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USD कीमत का इतिहास

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2014 में मनमोहन सिंह जी के कार्यकाल के आखिरी दिन 1$ की कीमत ₹58.57 थी । pic.twitter.com/Ems3Hx96H8— Srinivas BV (@srinivasiyc) May 9, 2022

Rupee Vs Dollar: रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, जानिए रुपये की ढलान का 75 सालों का इतिहास और इसका गणित

Dollar vs Rupee: रुपये की कीमत कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है. जैसे महंगाई, रोज़गार, व्यापारिक घाटा, विदेशी मुद्रा भंडार, इक्विटी मार्केट का उतार चढ़ाव, इंटरेस्ट रेट, GDP आदि.

By: भूपिंदर सोनी | Updated at : 20 Jul 2022 06:02 PM (IST)

भारतीय रुपये में डॉलर के मुकाबले गिरावट जारी

Indian Rupees vs Dollar: कोई वक्त था जब देश के आज़ाद होने से पहले डॉलर (Dollar) USD कीमत का इतिहास के मुकाबले रुपए की वैल्यू 1 रुपए के बराबर थी लेकिन जब देश आज़ाद हुआ भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) पर से ब्रिटिश राज का साया हटते ही रिजर्व बैंक (RBI) के डेटा के मुताबिक 1 डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरकर 4.76 रुपए पर पहुंच गई. जिसके बाद से ही डॉलर के मुकाबले रुपये (Indian Rupees) की कीमत लगातार गिरती जा रही है और आज देखते देखते 1 डॉलर की कीमत 80 रुपये को पार कर गई.

लोकसभा में केंद्र सरकार (Central Government) ने लिखित जवाब दिया है कि 2014 के बाद से यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के सत्ता संभालने के बाद से रुपए की वैल्यू 16.80 रुपये तक कम हो चुकी है यानी 8 साल में रुपये की वैल्यू में 25.39% की गिरावट आ चुकी है. लेकिन वो क्या कारण रहे कि आज़ादी के बाद से ही रुपये की कीमत लगातार गिरती जा रही है और इतिहास में कब कब रुपये की कीमत में भारी गिरावट आई. साथ ही बताएंगे आपोक कि रुपए की डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू कि बातों पर निर्भर करती है और आखिर क्यों रुपये की वैल्यू को डॉलर के साथ ही जोड़कर देखा जाता है. तो चलिए आज सुनाते हैं आपको किस्सा पिछले 75 साल में डॉलर की उड़ान और रुपये की ढलान का.

आजादी के बाद से रुपये की कीमत में गिरावट जारी

1947 में भारत के आज़ाद होने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए कर्ज़ की ज़रूरत थी और विदेशी व्यापार (Foreign Trade) को बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने डॉलर के मुकाबले रुपये USD कीमत का इतिहास की वैल्यू को कम कर 4.76 पैसे कर दिया. यानी अब 1 डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 4.76 पैसे थी. 1962 तक रुपए की यही वैल्यू बनी रही लेकिन 1962 का युद्ध फिर 1965 की जंग के बाद भारत की अर्थव्यावस्था को झटका लगा और 1967 आते आते सरकार ने रुपये को फिर से डीवैल्यू कर दिया और 1 डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत हो गई 7.50 रुपए. असल में उस वक्त सरकार डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू को खुद ही मोनीटर करती थी यानी डॉलर के मुकाबले रुपए की कितनी वैल्यू होगी ये सरकार ही तय करती थी. इस सिस्टम को कहा जाता था Fixed Exchange Rate System.

फिर 1971 में रुपये को GBP यानी Great Britan Pound से अलग कर दिया गया और उसे सीधे डॉलर के साथ जोड़ दिया गया जिससे रुपए की वैल्यू में और गिरावट देखी गई. जिसके बाद 1977 में ये 8.76 रुपए और 1987 आते आते इसकी कीमत 12.95 पैसे पर पहुंच गई. यहां तक भी चीज़ें ठीक चल रही थीं लेकिन साल 1991 में इकॉनोमिक स्लोडाउन के बाद नरसिम्हा सरकार और तात्कालीन फाइनेंस मिनिस्टर मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोल दिया. हालांकि, तब तक भारत का फॉरन रिसर्व लगभग सूख चुका था.

