मूल्य कार्रवाई पर व्यापार

पेपर बैग बनाने का व्यापार कैसे शुरू करें? | निवेश, प्रॉफिट, मशीने व विधि | Paper Bag banane ka business kaise shuru kare
|| पेपर बैग बनाने का व्यापार कैसे शुरू करें? | Paper Bag banane ka business kaise shuru kare | How to make paper bags for business in Hindi | Paper bag ka business kyu karna chahiye | पेपर बैग बनाने के लिए मशीन | पेपर बैग बनाने के बाद क्या करे? | पेपर बैग किससे बनते हैं? ||
Paper Bag Making Business in Hindi : – यदि आप किसी बिजनेस में अच्छा लाभ कमाना चाहते हैं तो उसके लिए आज हम आपको एक ऐसा बिज़नेस सुझाना चाह रहे हैं जो सबसे अनोखा और अलग (Paper bag banane ka business) है। यह बिज़नेस है पेपर बैग बनाने का बिज़नेस। चूँकि आज के समय में सभी अलग अलग तरह के बिज़नेस में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं और उसमे कोई सफल हो रहा हैं तो बहुत सारे असफल। तो हम आपके लिए एक ऐसा बिज़नेस लेकर आये हैं जो भविष्य की दृष्टि से बहुत ही सफल बिज़नेस माना जाएगा।
ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आगे का जमाना पेपर बैग का ही हैं और हर कोई इसी में ही काम करेगा। अब वह समय गया जब लोग प्लास्टिक के बैग इस्तेमाल किया करते थे। इसकी जगह दूसरे बैग्स ने ले ली हैं जिनमे से पेपर बैग प्रमुख है। तो आज का विषय पेपर बैग बनाने के बिज़नेस के ऊपर ही रहने (Paper bag banane ka business kaise karen) वाला है। यह लेख पढ़कर आपको आईडिया हो जाएगा कि किस तरह से आप अपना मूल्य कार्रवाई पर व्यापार पेपर बैग बनाने का बिज़नेस शुरू कर सकते हैं।
पेपर बैग बनाने का व्यापार बहुत ही बड़ा व्यापार है। भविष्य में इसी का ही बोलबाला रहने (How to make paper bags for business in Hindi) वाला है। हर कोई इसी की मांग करेगा और आपको भी इसमें बहुत ज्यादा फायदा देखने को मिलेगा। इसलिए यदि आप पेपर बैग के व्यापार में अपनी किस्मत आजमाएंगे तो इसे बहुत ही सही निर्णय कहा जाएगा। तो आइए जाने पेपर बैग बनाने का बिज़नेस कैसे किया जाए।
बिकती नहीं शराब, अफसर जिम्मेवार
मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, कई बिंदुओं पर अफसरों को घेरा, उठाए कई गंभीर सवाल
शराब दुकान (फाइल इमेज)
Ranchi : सरकार द्वारा कम राजस्व को लेकर शराब दुकान संचालकों पर सवाल उठाए गए थे. अब उलटे शराब दुकानदारों ने सरकार और उसके अफसरों पर ही हमला बोल दिया है. संचालकों ने इसके लिए राज्य के अफसरों को ही कठघरे में खड़ा किया है. शराब दुकान संचालक सुमित फैसेलिटिज लि., प्राइम वन फोर्स प्रा. लि., ईगल हंटर सॉल्यूशन लि. और ए टु जेड इंफ्रा सर्विसेज लि. ने संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. पत्र में झारखंड राज्य बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा संचालित खुदरा उत्पाद दुकानों के संचालन को लेकर कई बिंदुओं पर अफसरों को घेरा है. कहा कि पिछले 28 नवंबर को मुख्य सचिव, उत्पाद सचिव, उत्पाद आयुक्त और अन्य विभागीय अफसरों ने समीक्षा बैठक की. कम राजस्व का रोना रोया. इसके लिए कंपनियों को कठघरे में खड़ा किया गया. मगर सच्चाई यह है कि इसके लिए कंपनी या संचालक कहीं से दोषी नहीं है. इसके लिए अफसर ही दोषी हैं.
