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खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है?

खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है?
Cheque In Hindi

Tally में Ledger को Group कैसे दे |

Hello Friends, सबसे पहले मैं आप का स्वागत करता हु। मेरे ब्लॉग पर जिसका नाम है Accountingsikhehindime.blogspot.com ये तो बात हो गयी मेरे ब्लॉग की अब बात करते हैं। Tally मे Group क्या है और Tally मे Ledger बनाते समय Group का निर्धारण कैसे करे।

दोस्तों यदि आप ने Accounting सीखने के लिए Tally software का चयन किया है। तो आप ने बिल्कुल सही किया है। क्योंकि य़ह बहुत ही सरल software है। परन्तु यदि आप ने Tally मे ठीक तरह से इन्फॉर्मेशन नहीं भरी है। तो आप को Tally गलत परिणाम भी दे सकता है। क्योंकि Tally मे हमे ठीक से Ledger बनाना और ठीक से Group का निर्धारण करना, तथा ठीक से item बनाना आदि कार्य करना होता है। नहीं तो Tally से हमे गलत परिणाम भी मिल सकते हैं।

आज हम एक ऐसी ही समस्या के बारे में बात करेगे। जिसके कारण बहुत से नए Tally user का Trading Account, Profit and Loss Account और Balance Sheet का परिणाम ठीक तरह से नहीं आता। और वो समस्या है, Tally मे Ledger बनाते समय Group का निर्धारण गलत कर देना। सबसे पहले हम समझ लेते हैं, की Tally मे Group क्या है।

Group जिसे हम हिन्दी मे समुह कहते हैं। एक ही प्रकार के खातों (Ledgers) को एक ही समुह (Group) मे रखा जाता है।

अर्थात्‌ Tally मे हम जो भी new Ledger बनाते हैं। उसे कोई ना कोई Group दिया जाता है। और Group का सही निर्धारण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है।

जैसे :- व्यवसाय मे होने वाले सभी अप्रत्यक्ष खर्चों (indirect Expenses) को indirect Expenses Group मे रखा जाता है। यदि हम यहा पर अप्रत्यक्ष खर्चों (indirect Expenses) को Direct Expenses Group दे देगे। तो हमारा Profit & Loss A/c गलत परिणाम देगा। तथा हमारा Profit & Loss का Ratio भी गलत आएगा।

Tally में Ledger को Group कैसे दे |
Tally में Ledger को Group कैसे दे |

सबसे पहले हम Party का नाम लिख लेते हैं। फिर बात आती है। की Party को Under Group क्या दिया जाए। अर्थात जिस Party का हम Ledger create कर रहे हैं। उस Party का हमारे व्यवसाय से क्या सम्बन्ध है। ताकी उसे हम एक सही under Group दे सके और Ledger एक सही स्थान पर जा सके।

अब हम Tally मे उपस्थित सभी List of Groups को एक – एक कर के समझते हैं, की किस under खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? Groups के अंदर किस Ledger को शामिल किया जाता है।

Tally में Ledger को Group कैसे दे |
Tally में Ledger को Group कैसे दे |

1. Bank Accounts :- Bank Accounts Group इस Group में सभी बैंक खातों को शामिल किया जाता है। बैंक लोन अकाउंट को छोड़कर। जैसे :-

2. B ank OCC A/c :- Bank OCC A/c यानि Bank open cash credit A/c इस Group में सभी Bank Loan OCC A/c को शामिल किया जाता है। यदि हमने खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? किसी बैंक से लोन लिया है। तो उस खाते को Bank OCC A/c Group में शामिल किया जायगा। जैसे :-

3. Bank OD A/c :- Bank OD A/c यानि Bank Overdraft A/c इस Group में सभी Bank Overdraft A/c को शामिल किया जाता है। यदि हमने किसी बैंक में खाते को Overdraft किया है। तो उसे इस Group में शामिल किया जाता हैै। जैसे :-

