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चिट फंड के प्रकार

चिट फंड के प्रकार

Provident Fund के कितने हैं प्रकार? जानिए आपको किसमें मिलेगा ज्यादा फायदा

प्रोविडेंट फंड तीन प्रकार के होते हैं, जिनमें से अधिकतर लोग सिर्फ दो के बारे में ही जानते हैं. आइए जानते हैं इसके प्रकारों के बारे में विस्तार से.

By: ABP Live | Updated at : 04 Nov 2022 05:25 PM (IST)

भविष्य निधि क्या है

Provident Fund Types and Profit: कई लोग प्रोविडेंट फंड के बारे में जानते तो हैं, लेकिन इसे लेकर काफी कंफ्यूज भी रहते हैं. कई लोगों को कन्फ्यूजन रहता है कि एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में क्या अंतर है. इसके साथ ही कई लोग नहीं समझ पाते हैं कि किस पीएफ को चुनना उनके लिए बेहतर है. अब सही का चुनाव तो तब हो पाए, जब उस विषय के बारे में सही ज्ञान हो. वैसे क्या आप जानते हैं कि एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) से अलग एक और प्रोविडेंट फंड होता है. इसका नाम है जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF). कुल मिलाकर 3 टाइप के प्रोविडेंट फंड होते हैं. तीनों में अंतर होता है. सरकार समय-समय पर तीनों की ब्याज दर में बदलाव भी करती रहती है.

तीनों में अंतर

प्रोविडेंट फंड पर हर वित्त वर्ष के लिए सालाना ब्याज दर तय की जाती है. वहीं, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) के लिए हर तिमाही पर ब्याज दर तय होती है. इसके अलावा, एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) की ब्याज दर EPFO तय करता है और इसकी मंजूरी वित्त मंत्रालय से ली जाती है. वहीं, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) सरकार की छोटी बचत योजनाओं के तहत आने वाली योजना है, ऐसे में, हर तिमाही आधार पर इसके ब्याज में बदलाव होता रहता है. वहीं, जनरल प्रोविडेंट फंड सरकारी कर्मचारियों के लिए है. इस पर भी ब्याज दर तिमाही आधार पर तय की जाती है.

EPF क्या होता है?

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एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) एक निवेश स्कीम है, जो हर नौकरीपेशा को मिलती है. एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड संगठन (EPFO) सभी ईपीएफ खातधारकों के अंशदान का रखरखाव करता है. एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड सरकारी और गैर सरकारी सभी कर्मचारियों के लिए निवेश स्कीम है. नियमों के अनुसार, जिस कंपनी में 20 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं, उसका रजिस्ट्रेशन EPFO में होना कंपलसरी है. एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड की राशि हर कर्मचारी की सैलरी से काटी जाती है. बेसिक सैलरी का 12 फीसदी कर्मचारी के वेतन से एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड में जमा होता है. वहीं, 12 फीसदी कंपनी की तरफ से दिया जाता है, जिसमें 8.33 फीसदी आपके पेंशन स्कीम (EPS) अकाउंट में और बाकी 3.67 फीसदी EPF में जमा होता रहता है. फिलहाल, EPF पर 8.65 फीसदी ब्याज भी मिलता है.

PPF क्या होता है?

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) एक स्मॉल सेविंग योजना है. इसे बैंक या पोस्ट ऑफिस में खोला जा सकता है. यह छोटी बचत स्कीम में निवेश का एक साधन है. पब्लिक प्रोविडेंट फंड केवल किसी कर्मचारी तक सीमित नहीं होता है. बल्कि देश का कोई भी नागरिक इसका लाभ उठा सकता है. बच्चों के नाम पर भी पीपीएफ ओपन कराया जा सकता है. फिलहाल, PPF पर 7.1 फीसदी ब्याज दिया जाता है. पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत आता है. पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश करने पर टैक्स बेनिफिट दिया जाता है. इसमें मैच्योरिटी के समय भी कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है.

GPF क्या होता है?

जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) सरकारी काम करने वाले लोगों के लिए होता है. एक सरकारी कर्मचारी अपनी सैलरी का एक निश्चित हिस्सा जनरल प्रोविडेंट फंड के रूप में देकर इसका मेंबर बन सकता है. जनरल प्रोविडेंट फंड में जमा राशि सरकारी कर्मचारी को रिटायरमेंट के समय मिल जाती है. जनरल प्रोविडेंट फंड पर फिलहाल 7.1 फीसदी ब्याज दिया जाता है. अगर कोई सरकारी कर्मचारी सस्पेंड हो जाता है तो ऐसी स्तिथि में जनरल प्रोविडेंट फंड में जमा नहीं कर सकता है. कर्मचारी के रिटायरमेंट चिट फंड के प्रकार से तीन महीने पहले जनरल प्रोविडेंट फंड अकाउंट बंद हो जाता है. अगर सरकारी कर्मचारी इसके एवज में एडवांस लोन लेता है, तो इसके बदले उसे ब्याज नहीं चुकाना पड़ता है बल्कि लोन की राशि EMI के रूप में चुकानी होती है.

Published at : 04 Nov 2022 05:25 PM (IST) Tags: Provident Fund fund हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Utility-news News in Hindi

चिट फंड, आवर्ती (रेकरिंग) जमा या म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) – कहां निवेश करें New 2022

चिट फंड, आवर्ती (रेकरिंग) जमा या म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) : अक्सर बहुत से लोग हमें पैसे बचाने या निवेश करने के लिए कहते हैं या सलाह देते रहते हैं लेकिन वे सभी लोग वास्तव में हमें यह नहीं बताते कि यह कैसे करना है। यदि आप अपने पैसों की बचत करना या स्मार्ट निवेश करना चाहते हैं, लेकिन आपको यह सुनिश्चित नहीं है कि निवेश अथवा बचत की शुरुआत कहां से और कैसे करें तो आप एकदम सही जगह पर आए हैं।

यहां, हम तीन निवेश विकल्पों को देखेंगे जिन पर आप अपनी संपत्ति बढ़ाने और अपने भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित करने के लिए विचार कर सकते हैं।

चिट फंड

यदि आपने चिट फंड के बारे में काफी लोगों से सुना अवश्य है परंतु आप अभी तक “चिट फंड क्या है” यह सही प्रकार से नही जानते हैं तो आइए इसे विस्तारपूर्वक समझते हैं।

चिट फंड एक सामुदायिक फंडिंग पद्धति है, जहां कई योगदानकर्ता एक साथ आते हैं और हर महीने एक निश्चित राशि का निवेश करते हैं। हर महीने एकत्र किए गए धन को नीलामी के लिए रखा जाता है। सबसे कम बोली लगाने वाले को चिटफंड आयोजक को कमीशन देने के बाद वह राशि मिलती है।

शेष राशि को शेष योगदानकर्ताओं के बीच समान रूप से वितरित किया जाता है। इस प्रक्रिया का हर महीने पालन किया जाता है जब तक कि प्रत्येक योगदानकर्ता को एक बार राशि प्राप्त न हो जाए।

वर्तमान समय में यह एक ऑनलाइन चिट फंड के रूप में आधुनिक हो गया है जहां इस प्रक्रिया को डिजिटल रूप से संचालित किया जाता है।

यह किस प्रकार कार्य करता है?

मान लीजिए कि 10 योगदानकर्ता एक चिट फंड प्रणाली में अपने पैसों का निवेश करते हैं जिसके अंतर्गत प्रत्येक योगदानकर्ता प्रत्येक माह 10,000 रुपए का निवेश करता है। इस हिसाब से हर महीने एकत्र की गई कुल राशि 1,00,000 रुपये होगी चिट फंड के प्रकार और हर महीने इसी राशि की नीलामी की जाएगी।

अब मान लीजिए कि सभी योगदानकर्ता में से चार लोगों को पैसों की आवश्यकता है और उन चार लोगों ने इस पैसे की बोली रु. 70,000, रु. 88,000, रु. 90,000 और रु. 80,000 लगाई। सबसे कम बोली यानी 70,000 रुपये की बोली लगाने वाले व्यक्ति को चिटफंड लोन मिलेगा।