खड़े किए गए ये सवाल
मांग के अनुसार ब्रांडेड शराब की आपूर्ति नहीं
ग्राहकों की मांग के अनुसार ब्रांडेड शराब की आपूर्ति ही नहीं की जाती है. जिस कारण दुकानों में गैर मांग वाली, नये ब्रांड या अनियमित बिक्री वाली शराब और बीयर काफी मात्रा में बची रह जाती है. नतीजतन समय सीमा के अंदर दुकानों से शराब की बिक्री नहीं हो पाती है. जिस वजह से राजस्व प्राप्ति का जो मासिक वित्तीय लक्ष्य तय किया गया है, वह भी प्राप्त नहीं हो पाता है.
देसी शराब का अभाव
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देसी शराब की आपूर्ति मांग के अनुसार की ही नहीं जाती है. राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे मूल्य कार्रवाई पर व्यापार ज्यादा देसी शराब की मांग रहती है. आपूर्ति न होने की वजह से देसी शराब मांगने वाले ग्राहकों का रुझान महुआ शराब की तरफ हो रहा है. शुरुआत में पांच माह देसी शराब की आपूर्ति नहीं हो सकी. इस कारण भी राजस्व गिरा है. ग्राहकों को शराब मिलेगी ही नहीं तो राजस्व कहां से आएगा.
राज्य के बार में भी मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं
बीयर बार में भी मांग के अनुरूप शराब की आपूर्ति नहीं की जा रही है. राज्य के बड़े शहरों रांची, जमशेदपुर, धनबाद में लगभग 150 बार संचालित हैं. जहां विदेशी ब्रांडेड शराब और बीयर की नियमित मांग रहती है. बार संचालकों को जिन दुकानों से शराब लेनी है, वहां सप्लाई ही नहीं हो पाती. मांग के अनुरूप आपूर्ति न होने के कारण संबंधित दुकानों की दैनिक बिक्री में लगभग 50 लाख रुपये की कमी आई है.
अवैध शराब व्यापार पर लगाम नहीं
सरकार के आदेश के विपरीत राज्य में अवैध शराब उत्पादन और बिक्री पर रोक नहीं लगायी जा सकी है. अवैध शराब के कारोबार पर विभागीय स्तर पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ जनित शराब का व्यापार होने के कारण सरकारी देसी उत्पाद प्रभावित हो रहा है. झारखंड के सीमावर्ती राज्यों में शराब का मूल्य यहां से कम है, इस कारण धड़ल्ले से अवैध धंंधा हो रहा है.
प्रशासनिक जांच पर भी सवाल
शराब दुकान संचालकों ने प्रशासनिक जांच पर भी उवाल उठाए. कहा कि सड़क मार्ग पर अभियान के तहत गहन निगरानी नहीं होने के कारण भी अवैध शराब का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है. दुकान संचालकों ने राज्य सीमा में निरीक्षण चौकी बनाने की जरूरत है. अन्य राज्यों की तुलना में यहां भी शराब के मूल्य पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए.
शराब की आपूर्ति महीने के अंत में होती है
दुकान संचालकों का कहना है कि दुकानों में उपलब्ध शराब के नियमानुसार अंतर जिला हस्तांतरण की प्रक्रिया तकनीकी अड़चन की वजह से पूरी नहीं हो पा रही है. महीने के अंत में शराब की आपूर्ति की जाती है. इससे बिक्री पर असर पड़ता है और लक्ष्य हासिल नहीं हो पाता है.