4. Branch/Divisions :- यदि हमारी कंपनी में बड़े पैमाने पर काम होता है अर्थात हमारी कंपनी नई किसी अन्य क्षेत्र में भी Branch है। और हमें उन ब्रांचो से भी पैसा आता है। तो उस सभी Branch/Divisions से संबधित खातों को Branch/Divisions Group में रखा जाता है। इस ग्रुप का नेचर Asset होता है। जैसे :-

5. Capital Account :- Capital Account इस Group में Compeny के मालिक के खातों (Ledgers) को शामिल किया जाता है। जैसे :- यदि किसी कंपनी का मालिक Ram है। तो

6. Cash-in-Hand :- Tally में Cash का Ledger बनाने की जरुरत नहीं होती है। क्योकि Tally में पहले से ही Cash का Account बना होता है। फिर भी कभी – कभी कंपनी द्वारा Petty Cash का खाता बनाया जाता है। जैसे :-

7. Current Assets :- Current Assets जिसे हम चालू सम्पत्तिया भी है। यानि वे सभी प्रकार की सम्पत्तियाँ जिसे आसानी से cash मे खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? बदला सकता है। Current Assets कहलाती है। यदि हमने किसी फर्म, कंपनी या व्यक्ति, को Advance Payment दिया है। तो उस Ledgers को हम Current Assets Group देगे। जैसे :-


8. Current Liabilities :- Current Liabilities जिसे हम चालू दायित्व भी कहते हैं। यदि हमने किसी फर्म, कंपनी या व्यक्ति आदि से कोई Advance Payment या Loan लिया है। तो उस Ledgers को हम Current Liabilities Group देगे। जैसे :-

9. Deposits (Asset) :- यदि हमने हमारे व्यवसाय मे यदि कोई investment या कोई fix Deposits किया हो और हमे पता है कि इतने Year बाद हमारा investment पूरा होगा तो हम ऐसे Ledger को बनाते समय Deposits (Assets) Group देगे। जैसे :-


10. Direct Expenses :- यदि हमारे व्यवसाय मे कोई प्रत्यक्ष व्यय होते है। अर्थात्‌ ऐसे व्यय जो वस्तुओ के खरीदते समय या वस्तुओ के उत्पादन के समय लगते हैं। तो उन सभी व्ययों के Ledger बनाते समय उन्हें Direct Expenses Group देगे। जैसे :-


11. Direct Incomes :- यदि व्यवसाय मे किसी तरह की प्रत्यक्ष आय होती है। अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods) को sale करने से संबंधित हों तो ऐसी आय के Ledger बनाते समय Direct Income Group देगे। जैसे :-


12. Duties & Taxes :- व्यवसाय मे सभी प्रकार के Tax से संबंधित खातों (Ledgers) के लिए Duties & Tax Group दिया जाता है। जैसे :-

13. Expenses (Direct) :- यदि हमारे व्यवसाय मे कोई प्रत्यक्ष व्यय होते है। अर्थात्‌ ऐसे व्यय जो वस्तुओ के खरीदते समय या वस्तुओ के उत्पादन के समय लगते हैं। तो उन सभी व्ययों के Ledger बनाते समय उन्हें Expenses (Direct) Group देगे। जैसे :-

14. Expenses (Indirect) :- यदि हमारे व्यवसाय मे कोई अप्रत्यक्ष व्यय होते है। अर्थात्‌ ऐसे व्यय जो वस्तुओ के खरीदते समय या वस्तुओ के उत्पादन के समय से संबंधित नहीं होते है। तो उन सभी व्ययों के Ledger बनाते समय उन्हें Expenses (Indirect) Group देगे। जैसे :-

चेक के प्रकार: Types of Cheques कितने हैं?

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चेक एक कागज़ है. है न? कागज़ ही तो है. भले ही उसकी वैल्यू लाखों की हो सकती है….पर चेक एक कागज़ ही है…ठीक नोट की तरह….पर परीक्षा में ऐसे लिखिएगा तो आपको जीरो मार्क्स मिलेंगे. परीक्षा में ऐसे लिखना होगा:—- चेक बैंक द्वारा अकाउंट होल्डर को दिया जाने वाला वह भुगतान का साधन है जिससे ग्राहक किसी अगले व्यक्ति को अपने अकाउंट से डायरेक्ट कैश न देकर भुगतान कर सकता है. यह हुई न बात! अब मिलेंगे आपको १० में से १०. भले ही शिक्षक को समझ न आये!

