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ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं

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ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं

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क्या हैं Index Funds और कैसे कर सकते हैं निवेश, जानिए इससे जुड़ी खास बातें

Index Funds: ज्यादा जोखिम के बिना हाई रिटर्न का फायदा उठाने के लिए इंडेक्स फंड एक अच्छा ऑप्शन हो सकते हैं. इंडेक्स फंड ऐसे म्यूचुअल फंड हैं, जहां किसी विशेष इंडेक्स के स्टॉक्स में ही निवेश किया जाता है.

Index Funds: म्यूचुअल फंड की ही एक मशहूर कैटेगोरी है इंडेक्स फंड जिसमें कम जोखिम में हाई रिटर्न का फायदा उठाया जा सकता है. इंडेक्स फंड का पोर्टफोलियो फॉलो किए जाने वाले इंडेक्स की तरह ही होता है. इंडेक्स फंड में SIP भी किया जा सकता है, इंडेक्स फंड में निवेश करने के लिए आप फंड ऑफ हाउस की आधिकारिक वेबसाइट या किसी ऐप का उपयोग कर सकते हैं. इंडेक्स फंड कम लागत में किया जा सकने वाला इनवेस्टमेंट माना जाता है. यहां निवेशक कम लागत में आसानी से शेयरों में निवेश कर सकते हैं. इन्हें पैसिव फंड भी कहा जाता है. ये फंड उसी सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं जिस ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं इंडेक्स को ये ट्रैक करते हैं. इंडेक्स शेयर बाजार के प्रदर्शन को ट्रैक करने वाला वेटेज एवरेज कंपोजिट स्कोर होता है. इसका कैलकुलेशन करने के लिए कुछ चुनिंदा ऐसे शेयरों की कीमतों को लेकर किया जाता है जो बाजार के रिप्रेजेन्टेटिव होते हैं. जैसे कि BSE का सेंसेक्स और NSE का NIFTY.

इंडेक्स फंड में होती है मॉडरेट रिस्क


इंडेक्स फंड, एक्टिवली मैनेज्ड फंड की तुलना में कम रिस्की होते हैं यानि कि मध्यम जोखिम निवेश हैं. जहां सक्रिय फंडों में मार्केट से बेहतर परफॉर्म करने की होड़ में ज्यादा रिस्क ली जाती है, वहीं इसके विपरीत इंडेक्स फंड का रिटर्न इसके अंडरलाइंग इंडेक्स से जुड़ा होता है. इसे ट्रैक किया जाता है.


एक्सचेंज फंड पर इंडेक्स फंड का कारोबार नहीं होता है इसलिए नियमित फंड की तुलना में इंडेक्स फंड की लिक्विडिटी कम है. साथ ही साथ इंडेक्स फंड का एक्सपेंस रेश्यो कम होता है. इससे इसकी लागत भी कम होती है.

Bharat Bond ETF: बिना जोखिम बेहतर रिटर्न

फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स (fixed income instruments) में निवेश को तरजीह देने वाले निवेशकों को फिर से भारत बॉन्ड ईटीएफ (Bharat Bond ETF) में निवेश का मौका मिल सकता है क्योंकि सरकार दिसंबर में देश के इस पहले कॉरपोरेट बॉन्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की चौथी सीरीज/चरण लॉन्च करने की योजना बना रही है। वर्ष 2019 में भारत बॉन्ड ईटीएफ लॉन्च की गई थी। फिलहाल इस स्कीम के पांच इश्यू उपलब्ध हैं जो कमश: 2023, 2025, 2030, 2031, और 2032 में मैच्योर होंगे। ये सारे इश्यू सरकार के द्वारा 3 चरणों में लॉन्च किए गए हैं। 5 और 10 साल की अवधि के इश्यू जो क्रमश: 2023 और 2030 में मैच्योर होंगे पहले चरण के अंतर्गत दिसंबर 2019 में लॉन्च किए गए थे। जबकि 5 और 11 साल की अवधि के इश्यू जो क्रमश: 2025 और 2031 में मैच्योर होंगे दूसरे चरण में जुलाई 2020 में लॉन्च किए गए थे। 2032 में मैच्योर होने वाले 11 वर्षीय इश्यू तीसरे चरण के अंतर्गत दिसंबर 2021 में लॉन्च किए गए। एडलवाइस एसेट मैनेजमेंट (Edelweiss Asset Management) इस ETF को मैनेज करता है।

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वहीं एक दूसरा तरीका है एफओएफ म्युचुअल का. इसमें रिटेल निवेशक को म्युचुअल फंड हाउस निवेशकों के लिए सोने और चांदी दोनों में निवेश करने की सुविधा देता है. इन म्यूच्यूअल फंड हाउस का मानना है कि एफओएफ में दो मेटल (गोल्ड और सिल्वर ) पर निवेश किया जाता है. आपको बता दें एफओएफ म्युचुअल फंड में निवेशकों से पैसा लेकर दूसरे म्यूचुअल फंड योजनाओं में पैसा निवेश किया जाता है. यह म्यूच्यूअल फंड योजनाएं उस फंड हाउस की भी हो सकती हैं या फिर दूसरे फंड हाउस की.

निवेश विशेषज्ञों का मानना है कि जैसा यह समय दौर चल रहा है गोल्ड अच्छा प्रदर्शन कर सकता है. अगर आप अपने पोर्टफोलियो को जोखिम से बचाना चाहते हैं तो गोल्ड म्यूच्यूअल फंड में निवेश करें. वही आपका मन सिल्वर में निवेश करने का है तो आप एक छोटा सा निवेश ईटीएफ या एफओएफ के रूप में पोजीशन ले सकते हैं. दरअसल निवेशकों का मानना है कि चांदी तेज मार्केट के समय बेहतर प्रदर्शन करती है. फिलहाल मार्केट उतनी तेजी से नहीं भाग रहा है. साथ ही भारत में सिल्वर फंड को लेकर उतना अच्छा रिकॉर्ड भी नहीं रहा है.