जिलों के कार्यालय में कर्मियों एवं संसाधनों का अभाव
जिलों के उत्पाद कार्यालयों में कुल स्वीकृत पदों के विरुद्ध वर्तमान में बहुत कम कर्मी कार्यरत हैं. कर्मी की कमी के कारण औचक निरीक्षण, सघन छापेमारी प्रभावित है. साथ ही कार्यालयों में भौतिक संसाधन जैसे वाहन की व्यवस्था नहीं होने के कारण भी त्वरित कार्रवाई में परेशानी आती है.
चयनित कर्मियों के पास कार्य अनुभव नहीं, होती है परेशानी
दुकानों में काम करने वाले कर्मियों का चयन डीसी की अध्यक्षता वाली चयन समिति द्वारा किया जाना चाहिए मगर ऐसा नहीं हो रहा है. बिना अनुभव वालो को चयनित कर लिया जा रहा है, जिस वजह से उन्हें दुकान चलाने में व्यावहारिक समस्याएं हो रही हैं.
दुकानों का स्थल चयन
दुकान संचालकों ने छोटी दुकान उपलब्ध कराने को लेकर भी सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि दुकान छोटी होने की वजह से ग्राहकों की मांग के अनुरूप दुकान में न तो माल रख पा रहे हैं और न ही डिस्प्ले कर पा मूल्य कार्रवाई पर व्यापार रहे हैं. इस वजह से कई ग्राहक बिना शराब लिए ही वापस लौट जा रहे हैं. इससे बिक्री प्रभावित हो रही है.
रूसी तेल मूल्य सीमा, प्रतिबंध का क्या प्रभाव है?
फ्रैंकफर्ट: पश्चिमी सरकारें मास्को के बजट, उसकी सेना और यूक्रेन पर आक्रमण का समर्थन करने वाले जीवाश्म ईंधन की आय को सीमित करने के प्रयास में रूस के तेल निर्यात की कीमत को सीमित करने का लक्ष्य बना रही हैं। कैप सोमवार से प्रभावी होने वाली है, उसी दिन यूरोपीय संघ अधिकांश रूसी तेल का बहिष्कार करेगा, जो कि समुद्र द्वारा भेजा जाता है।
यूरोपीय संघ 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा के करीब जा रहा था, लेकिन शुक्रवार को भी बातचीत चल रही थी।दोहरे उपायों का तेल की कीमत पर अनिश्चित प्रभाव हो सकता है क्योंकि बहिष्कार के माध्यम से खोई हुई आपूर्ति की चिंता एक धीमी वैश्विक अर्थव्यवस्था से कम मांग के डर से प्रतिस्पर्धा करती है।मूल्य सीमा, यूरोपीय संघ के प्रतिबंध और उपभोक्ताओं और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए उनका क्या मतलब हो सकता है, इसके बारे में जानने के लिए यहां देखें:
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में रूसी तेल प्रवाह को बनाए रखते हुए रूस की आय को सीमित करने के तरीके के रूप में 7 सहयोगियों मूल्य कार्रवाई पर व्यापार के अन्य समूह के साथ कैप का प्रस्ताव दिया है। उद्देश्य: अगर रूस के तेल को वैश्विक बाजार से अचानक हटा दिया जाए तो तेल की कीमतों में तेज वृद्धि से बचते हुए मास्को के वित्त को नुकसान पहुंचाना।
तेल भेजने के लिए आवश्यक बीमा कंपनियां और अन्य कंपनियां केवल रूसी कच्चे तेल से निपटने में सक्षम होंगी यदि तेल की कीमत कैप पर या उससे कम हो। अधिकांश बीमाकर्ता यूरोपीय संघ या यूनाइटेड किंगडम में स्थित हैं और उन्हें कैप में भाग लेने की आवश्यकता हो सकती है।
प्रतिबंधों के पहले दौर में यूरोपीय संघ और यूके द्वारा लगाए गए बीमा प्रतिबंध का सार्वभौमिक प्रवर्तन, बाजार से इतना रूसी कच्चा तेल ले सकता है कि तेल की कीमतें बढ़ेंगी, पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान होगा, और रूस किसी भी तेल से आय में वृद्धि देखेगा। प्रतिबंध की अवज्ञा में जहाज।