चेक में आप किसे पैसे दे रहे हैं, उनका नाम लिखना होता है…वह किसी व्यक्ति का नाम भी हो सकता है या किसी फर्म का. चेक में आपको यह भी भरना होता है कि आप कितने पैसे उस व्यक्ति को दे रहे हैं (शब्द और संख्या में), कब दे रहे हैं (Date)…और अंत में आपको सिग्नेचर करना पड़ता है. आपका चेक लेकर बन्दा अपने अकाउंट में डाल देता है और आपने जितना अमाउंट उसे दिया था वो उसके अकाउंट में ट्रान्सफर हो जाता है.

संक्षेप में कह सकते हैं कि चेक बिना कैश का भुगतान है, जैसे इलेक्ट्रॉनिक ट्रान्सफर.

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चेकों का वर्गीकरण: स्थान के आधार पर

१. स्थानीय चेक – Local Cheque

यदि City A का चेक City A में ही clear हो तो इसे स्थानीय चेक कहते हैं. जैसे आपको यदि मैंने आपके नाम पर चेक दिया, तो आपको उस चेक को लेकर शहर के ही सम्बंधित ब्रांच में जाना पड़ेगा, आप शहर से बाहर ले कर उसे clear करवाओगे तो आपको अलग से पैसे लगेंगे (fixed banking charges).

२. आउटस्टेशन चेक -Outstation Cheque

यदि स्थानीय चेक को शहर से बाहर ले जाकर clear कराया जाए तो वह चेक आउटस्टेशन चेक कहलायेगा जिसके लिए बैंक फिक्स्ड चार्जेज लेती है.

३. एट पार चेक – At par Cheque

यह ऐसा चेक है जो पूरे देश में सबंधित बैंक के सभी ब्रांचों में स्वीकार्य है. और ख़ास बात यह है कि बाहर के ब्रांचों में इसे clear करने के दौरान अतिरिक्त प्रभार नहीं लगता (no additional charges).

चेकों का वर्गीकरण: मूल्य के आधार पर

१. साधारण मूल्य वाले चेक -Normal Value Cheques

1 लाख से कम मूल्य वाले चेक नॉर्मल वैल्यू चेक कहलाते हैं.

२. ऊँचे मूल्य वाले चेक -High Value Cheques

1 लाख से ऊपर वाले चेक हाई वैल्यू चेक कहलाते हैं.

३. उपहार चेक – Gift Cheques

अपने प्रिय जनों को उपहारस्वरूप दिए जाने वाले चेक गिफ्ट चेक कहलाते हैं. उपहार चेकों की राशि 100 रु. से लेकर 10,000 रु. तक हो सकती है.

चेक मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं –

1. खुला चेक – Open Cheque

खुला चेक वह चेक होता है जिसे बैंक में प्रस्तुत कर काउंटर पर ही नकद प्राप्त किया जा सकता है. Clarence के लिए आपको इंतज़ार करने की जरुरत नहीं है. गीव एंड टेक…..ओपन चेक को धारण करने वाला व्यक्ति काउंटर में जा कर, चेक दिखाकर….पैसे ले सकता है और या तो अपने अकाउंट में पैसे को ट्रान्सफर कर सकता है या चेक के पीछे हस्ताक्षर कर के किसी अन्य व्यक्ति को प्राधिकृत (authorize) कर सकता है.

2. बेयरर चेक – Bearer Cheque

बेयरर चेक वह चेक है जो खाताधारी (account holder) का कोई भी प्रतिनिधि बैंक में जाकर भुना सकता है. प्रतिनिधि को चेक देते समय चेक के पीछे हस्ताक्षर करने की आवश्यकता नहीं होती एवं मात्र चेक दे देने से निकासी खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? हो जाती है. ये चेक risky भी हो सकते हैं क्योंकि अगर यह चेक अगर भुला गया तो कोई भी बैंक जा कर इसे भुना सकता है.