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1997 तक रुपए की कीमत 36.31 रुपये तक लुढ़की

1991 में सरकार ने रुपये को फिर से डीवेल्यू किया और 1 डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 17 रुपए को पार कर गई. 1993 आते आते सरकार को समझ आ चुका था कि रुपये की लुड़कती वैल्यू अब उनके हाथ से बाहर होती जा रही है. ऐसे में नरसिम्महा सरकार ने Fixed Exchange Rate System की जगह Flexible Exchange Rate System की पॉलिसी अपना ली यानी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत को बाज़ार के हवाले कर दिया गया. जिसके बाद रुपये की वैल्यू तेज़ी से गिरनी शुरू हुई और 1997 आते-आते डॉलर के मुकाबल रुपए की कीमत 36.31 रुपए तक लुढ़क गई.

आने वाले वक्त में न तो इस ढलान को अटल बिहारी वाजपाई की सरकार संभाल सकी और न ही मनमोहन सिंह और इस तरह दिसंबर 2014 तक रुपए की कीमत 63.33 रुपए पर पहुंच गई. 2014 में कभी रुपये की लुढ़कती कीमत को चुनावी मुद्दा बनाने वाली भाजपा भी आज 8 साल बाद लुढ़कते रुपए की कीमत को नहीं संभाल पाई और आज रुपए ने गिरावट के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. अब यहां दो सवालों का जवाब खोजना लाज़मी है पहला रुपया गिर क्यों रहा है और क्यों डॉलर के साथ ही रुपये की वैल्यू को मापा जाता है?

डॉलर के मुकाबले रुपये के लुढ़कने की वजह

असल में रुपये की कीमत कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है. जैसे महंगाई, रोज़गार, व्यापारिक घाटा, विदेशी मुद्रा भंडार, इक्विटी मार्केट का उतार चढ़ाव, इंटरेस्ट रेट, GDP वगैराह. नटशेल में बात करें तो डॉलर के मुकाबले रुपये के लुढ़कने की सबसे बड़ी वजह फॉरन रिज़र्व में गिरावट होती है. अगर फॉरन रिज़र्व कम होगा तो रुपया कमज़ोर होगा और अगर ये ज्यादा होगा तो रुपया मज़बूत होगा.

इसे हाल ही की घटनाओं से ही मिलाकर देखें तो जहां सितंबर 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 642.45 बिलियन डॉलर तक USD कीमत का इतिहास पहुंच गया था. वहीं, 24 जुन 2022 आते-आते ये कम होकर $593.32 बिलियन डॉलर पर आ गया है. जिसके पीछे की सबसे अहम वजह महंगाई और क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतों को बताया जा रहा है. यही वजह है कि रुपये की वैल्यू गिरती जा रही है.

इसलिए डॉलर के साथ ही रुपये की वैल्यू को किया जाता कम्पेयर

अब आते हैं अपने आखिरी सवाल पर कि आखिर क्यों डॉलर के साथ ही रुपये की वैल्यू को कम्पेयर किया जाता है. भारत ही नहीं फॉरन एक्सचेंज में ज्यादातर करंसीज़ की तुलना डॉलर से ही की जाती है जिसके पीछे की वजह है जुलाई 1944 में 44 देशों के बीच किया गया Bretton USD कीमत का इतिहास Woods Agreement. जिसे Bretton Woods में United Nations Monetary and Financial Conference के दौरान साइन किया गया था.

इस एग्रीमेंट का मेन मोटिव था फॉरन एक्सचेंज में करंसीज़ की फ्लकचुएन को खत्म करना. जिसके लिए करंसीज़ को US डॉलर के साथ जोड़ दिया गया था. तब अमेरिका अकेला ऐसा देश था जो आर्थिक तौर पर मजबूत होकर उभरा था. ऐसे में अमेरिकी डॉलर को दुनिया की रिजर्व करेंसी के तौर पर चुन लिया गया. Bretton Woods Agreement को ही IMF और World Bank का जनक भी माना जाता है.