रूस, दुनिया का नंबर 2 तेल उत्पादक, पहले से ही भारत, चीन और अन्य एशियाई देशों को रियायती कीमतों पर अपनी आपूर्ति को फिर से शुरू कर चुका है, क्योंकि यूरोपीय संघ के प्रतिबंध से पहले ही पश्चिमी ग्राहकों ने इससे किनारा कर लिया था।
ब्रसेल्स में ब्रूगेल थिंक टैंक के एक ऊर्जा नीति विशेषज्ञ सिमोन टैगलीपिट्रा ने कहा कि यूएसडी 60 कैप का रूस के वित्त पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, "लगभग किसी का ध्यान नहीं जाएगा," क्योंकि यह उस जगह के पास होगा जहां रूसी तेल पहले से ही बिक रहा है।
रूसी Urals मिश्रण अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क ब्रेंट के लिए एक महत्वपूर्ण छूट पर बिकता है और COVID-19 के प्रकोप के कारण चीन से कम मांग की आशंका पर इस सप्ताह महीनों में पहली बार मूल्य कार्रवाई पर व्यापार USD60 से नीचे गिर गया।
"सामने, टोपी एक संतोषजनक संख्या नहीं है," टैगलीपिट्रा ने कहा, लेकिन यह क्रेमलिन को लाभ से रोक देगा यदि तेल की कीमतें अचानक ऊंची हो जाती हैं और टोपी काटती है।
उन्होंने कहा, "अगर हम रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बढ़ाना चाहते हैं तो समय के साथ इस सीमा को कम किया जा सकता है।"
"समस्या यह है: हम पहले से ही पुतिन के तेल मुनाफे में सेंध लगाने के उपाय के इंतजार में कई महीने बिता चुके हैं।"
USD50 जितना कम कैप रूस की कमाई में कटौती करेगा और रूस के लिए अपने राज्य के बजट को संतुलित करना असंभव बना देगा, ऐसा माना जाता है कि मॉस्को को ऐसा मूल्य कार्रवाई पर व्यापार करने के लिए लगभग 60 से USD 70 प्रति बैरल की आवश्यकता होती है, इसका तथाकथित "राजकोषीय ब्रेक-ईवन"। "
हालांकि, यूएसडी 50 कैप अभी भी रूस की 30 यूएसडी और यूएसडी 40 प्रति बैरल के बीच की उत्पादन लागत से ऊपर होगी, जिससे मास्को को तेल बेचने के लिए प्रोत्साहन मिलता है ताकि कुओं को कैप करने से बचा जा सके जो कि फिर से शुरू करना मुश्किल हो सकता है।
यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने पोलैंड द्वारा 30 अमरीकी डालर की सीमा के लिए धक्का देने की प्रशंसा की है। वाशिंगटन में इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल फाइनेंस के मुख्य अर्थशास्त्री रॉबिन ब्रूक्स ने पिछले हफ्ते ट्वीट किया था कि 30 अमेरिकी डॉलर की सीमा "रूस को वह वित्तीय संकट देगी जिसका वह हकदार है।"
कैप को कहां सेट किया जाए, इस बात पर तकरार इस बात पर असहमति को उजागर करती है कि किस लक्ष्य का पीछा किया जाए: रूस के वित्त को नुकसान पहुंचाना या मुद्रास्फीति को कम करना, अमेरिका के मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने के पक्ष में आने के साथ, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज में एक प्रतिबंध विशेषज्ञ मारिया शगीना ने कहा। बर्लिन।
सोमवार की समय सीमा समाप्त होने के साथ, "इस असहमति को लंबे समय तक दूर करने के लिए ज्यादा समय नहीं है," उन्होंने कहा, "60 अमरीकी डालर सहमत नहीं होने से बेहतर है। बाजार . और इसे कस लें।"