3. क्रॉस्ड चेक – Crossed Cheque

क्रॉस्ड चेक किसी विशेष व्यक्ति या संस्था के नाम से लिखा जाता है और ऊपर बायीं ओर दो समानांतर लाइनें खींच दी जाती हैं जिनके बीच “& CO.” or “Account Payee” or “Not Negotiable” लिखा या नहीं भी लिखा जा सकता है. इस चेक से नकद निकासी नहीं होती और सम्बंधित राशि केवल नामित व्यक्ति/संस्था के खाते में हो सकती है.

4. आदेश चेक – Order Cheque

इस चेक में “bearer” शब्द को काट दिया जाता है और उसके स्थान पर “order” लिख दिया जाता है. इसमें खुले चेक की तरह चेक से अपने अकाउंट में पैसे को ट्रान्सफर कर सकता है या चेक के पीछे हस्ताक्षर कर के किसी अन्य व्यक्ति को प्राधिकृत (authorize) कर सकता है.

चेक का वर्गीकरण: गारंटी भुगतान के आधार पर

1. सेल्फ चेक – Self Cheque

सेल्फ चेक वह होता है जिसे खाताधारी बैंक में प्रत्यक्ष भुगतान के लिए स्वयं प्रस्तुत करता है. इसमें भुगतान पाने वाले के नाम की जगह पर “Self” लिखा जाता है.

2. आगे की तारीख वाला चेक – Post-dated Cheque (PDC)

आगे की तिथि में भुगतान वाला चेक एक ऐसा क्रॉस किया हुआ बेयरर चेक होता जिसमें आगे की तिथि अंकित की जाती है. इसका अर्थ यह हुआ है कि इस चेक का भुगतान अंकित तिथि या उसके बाद हो सकता है.

3. पीछे की तारीख वाला चेक – Ante-dated Cheque (ADC)

इस चेक में बैंक में प्रस्तुत करने के पहले की तिथि होती है. यह चेक अंतिम तिथि से तीन महिना के पूरा होने के तक भुनाया जा सकता है.

4. काल बाधित चेक – Stale Cheque

हर चेक को उसमें अंकित तिथि के तीन महीने के अन्दर-अन्दर भुनाने का नियम है. यदि यह तिथि पार हो जाती है काल बाधित चेक कहलाता है जो बैंक के द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है.

लेखांकन के प्रकार या शाखाएँ (Types or Branches of Accounting)

लेखांकन के प्रकार या शाखाएँ

लेखांकन की मुख्य शाखाएँ निम्नलिखित हैं :

(1) वित्तीय लेखांकन (Financial Accounting),

(2) लागत लेखांकन (Cost Accounting),

(3) प्रबन्ध लेखांकन (Management Accounting)

(1) वित्तीय लेखांकन (Financial Accounting) – वित्तीय लेखांकन वह लेखांकन है जिसके अन्तर्गत वित्तीय प्रकृति वाले सौदों को लेखाबद्ध किया जाता है। इन्हें सामान्य लेखाकर्म भी कहते हैं और इन लेखों के आधार पर लाभ-हानि या आय विवरण तथा चिट्ठा (तुलन-पत्र) तैयार किया जाता है।

इस प्रकार वित्तीय लेखांकन के निम्नलिखित मुख्य कार्य हैं :

(i) व्यवसाय या संस्था से सम्बन्धित लेन-देनों को उपयुक्त बही में लिखना

(ii) आवश्यक खाते, लाभ-हानि खाता तथा चिट्ठा तैयार करना

(iii) एक निश्चित अवधि के व्यावसायिक परिणामों से व्यवसाय के स्वामी या सम्बन्धित पक्षकारों को अवगत कराना।

(2) लागत लेखांकन (Cost Accounting) – लागत लेखांकन वित्तीय लेखा पद्धति की सहायक (Subsidiary) है। लागत लेखांकन किसी वस्तु या सेवा की लागत का व्यवस्थित व वैज्ञानिक विधि से लेखा करने की प्रणाली है। इसके द्वारा वस्तु या सेवा की कुल लागत तथा प्रति इकाई लागत का सही अनुमान लगाया जा सकता है। इसके द्वारा लागत पर नियन्त्रण भी किया जाता है। लागत लेखांकन के अन्तर्गत प्रत्येक कार्य या आदेश, ठेका, विधि, सेवा या इकाई की लागत का निर्धारण सम्मिलित रहता है। यह उत्पादन, विक्रय एवं वितरण की लागत भी बताता है।