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Published at : 20 Jul 2022 06:01 PM (IST) Tags: Indian Economy Indian Rupee rupee vs dollar हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

अभी और रुलाएगी महंगाई

बाजार में मंहगाई घटने का नाम नहीं ले रही है, पर महंगाई और बढ़ने के कारण बढ़ते जा रहे हैं. सरकार महंगाई कम होने के प्रयासों के दावे करती है कि महंगाई बढ़ने का एक और नया कारण सामने आकर सरकारी दावों की पोल खोल देता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपए का मूल्य घटता जा रहा है. अगर यही हाल रहा तो जो थोड़ी बहुत मंहगाई घटने के आसार दिख रहे थे, वह फिर से बढ़ जाएगी. कैसे? जरा इधर गौर कीजिए.

rupee

11 जून को बाजार के खुलते ही डॉलर के मुकाबले रुपया फिर गिरकर 58.95 के स्तर पर पहुंच गया. डॉलर के मुकाबले रुपए की लगातार घटती यह कीमत अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है. विशेषज्ञों की मानें आने वाले दिनों में इसके और गिरने के आसार हैं. 1966 से पहले तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाउंड में मापा जाने वाला रुपया जब 1966 से डॉलर में मापा जाने लगा तो 1 डॉलर के मुकाबले इसकी कीमत थी मात्र 7.5 रुपए. उस वक्त महंगाई भी इतनी थी. आप 10 रुपए में कई सामान ले आते. आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1 डॉलर के मुकाबले इसकी कीमत है 58.95 रुपए. आज महंगाई इतनी बढ़ चुकी है कि 10 रुपए में एक किलोग्राम तो क्या, शायद आधा किलोग्राम सब्जी भी न आए. अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपए का घटता मूल्य चिंतित करने वाला है.

कमजोर वैश्विक रुख और आयातकों द्वारा डॉलर की मांग बढ़ने से रुपये के मूल्य में गिरावट आती है. अमेरिका में नए आर्थिक आंकड़ों को लागू किए जाने के बाद यह गिरावट और बढ़ रही है, रुकने का नाम नहीं ले रही. लगातार पांच सप्ताह से यह स्थिति संभलने की बजाय और बदतर होती जा रही है. पर इसकी मुख्य कारण आयात-निर्यात के तत्वों में छुपा है. देश में ज्यादा आयात करने से विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा डॉलर बाहर भेजने से उसकी मांग बढ़ती है और निर्यातों के बढ़ने और विदेशी निवेशकों द्वारा विदेशी मुद्रा लाए जाने से डॉलरों की पूर्ति बढ़ती है. ऐसे में जब भी आयातक ज्यादा आयात करते हैं या विदेशी निवेशक डॉलर बाहर भेजते हैं तो स्वाभाविक तौर पर रुपया कमजोर होता है यानी प्रत्येक डॉलर के लिए अब ज्यादा रुपये देने पड़ते हैं.

गिरता रुपया बढ़ाएगा महंगाई

अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपए की घटती कीमतें घरेलू बाजार में महंगाई का बड़ा सबब हैं. घरेलू बाजार में इससे तेल, पेट्रोल की कीमतों में बढ़त की आशंका बढ़ जाती है. आप सोचेंगे रुपए के मूल्य से पेट्रोल, तेल की कीमतों का क्या वास्ता? पर है. भारत अपनी कुल जरूरत के 80 प्रतिशत तेल के लिए आयात पर निर्भर है. इसके अलावे एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईरान के अलावे बाकी सभी देश डॉलर में व्यापार करते हैं. ईरान ही एकमात्र देश है जो तेल व्यापार रुपयों के मूल्य में करता है. पर भारत की विडंबना देखो कि अमेरिका के दबाव में यह ईरान से कच्चे तेल के आयात में बहुत अधिक कमी कर चुका है. इस प्रकार अन्य देशों पर कच्चे तेल के निर्यात के लिए भारत की निर्भरता बढ़ी है.

