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ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है?

ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है?
Jansatta 6 घंटे पहले टेक्नोलॉजी डेस्क

ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है?

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Tax Loss Harvesting: शेयरों से होने वाली कमाई पर ऐसे बचा सकते हैं टैक्स, उदाहरण से समझें पूरा कैलकुलेशन

Tax Loss Harvesting: एक्सपर्ट्स के अनुसार, टैक्स हार्वेस्टिंग टैक्स देनदारी कम करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है. आइए जानते हैं कि यह क्या है और इसका फायदा आप कैसे उठा सकते हैं.

Tax Loss Harvesting: शेयरों से होने वाली कमाई पर ऐसे बचा सकते हैं टैक्स, उदाहरण से समझें पूरा कैलकुलेशन

निवेशक जब भी स्टॉक या म्यूचुअल ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? फंड में अपना निवेश बेचते हैं तो उन्हें कैपिलट गेन या लॉस होता है.

Tax Loss Harvesting Calculation: निवेशक जब भी स्टॉक या म्यूचुअल फंड में अपना निवेश बेचते हैं तो उन्हें कैपिलट गेन या लॉस होता है. कैपिटल गेन्स पर टैक्स आपके निवेश की होल्डिंग पीरियड के आधार पर लगाया जाता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर किसी निवेशक को कैपिटल गेन हुआ है, जिस पर उसकी टैक्स देनदारी बन रही है तो वह टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग मेथड का इस्तेमाल कर अपनी टैक्‍स लायबिलिटी को कम कर सकता है. इसका मतलब है कि टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग मेथड के ज़रिए आप अपनी टैक्स देनदारी को कुछ हद तक कम कर सकते हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार, टैक्स हार्वेस्टिंग टैक्स देनदारी कम करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है. आइए जानते हैं कि यह क्या है और इसका फायदा आप कैसे उठा सकते हैं.

क्या है टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग मेथड

ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ट्रेडस्मार्ट के सीईओ विकास सिंघानिया ने FE ऑनलाइन को बताया, “टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग एक ऐसा तरीका है जिसके ज़रिए निवेशक अपने ट्रेडिंग गेन पर लगने वाले ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? टैक्स को कम कर सकता है. मान लीजिए कि एक वर्ष के दौरान एक ट्रेडर ने कई ट्रेडिंग किए हैं और उसे इसमें काफी मुनाफा हुआ है. ऐसे में, साल के अंत में ट्रेडर को अपने मुनाफे पर लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म टैक्स देना होगा.” टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग मेथड का इस्तेमाल ज्यादातर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स के भुगतान को कम करने के लिए किया जाता है. सिंघानिया ने आगे कहा, “मान लीजिए कि किसी ट्रेडर को कुछ शेयरों पर नुकसान हो रहा है. वह उन शेयरों को नुकसान में बेच सकता है और उन्हें अन्य शेयरों पर बुक किए गए मुनाफे के साथ एडजस्ट कर सकता है. ऐसा करने से कैपिटल गेन्स पर आपकी टैक्स देनदारी कम हो जाएगी.”

टैक्स और फाइनेंशियल सर्विसेज सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म क्लियर (पूर्व में क्लियरटैक्स) के फाउंडर और CEO अर्चित गुप्ता ने कहा, “टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग के लिए आपको अपने स्टॉक/फंड यूनिट्स को घाटे में बेचना होगा ताकि कैपिटल गेन पर आपकी टैक्स देनदारी कम हो सके.” 1 अप्रैल 2018 से, 1 लाख रुपये से ऊपर के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर बिना इंडेक्सेशन के 10% की दर से टैक्स लगता है. इसकी तुलना में शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) पर 15% की दर से टैक्स लगता है.

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टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग कैसे काम करता है

इसे आप उदाहरण से समझ सकते हैं. मान लीजिए कि किसी निवेशक को इस साल 1 लाख रुपये का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन हुआ है तो उसे 15,000 रुपये टैक्स देना होगा. अगर वह निवेशक 60,000 रुपये के लॉस के साथ स्टॉक रखता है और उन्हें बेचता है, तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन 40,000 रुपये तक आ जाएगा. नतीजतन, निवेशक को केवल 6,000 रुपये का टैक्स देना होगा, जो कि 40,000 रुपये का 15 प्रतिशत है. इस मेथड से निवेशक को घाटा कम करने और 9,000 रुपये का टैक्स बचाने में मदद मिलेगी.

टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग के फायदे

गुप्ता के अनुसार, घाटे में चल रहे स्टॉक/इक्विटी फंड की बिक्री से प्राप्त राशि का इस्तेमाल आकर्षक स्टॉक/इक्विटी फंड खरीदने के लिए किया जा सकता है. पोर्टफोलियो के ओरिजनल एसेट एलोकेशन को बनाए रखने के लिए यह करना जरूरी है. उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, यह पोर्टफोलियो के रिस्क-रिटर्न प्रोफ़ाइल को बरकरार रखता है. टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग टैक्स बचाने के लिए एक अहम टूल है. इसके अलावा, आपको हाई रिटर्न हासिल करने के लिए अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेश लाने के तरीकों के बारे में पता चलता है. यह नुकसान को कम तो नहीं करता है, लेकिन टैक्स बचाने में आपकी मदद जरूर करता है.”