(3) प्रबन्ध लेखांकन (Management Accounting) – यह लेखांकन की आधुनिक कड़ी है। जब कोई लेखाविधि प्रबन्ध की आवश्यकताओं के लिए आवश्यक सूचनाएँ प्रदान करती है, तब इसे प्रबन्थकीय लेखाविधि कहा जाता है।

रॉबर्ट एन्थोनी के अनुसार, “प्रबन्ध लेखांकन का सम्बन्ध उन लेखांकन सूचनाओं से है जो प्रबन्ध के लिए उपयोगी हैं।”

प्रबन्ध की आवश्यकताएँ मुख्यत: नियोजन (Planning), संगठन ( Organization) तथा नियन्त्रण (Control) से सम्बन्धित होती हैं। अतः प्रबन्धकीय लेखांकन के अन्तर्गत वित्तीय विवरणों का विश्लेषण (Analysis of Financial Statement), अनुपात विश्लेषण (Ratio Analysis), बजटरी नियन्त्रण (Budgetary Control), प्रमाप लागत (Standard Costing), सीमान्त लागत (Marginal Costing), सम-विच्छेद बिन्दु विश्लेषण (Break-Even Point Analysis), रोकड़ प्रवाह विवरण (Cash Flow Statement), कोष प्रवाह विवरण (Fund Flow Statement), संवहन एवं रिपोर्टिंग सम्मिलित हैं।

Previous Chapters :

  • लेखांकन के कार्य (Functions of Accounting)
  • क्या लेखांकन विज्ञान है अथवा कला (Is Accounting a Science or an Art ?)

लेखांकन की अन्य शाखाएँ (Other Branches of Accounting)

कर लेखांकन (Tax Accounting) – भारत और अन्य देशों में सरकारी काम-काज के लिए कई प्रकार के कर लगाये जाते हैं, जैसे-आयकर, सम्पदा कर, बिक्री कर, उपहार कर, मृत्यु कर, आदि। कर व्यवस्थाओं के लिए विशेष प्रकार की लेखांकन पद्धति अपनायी जाती है। कर व्यवस्थाओं के अनुसार रखे जाने वाले लेखांकन को कर लेखांकन कहा जाता है।

सरकारी/राजकीय लेखांकन (Government Accounting) – केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार एवं स्थानीय सत्ताएँ (जैसे-नगर निगम, नगरपालिका, जिला बोर्ड, आदि) जो लेखांकन पद्धति अपनाती हैं, उसे सरकारी लेखांकन कहा जाता है। सरकार का उद्देश्य प्रशासन करना और विभिन्न विभागों के कार्यों को अच्छी प्रकार चलाना होता है। सरकार अपने आय-व्यय के लिए बजट बनाती है। सरकारी लेखों में लेन-देनों का वर्गीकरण प्रशासनिक क्रियाओं और लेन-देनों की प्रकृति के वर्गीकरण के आधार पर किया जाता है।

वस्तुत: सरकार के कुछ विभागों में लेखांकन के लिए रोकड़ प्रणाली (Cash System) अपनायी जाती है और जिन विभागों का कार्य व्यावसायिक प्रकृति का होता है, उनमें सामान्य सरकारी खातों के अतिरिक्त ये खाते विवरण के आधार पर तैयार किये जाते हैं जिनमें वास्तविक भुगतान दर्शाये जाते हैं और उपार्जन आधार (Accural Basis) पर बाद में समायोजन किये जाते हैं।

सामाजिक लेखांकन (Socini Accounting) – किसी राष्ट्र की आर्थिक क्रियाओं को उचित ढंग से क्रमबद्ध करना ही सामाजिक लेखांकन कहलाता है। ये क्रियाएँ विभिन्न कार्य सम्बन्धी वर्गों में बाँटी जाती हैं। लेखांकन की यह विधि किसी राष्ट्र में निर्धारित अवधि में हुए सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों को वृहत् रूप में प्रकट करती है, इसे राष्ट्रीय लेखांकन भी कहा जाता है।

