फॉरेक्स टाइम

विदेशी बाजार में नए ऑल टाइम लो लेवल पर पहुंचा रुपया
[ सैकत दास | मुंबई ]ऑफशोर मार्केट यानी विदेशी बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपये का भाव 68.
ऑफशोर मार्केट यानी विदेशी बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपये का भाव 68.91 हो गया, जो अब तक का सबसे कम है। इसे नॉन-डिलीवरेबल फॉरवर्ड्स मार्केट कहा जाता है। ग्लोबल इकनॉमी को लेकर चिंता बढ़ने के बाद इनवेस्टर्स अमेरिकी एसेट्स में पैसा लगा रहे हैं। इस वजह से डॉलर की मांग बढ़ी है, जबकि भारत सहित इमर्जिंग मार्केट्स से विदेशी निवेशकों के पैसा निकालने से इन देशों की करेंसी पर प्रेशर बढ़ा है।
जल्द ही डोमेस्टिक स्पॉट एक्सचेंज पर रुपये में यही ट्रेंड दिख सकता है। इससे एक्सपोर्टर्स को राहत मिलेगी, जिन्हें इंटरनेशनल मार्केट में कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। फॉरेक्स रिस्क सॉल्यूशंस फर्म आईएफए ग्लोबल के सीईओ और फाउंडर अभिषेक गोयनका ने बताया, 'डोमेस्टिक स्पॉट एक्सचेंज रेट भी ऑल टाइम लो पर पहुंच सकता है। रिजर्व बैंक रुपये में इस गिरावट को शायद रोकने की कोशिश ना करे क्योंकि आज देश अगस्त 2013 जैसे क्राइसिस से नहीं गुजर रहा है।'
पिछले शुक्रवार को जब डोमेस्टिक करेंसी मार्केट बंद था, तब 25 फरवरी को एक्सपायर होने वाला फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट दुबई गोल्ड एंड कमोडिटी एक्सचेंज यानी डीजीसीएक्स पर 68.95 पर ट्रेड कर रहा था। अगर इसमें से फॉरवर्ड प्रीमियम हटा दिया जाए तो स्पॉट रेट 68.91 होता है। वहीं, अगस्त 2013 में भारतीय करेंसी ने 68.85 का आज तक का सबसे निचला स्तर छुआ था। डीलरों के मुताबिक, इससे रुपये के डोमेस्टिक मार्केट में नए ऑल टाइम लो लेवल पर जाने की आशंका बढ़ गई है। भारतीय करेंसी सोमवार को फिसलकर 68.69 तक आ गई थी, लेकिन बाद में यह डॉलर के मुकाबले 68.60 पर बंद हुई। यह पिछले गुरुवार के मुकाबले 15 पैसे की कमजोरी है।
इस बारे में कोटक सिक्योरिटीज के करेंसी एनालिस्ट अनिंद्य बनर्जी ने बताया, 'इस बार रुपये की कमजोरी को पहले की तरह बुरा नहीं माना जा रहा है, जब यह ऑल टाइम लो लेवल पर पहुंच गया था। रुपये में धीरे-धीरे आ रही गिरावट एक्सपोर्टर्स के लिए फायदेमंद हो सकती है। रुपये में कमजोरी आने से उनका सामान विदेशी बाजार में सस्ता हो सकता है, जिससे निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी।' भारत के एक्सपोर्ट सेक्टर की हालत खराब है। साल भर से अधिक समय से इसमें लगातार गिरावट आ रही है। अमेरिका, ब्रिटेन या यूरोप में काम करने वाले भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए अभी देश पैसा भेजना फायदेमंद हो सकता है क्योंकि उन्हें एक डॉलर में पहले से अधिक रुपये मिलेंगे। कुछ हफ्ते पहले ईटी ने 15 मार्केट पार्टिसिपेंट्स का सर्वे किया था। इसमें यह बात सामने आई थी कि इस साल दिसंबर तक भारतीय करेंसी 72 के लेवल तक जा सकती है।
Forex Trading Strategies in Hindi: फॉरेक्स ट्रेडिंग में मुनाफा कमाने के लिए इस तरह बनाएं स्ट्रेटेजी