उस व्यक्ति को चिटफंड के आयोजक को 5% देना होता है जो कि कुल राशि 1,00,000 रुपए के 5% के हिसाब से रु. 5,000 होता है, तो इस प्रकार उस व्यक्ति को कमीशन के 5000 रुपये काटने के बाद 65,000 रुपए की राशि दी जाती है। बची हुई राशि अर्थात 30,000 रुपए को शेष योगदानकर्ताओं के बीच सामान रूप से वितरित कर दिया जाता है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को लगभग 3,333 रुपए मिलते हैं। यह प्रक्रिया प्रत्येक माह इसी प्रकार से दोहराई जाती है।

म्यूचुअल फंड (Mutual Fund)

अपने पैसों की बचत या निवेश करने का यह एक अच्छा विकल्प है जो निवेशकों से धन एकत्र करता है और स्टॉक, बॉन्ड, इक्विटी और अन्य प्रतिभूतियों में निवेश करता है। इसके बाद निवेशकों को उनके निवेश पर रिटर्न मिलता है। हालांकि, इसमें कुछ जोखिम शामिल हैं क्योंकि निवेशक रिटर्न पाने के बजाय अपने पैसे खो भी सकते हैं।

इसके अंतर्गत निवेशक अपनी वित्तीय क्षमता और जो जोखिम लेने को तैयार हैं, उसके आधार पर कितनी भी राशि निवेश कर सकते हैं।

यह किस प्रकार कार्य करता है?

मान लीजिए कि एक बैंक, एक म्यूचुअल फंड योजना शुरू करता है जहां वह 100 निवेशकों से कुल मिलाकर 1 करोड़ रुपए एकत्र करता है। इस योजना का उद्देश्य निवेशकों द्वारा दिए गए पैसों को 20 शेयरों में निवेश करना है। इसलिए, फंड मैनेजर उन शीर्ष 20 शेयरों को चुनता है जो सबसे अच्छा और महत्वपूर्ण रिटर्न देने की संभावना रखते हैं। प्रत्येक निवेशक के पोर्टफोलियो के आधार पर रिटर्न, समय के साथ साझा किया जाता है।

आवर्ती (रेकरिंग) जमा

यह निवेश बैंकों द्वारा पेश किया जाता है। इसमें वेतनभोगी व्यक्ति बैंक के साथ एक आवर्ती जमा (आरडी) खाता खोल सकते हैं जहां उन्हें हर महीने एक निश्चित राशि जमा करनी होती है। वे कुल राशि पर सावधि जमा पर लागू ब्याज दर अर्जित करते हैं। जमा के मैच्योर होने के बाद बैंक द्वारा खाताधारक को एकमुश्त राशि का भुगतान किया जाता है।

यह किस प्रकार कार्य करता है?

मान लीजिए आप एक आरडी खाता खोलते हैं और प्रति माह 1,000 रुपए 2 साल के कार्यकाल के लिए 8% ब्याज पर जमा करते हैं। दो साल बाद जमा के मैच्योर होने पर आप 2,029 रुपये का ब्याज अर्जित करेंगे और देय राशि रु. 26,029 होगी।

चिट फंड/आवर्ती जमा/म्यूचुअल फंड

यदि आप चिट फंड और म्यूचुअल फंड या चिट फंड और आवर्ती जमा के बीच निर्णय लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो निम्नलिखित तुलना से आपको सही रूप से निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

चिट फंडम्युचुअल फंडआवर्ती जमा
निवेश प्रकारनिवेश और ऋणनिवेशनिवेश
रिटर्नमासिक नीलामी और बोली पर निर्भर करता हैबाजार के प्रदर्शन के आधार पर रिटर्नब्याज दर के अनुसार निश्चित रिटर्न
सुरक्षाजोखिमबाजार जोखिमों के अधीनसुरक्षित
विनियमित/शासित द्वाराचिट फंड अधिनियम 1982एसईबीआईआरबीआई
गारंटीलाभ या हानिलाभ या हानिपक्का लाभ
टैक्सेबल इनकमगैर-कर योग्य (यदि घोषित हो)गैर कर योग्यकोई टीडीएस नहीं, लेकिन अर्जित ब्याज कर योग्य है

अंतिम शब्द

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक वित्तीय निवेश विकल्प विभिन्न जोखिमों और लाभों के साथ आता है। इसलिए, आपको एक सूचित विकल्प बनाने से पहले विवरणों की जांच करने और बारीकी से समझने की जरूरत है जो आपके लिए सही प्रकार से काम करेगा।