मानव संसाधन लेखांकन (Human Resource Accounting i.e., HRA) – लेखांकन जगत में मानव शक्ति के मूल्यांकन एवं लेखों में दर्ज कर वित्तीय परिणामों को प्रदर्शित करने की एक नयी प्रणाली विकसित होने लगी है जिसे मानव संसाधन लेखांकन कहा जाता है। अमेरिकन अकाउंटिंग एसोसिएशन की मानव संसाधन लेखांकन समिति के अनुसार, “मानव संसाधन लेखांकन मानव साधनों को पहचानने, इनका आँकड़ों में मापन करने और इस सूचना को सम्बवन्धित पक्षों तक संवहित करने की प्रक्रिया है।”

Cheque क्या है और चेक कितने प्रकार के होते है?

Cheque क्या है. चेक तो हर कोई जानता है आज के समय में बैंक का मुख मेथड खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? चेक से भुकतान (Payment) करना होता है किसी बैंक में खाता खोलने के बाद आपको ये चुनना होता है कि आपको अपने खाता से पैसे निकलना कैसे है।

ये ग्राहक (Costumer) के ऊपर निर्भर करता है कि उसको अपने खाते से खुद पैसे निकलने है और जो बिज़नेस (Business) करने वाले लोग होते है तो हर किसी को पेमेंट (Payment) देना होता है तो ऐसे में चेक की आवश्यकता पड़ती है खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? क्योकि उसको कई लोगो को एक दिन में पेमेंट देना होता है इसलिए Cheque क्या है और चेक के प्रकार. के बारे में जानना आवश्यक है।

चेक क्या होता है (Cheque Hindi)

cheque in hindi-cheque kya hai

Cheque in Hindi

What is cheque in hindi. चेक एक ऐसा कागज का टुकड़ा है जिसमे बिना शर्त के यह आदेश देता है जिसमे बैंक को यह स्पष्ट किया जाता है कि मैं अमुक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को इतने रुपए का भुक्तान करने का वचन करता हूँ चेक एक भुक्तान पत्र है जिसमे एक कागज पे लिखकर भुकतान किया जाता है।

चेक में देंनदाता का नाम या किसी फर्म स्टोर का भी नाम हो सकता है चेक में आपको यह भी लिखना होता कि चेक किसे देना है तथा कितने रूपीस (Rupees) का देना है रूपीस को शब्दों (Word) और अंको (Digit ) में दोनों तरीको से लिखना पड़ता है तथा सिग्नेचर (Signature) आपको वही करना पड़ता है जो खाता खोलते वक्त आपने अपने बैंक (Bank) को दिया था।

अन्यथा सिग्नेचर (Signature) ना मिलने के कारण आपका चेक निरस्त (Reject) भी किया जा सकता है इस लिए आपको वही सिग्नेचर करना है जो बैंक फॉर्म पर पहले कर चुके है चेक को इलेक्ट्रानिक भुक्तं भी कहा जाता है।

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चेक का वर्गीकरण (Classification of cheque)

  1. स्थानीय चेक (Local Cheque) – यदी एक स्थान या शहर का चेक उसी शहर में क्लियर (Clear) हो जाये तो स्तानीय कहते है जैसे किसी एक शहर का चेक उसी शहर में ही क्लियर (Clear) हो खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? जाए तो उसे स्थानीय चेक यानि (Local Cheque) कहते है अगर अन्य शहर में इसको क्लियर (Clear) कराया जाए तो अलग से धन राशि देना पडता है।
  2. आउटस्टेशन चेक (Out Station) – यदि चेक खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? को कही शहर से बाहर जा कर क्लियर (Clear) या विथड्रॉ (Withdraw) कराया जाये तो उसे आउटस्टेशन (Out Station) चेक कहते है जिसके लिए Bank अलग से चार्ज करता है जैसे किसी A शहर का चेक B शहर में क्लियर (clear) या विथड्रॉ (withdraw) करवाया जाये है।
  3. एट पार चेक (At Par Cheque) – यह ऐसा चेक होता है जिसे किसी भी बैंक से क्लियर कराया जा सकता है तथा ये अनिवार्य होना चहिये कि सम्बंधित ब्रांच हो और ख़ास बात ये है कि बैंक में कोई अतिरिक्त राशि नहि कटती है।

