशि इंफोसिस को देगी। इस तरह से टाटा की शेयर सिटी बैंक के पास होगा जबकि इस बदले जारी की गयी रसीद अमेरिकी निवेशिकों के पास होगा इसलिए इसे डेरीवेटिव कहा जाता है ।

इन रसीदों को अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जाएगा और सामान्य शेयरों की तरह इसमें कारोबार किया जाएगा।

अमेरिकी डिपॉजिटरी द्वारा जारी इन रसीदों को अमेरिकी डिपॉजिटरी रसीद कहा जाता है ।

एडीआर के धारक को वोटिंग अधिकार के अलावा टाटा मोटर्स के भारतीय शेयरधारक को मिलने वाले सभी लाभ मिलेंगे। एडीआर धारक को मतदान का अधिकार इसलिए नहीं दिया जाता क्योंकि अभी भी भारत के पास पूर्ण पूंजी खाता परिवर्तनीयता नहीं है।

न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (एनवाईएसई)

यह न्यूयॉर्क शहर संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित दुनिया का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है।

इसे वॉल स्ट्रीट के नाम से भी जाना जाता है। वॉल स्ट्रीट उस स्थान का नाम है जहां वह भवन स्थित है जिसमे एनवाईएसई है।

एनवाईएसई का सूचकांक डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज या डॉव जोन्स है। यह दुनिया का पहला शेयर बाजार सूचकांक है । भारत के बीएसई का सूचकांक सेंसेक्स डॉव जोन्स मॉडल पर आधारित है।

1999 में आईसीआईसीआई एनवाईएसई में सूचीबद्ध होने वाली पहली भारतीय कंपनी थी।

10 Best Share Market Tips in Hindi (शेयर मार्केट टिप्स)

10 Best Share Market Tips in Hindi | शेयर मार्केट टिप्स

10 Best Share Market Tips in Hindi (शेयर मार्केट टिप्स)

शेयर बाजार में निवेश का मतलब है किसी कंपनी और उसके कारोबार में निवेश करना। अब जब आप अपना पैसा किसी बिजनेस में लगा रहे हैं तो उस कंपनी के बारे में पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है साथ ही उस कंपनी में वर्तमान में क्या चल रहा है और उस कंपनी ने आने वाले समय में ग्रोथ के लिए क्या किया है, यह भी पता होना आवश्यक हैं।

जिस प्रकार शेयर बाज़ार के नियम होते हैं, ठीक उसी प्रकार यहां कुछ शेयर मार्केट टिप्स (Share Market Tips in Hindi) दी गई हैं जो आपको सही निवेश करने में मदद करेंगी।

1. निवेश करने से पहले सीखना जरुरी है

बिना कुछ जाने कभी भी शेयर बाजार में न कूदें। पहले शेयर बाजार को अच्छी तरह से समझ लें फिर उसमें आएं। परन्तु अब सवाल आता हैं की आखिर शेयर मार्केट कैसे सीखे?

सीखने के लिए खुद को समय दें, बिजनेस से जुड़े अखबार पढ़ें, शेयर बाज़ार की किताबें पढ़े, कंपनियों के बिजनेस प्लान को समझें, बैलेंस शीट पढ़ना सीखें, पी/ई, ईपीएस, आरओई अच्छे से जानें फिर किसी भी शेयर में निवेश करें।

2. अपना निवेश लक्ष्य निर्धारित करें

शेयर मार्केट टिप्स (Share Market Tips in Hindi) में दूसरा सुझाव यह है कि एक निवेशक को सबसे पहले एक निवेश लक्ष्य बनाना चाहिए। कोई भी निवेश शुरू करने से पहले आपको निवेश के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा। और आप लक्ष्य कब निर्धारित कर सकते हैं जब आप जानते हैं कि जिस कारण से आप उस कंपनी में निवेश कर रहे हैं, वह कंपनी कितने समय तक बढ़ सकती है। जैसा कि आज का समय स्मार्टफोन का है, अगर कोई कंपनी स्मार्टफोन बना रही है तो वह बढ़ रही होगी और अपने शेयरधारकों को अच्छा रिटर्न दे रही होगी।

लेकिन क्या आप अभी से 5-10 साल में ग्रोथ की उम्मीद कर सकते हैं?

