फैलाव स्थिति

उन्होंने कहा, ‘‘हमें टीके की बर्बादी की समस्या को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 10 प्रतिशत से ज्यादा टीके बर्बाद हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भी टीके की बर्बादी करीब-करीब वैसा ही है। टीके क्यों बर्बाद हो रहे हैं, इसकी भी राज्यों में समीक्षा होनी चाहिए।’’
फ्लोरोसेंट व्हाइटनिंग एजेंट की फैलाव स्थिति और पीपी सफेदी पर इसका प्रभाव
फ्लोरोसेंट वाइटनिंग एजेंट (संक्षेप में FWA), जिसे ऑप्टिकल ब्राइटनिंग एजेंट के रूप में भी जाना जाता है, एक रंगहीन या हल्के रंग का कार्बनिक यौगिक है। यह नग्न आंखों के लिए अदृश्य पराबैंगनी प्रकाश को अवशोषित कर सकता है, और फिर सफेदी प्रभाव को प्राप्त करने के लिए अशुद्धियों या मैट्रिक्स द्वारा अवशोषित नीली रोशनी के लिए नग्न आंखों को दिखाई देने वाली नीली-बैंगनी रोशनी का उत्सर्जन करता है।
प्लास्टिक के गुणों और प्रसंस्करण की अपनी विशेषताएं हैं, जो प्लास्टिक में फ्लोरोसेंट व्हाइटनिंग एजेंटों के आवेदन को कपड़ा छपाई और रंगाई में उनके अनुप्रयोगों से बहुत अलग बनाती है। सबसे पहले, प्लास्टिक का प्रसंस्करण और मोल्डिंग तापमान, विशेष रूप से इंजीनियरिंग प्लास्टिक, अक्सर 200-300 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जिसके लिए चयनित फ्लोरोसेंट व्हाइटनिंग एजेंट को इस तापमान पर स्थिर होने की आवश्यकता होती है। उसी समय, प्लास्टिक उत्पादों के उपयोग के वातावरण के कारण, कुछ प्रकाश प्रतिरोध, मौसम प्रतिरोध और प्रवास प्रतिरोध होना चाहिए; दूसरे, प्लास्टिक प्रसंस्करण की प्रक्रिया में, विभिन्न प्रकार के एडिटिव्स को जोड़ने की आवश्यकता होती है, इसलिए यह आवश्यक है कि फ्लोरोसेंट व्हाइटनिंग एजेंट एडिटिव्स के साथ रासायनिक रूप से प्रतिक्रिया न कर सके, इसमें एडिटिव्स और रेजिन के साथ अच्छी संगतता भी होनी चाहिए; अंत में, फ्लोरोसेंट व्हाइटनिंग एजेंट जोड़ने का तरीका प्लास्टिक में इसके फैलाव की स्थिति को सीधे प्रभावित करता है और फिर इसके उपयोग प्रभाव को प्रभावित करता है। प्लास्टिक में फ्लोरोसेंट व्हाइटनिंग एजेंट जोड़ने के तीन मुख्य तरीके हैं: 1. डायरेक्ट ब्लेंडिंग विधि, यानी फ्लोरोसेंट व्हाइटनिंग एजेंट को रेजिन और अन्य एडिटिव्स के साथ समान रूप से उच्च गति पर मिलाने के बाद डायरेक्ट प्रोसेसिंग। 2. फैलाव विधि के साथ, फ्लोरोसेंट व्हाइटनिंग एजेंट प्री-प्लास्टिसाइज़र में पूर्व-छितरी हुई है और प्लास्टिसाइज़र फैलाव के रूप में उपयोग की जाती है। यह मामला नरम पीवीसी को सफेद करने का है। 3. मास्टर बैच विधि, फ्लोरोसेंट व्हाइटनिंग एजेंट को केंद्रित मास्टर बैच में बनाया जाता है और फिर राल के साथ संसाधित किया जाता है। यह विधि प्लास्टिक में कम सांद्रता वाले फ्लोरोसेंट वाइटनिंग एजेंट के फैलाव के लिए अनुकूल है। फाइबर व्हाइटनिंग में, फ्लोरोसेंट व्हाइटनिंग एजेंट का उपयोग घोल या फैलाव में तैयार होने के बाद डिप डाइंग के माध्यम से किया जाता है। इसके अणु विसरित होते हैं और तंतुओं पर अधिशोषित होते हैं, जो एक आदर्श एक-आणविक प्रकीर्णन अवस्था प्रदर्शित करते हैं। ऊपर से यह देखा जा सकता है कि प्लास्टिक और फाइबर में फ्लोरोसेंट व्हाइटनिंग एजेंटों के उपयोग के तरीके अलग-अलग हैं, और उनके फैलाव राज्यों की अपनी विशेषताएं हैं। इस कारण से, प्लास्टिक में ऑप्टिकल ब्राइटनर के व्यवहार, विशेष रूप से फैलाव की स्थिति और ब्राइटनर के प्रभाव पर इसके प्रभाव का अध्ययन करना बहुत आवश्यक है।