Forex Trading Tips in Hindi: How To Invest in Foreign Stock: अगर आप भी फॉरेन स्टॉक में निवेश करना चाहते है लेकिन नहीं मालूम कि फॉरेक्स ट्रेडिंग से मुनाफा कमाने के लिए स्ट्रेटेजी कैसे बनाएं? तो ऐसे में यह लेख आपके लिए इस समस्या का समाधान करेगा। यहां हम Forex Trading Strategies in Hindi पर चर्चा करेंगे।
Best Forex Trading Strategy in Hindi: फॉरेक्स एक्सचेंज, ट्रेडिंग या टूरिज्म जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए एक करेंसी को दूसरी मुद्रा में बदलने की प्रक्रिया है। एक FX या फॉरेन एक्सचेंज ट्रेडिंग ग्लोबल मार्केट स्पेस है जहां मुद्राओं (Currencies) का आदान-प्रदान एक सहमत मूल्य पर किया जाता है। Forex Trading में कई रणनीतियां (Strategy)हैं, लेकिन सवाल यह है कि सबसे अच्छी फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Best Forex Trading Strategies) कौन सी हैं जिनका पालन करने की आवश्यकता है? तो आइए इस लेख में समाझते है कि फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी क्या है? और अपने लिए सबसे बढ़िया फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी कैसे बनाएं? (How to Create a Forex Trading Strategy?)
फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी क्या है? | What is Forex Trading Strategy in Hindi
एक विदेशी Forex Trading Strategy एक ऐसा सिस्टम है जिसका उपयोग ट्रेडर यह निर्धारित करने के लिए करता है कि करेंसी का व्यापार कब करना है? लेकिन यह इतना मायने क्यों रखता है? फॉरेन करेंसी की वैल्यू हर दिन बदलती है, और सबसे अच्छी स्ट्रेटेजी व्यापारी को अधिकतम लाभ कमाने की अनुमति देती है।
यह निर्धारित करने के लिए कि फॉरेन करेंसी के लिए कौन सी स्ट्रेटेजी सबसे अच्छी है, व्यापारी कई मानदंडों का उपयोग करके उनकी तुलना करते हैं -
टाइम रिसोर्स की आवश्यकता
व्यापार के अवसरों की फ्रीक्वेंसी
लक्ष्य के लिए विशिष्ट दूरी
फॉरेक्स ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी कैसे बनाएं? | Forex Trading Strategies in Hindi
1) प्राइस एक्शन ट्रेडिंग (Price Action Trading)
प्राइस एक्शन ट्रेडिंग फॉरेक्स ट्रेडिंग और अन्य ट्रेडिंग द्वारा उपयोग किए जाने वाले मूल्य भविष्यवाणियों और अटकलों के लिए एक दृष्टिकोण है। इस दृष्टिकोण में ऐतिहासिक डेटा और पिछले प्राइस मूवमेंट में सभी टेक्निकल एनालिसिस टूल शामिल हैं जैसे चार्ट, बार, ट्रेंड लाइन, प्राइस बैंड, हाई और लौ स्विंग, टेक्निकल लेवल शामिल है।
प्राइस एक्शन ट्रेडिंग में रुझान विभिन्न समय-सीमाओं जैसे कि शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म पर निर्धारित किया जा सकता है। यह व्यापारी को कई समय-सीमाओं का उपयोग करके एनालिसिस करने और बेचने या खरीदने के लिए निष्कर्ष निकालने की सुविधा देता है। प्राइस एक्शन ट्रेडिंग में कई support/resistance लेवेक FX ट्रेडर को आगे बढ़ने में मदद करते हैं। उनमें से कुछ फाइबोनैचि रिट्रेसमेंट, कैंडल विक्स, ट्रेंड आइडेंटिफिकेशन, इंडिकेटर, ऑसिलेटर्स और अन्य प्रतीकात्मक पहचानकर्ता हैं।
2) रेंज ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Range Trading Strategy)