रूस ने कहा है कि वह एक सीमा का पालन नहीं करेगा और ऐसा करने वाले देशों को डिलीवरी रोक देगा। जबकि रूस कैप को अनदेखा कर सकता है यदि यह उसके तेल के विक्रय मूल्य से ऊपर है, एक निचली सीमा मॉस्को को प्रतिबंधों के आसपास जो कुछ भी बेच सकता है, उस पर तेजी से उच्च वैश्विक तेल मूल्य से लाभ की उम्मीद में शिपमेंट बंद करके जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
चीन और भारत में खरीदार कैप के साथ नहीं जा सकते हैं, जबकि रूस या चीन यूएस, यूके और यूरोप द्वारा प्रतिबंधित लोगों को बदलने के लिए अपने स्वयं के बीमा प्रदाताओं को स्थापित करने का प्रयास कर सकते हैं।
वेनेज़ुएला और ईरान के पास अस्पष्ट स्वामित्व वाले "डार्क फ़्लीट" टैंकरों का उपयोग करके रूस भी किताबों से तेल बेच सकता है।
उन परिस्थितियों में भी, कैप रूस के लिए प्रतिबंधों के आसपास तेल बेचने के लिए "अधिक महंगा, समय लेने वाला और बोझिल" बना देगा, शगीना साई
बिकती नहीं शराब, अफसर जिम्मेवार
मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, कई बिंदुओं पर अफसरों को घेरा, उठाए कई गंभीर सवाल
शराब दुकान (फाइल इमेज)
Ranchi : सरकार द्वारा कम राजस्व को लेकर शराब दुकान संचालकों पर सवाल उठाए गए थे. अब उलटे शराब दुकानदारों ने सरकार और उसके अफसरों पर ही हमला बोल दिया है. संचालकों ने इसके लिए राज्य के अफसरों को ही कठघरे में खड़ा किया है. शराब दुकान संचालक सुमित फैसेलिटिज लि., प्राइम वन फोर्स प्रा. लि., ईगल हंटर सॉल्यूशन लि. और ए टु जेड इंफ्रा सर्विसेज लि. ने संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. पत्र में झारखंड राज्य बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा संचालित खुदरा उत्पाद दुकानों के संचालन को लेकर कई बिंदुओं पर अफसरों को घेरा है. कहा कि पिछले 28 नवंबर को मुख्य सचिव, उत्पाद सचिव, उत्पाद आयुक्त और अन्य विभागीय अफसरों ने समीक्षा बैठक की. कम राजस्व का रोना रोया. इसके लिए कंपनियों को कठघरे में खड़ा किया गया. मगर सच्चाई यह है कि इसके लिए कंपनी या संचालक कहीं से दोषी नहीं है. इसके लिए अफसर ही दोषी हैं.
खड़े किए गए ये सवाल
मांग के अनुसार ब्रांडेड शराब की आपूर्ति नहीं
ग्राहकों की मांग के अनुसार ब्रांडेड शराब की आपूर्ति ही नहीं की जाती है. जिस कारण दुकानों में गैर मांग वाली, नये ब्रांड या अनियमित बिक्री वाली शराब और बीयर काफी मात्रा में बची रह जाती है. नतीजतन समय सीमा के अंदर दुकानों से शराब की बिक्री नहीं हो पाती है. जिस वजह से राजस्व प्राप्ति का जो मासिक वित्तीय लक्ष्य तय किया गया है, वह भी प्राप्त नहीं हो पाता है.
देसी शराब का अभाव
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देसी शराब की आपूर्ति मांग के अनुसार की ही नहीं जाती है. राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा देसी शराब की मांग रहती है. आपूर्ति न होने की वजह से देसी शराब मांगने वाले ग्राहकों का रुझान महुआ शराब की तरफ हो रहा है. शुरुआत में पांच माह देसी शराब की आपूर्ति नहीं हो सकी. इस कारण भी राजस्व गिरा है. ग्राहकों को शराब मिलेगी ही नहीं तो राजस्व कहां से आएगा.