कोरोना का फिर से फैलाव रोकने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने तीव्र, निर्णायक कदम उठाने का आह्वान किया
कोविड-19 महामारी की वर्तमान स्थिति और देश भर में कोरोना के खिलाफ जारी टीकाकरण के सिलसिले में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से डिजिटल माध्यम से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, पंजाब और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कोरोना के मामले बढ़े हैं जबकि देश के 70 जिलों में पिछले कुछ हफ्तों में सकारात्मक मामलों की दरों में 150 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम इस बढ़ती हुई महामारी को यहीं नहीं रोकेंगे तो देशव्यापी संक्रमण की स्थिति बन सकती है। हमें कोरोना की इस उभरती हुई ‘सेकंड पीक (दूसरी शीर्ष स्थिति)’ को तुरंत रोकना ही होगा। इसके लिए हमें तीव्र ओर निर्णायक कदम उठाने होंगे।’’
फैलाव को सक्रिय रूप से फैलाव स्थिति रोकें
यूरोपीय संघ में आधे से अधिक देशों में दैनिक मामले बढ़ रहे हैं, जबकि अमेरिका में चिंता, गलत सूचना और कोविड थकान बड़े पैमाने पर है। यह फैलाव स्थिति महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को खतरे में डालता है, जिससे हमारे सामान्य होने की संभावना कम हो जाती है। जैसे ही कोविड स्थानिक हो जाता है, यह अनिवार्य है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों के पास फैलाव को नियंत्रण में रखने और अपने समुदायों की रक्षा करने के लिए उपकरण हों।
संयुक्त राज्य अमेरिका में केविड-19 मामलों की संख्या में दैनिक रुझान के बारे में सीडीसी को सूचित किया गया
सामुदायिक अनिश्चितता
कमजोर समुदायों में चिंता अधिक है जिस से परिवारों को अपने प्रियजनों को उनकी जरूरत की देखभाल नहीं मिल रही है।
सामुदायिक प्रकोप को कम करना 67% तक
सक्रिय पूल टेस्टिंग
बार-बार टेस्ट करने से सामुदायिक फैलाव को 67 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। हम एक उपयोग में आसान प्लेटफॉर्म में पूल टेस्टिंग और भविष्य का विश्लेषण का प्रबंधन करते हैं।
- दीर्घकालिक देखभाल सुविधाओं में निवासियों के लिए सप्ताह में एक बार टेस्टिंग और कर्मचारियों के लिए दैनिक टेस्टिंग
- कम सेवा वाले समुदायों में नियोक्ताओं और छात्रों फैलाव स्थिति के साथ स्कूलों के लिए टेस्टिंग कार्यक्रम
- सभी लागतें कटौती-मुक्त बीमा या संघीय सरकार द्वारा कवर की जाती हैं
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टैरो कार्ड का फैलाव क्या है | What is a Tarot Spread