रेंज ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी सभी व्यापारिक बाजारों में लोकप्रिय ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में से एक है, और FX ट्रेडर अक्सर इसका इस्तेमाल करते हैं। फॉरेक्स ट्रेडर रेंज ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में सपोर्ट और रेसिस्टेंस पॉइंट की पहचान करते हैं और उसी के अनुसार ट्रेड करते हैं।
टेक्निकल एनालिसिस जैसे कि ऑसिलेटर्स का उपयोग रेंज ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी की कुंजी है, और यह स्ट्रेटेजी बिना किसी अस्थिरता या समझ के पूरी तरह से काम करती है, जो इसे बेस्ट फॉरेक्स ट्रेडिंग प्रैक्टिस में से एक बनाती है। इसका उपयोग प्राइस एक्शन ट्रेडिंग के संयोजन में किया जा सकता है और यह पर्याप्त संख्या में व्यापारिक अवसर प्रदान करता है।
3) ट्रेंड ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Trend Trading Strategy)
यह सभी अनुभवी फॉरेक्स ट्रेडर द्वारा उपयोग किया जाता है, ट्रेंड ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी गति (Momentum) के सिद्धांत पर काम करती है। फॉरेक्स ट्रेडर्स का मानना है कि सुरक्षा उसी दिशा में गति बनाए रखेगी क्योंकि यह वर्तमान में इस रणनीति में चलन में है। दूसरे शब्दों में यह स्ट्रेटेजी मार्केट डायरेक्शन मोमेंटम का उपयोग करके प्रॉफिट जनरेट करने का प्रयास करती है।
फॉरेक्स ट्रेडर्स को पता है कि इस तरह की स्ट्रेटेजी थोड़े समय के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि प्रवृत्ति में उतार-चढ़ाव होता रहता है। यह एक मध्यम या लंबी समय सीमा के लिए एक अच्छा विकल्प है जहां ज़ूम-आउट फ्रेम में प्रवृत्ति का विश्लेषण किया जा सकता है। इसमें बाहर निकलने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो शामिल है, जबकि टेक्निकल एनालिसिस के लिए, RSI और CCI जैसे ऑसिलेटर्स का उपयोग किया जाता है।
4) पोजीशन ट्रेडिंग (Position Trading)
एक लंबी अवधि की स्ट्रेटेजी जो हाई रिटर्न और पॉजिटिव रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो में से एक साबित हुई है, फोरेक्स की सबसे उम्दा ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में से एक है। इसके कांसेप्ट में इलियट वेव थ्योरी का उपयोग शामिल है, और चूंकि यह एक लॉन्ग टर्म स्ट्रेटेजी है, इसलिए छोटे बाजार में उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
पोजीशन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के लिए लंबी अवधि और व्यापक चार्ट फॉरेक्स टाइम पर तकनीकी और मौलिक विश्लेषण की उच्च समझ की आवश्यकता होती है।
यह समझना भी जरूरी है कि आर्थिक या सामाजिक आर्थिक कारक किसी विशेष देश के वातावरण में रुझानों या परिवर्तनों पर निरंतर नजर के माध्यम से व्यापारिक संख्याओं को कैसे प्रभावित करते हैं, व्यापारी लघु, मध्यम और लंबी अवधि में व्यापार कर रहा है।
5) डे ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Day Trading Strategy)