बाजार की अनिश्चितता से बचाएगी

फिलहाल भारत सहित पूरा विश्व इन्फ्लेशन, हाई इंटरेस्ट रेट और रूस यूक्रेन की वॉर से जूझ रहा है. जिसका असर स्टॉक मार्केट सहित निवेशकों के पोर्टफोलियो पर भी दिखाई दे रहा है. इसलिए निवेश विशेषज्ञों ने अपने पोर्टफोलियो को स्थिरता देने के लिए सोने और चांदी में निवेश को अच्छा और स्थिर विकल्प माना है. अक्सर यह देखा जाता है कि निवेशकों में भले ही सोने में निवेश को लेकर अधिक मांग होती है. वहीं चांदी को दोयम दर्जा दिया जाता है. वहीं कुछ निवेश विशेषज्ञों का मानना है कि सोने और चांदी में अलग-अलग निवेश करने के बजाय एक साथ ही निवेश करना चाहिए.

गोल्ड ईटीएफ क्या है?

गोल्ड ईटीएफ एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) है जो वास्तविक गोल्ड की घरेलू कीमत से जुड़ा है। गोल्ड ईटीएफ के एक यूनिट की वैल्यू 1 ग्राम वास्तविक गोल्ड से जुड़ी है। स्टॉक की तरह, गोल्ड ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया है, जहां पर उन्हें डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल करके खरीदा और बेचा जा सकता है। होल्डिंग और शुद्धता के आश्वासन के संबंध में पूर्ण पारदर्शिता के साथ, इलेक्ट्रॉनिक तरीके से गोल्ड में निवेश करने का यह एक आदर्श विकल्प है। अगर आप गोल्ड में निवेश करना चाहते ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं हैं, तो गोल्ड ईटीएफ के जरिए ऐसा करने के पांच कारणों पर आपको विचार करना चाहिए।

गोल्ड ईटीएफ 99.5% शुद्धता से समर्थित होते हैं। गोल्ड ईटीएफ की एक यूनिट एक ग्राम वास्तविक गोल्ड की जारी कीमत के बराबर होती है। जब आप गोल्ड ईटीएफ की एक यूनिट को खरीदते हैं, तो कस्टोडियन द्वारा एक ग्राम वास्तविक गोल्ड खरीदा जाता है। भारत में गोल्ड ईटीएफ में कुल निवेश 20,000 करोड़ रूपये का है। जो कि पांच वर्ष पहले की तुलना में यह चार गुणा हो चुका है। यह अपवर्ड ट्रेंड इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड निवेश के तौर पर गोल्ड ईटीएफ के बढ़ते प्रचार-प्रसार को दिखाता है।

निम्न लागत- निम्न जोखिम निवेश

जोखिम और लागत के संदर्भ में, गोल्ड ईटीएफ वास्तविक गोल्ड से बढ़कर है। गोल्ड ईटीएफ डीमैट अकाउंट ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं के माध्यम से बेचे और खरीदे जाने वाला डिजिटल निवेश है। क्योंकि इन्हें इलेक्ट्रॉनिकली स्टोर किया जाता है, वास्तविक गोल्ड की तुलना में चोरी का जोखिम बहुत कम है। इसके अलावा, वास्तविक गोल्ड में निवेश करने की लागत उच्च है क्योंकि आभूषणों पर मेकिंग चार्ज लगाए जाते हैं। गोल्ड ईटीएफ के साथ इस प्रकार का कोई चार्ज नहीं जुड़ा है, इसलिए ये कम लागत पर निवेश का साधन हैं।

क्योंकि गोल्ड ईटीएफ को ऑनलाइन खरीदा जाता है और ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं उन्हें डीमैट अकाउंट में धारित किया जाता है, किसी भी निवेशक द्वारा कभी भी इसे खरीदा ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं और बेचा जा सकता है। इनसे उच्च लिक्विडिटी भी मिलती है क्योंकि स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों की तरह इनकी भी वर्तमान गोल्ड कीमत पर ट्रेडिंग की जा सकती है।

टैक्स-अनुकूल

ईटीएफ के ज़रिए गोल्ड में निवेश पर वास्तविक गोल्ड निवेश की तरह सम्पदा कर नहीं लगाया जाता है। लेकिन, गोल्ड ईटीएफ से मिलने वाले रिटर्न, इंडेक्सेशन लाभ के साथ दीर्घकालिक पूंजी लाभ के अंतर्गत आते हैं। गोल्ड ईटीएफ के लिए दीर्घकालिक पूंजी कर होल्डिंग के 36 महीनों के बाद बेचे गए यूनिट्स पर मिलने वाले लाभ पर लगाया जाता है, और इस प्रकार ये टैक्स-अनुकूल निवेश (साधन) बन जाते हैं। अल्पकालिक पूंजी लाभ- तीन वर्ष की धारिता अवधि से पहले अर्जित लाभ पर, आपकी आय में इस लाभ को जमा करने के बाद, लागू स्लैब दर के अनुसार कर लगाया जाएगा।

गोल्ड ईटीएफ के कारण गोल्ड में निवेश करना अधिक आसान और अधिक अफॉर्डेबल बन गया है। निवेशक 1000 रूपये की निम्न राशि से एसआईपी के आधार पर गोल्ड ईटीएफ खरीद सकते हैं और समय के साथ एक बड़ा निवेश संचित कर सकते हैं। दूसरी तरफ, वास्तविक गोल्ड को केवल बड़े मौद्रिक निवेश के बाद ही खरीदा जा सकता है।

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