1960 के बाद से भारत में कच्चे तेल की मांग में भी बहुत वृद्धि हुई है. इस प्रकार डॉलर के मुकाबले रुपए का मूल्य घटने से तेल के आयात में सरकार को पहले की तुलना में अधिक रुपए खर्च करने पड़ेंगे. इससे जाहिर है घरेलू बाजार में भी तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का मूल्य बढ़ने की आशंका बनी रहेगी क्योंकि सरकारी घाटे की क्षति पूर्ति के लिए सरकार के पास यही विकल्प बचता है. इसके अलावे आयातों पर भी कर बढ़ेगा. इससे छोटे आयातकों के व्यापार को नुकसान पहुंचेगा. इसका सीधा असर घरेलू बाजार में उत्पादों के मूल्य वृद्धि के रूप में दिखेगा.

यूं तो किसी भी देश की संपूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए उसकी करेंसी का मूल्य गिरना कभी भी फायदेमंद नहीं हो सकता. विभिन्न आयामों पर यह स्थिति देश की अर्थव्यवस्था को तोड़ने का काम करती है. महंगाई बढ़ने से आम जनता को सीधे तौर भी इसके दुष्प्रभावों से रूबरू होना पड़ता है. फिर भी कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें इससे लाभ पहुंचता है, जैसे; रिजर्व बैंक और वैसे आम भारतीय जिनके रिश्तेदार विदेशों में रहते हैं. रिजर्व बैंक सोने के आयात पर कर बढ़ा सकता है. इसके अतिरिक्त अन्य आयात-निर्यात की वस्तुओं पर कर लगाने से रिजर्व बैंक को लाभ होगा. इसके अलावे जिन आम भारतीयों के कमाऊ परिजन विदेश में हैं, उन्हें भी डॉलर एक्सचेंज करवाने पर उसके मुकाबले ज्यादा रुपया मिलेगा.

Indian Rupee Falls Against US Dollar : अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, जानिए अब क्या हैं भाव

Indian Rupee Falls Against US Dollar : अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच रुपया

Indian Rupee Falls Against US Dollar : आज मंगलवार की सुबह अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 77.06 पर खुला और 77.37 के निचले स्तर को छू गया.

Indian Rupee Falls Against US Dollar : केंद्र में जब कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार (UPA Govt) हुआ करती थी। तब अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) कहा करते थे कि देश का दुर्भाग्य है दिल्ली के शासकों को ना देश की रक्षा की चिंता है, ना रुपये की कीमत की चिंता है। उन्हें अगर चिंता है तो कुर्सी बचाने के कार्यक्रमों की चिंता है। कुर्सी बचाने के तौर तरीके USD कीमत का इतिहास क्या हो, उसे में वो डूबे हैं और इसी कारण देश के लिए वो कुछ सोच पाएंगे.. डॉलर के सामने रुपया ताकत के साथ खड़ा हो..इसके लिए लिए कोई योजना कर पाएंगे, ये कुछ नजर नहीं आ रहा है। अब केंद्र में नरेंद्र मोदी की ही सरकार है और रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लुढ़ककर ऐतिहासिक निचले स्तर 77.42 पर (Indian Rupee Falls Against US Dollar) आ गया है।

आज मंगलवार की सुबह अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर (Indian Rupee Against US Dollar) के मुकाबले 77.06 पर खुला और 77.37 के निचले स्तर को छू गया। रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 55 पैसे की गिरावट के साथ 76.90 पर बंद हुआ था। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर बढ़ी चिंताओं के कारण निवेशक जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.35 प्रतिशत के साथ 104.02 पर पहुंच गया। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.14 प्रतिशत बढ़कर 112.55 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया।

महंगाई को लेकर ट्रेडर्स के बीच चिंता बनी हुई है। उनका सवाल है कि क्या फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में वृद्धि मंहगाई को रोकने के लिए पर्याप्त है। वहीं बैंक ऑफ इंग्लैंड ने अपनी ब्याज दरों में वृद्धि USD कीमत का इतिहास करते हुए मंदी के संभावित जोखिम की चेतावनी दी थी। इन सब कारणों का ग्लोबल मार्केट की गिरावट (Indian Rupee Falls Against US Dollar) में बड़ा रोल है।