चिट फंड के प्रकार

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चिट फंड्स (संशोधन) बिल, 2019

  • चिट फंड्स (संशोधन) बिल, 2019 को 5 अगस्त, 2019 को लोकसभा में पेश किया गया। बिल चिट फंड्स एक्ट, 1982 में संशोधन का प्रयास करता है। 1982 का एक्ट चिट फंड्स को रेगुलेट करता है और राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना फंड को बनाने पर प्रतिबंध लगाता है। किसी चिट फंड के अंतर्गत लोग इस बात के लिए सहमत होते हैं कि वे समय समय पर एक निश्चित राशि फंड में जमा करेंगे। फिर एक नियत समय पर पर चिट निकालकर एक सबस्क्राइबर को चुना जाता है जिसे पुरस्कार स्वरूप फंड में से राशि की दी जाती है।
  • चिट फंड का नाम : एक्ट ऐसे विभिन्न नाम विनिर्दिष्ट करता है चिट फंड के प्रकार जिनका इस्तेमाल चिट फंड के लिए किया जा सकता है। इनमें चिट , चिट फंड और कुरी शामिल है। बिल इस सूची में ‘मैत्री फंड’ (फ्रेटरनिटी फंड) और ‘ आवर्ती बचत और प्रत्यय संस्था ’ (रोटेटिंग सेविंग्स एंड क्रेडिट इंस्टीट्यूशन) को जोड़ता है।
  • पारिभाषित शब्दों का प्रतिस्थापन : एक्ट चिट फंड्स के संबंध में कुछ शब्दों को पारिभाषित करता है। यह इस प्रकार है : ( क) ‘ चिट राशि ’ जोकि चिट के सभी सबस्क्राइबर्स द्वारा चुकाए जाने वाले सबस्क्रिबशन्स की कुल राशि होती है, (ख) ‘ लाभांश ’ जोकि चिट चलाने के लिए अलग रखी गई राशि के अतिरिक्त राशि में सबस्क्राइबर का हिस्सा होता है, और (ग) ‘ पुरस्कार राशि ’ जोकि चिट राशि और चिट चलाने के लिए अलग रखी गई राशि के बीच का अंतर होता है। बिल इन पारिभाषिक शब्दों को क्रमशः ‘ सकल चिट रकम ’ , ‘ बट्टे का अंश ’ और ‘ शुद्ध चिट रकम ’ से बदलता है।
  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सबस्क्राइबरों की उपस्थिति : एक्ट विनिर्दिष्ट करता है कि कम से कम दो सबस्क्राइबरों की उपस्थिति में चिट निकाली जाएगी। बिल इन सबस्क्राइबरों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित होने की अनुमति देने का प्रयास करता है।
  • फोरमैन का कमीशन : एक्ट के अंतर्गत चिट फंड को चलाने की जिम्मेदारी ‘फोरमैन’ की है। वह चिट की कुल राशि का अधिकतम 5% कमीशन के तौर पर पाने के लिए अधिकृत है। बिल इस कमीशन को बढ़ाकर 7% करने का प्रयास करता है। इसके अतिरिक्त बिल सबस्क्राइबर्स के क्रेडिट बैलेंस पर फोरमैन के वैध अधिकार की अनुमति देता है।
  • चिट्स की एग्रेगेट राशि: एक्ट के अंतर्गत चिट्स फर्म्स, संगठन या व्यक्तियों द्वारा चलाए जा सकते हैं। एक्ट चिट् फंड्स की अधिकतम राशि को विनिर्दिष्ट करता है जिन्हें जमा किया जा सकता है। ये सीमाएं हैं : (i) व्यक्तियों द्वारा चलाए जाने वाले चिट्स तथा चार से कम पार्टनर्स वाली फर्म या संगठन में प्रत्येक व्यक्ति द्वारा चलाए जाने वाले चिट्स के लिए एक लाख रुपए, और (ii) चार या उससे अधिक पार्टनर्स वाली फर्म्स के लिए छह लाख रुपए। बिल इस सीमा को क्रमशः तीन लाख रुपए और 18 लाख रुपए करता है।
  • एक्ट चिट फंड के प्रकार का एप्लीकेशन : वर्तमान में एक्ट निम्न पर लागू नहीं होता: ( i ) एक्ट लागू होने से पहले शुरू किए गए किसी चिट पर , और ( ii ) किसी ऐसे चिट (या एक ही फोरमैन द्वारा चलाए जाने वाले कई चिट्स) पर जिसकी राशि 100 रुपए से कम है। बिल 100 रुपए की सीमा को हटाता है और राज्य सरकार को आधार राशि तय करने की अनुमति देता है जिससे अधिक की रकम होने पर एक्ट के प्रावधान लागू होंगे।