राज्य के बार में भी मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं
बीयर बार में भी मांग के अनुरूप शराब की आपूर्ति नहीं की जा रही है. राज्य के बड़े शहरों रांची, जमशेदपुर, धनबाद में लगभग 150 बार संचालित हैं. जहां विदेशी ब्रांडेड शराब और बीयर की नियमित मांग रहती है. बार संचालकों को जिन दुकानों से शराब लेनी है, वहां सप्लाई ही नहीं हो पाती. मांग के अनुरूप आपूर्ति न होने के कारण संबंधित दुकानों की दैनिक बिक्री में लगभग 50 लाख रुपये की कमी आई है.
अवैध शराब व्यापार पर लगाम नहीं
सरकार के आदेश के विपरीत राज्य में अवैध शराब उत्पादन और बिक्री पर रोक नहीं लगायी जा सकी है. अवैध शराब के कारोबार पर विभागीय स्तर पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ जनित शराब का व्यापार होने के कारण सरकारी देसी उत्पाद प्रभावित हो रहा है. झारखंड के सीमावर्ती राज्यों में शराब का मूल्य यहां से कम है, इस कारण धड़ल्ले से अवैध धंंधा हो रहा है.
प्रशासनिक जांच पर भी सवाल
शराब दुकान संचालकों ने प्रशासनिक जांच पर भी उवाल उठाए. कहा कि सड़क मार्ग पर अभियान के तहत गहन निगरानी नहीं होने के कारण भी अवैध शराब का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है. दुकान संचालकों ने राज्य सीमा में निरीक्षण चौकी बनाने की जरूरत है. अन्य राज्यों की तुलना में यहां भी शराब के मूल्य पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए.
शराब की आपूर्ति महीने मूल्य कार्रवाई पर व्यापार के अंत में होती है
दुकान संचालकों का कहना है कि दुकानों में उपलब्ध शराब के नियमानुसार अंतर जिला हस्तांतरण की प्रक्रिया तकनीकी अड़चन की वजह से पूरी नहीं हो पा रही है. महीने के अंत में शराब की आपूर्ति की जाती है. इससे बिक्री पर असर पड़ता है और लक्ष्य हासिल नहीं हो पाता है.
जिलों के कार्यालय में कर्मियों एवं संसाधनों का अभाव
जिलों के उत्पाद कार्यालयों में कुल स्वीकृत पदों के विरुद्ध वर्तमान में बहुत कम कर्मी कार्यरत हैं. कर्मी की कमी के कारण औचक निरीक्षण, सघन छापेमारी प्रभावित है. साथ ही कार्यालयों में भौतिक संसाधन जैसे वाहन की व्यवस्था नहीं होने के कारण भी त्वरित कार्रवाई में परेशानी आती है.
चयनित कर्मियों के पास कार्य अनुभव नहीं, होती है परेशानी
दुकानों में काम करने वाले कर्मियों का चयन डीसी की अध्यक्षता वाली चयन समिति द्वारा किया जाना चाहिए मगर ऐसा नहीं हो रहा है. बिना अनुभव वालो को चयनित कर लिया जा रहा है, जिस वजह से उन्हें दुकान चलाने में व्यावहारिक समस्याएं हो रही हैं.
दुकानों का स्थल चयन
दुकान संचालकों ने छोटी दुकान उपलब्ध कराने को लेकर भी सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि दुकान छोटी होने की वजह से ग्राहकों की मांग के अनुरूप दुकान में न तो माल रख पा रहे हैं और न ही डिस्प्ले कर पा रहे हैं. इस वजह से कई ग्राहक बिना शराब लिए ही वापस लौट जा रहे हैं. इससे बिक्री प्रभावित हो रही है.