सोशल मीडिया रिएक्शन

इंडियन यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा- Dollar $ निकला मोदी जी की उम्र से 6 वर्ष आगे, रुपया हुआ 2014 के मुकाबले करीब 20₹ कमजोर, 2014 में मनमोहन सिंह जी के कार्यकाल के आखिरी दिन 1$ की कीमत ₹58.57 थी ।

Dollar $ निकला मोदी जी की उम्र से 6 वर्ष आगे, रुपया हुआ 2014 के मुकाबले करीब 20₹ कमजोर,

2014 में मनमोहन सिंह जी के कार्यकाल के आखिरी दिन 1$ की कीमत ₹58.57 थी । pic.twitter.com/Ems3Hx96H8

— Srinivas BV (@srinivasiyc) May 9, 2022

राष्ट्रीय लोकदल ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से निशाना साधते हुए लिखा- माननीय मोदी जी के अथक प्रयास से आखिरकार डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड लो पर लुढ़क ही गया रुपया. घबराना नहीं है मित्रों, विश्वगुरू बन रहे हैं हम!

माननीय मोदी जी के अथक प्रयास से आखिरकार डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड लो पर लुढ़क ही गया रुपया.

घबराना नहीं है मित्रों, विश्वगुरू बन रहे हैं हम! pic.twitter.com/JXegbQtslt

— Rashtriya Lok Dal (@RLDparty) May 9, 2022

वकील रमन ढाका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुराना वीडियो साझा करते हुए निशाना साधा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, पूरा देश जानना चाहता है कि डॉलर के मुकाबले रुपया बार बार क्यूं गिर रहा है??

प्रधानमंत्री @narendramodi जी, पूरा देश जानना चाहता है कि डॉलर के मुकाबले रुपया बार बार क्यूं गिर रहा है?? #Rupee pic.twitter.com/ycxo6AQWet

— Raman Dhaka (@RamanDhaka) May 9, 2022

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. शमा मोहम्मद ने लिखा- रुपया डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 77.42 पर आ गया है। रुपये को कभी भी उतना कम नहीं आंका गया जितना कि वह इस भाजपा सरकार के तहत लगातार करता रहा है। रुपये के आईसीयू में होने से पीएम मोदी चिंतित रहते थे. अब रुपया वेंटिलेटर पर है आईसीयू में लाए जाने के इंतजार में!

#रुपया डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 77.42 पर आ गया है। रुपये को कभी भी उतना कम नहीं आंका गया जितना कि वह इस भाजपा सरकार के तहत लगातार करता रहा है। रुपये के आईसीयू में होने से पीएम मोदी चिंतित रहते थे. अब रुपया वेंटिलेटर पर है आईसीयू में लाए जाने के इंतजार में!

— Dr. Shama Mohamed (@drshamamohd) May 9, 2022

कांग्रेस के सौरभ राय लिखते हैं- डॉलर के मुकाबले एक बार फिर मोदी सरकार की गलत नीतियों ने रुपये को बेइज्जत किया! हिंदुस्तानी रुपया इतिहास के सबसे निचले स्तर पर.

डॉलर के मुकाबले एक बार फिर मोदी सरकार की ग़लत नीतियों ने रुपये को बेइज़्ज़त किया!

पत्रकार वसीम सिद्दीकी ने अपने ट्वीट में लिखा- डॉलर के मुकाबले रुपया गिर रहा है आप सब परेशान न हो बुढ़ापे में आदमी का दिमाग कट जाता है ?

डॉलर के मुकाबले रुपया गिर रहा है आप सब परेशान न हो बुढ़ापे में आदमी का दिमाग कट जाता है ?