टेक्नोलॉजी में आए दिन कुछ न कुछ बदलाव और मांगें आती रहती हैं, जिससे आप आने वाले 2-4 सालों में कंपनी में निवेश करके अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं, लेकिन उससे आगे अगर कंपनी किसी नई तकनीक का इस्तेमाल नहीं करती है, तो शायद उसमें आप एक निश्चित समय के बाद ज्यादा लाभ या रिटर्न की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।

वहीं अगर आप ग्रीन एनर्जी जैसी कंपनियों को देखें तो हो सकता है कि अभी इसमें आपको ज्यादा अच्छा प्रदर्शन न दिखे, लेकिन आने वाले समय में आप इससे ज्यादा रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं। इसलिए अगर आप आज ऐसी कंपनी चुनते हैं तो आपको कम से कम 5 साल या उससे ज्यादा समय तक इसे होल्ड करके ही अच्छा रिटर्न कमाने का मौका मिलेगा।

3. अच्छी कंपनी को चुनें

आपको ऐसी कंपनी की इक्विटी (शेयर) खरीदनी चाहिए जो आर्थिक रूप से बहुत मजबूत हो, साथ ही यह भी देखें कि उसका प्रबंधन (मैनेजमेंट) कैसा है। क्योंकि जो कंपनी आर्थिक रूप से कमजोर हो जाती है या जिसका प्रबंधन खराब होता है, उसके शेयर मूल्य घटने की संभावना बढ़ जाती है।

आप निफ्टी और सेंसेक्स में शामिल कंपनियों के शेयर को बेजिझक खरीद सकते हैं क्योंकि वह कंपनियां अपने क्षेत्र की बहुत अच्छी कंपनियां हैं।

4. फंडामेंटल एनालिसिस करें

अब हर टेक्नोलॉजी या ग्रीन एनर्जी कंपनी आपको एक जैसा रिटर्न नहीं दे सकती और साथ ही इन सेक्टर्स की हर कंपनी प्रॉफिटेबल नहीं हो सकती। तो कैसे तय करें कि कौन सी कंपनी किस क्षेत्र में बेहतर है?

उसके लिए कंपनी का मौलिक विश्लेषण (फंडामेंटल एनालिसिस) करना जरुरी है। फंडामेंटल एनालिसिस आपको कंपनी की सभी वैल्यू, प्रॉफिट, रेवेन्यू, डेट आदि की जानकारी देता है। इसके साथ ही वह आने वाले समय में कंपनी में अपेक्षित ग्रोथ की भी जानकारी देता है। एक तरह से फंडामेंटल एनालिसिस किसी भी कंपनी की सभी अच्छी और बुरी चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का एक तरीका है।

इसके लिए आपको कंपनी और उसके व्यवसाय का विस्तार से विश्लेषण करना होगा और विभिन्न अनुपातों की गणना करनी होगी जो आपको अंत में एक सही निर्णय लेने में मदद करता है। इसे आसान बनाने के लिए आप सबसे पहले स्टॉक मार्केट एनालिसिस कर सकते हैं, यानी आप इंडेक्स के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। इससे आप जानकारी प्राप्त कर सकते हैं कि कौन सा क्षेत्र फलफूल रहा है और कौन सा क्षेत्र घट रहा है और उसके अनुसार स्टॉक को श्रेय दे सकते हैं।

5. अलग-अलग सेक्टर्स में इन्वेस्ट करें

अपना सारा पैसा एक ही प्रकार के व्यवसाय में निवेश न करें। थोड़ा-थोड़ा करके आपको अपना पैसा कई तरह की कंपनियों में निवेश करना चाहिए।

शेयर बाजार में आपको निवेश के अलग-अलग विकल्प मिलते हैं जैसे इक्विटी शेयर, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड आदि। साथ ही बाजार में बहुत सारे सेक्टर हैं, आप अलग-अलग निवेश विकल्प चुन सकते हैं या उन सेक्टर्स में निवेश करने की योजना बना सकते हैं जो सेक्टर आने वाले समय में आपको अच्छा रिटर्न दे सकता है।

यह निवेशक को एक स्वस्थ और संतुलित पोर्टफोलियो बनाए रखने में मदद करता है। एक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो अस्थिरता के प्रभावों को बेहतर ढंग से संभाल सकता है, क्योंकि एक सेक्टर में गिरावट अक्सर दूसरे में अपट्रेंड का कारण बनती है।