टैरो कार्ड का फैलाव कार्ड बिछाने का एक पूर्व निर्धारित तरीका है। यह परिभाषित करता है कि कितने कार्ड का उपयोग करें, यह किसके पास जाता है और इसका क्या अर्थ होता है।कार्ड बिछाने का एक उचित पूर्व नियोजित तरीका है जिसे टेम्पलेट कहते हैं, यह किसी खास विषय पर विस्तृत प्रकाश डालता है। इस टेम्पलेट पर कार्ड की स्थिति बेहतर तरीके से आती है।
जब कार्ड अपेक्षित संख्या में बाहर हो, बचे कार्ड को जिसका प्रयोग नही किया जाता है उसे एक तरफ रख दिया जाता है। कार्ड को फैलाने के बाद एक सरसरी नजर से सभी कार्डों को देखा जाता है कि उसमें कोई सूट है कि नही या विभिन्न प्रकार के कोर्ट कार्ड या मेजर अरकाना कार्ड है। इससे सामान्य प्रवृत्ति या पढने की दिशा का संकेत मिलता है।
Patrika Opinion: खसरा-रूबेला का फैलाव चिंताजनक
इस सदी की सबसे दुसाध्य व विनाशकारी महामारी की वजह बना कोरोना वायरस भले ही अब निस्तेज अवस्था में पहुंच गया है, पर इसके दुष्परिणाम दुनिया भर को अब भी अलग-अलग क्षेत्रों में भुगतने पड़ रहे हैं। भारत में खसरे के फैलाव को इसी का दुष्परिणाम समझा जा सकता है। इसकी भयावहता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी भी सामने आ गई है। देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी केंद्र शासित प्रदेशों व राज्यों को संवेदनशील क्षेत्रों में नौ महीने से पांच साल तक के सभी बच्चों को खसरा और रूबेला के टीके की अतिरिक्त खुराक देने पर विचार करने को कहा है तथा एहतियाती उपाय करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जो आंकड़ा दिया है, वह वर्ष 2021 में खसरे के टीके से वंचित रहे दुनिया के चार करोड़ बच्चों का है। कोरोना की दस्तक वर्ष 2020 में ही आ गई थी। खसरे समेत पूरा टीकाकरण कार्यक्रम देश और दुनिया में उसी समय अस्त-व्यस्त हो गया था। उस साल के आंकड़े भी मिला लेंगे तो खसरे के टीके से वंचित बच्चों की संख्या इससे बहुत अधिक मिलेगी। अभी देश में महाराष्ट्र में दस बच्चों की मृत्यु का मामला सामने आया है और बिहार, गुजरात, हरियाणा, केरल व झारखंड जैसे कुछ राज्यों के इसके प्रभाव में आने की सूचनाएं हैं। खसरे के टीके पूरे भारत में ही कम लगे हैं। पोषण के लिहाज से भी सजगता जरूरी है। खसरे के लिए सर्वविदित तथ्य है कि कुपोषित व अत्यधिक कुपोषित बच्चों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एहतियाती कदम उठाते हुए बच्चों में खसरे के मामलों में वृद्धि के आकलन व प्रबंधन के लिए उच्च स्तरीय दल तैनात किए हैं, पर ये देश के आकार को देखते हुए नाकाफी हैं। ये उच्चस्तरीय दल रांची, अहमदाबाद और मलप्पुरम में तैनात हैं। कम से कम एक राज्य में एक उच्च स्तरीय दल तो जरूरी है, तभी खसरे के फैलाव की सही तस्वीर सामने आ पाएगी और तभी इसे नियंत्रित करने के पर्याप्त कदम उठाए जा सकेंगे। इन उच्च स्तरीय दलों को खसरे तक सीमित रखना भी सही कदम नहीं होगा। उन्हें पूरे टीकाकरण की स्थिति जानने और तदनुरूप भरपाई के कदम उठाने का दायित्व सौंपना चाहिए ताकि भविष्य में कोई और बीमारी भी अपना सिर नहीं उठा पाए।