— Wasiuddin Siddiqui (@WasiuddinSiddi1) May 9, 2022

IPL 2022 Auction: आईपीएल नीलामी के पहले दिन 74 खिलाड़ियों पर लगी बोली, युवा भारतीय नामों पर हुई धनवर्षा

IPL Mega Auction 2022 Day 1 Highlights: इंडियन प्रीमियर लीग के 2022 सत्र के लिए जारी मेगा ऑक्शन का पहला दिन ईशान किशन के नाम रहा। झारखंड का यह युवा विकेटकीपर सबसे महंगा बिका। उनपर 15.25 करोड़ रुपये की बोली लगाकर मुंबई इंडियंस ने टीम से जोड़ा।

तेज गेंदबाज दीपक चाहर (Deepak Chahar) में कई टीमों ने दिलचस्पी दिखाई लेकिन आखिर में चेन्नई सुपर किंग्स उन्हें 14 करोड़ रुपये खर्च करके अपनी टीम से दोबारा जोड़ने में सफल रहा। चाहर के अलावा जिन तेज गेंदबाजों को मोटी रकम मिली उनमें शार्दुल ठाकुर (दिल्ली कैपिटल्स, 10.75 करोड़ रुपये), पिछले सीजन में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले हर्षल पटेल (रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर, 10.75 करोड़ रुपये), प्रसिद्ध कृष्णा (राजस्थान रॉयल्स, 10 करोड़ रुपये), लॉकी फर्गुसन (गुजरात टाइटन्स, 10 करोड़ रुपये), ‘अनकैप्ड’ आवेश खान (लखनऊ सुपरजाइंट्स, 10 करोड़ रुपये), कागिसो रबाडा (पंजाब किंग्स 9.25 करोड़ रुपये), ट्रेंट बोल्ट (रॉयल्स, आठ करोड़ रुपये), जोश हेजलवुड (रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर, 7.75 करोड़ रुपये) और मार्क वुड (लखनऊ सुपरजाइंट्स, 7.50 करोड़ रुपये) प्रमुख हैं।

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विकेटकीपरों ने भी टीमों को आकर्षित किया और इनमें सबसे बड़ी धनराशि मिली ईशान को जिनके लिए मुंबई और हैदराबाद के बीच जबर्दस्त होड़ लगी। ईशान का आधार मूल्य दो करोड़ रुपये था। विश्व कप 2011 में भारत की जीत के नायक रहे युवराज को दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) ने 2015 सत्र से पहले रिकॉर्ड 16 करोड़ रुपये में खरीदा था। आईपीएल के इतिहास में सबसे महंगे खिलाड़ी दक्षिण अफ्रीका के हरफनमौला क्रिस मौरिस हैं जिन्हें 2021 में मिनी नीलामी में राजस्थान रॉयल्स ने 16 . 25 करोड़ रुपये में खरीदा था।

भारत के स्टायलिश बल्लेबाज श्रेयस अय्यर को केकेआर ने 12 करोड़ 25 लाख रुपये में तो श्रीलंका के हरफनमौला वानिंदु हसरंगा को आरसीबी ने 10.75 करोड़ रुपये में खरीदा। वेस्टइंडीज के विकेटकीपर बल्लेबाज निकोलस पूरन को सनराइजर्स ने 10.75 करोड़ रुपये में खरीदा। दिनेश कार्तिक को आरसीबी ने साढे पांच करोड़ रुपये में जबकि जॉनी बेयरस्टॉ को पंजाब किंग्स ने पौने सात करोड़ रुपये में अपनी टीम में शामिल किया। अंबाती रायुडू को चेन्नई ने इसी रकम पर फिर से खरीदा। आवेश आईपीएल नीलामी में सबसे बड़ी कीमत पर बिकने वाले अनकैप्ड खिलाड़ी बने।

अन्य अनकैप्ड खिलाड़ियों में गुजरात ने राहुल तेवतिया पर नौ करोड़ जबकि पंजाब ने शाहरूख खान के लिये इतनी ही धनराशि खर्च की और हरप्रीत बरार को 3.80 करोड़ रुपये में खरीदा। केकेआर ने 7.25 करोड़ रुपये में शिवम मावी को फिर से अपनी टीम से जोड़ा। सनराइजर्स ने राहुल त्रिपाठी के लिये 8.50 करोड़ रुपये और अभिषेक शर्मा के लिये 6.50 करोड़ रुपये की बोली लगायी। रॉयल्स ने रेयान पराग के लिये 3.80 करोड़ रुपये जबकि मुंबई ने दक्षिण अफ्रीका के डेवाल्ड ब्रेविस को तीन करोड़ रुपये में अपनी टीम से जोड़ा। दिल्ली के विकेटकीपर अनुज रावत 3.40 करोड़ रुपये में आरसीबी से जबकि स्पिनर आर साई किशोर तीन करोड़ रुपये में गुजरात से जुड़े।

