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दलाल कैसे बने

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उन्होंने आगे कहा, ‘हम आलाकमान के साथ हैं। कौन ईमानदार है, कौन झूठा है, कौन गद्दार है, कौन क्या है… सभी जानते हैं । धर्मेंद्र राठौड़ के बारे में बात करने का मतलब समय बर्बाद करना है।‘’

शेयर बाजार क्या है? – स्टॉक मार्केट कैसे काम करता है? – जानिए पेटीएम मनी के साथ निवेश कैसे करें

स्टॉक मार्केट या स्टॉक एक्सचेंज एक मार्केटप्लेस (मंडी) है जहां व्यक्ति और संस्थान सूचीबद्ध कंपनियों के स्टॉक/प्रतिभूतियां खरीद और बेच सकते हैं। ‘सिक्योरिटीज’ या ‘स्टॉक’ इक्विटी शेयरों को संदर्भित करता है जो किसी कंपनी में स्वामित्व प्रदान करते हैं।

शेयरों को खरीदने और बेचने की गतिविधि को शेयरों में ट्रेडिंग के रूप में भी जाना जाता है।

जब आप कोई स्टॉक खरीदते हैं, तो आपको अपने निवेश के अनुपात में कंपनी का स्वामित्व मिलता है। इसके अतिरिक्त, आप ‘लाभांश’ के रूप में कंपनी के लाभ का आनुपातिक हिस्सा प्राप्त करने के योग्य हो जाते हैं।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) भारत में प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं। अन्य प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज और एनएसई आईएफएससी हैं।

स्टॉक मार्केट कैसे काम करता है?

एक आम बाजार की तरह, शेयर बाजार में, खरीदार और विक्रेता कीमतों और व्यापार शेयरों पर बातचीत करते हैं।
शेयर बाजार में दो तरह के ट्रेड शामिल हैं: इंट्राडे और डिलीवरी।

इंट्राडे का अर्थ है ‘उसी दिन के दौरान’। इंट्राडे में, एक व्यापारी उसी दिन खरीदे गए शेयरों की डिलीवरी लिए बिना खरीदता और बेचता है। स्टॉक की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर कड़ी नजर रखने के लिए वह रीयल-टाइम चार्ट का उपयोग करता है। इसका उद्देश्य अल्पकालिक मूल्य में उतार-चढ़ाव का लाभ उठाना है।

डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग में, ट्रेडर शेयरों को खरीदता है और उन्हें अपने डीमैट खाते में लंबे समय तक रखता है। यहां, शेयर ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, दो दिनों के बाद स्टॉक डिलीवरी की जाती है।

किसी कंपनी का स्टॉक मूल्य कैसे निर्धारित किया जाता है?

स्टॉक मूल्य की पहचान करने की प्रक्रिया उस समय से शुरू होती है जब कोई कंपनी बड़ी मात्रा में पूंजी जुटाने के लिए सूचीबद्ध होने का निर्णय लेती है। यह आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (दलाल कैसे बने आईपीओ) प्रक्रिया शुरू करने के लिए मर्चेंट बैंकरों / हामीदारों को काम पर रखता है। दलाल कैसे बने ये संस्थाएं कंपनी के वर्तमान प्रदर्शन का अध्ययन करती हैं, इसकी परिसंपत्तियों और देनदारियों का विश्लेषण करती हैं और इसके भविष्य के प्रदर्शन का अनुमान लगाती हैं।

वे आईपीओ की पेशकश करने के लिए एक निश्चित मूल्य या मूल्य बैंड पर पहुंच सकते हैं। एक बार आईपीओ के माध्यम से और निवेशकों को उनके आवेदन के अनुसार शेयर आवंटित किए जाते हैं। उसके बाद, वे सूचीबद्ध हो जाते हैं, और फिर बाजार की ताकतें यानी मांग और आपूर्ति स्टॉक की कीमत की खोज को सक्षम बनाती हैं।

यदि विक्रेता (आपूर्ति) खरीदार (मांग) से अधिक हैं, तो स्टॉक की कीमत अधिक आपूर्ति के कारण गिरती है। दूसरी ओर, यदि खरीदार विक्रेताओं से अधिक हो जाते हैं, तो अतिरिक्त मांग के कारण स्टॉक की कीमत बढ़ जाती है।

फैशन डिजाइनर हैं नताशा दलाल, डिजाइन करती हैं ब्राइडल कपड़े, जानिए वरुण धवन की पत्नी के बारे में सब कुछ