यह न केवल फॉरेक्स ट्रेडिंग बल्कि अन्य बाजारों जैसे स्टॉक में एक सामान्य स्ट्रेटेजी है। इस स्ट्रेटेजी में दिन के अंत तक निर्णय लिया जाता है, और ट्रेडर बाजार बंद होने से पहले सभी वस्तुओं को बेच देता है। दिन के अंत में दिन का व्यापार एक व्यापार तक सीमित नहीं है, और पूरे दिन के लिए इस रणनीति में कई व्यापार आम हैं। इसके अलावा, कोई यह समझ सकता है कि यह एक शॉर्ट टर्म स्ट्रेटेजी है और आमतौर पर 1:1 रिस्क-रिवॉर्ड रेश्यो के साथ समाप्त होती है।
टेक्निकल एनालिसिस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसके बिना यह एक अंधा व्यापार होगा और इसमें नुकसान हो सकता है।
Conclusion -
ये सबसे अधिक उपयोग की जाने फॉरेक्स टाइम वाली और अच्छी Forex Trading Strategies in Hindi हैं जिनका उपयोग एक ट्रेडर टेक्निकल और फंडामेंटल एनालिसिस के साथ कर सकता है। उपरोक्त बताएं गए स्टेप द्वारा आप भी फॉरेक्स ट्रेडिंग के लिए रणनीति बनाकर मुनाफा कमा सकते है।
फॉरेक्स रिजर्व में हुई $16.6 अरब की बढ़त, $19.2 करोड़ बढ़ा गोल्ड रिजर्व
Forex Reserve: RBI के डेटा के मुताबिक, 27 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में देश की SDR होल्डिंग 17.866 अरब डॉलर बढ़कर 19.407 अरब डॉलर पहुंच गई
- Money9 Hindi
- Publish Date - September 4, 2021 / 04:55 PM IST
डेटा बताते हैं कि 27 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) 1.409 अरब डॉलर घटकर 571.6 अरब डॉलर पर आ गए
देश का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व (foreign exchange reserve – forex) 27 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में 16.66 अरब डॉलर की बढ़त के साथ अपने ऑल टाइम हाई 633.55 अरब डॉलर पर पहुंच गया. स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDR) की होल्डिंग में बढ़ोती के कारण ऐसा हुआ है. RBI के मुताबिक, इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने भारत को 23 अगस्त को 12.57 अरब SDR आवंटित किए हैं, जो 17.86 अरब डॉलर के लगभग है.
RBI के डेटा के मुताबिक, 27 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में देश की SDR होल्डिंग 17.866 अरब डॉलर बढ़कर 19.407 अरब डॉलर पहुंच गई. IMF सदस्य देशों के फंड में मौजूदा कोटा के अनुसार उन्हें SDR आवंटित करता है. SDR होल्डिंग किसी देश के फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व का हिस्सा होती हैं.
गोल्ड रिजर्व में 19.2 करोड़ डॉलर की बढ़त
डेटा बताते हैं कि 27 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) 1.409 अरब डॉलर घटकर 571.6 अरब डॉलर पर आ गए. Forex रिजर्व में शामिल डॉलर से अतिरिक्त मुद्राओं में उतार-चढ़ाव का असर FCA पर पड़ता है.
देश का गोल्ड रिजर्व इस दौरान 19.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 37.44 अरब डॉलर पहुंच गया. IMF में भारत की रिजर्व पोजिशन 1.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.11 अरब डॉलर पहुंच गई.
फॉरेक्स रिजर्व में इससे पहले के हफ्ते में 2.47 अरब डॉलर की गिरावट हुई थी. 20 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में यह 616.895 अरब डॉलर पर आ गया था. FCA के 3.365 अरब डॉलर घटकर 573.009 अरब डॉलर पर आने के कारण ऐसा हुआ था. वहीं, गोल्ड रिजर्व 91.3 करोड़ डॉलर की बढ़त के साथ 37.249 अरब डॉलर पर था.