चेको का वर्गीकरण मूल्यों के आधार पर

  • ऊंचे मूल्य वाले चेक – जो चेक एक लाख से ऊपर होते है उन्हें ऊंचे मूल्य वाले चेक कहते है।
  • साधारण मूल्य वाले चेक – जो चेक एक लाख से कम होते है उन्हें साधरण मूल्य वाले चेक कहते है।
  • खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है?
  • उपहार चेक – उपहार चेक वो चेक होते है जो अपने परिजनों या किसी अन्य को को उपहार के रूप में दिए जाते है ये 100 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक हो सकते है।

cheque in hindi-cheque kya hai

Cheque In Hindi

चेक के प्रकार (types of cheque in hindi)

चेक के प्रकार की बात करे तो मुख्यता: चार प्रकार के होते है आइये जानते है कि चेक के कौन कौन से प्रकार होते खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? है।

  1. खाता पेयी चेक (Crossed Cheque) – जब किसी बेयरर (Bearer) चेक (Cheque) के किनारे दो एक समान्तर लाइन बनाते है दोनो लाइनों के बीच ‘A/C Payee Only लिख दिया जाता है तो इस चेक की काफी सुरक्षा बढ जाती है इस चेक को क्रॉस्ड चेक (Crossed Cheque) कहा जाता है तथा इस चेक से कोई भी व्यक्ति पैसे विथड्रॉ नहीं कर सकता है केवल वही कर सकता है जिस अकाउंट के नाम से चेक को बनाया गया है उसी अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिये जाते है।
  2. खुला चेक (Open Cheque) – खुला चेक वो चेक होता है जिसे बैंक काउंटर पर ही नकद (Cash) प्राप्त किया जा सकता है क्लियर (Clear) करने के लिए आपको लंबी लाइनो का इंतिजार करने की जरूरत नहीं होती है तथा किसी दूसरे व्यक्ति को भेज कर भी प्राप्त या क्लियर करवाया खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है? जा सकता है।
  3. बेयरर चेक (Bearer Cheque) – बेयरर चेक वह चेक होता है जो खाताधारी (Account Holder) किसी को भेज कर पैसे विथड्रा (Withdraw) करवा सकता है इस चेक के माध्यम से कोई भी उस अकॉउंट से पैसे निकलवा सकता है बस खाताधारी का सिग्नेचर होना चाहिए इस में रिस्क (Risk) बहुत होता है इस चेक के खो जाने के बाद कोई भी व्यक्ति पैसे निकाल सकता है।
  4. खातों का वर्गीकरण कितने प्रकार का होता है?
  5. ऑर्डर चेक (Order Cheque) – इसमें बेयरर चेक को काट कर आर्डर (Order) लिख दिया जाता है इसमें चेक के माध्यम से एक व्यक्ति के नाम या संस्था के नाम से चेक को बनाकर दिया जाता है जिस नाम को चेक में दर्शाया गया है उस चेक को वही व्यक्ति केवल विथड्रा (Withdraw) करवा सकता है इस चेक में ज्यादा रिस्क (Risk) नहीं होता है इसको हर कोई विथड्रा नहीं करवा सकता है।

निष्कर्ष

मै उम्मीद करता हु कि आपको इस Cheque क्या है और चेक के प्रकार से आपको बहुत हेल्प मिला होगा और चेक (Cheque) से सम्बंधित सारे प्रॉब्लम दूर हो गये होंगे और चेक के बारे बेहतर जानकारी मिली होगी ऐसे पोस्ट को पढ़ने के लिए हमारे फेसबुक और इंस्टाग्राम के पेज को लाइक और फॉलो करे और सबसे पहले जानकारी पाये और आर्टिकल को शेयर करे। (धन्यवाद्)

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