By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 25 Jan 2021 09:02 AM (IST)

बॉलीवुड एक्टर वरुण धवन ने अपनी बचपन की दोस्त नताशा दलाल से शादी रचा ली. दोनों ने अलीबाग में आयोजित एक प्राइवेट सेरेमनी में सात फेरे लिए. शादी के बाद से ही लोग जानना चाहते हैं कि आखिर नताशा दलाल कौन हैं और वरुण से उनकी मुलाकात कैसे और कहां हुई. आइए जानते हैं-

  • नताशा दलाल का जन्म मुंबई में हुआ और वहीं वो बड़ी हुईं. उनके पिता राजेश दलाल और मां गौरी दलाल दोनों ही बिजनेसमैन हैं. नताशा ने अपनी स्कूलिंग मुंबई से की है.
  • नताशा एक फैशन डिजाइनर हैं और अपना क्लोदिंग ब्रैंड चलाती हैं. नताशा ब्राइडल और वेडिंग वियर ही डिजाइन करती हैं. इसे उन्होंने 2013 में लॉन्च किया था. अपनी शादी का लहंगा भी नताशा ने खुद ही डिजाइन किया.
  • नताशा ने न्यूयॉर्क के Fashion Institute of Technology (FIT) से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया है. शादी के लिए बनाए उनके कपड़े काफी मशहूर हैं.
  • न्यूयॉर्क से 2013 में नताशा मुंबई आईं और उसी साल अपना ब्रैंड लॉन्च किया. उनके ब्रैंड का नाम Natasha Dalal Label है.
  • नताशा से उनकी मुलाकात कैसे हुई? इसका जिक्र करीना कपूर के साथ एक इंटरव्यू में वरुण ने ऐसे किया था, ''पहली बार मैं नताशा से 6ठीं क्लास में मिला था. 12वीं क्लास तक हम लोगों अच्छे दोस्त बन गए थे.
  • आपको जानकर हैरानी होगी कि वरुण धवन को तीन-चार बार नताशा ने रिजेक्ट कर दिया था. इस दलाल कैसे बने एक्टर के बहुत बार कोशिश करने के बाद नताशा मानी और फिर दोनों डेट करने लगे.
  • जब वरुण ने बॉलीवुड डेब्यू किया तब उनके अफेयर की खबरें नताशा के साथ दलाल कैसे बने आईं. 2019 में इंस्टाग्राम पर नताशा की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए वरुण ने अपने रिलेशनशिप को ऑफिशियल किया.

राजस्‍थान: राजनीत‍िक सरगर्मी के बीच नेताओं में ‘वफादारी’ द‍िखाने के ल‍िए जुबानी जंग

जयपुर, 29 सितंबर (भाषा) क्षेत्रफल के ल‍िहाज से देश के सबसे बड़े राज्‍य राजस्‍थान में दलाल कैसे बने सत्‍तारूढ़ कांग्रेस में जारी राजनीत‍िक गत‍िरोध के बीच स्‍थानीय नेताओं में पार्टी के भीतर बने धड़ों के प्रति वफादारी दिखाने की होड़ मची है। इन नेताओं में ‘खुद को आलाकमान का वफादार’ बताने की होड़ सी मची है।

राजस्‍थान पर्यटन विकास न‍िगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष और गहलोत के वफादार धर्मेंद्र राठौड़ ने बृहस्‍पतिवार को सच‍िन पायलट खेमे के माने जाने वाले विधायक वेद प्रकाश सोलंकी पर निशाना साधा।

राठौड़ ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैं यह साबित करने के लिए साक्ष्य दूंगा कि कौन गद्दार है और कौन वफादार । यह सबके सामने आएगा। सोलंकी ने जिला परिषद चुनाव के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां से एक होटल में मुलाकात की थी।’

निफ्टी क्या है (What Is Nifty)

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज फिफ्टी (निफ्टी) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का शेयर बाजार सूचकांक है | इसे NIFTY 50 और CNX Nifty के रूप में भी जाना जाता है| इसमें 50 स्टॉक शामिल हैं, जो NSE पर सक्रिय रूप से कारोबार करते हैं, और इसका स्वामित्व और प्रबंधन NSE की सहायक कंपनी India Index Services and Products Ltd. (IISL) द्वारा किया जाता है |