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र , अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।

चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2019

कुछ चिट फंड राज्य सरकार द्वारा चलाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, केरल राज्य वित्तीय उद्यम (KSFE) और मैसूर सेल्स इंटरनेशनल लिमिटेड (MSIL) सार्वजनिक उपक्रम हैं जो चिट फंड के कारोबार को साफ और पारदर्शी तरीके से चलाते हैं।

निजी पंजीकृत

कई पंजीकृत चिट फंड हैं, कुछ प्रमुख व्यापारिक घरानों द्वारा संचालित हैं, जैसे कि हैदराबाद आधारित मारगार्डी चिट फंड, रामोजी राव ग्रुप का हिस्सा, या श्रीराम समूह। कुछ सहकारी समितियां भी चिट चलाती हैं।

अपंजीकृत

कई अपंजीकृत चिट फंड हैं परन्तु इनसे सम्बंधित कानूनी नहीं है। इनसे बचा जाना चाहिए क्योंकि विवाद की स्थिति में सदस्य के लिए कोई सहारा नहीं होता है। ऐसे चिट फंड में आमतौर पर करीबी दोस्त, सहकर्मी या पड़ोसी शामिल होते हैं।

Haryana Cabinet Meeting: हरियाणा में चिटफंड कंपनियों पर कसी जाएगी नकेल, लगेगा प्रतिबंध

हरियाणा में चिटफंड कंपिनयों का बड़ा जाल है। कुकरमुत्तों की तरह ये शहर-शहर फैली हुई हैं। प्रदेश में गोल्डन फॉरेस्ट और फ्यूचर मेकर कंपनियों के बड़े घोटाले सामने आ चुके हैं। इनमें हजारों लोगों का करोड़ों रुपये फंसा हुआ है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल।

हरियाणा सरकार लोगों को झांसे में लेकर निवेश कराने वाली चिटफंड कंपनियों पर शिकंजा कसने जा रही है। चिटफंड और मनी सरकुलेशन योजनाओं पर सरकार ने पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने चिट फंड के प्रकार का निर्णय लिया है। कंपनियां, फर्म, लोग या व्यापार संघ ऐसी कंपनियों में भविष्य में निवेश नहीं कर पाएंगे। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा धन परिसंचरण योजना (प्रतिबंध) नियम, 2022 को मंजूरी दे दी गई।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि ये नियम गजट अधिसूचना जारी होने की तिथि से प्रभावी होंगे। चिट मूल्य एवं धनपरिसंचरण योजना (प्रतिबंध) अधिनियम, 1978 की धारा 13 के प्रावधानों में राज्यों को यह अधिकार है कि वे नियम बना सकते हैं। नियमों के अनुसार लोग, कंपनियां, फर्म या व्यापार संघ गुप्त धन परिसंचरण योजनाओं सहित किसी भी प्रकार के चिटफंड को न तो बढ़ावा दे पाएंगे, न ही उनका संचालन कर सकेंगे।

इन पर कार्रवाई के लिए पुलिस नोडल विभाग रहेगा। राज्य, केंद्र सरकार, इनके तहत अन्य सरकारी एजेंसियों और भारतीय रिजर्व बैंक के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए पुलिस विभाग ही उत्तरदायी होगा। चिटफंड के मामलों में जांच करने पर अगर समुचित तथ्य निकलकर आते हैं तो मामला दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कंपनी, फर्म या व्यापार संघ पर मामला दर्ज कराकर अनुसंधान अधिकारी चिट मूल्य एवं धनपरिसंचरण योजना (प्रतिबंध) अधिनियम, 1978 (1978 के केंद्रीय अधिनियम 43 ) के प्रावधानों के अनुसार सक्षम प्राधिकारी को पूरी रिपोर्ट देंगे। पुलिस प्राधिकरण ऐसे व्यवसायों को बंद करवाने के लिए कार्रवाई करेगा। जिन मामलों में कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार सक्षम है, उनमें संबंधित मंत्रालय के पास कंपनी को बंद कराने के लिए सिफारिश करनी होगी।