विदेशी बाजार में नए ऑल टाइम लो लेवल पर पहुंचा रुपया
[ सैकत दास | मुंबई ]ऑफशोर मार्केट यानी विदेशी बाजार में डॉलर के मुकाबले फॉरेक्स टाइम रुपये का भाव 68.
ऑफशोर मार्केट यानी विदेशी बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपये का भाव 68.91 हो गया, जो अब तक का सबसे कम है। इसे नॉन-डिलीवरेबल फॉरवर्ड्स मार्केट कहा जाता है। ग्लोबल इकनॉमी को लेकर चिंता बढ़ने के बाद इनवेस्टर्स अमेरिकी एसेट्स में पैसा लगा रहे हैं। इस वजह से डॉलर की मांग बढ़ी है, जबकि भारत सहित इमर्जिंग मार्केट्स से विदेशी निवेशकों के पैसा निकालने से इन देशों की करेंसी पर प्रेशर बढ़ा है।
जल्द ही डोमेस्टिक स्पॉट एक्सचेंज पर रुपये में यही ट्रेंड दिख सकता है। इससे एक्सपोर्टर्स को राहत मिलेगी, जिन्हें इंटरनेशनल मार्केट में कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। फॉरेक्स रिस्क सॉल्यूशंस फर्म आईएफए ग्लोबल के सीईओ और फाउंडर अभिषेक गोयनका ने बताया, 'डोमेस्टिक स्पॉट एक्सचेंज रेट भी ऑल टाइम लो पर पहुंच सकता है। रिजर्व बैंक रुपये में इस गिरावट को शायद रोकने की कोशिश ना करे क्योंकि आज देश अगस्त 2013 जैसे क्राइसिस से नहीं गुजर रहा है।'
पिछले शुक्रवार को जब डोमेस्टिक करेंसी मार्केट बंद था, तब 25 फरवरी को एक्सपायर होने वाला फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट दुबई गोल्ड एंड कमोडिटी एक्सचेंज यानी डीजीसीएक्स पर 68.95 पर ट्रेड कर रहा था। अगर इसमें से फॉरवर्ड प्रीमियम हटा दिया जाए तो स्पॉट रेट 68.91 होता है। वहीं, अगस्त 2013 में भारतीय करेंसी ने 68.85 का आज तक का सबसे निचला स्तर छुआ था। डीलरों के मुताबिक, इससे रुपये के डोमेस्टिक मार्केट में नए ऑल टाइम लो लेवल पर जाने की आशंका बढ़ गई है। भारतीय करेंसी सोमवार को फिसलकर 68.69 तक आ गई थी, लेकिन बाद में यह डॉलर के मुकाबले 68.60 पर बंद हुई। यह पिछले गुरुवार के मुकाबले 15 पैसे की कमजोरी है।
इस बारे में कोटक सिक्योरिटीज के करेंसी एनालिस्ट अनिंद्य बनर्जी ने बताया, 'इस बार रुपये की कमजोरी को पहले की तरह बुरा नहीं माना जा रहा है, जब यह ऑल टाइम लो लेवल पर पहुंच गया था। रुपये में धीरे-धीरे आ रही गिरावट एक्सपोर्टर्स के लिए फायदेमंद हो सकती है। रुपये में कमजोरी आने से उनका सामान विदेशी बाजार में सस्ता हो सकता है, जिससे निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी।' भारत के एक्सपोर्ट सेक्टर की हालत खराब है। साल भर से अधिक समय से इसमें लगातार गिरावट आ रही है। अमेरिका, ब्रिटेन या यूरोप में काम करने वाले भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए अभी देश पैसा भेजना फायदेमंद हो सकता है क्योंकि उन्हें एक डॉलर में पहले से अधिक रुपये मिलेंगे। कुछ हफ्ते पहले ईटी ने 15 मार्केट पार्टिसिपेंट्स का सर्वे किया था। इसमें यह बात सामने आई थी कि इस साल दिसंबर तक भारतीय करेंसी 72 के लेवल तक जा सकती है।