निफ्टी 50 में शीर्ष 50 स्टॉक 12 विभिन्न क्षेत्रों से हैं | इनमें से कुछ में सूचना प्रौद्योगिकी, उपभोक्ता सामान, वित्तीय सेवाएं, ऑटोमोबाइल, दूरसंचार आदि शामिल हैं। इसके अलावा, सूचकांक का आधार मूल्य 1000 है, और यह मुक्त-फ्लोट बाजार पूंजीकरण भारित विधि का उपयोग करके गणना की जाती है |

बिटक्वाइन क्या है (What Is Bitcoin)

दरअसल बिटक्वाइन एक वर्चुअल अर्थात आभासी मुद्रा है | यह एक प्रकार की डिजिटल करेंसी है | जिसका कोई भौतिक स्वरुप नहीं है अर्थात बिटक्वाइन को न ही आप छू सकते है और न ही देख सकते है | बिटकॉइन को वर्ष 2008 में सातोशी नकामोति ने बनाया था | हालाँकि सातोशी नकामोति कोई व्यक्ति है या संस्था है, इसकी कोई जानकारी नहीं है | इस क्रिप्टोकरेंसी को सबसे पहले वर्ष 2009 में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया था |

इस मुद्रा पर किसी भी बैंक या सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, हालाँकि भारतीय रिज़र्व बैंक नें इसे मान्यता नहीं दी है, परन्तु उच्च न्यायालय नें वर्चुअल करेंसी के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में लेन देन की स्वीकृति दे दी है | यदि किसी के पास बिटक्वाइन है, तो वह आम करेंसी की भांति सामान की खरीद-फरोख्त कर सकता है |

बिटक्वाइन कैसे बनता है (How DoesBitcoin Become)

बिटक्वाइन एक डिजिटल करेंसी है, जिसकी शुरुआत सतोशी नाकामोतो द्वारा की गयी थी | आपको बता दें, कि बिटक्वाइन की सबसे छोटी इकाई (Unit) सतोशी है | 1 बिटक्वाइन 10,00,00,000 करोड़ (सतोशी) होता है | जिस प्रकार भारतीय मुद्रा के 1 रुपये में 100 पैसे होते है, ठीक उसी प्रकार 10 करोड़ सतोशी से मिलकर 1 बिटक्वाइन बनता है |

बिटक्वाइन का लेन-देन डिजिटल वॉलेट (Digital wallet) के माध्यम से किया जाता है | इस वर्चुअल करेंसी पर पूरी तरह से डिजिटली कंट्रोल होता है | दुनियाभर में एक समय में बिटक्वाइन की कीमत एकसमान होती है, हालाँकि गतिविधियों के अनुसार इसकी कीमते घटती, बढ़ती रहती है और इसका कोई निर्धारित मूल्य नहीं होता है |

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November 17, 2022

बलिया। उत्तर दलाल कैसे बने दलाल कैसे बने प्रदेश के बलिया में हर साल लगने वाला ऐतिहासिक ददरी मेला अगले साल से सरकारी मेला दलाल कैसे बने कहलाएगा। जिसकी जानकारी प्रदेश के परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह ने दी। बता दें इस साल 8 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान के साथ शुरू हुआ यह मेला 30 नवंबर तक चलेगा।

परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह ने बताया कि सरकार अगले साल से इसे सरकारी मेला घोषित करेगी इसके आयोजन के लिए ददरी मेला प्राधिकरण बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में अपने बलिया दौरे में महर्षि भृगु गलियारे के लिए जिला प्रशासन से प्रस्ताव मांगा था। उन्होंने कहा कि अगले साल से यह मेला और भव्य स्वरूप में दिखाई देगा।कार्तिक पूर्णिमा पर संगम – ददरी मेला का इतिहास बहुत पुराना है, बलिया में गंगा-सरयू मिलन का साक्षी ददरी मेला हर साल कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होता है। ददरी मेले से संबंधित विभिन्न मान्यताएं हैं। एक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु को पैर से मारने के बाद महर्षि भृगु को श्राप से मुक्ति इसी क्षेत्र में ही मिली थी। ददरी मेले पर आधा दर्जन से ज्यादा किताबें लिखने वाले इतिहासकार शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने ‘पीटीआई-भाषा’ में बताया कि ऐसी भी मान्यता है कि महर्षि भृगु ने अपने शिष्य दर्दर मुनि के जरिए अयोध्या से सरयू नदी को बलिया लाकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गंगा- सरयू नदी का संगम कराया।

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