भारत के स्टार लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल को राजस्थान रॉयल्स ने छह करोड़ 50 लाख रुपये तथा राहुल चाहर को पंजाब किंग्स ने पांच करोड़ 25 लाख रुपये में खरीदा। दिल्ली ने कुलदीप यादव को दो करोड़ रुपये में अपनी टीम से जोड़ा। केकेआर ने ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज पैट कमिंस को सात करोड़ 25 लाख रुपये में फिर खरीदा जबकि पिछली बार वह 15 करोड़ रुपये में बिके थे। भारत के सीनियर सलामी बल्लेबाज शिखर धवन को भी पंजाब ने आठ करोड़ 25 लाख रुपये में खरीदा।

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अनुभवी ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को राजस्थान रॉयल्स ने पांच करोड़ रुपये में जबकि युवा बल्लेबाज देवदत्त पडिक्कल को राजस्थान रॉयल्स ने पौने आठ करोड़ रुपये में खरीदा। भारत के अनुभवी तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी को गुजरात टाइटंस ने पौने सात करोड़ रुपये में और क्विंटोन डिकॉक को लखनऊ ने इसी दाम पर खरीदा। ऑस्ट्रेलिया के आक्रामक बल्लेबाज डेविड वॉर्नर को दिल्ली ने छह करोड़ 25 लाख रुपये में जबकि दक्षिण अफ्रीका के फाफ डु प्लेसी को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर ने सात करोड़ रुपये में खरीदा।

वेस्टइंडीज के हरफनमौला जैसन होल्डर को लखनऊ ने पौने नौ करोड़ में और शिमरोन हेटमायेर को रॉयल्स ने साढे आठ करोड़ रुपये में खरीदा। दिल्ली ने ऑस्ट्रेलिया की टी20 विश्व कप फाइनल में जीत के नायक रहे मिशेल मार्श को साढे छह करोड़ रुपये में खरीदा। भारत के हरफनमौला वाशिंगटन सुंदर को सनराइजर्स ने 8.75 करोड़ रुपये में खरीदा जबकि लखनऊ ने कृणाल पंड्या को 8.25 करोड़ रुपये में खरीदा। अय्यर के आने से केकेआर टीम की कप्तानी की समस्या भी हल होती नजर आ रही है। केकेआर ने टी20 विशेषज्ञ नीतिश राणा को भी आठ करोड़ रुपये में खरीदा।

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केकेआर के सीईओ वेंकी मैसूर ने कहा, ‘कमिंस और अय्यर को लेने से हम खुश है। जहां तक कप्तानी का सवाल है तो यह फैसला कोच और टीम प्रबंधन का होगा। उम्मीद है कि वे सही फैसला लेंगे।’ चेन्नई सुपर किंग्स ने महेंद्र सिंह धोनी के विश्वस्त ड्वेन ब्रावो को चार करोड़ 40 लाख रुपये और रॉबिन उथप्पा को दो करोड़ रुपये में खरीदा। लखनऊ टीम ने दीपक हुड्डा को पौने छह करोड़ रुपये में खरीदा।

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ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ, दक्षिण अफ्रीका के डेविड मिलर, इंग्लैंड के सैम बिलिंग्स, भारत के रिधिमान साहा, अफगानिस्तान के मोहम्मद नबी, बांग्लादेश के शाकिब अल हसन और भारत के पूर्व बल्लेबाज सुरेश रैना को कोई खरीदार नहीं मिला। नीलामी के पहले सत्र के दौरान नीलामीकर्ता ह्यू एडमीड्स रक्तचाप गिरने के कारण बेहोश होकर गिर गये लेकिन मेडिकल चेक-अप के बाद वह अब ठीक हैं। अनुभवी खेल प्रस्तोता चारू शर्मा को बची हुई नीलामी की जिम्मदारी सौंपी गयी क्योंकि एडमीड्स चिकित्सकों की देखरेख में हैं।

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