6. एवरेजिंग करें

किसी भी कंपनी में एक ही बार में पूरा पैसा निवेश न करें, बल्कि थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करें। जब भी मार्केट में गिरावट आये तब जिन शेयर्स को आपने पहले से ले रखा है उन्ही शेयर्स को फिर से कम दाम पर खरीद ले, इसे ही एवरेजिंग करना कहा जात है।

इस प्रकार से एवरेजिंग करने पर आपकी एवरेज बाइंग कास्ट निचे जाती जाएगी, और आप भविष्य में शेयर के बढ़ने पर ज्यादा मुनाफा कम सकेंगे। परन्तु एवरेजिंग केवल अच्छी और लो रिस्क कंपनियों के शेयर्स के साथ ही करें।

7. लम्बे अवधि के लिए निवेश करें

आपको शेयर बाजार में लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए। ऐसा करने से लाभ होना की सम्भावना बहुत हद तक बढ़ जाती है। Intra-day ट्रेडिंग से कम समय में अधिक पैसा कमाया जा सकता है लेकिन इसमें जोखिम भी है। इससे आपको नुकसान भी हो सकता है। इसलिए लॉन्ग टर्म निवेश ही करें।

8. भावनाओं पर काबू रखें

शेयर बाजार में निवेश के रास्ते में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक भावनाओं को नियंत्रित करना है। कई निवेशक महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं। समग्र बाजार प्रदर्शन और कंपनियों की कीमतें अल्पावधि में निवेशक भावना को दर्शाती हैं।

कभी-कभी किसी निवेशक का निर्णय अन्य निवेशकों के कार्यों से अत्यधिक प्रभावित होता है। इसके बजाय, तार्किक निर्णय लेने के लिए निवेशक को स्थिति का विश्लेषण करना चाहिए।

भावनाओं पर काबू रखना, इसे आप शेयर मार्केट टिप्स (Share Market Tips in Hindi) में सबसे महत्वपूर्ण सुझावों में से एक के रूप में देखें।

9. पोर्टफोलियो के लिए रिस्क प्रोफाइल बनाएं

स्टॉक एक्सचेंज में निवेश करना जोखिम भरा है, इसलिए आपको अपना खुद का जोखिम प्रोफाइल जरुर बनाना चाहिए। इसमें एक तरह से सुनिश्चित कर लें कि आप कितना रिस्क ले सकते हैं।

ज्यादातर ब्रोकर आपको स्टॉप लॉस ऑर्डर का विकल्प देते हैं। इससे यह फायदा होता है कि जैसे ही शेयर की कीमत गिरने लगती है, तो आपके शेयर को आपके ब्रोकर द्वारा एक विशेष कीमत पर स्वचालित रूप से बेच दिया जाता है। इससे आप नुकसान उठाने से बच जाते हैं।

10. लालची होने से बचें

शेयर बाजार अप्रत्याशित और अत्यधिक अस्थिर हैं। कभी-कभी तो कई अनुभवी निवेशक भी बाजार की चाल को ठीक से समझ नहीं पाते हैं।

इसलिए शुरुआती निवेशकों के लिए यह थोड़ा मुश्किल है। इन्हीं कारणों से ट्रेडर्स को सलाह दी जाती है कि वे अपना निवेश करने से पहले बाजार में प्रवेश और बाहर निकलने की कीमतों का निर्धारण करें।

साथ ही, यह सलाह दी जाती है कि निवेशक द्वारा लक्ष्य प्राप्त करने के बाद पोजीशन को बंद कर दें। इसके बाद वे अपना मुनाफा बुक कर सकते हैं। शेयर बाजार के सुझावों से यह समझना आवश्यक है कि बाजार की स्थितियों की अपेक्षाओं के साथ कभी भी लालची न हों।

अंतिम शब्द

तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने शेयर मार्केट टिप्स (Share Market Tips in Hindi) के बारे में विस्तार से जाना हैं। मैं आशा करता हूँ की आप सभी को हमारा यह आर्टिकल जरुर से पसंद आया होगा।

अब यदि आपको यह लेख पसंद आया हैं और इससे कुछ भी नया सिखने को मिला हो तो इसे अपने सभी दोस्तों के साथ भी जरुर से शेयर करें।

आर्टिकल को अंत तक पढने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

सुधांशु HindiQueries के संस्थापक और सह-संस्थापक हैं। वह पेशे से एक वेब डिज़ाइनर हैं और साथ ही एक उत्साही ब्लॉगर भी हैं जो हमेशा ही आपको सरल शब्दों में बेहतर जानकारी प्रदान करने के प्रयास में रहते हैं।

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