गोल्डन फॉरेस्ट, फ्यूचर मेकर में बड़ा घोटाला आ चुका सामने
हरियाणा में चिटफंड कंपिनयों का बड़ा जाल है। कुकरमुत्तों की तरह ये शहर-शहर फैली हुई हैं। प्रदेश में गोल्डन फॉरेस्ट और फ्यूचर मेकर कंपनियों के बड़े घोटाले सामने आ चुके हैं। इनमें हजारों लोगों का करोड़ों रुपये फंसा हुआ है। इसके अलावा छोटी-मोटी कंपनियों के राशि निवेश कराकर भागने के अनेक मामले सामने आते रहते हैं। सरकार ने इनसे लोगों को बचाने के लिए ही चिटफंड कंपनियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है।

विस्तार

हरियाणा सरकार लोगों को झांसे में लेकर निवेश कराने वाली चिटफंड कंपनियों पर शिकंजा कसने जा रही है। चिटफंड और मनी सरकुलेशन योजनाओं पर सरकार ने पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने चिट फंड के प्रकार का निर्णय लिया है। कंपनियां, फर्म, लोग या व्यापार संघ ऐसी कंपनियों में भविष्य में निवेश नहीं कर पाएंगे। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा धन परिसंचरण योजना (प्रतिबंध) नियम, 2022 को मंजूरी दे दी गई।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि ये नियम गजट अधिसूचना जारी होने की तिथि से प्रभावी होंगे। चिट मूल्य एवं धनपरिसंचरण योजना (प्रतिबंध) अधिनियम, 1978 की धारा 13 के प्रावधानों में राज्यों को यह अधिकार है कि वे नियम बना सकते हैं। नियमों के अनुसार लोग, कंपनियां, फर्म या व्यापार संघ गुप्त धन परिसंचरण योजनाओं सहित किसी भी प्रकार के चिटफंड को न तो बढ़ावा दे पाएंगे, न ही उनका संचालन कर सकेंगे।

इन पर कार्रवाई के लिए पुलिस नोडल विभाग रहेगा। राज्य, केंद्र सरकार, इनके तहत अन्य सरकारी एजेंसियों और भारतीय रिजर्व बैंक के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए पुलिस विभाग ही उत्तरदायी होगा। चिटफंड के मामलों में जांच करने पर अगर समुचित तथ्य निकलकर आते हैं तो मामला दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कंपनी, फर्म या व्यापार संघ पर मामला दर्ज कराकर अनुसंधान अधिकारी चिट मूल्य एवं धनपरिसंचरण योजना (प्रतिबंध) अधिनियम, 1978 (1978 के केंद्रीय अधिनियम 43 ) के प्रावधानों के अनुसार सक्षम प्राधिकारी को पूरी रिपोर्ट देंगे। पुलिस प्राधिकरण ऐसे व्यवसायों को बंद करवाने के लिए कार्रवाई करेगा। जिन मामलों में कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार सक्षम है, उनमें संबंधित मंत्रालय के पास कंपनी को बंद कराने के लिए सिफारिश करनी होगी।

गोल्डन फॉरेस्ट, फ्यूचर मेकर में बड़ा घोटाला आ चुका सामने
हरियाणा में चिटफंड कंपिनयों का बड़ा जाल है। कुकरमुत्तों की तरह ये शहर-शहर फैली हुई हैं। प्रदेश में गोल्डन फॉरेस्ट और फ्यूचर मेकर कंपनियों के बड़े घोटाले सामने आ चुके हैं। इनमें हजारों लोगों का करोड़ों रुपये फंसा हुआ है। इसके अलावा छोटी-मोटी कंपनियों के राशि निवेश कराकर भागने के अनेक मामले सामने आते रहते हैं। सरकार ने इनसे लोगों को बचाने के लिए ही चिटफंड कंपनियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है।

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