टैक्स हार्वेस्टिंग: इन बातों का रखें ध्यान

एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग मेथड का इस्तेमाल करते समय इनकम टैक्स नियमों का पालन करना चाहिए. टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग का उपयोग करके नुकसान की भरपाई करते समय, आपको कुछ बातों को ध्यान में रखना होगा. लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस को केवल लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के खिलाफ सेट-ऑफ किया जा सकता है. आप लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के साथ सेट-ऑफ नहीं कर सकते. शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के खिलाफ सेट-ऑफ किया जा सकता है.

दुनिया में अभी 2420 तरह की क्रिप्टोकरेंसी प्रचलन में मौजूद, यह किसी भी बैंक से जुड़ी नही होतीं

यूटिलिटी डेस्क. सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के दो साल पुराने सर्कुलर को रद्द करते हुए क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग की इजाजत दे दी। इंटरनेट और स्मार्टफोन के जमाने में पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टोकरेंसी का चलन बढ़ा है। आइए जान लेते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी क्या होती है और यह कैसे काम करती है।

डिजिटल करेंसी का एक रूप है क्रिप्टोकरेंसी
यह डिजिटल करेंसी होती है और किसी भी सरकार या किसी भी बैंक से जुड़ी हुई नहीं है। एक यूजर दूसरे को क्रिप्टोकरेंसी भेजता है तो इसका रिकॉर्ड एन्क्रिप्शन के जरिए यानी सांकेतिक भाषा में होता है। इसे कोई अन्य डिकोड नहीं कर सकता है। इसलिए इसे क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं।

कंप्यूटर सीपीयू से होती है बिटक्वाइन माइनिंग
बिटक्वाइन ट्रांजेक्शन के डेटा को मेंटेन करने के लिए कंप्यूटर के सीपीयू की पावर इस्तेमाल होती है। सीपीयू में बिटक्वाइन से ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? जुड़ा सॉफ्टवेयर इन्सटॉल किया जाता है। यह सॉफ्टवेयर कॉम्प्लेक्स गणितीय गणना कर बिटक्वाइन के लिए इनक्रिप्शन तैयार करता है। माइनिंग का काम हाई एंड सीपीयू के जरिए कोई भी कर सकता है।

मौजूदा समय में सबसे आगे है बिटक्वाइन
बिटक्वाइन इस समय सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है। बिटक्वाइन का रिकॉर्ड पब्लिक लेजर में मेंटेन होता है। 2009 से अब तक सभी ट्रांजेक्शन पब्लिक लेजर में सेव होते रहे हैं। ट्रांजेक्शन के सभी रिकॉर्ड कई ब्लॉक में रखे जाते हैं। इसलिए ये ब्लॉकचेन भी कहलाते हैं।

बिटक्वाइन में इस साल 50% तक की तेजी
बिटक्वाइन में इस साल 50% तेजी आ चुकी है। अक्टूबर 2019 के बाद पहली बार बिटक्वाइन पिछले दिनों 10,000 डॉलर पर पहुंचा था। मौजूदा वैल्यू 8,771 डॉलर (6.40 लाख रुपए) है। दूसरी क्रिप्टोकरेंसी में भी इस साल तेजी बनी हुई है। इथेरियम की वैल्यू दोगुनी हुई है।

बिटक्वाइन की इतनी वैल्यू क्यों हो गई
जापान ने बिटक्वाइन को कानूनी रूप दिया। इसके बाद से इसकी वैल्यू 60% से ज्यादा बढ़ गई।
ट्रांजेक्शन के लिए यह काफी सुरक्षित माना जाता है। साथ ही इस पर किसी अथॉरिटी का नियंत्रण न होने के कारण इसमें हाइपर इनफ्लेशन का खतरा नहीं होता है।
रेगुलेशन न होने की वजह से ट्रांजेक्शन की लागत काफी कम।

वोलाटैलिटी अधिक होने से उतार-चढ़ाव बहुत
अब भी कई लोग बिट क्वाइन या डिजिटल करेंसी के बारे में कुछ पता नहीं है। इसमें वोलाटैलिटी यानी उतार-चढ़ाव ज्यादा है। बिटक्वाइन की अभी एक लिमिट है। मौजूदा स्ट्रक्चर के मुताबिक संख्या में 2.1 करोड़ से ज्यादा बिट क्वाइन नहीं हो सकते हैं।

घर बेचकर Cryptocurrency खरीदी, अब दौलत के मामले में जैक मा को पछाड़ा; जान‍िए कैसे

ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स की ताजा र‍िपोर्ट के अनुसार चीन चांगपेंग झाओ (Changpeng Zhao) एश‍िया के सबसे अमीर शख्‍स बन गए हैं. क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज बायनेंस के फाउंडर की कुल संपत्ति बढ़कर 96.9 अरब डॉलर पर पहुंच गई है.

  • 96.9 अरब डॉलर हुई चांगपेंग झाओ की संपत्ति
  • दुन‍िया के सबसे अमीर लोगों में 11वें नंबर पर पहुंचे
  • चीन के सबसे अमीर कारोबारी जैक मा को पीछे छोड़ा

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घर बेचकर Cryptocurrency खरीदी, अब दौलत के मामले में जैक मा को पछाड़ा; जान‍िए कैसे

नई द‍िल्‍ली : कहते हैं जब क‍िसी की क‍िस्‍मत चमकनी होती है तो बस एक बहाना चाह‍िए. ऐसा ही कुछ हुआ है चीन के चांगपेंग झाओ (Changpeng Zhao) उर्फ सीजेड के साथ. ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स की ताजा र‍िपोर्ट के अनुसार सीजेड दौलत के मामले में दुन‍िया के चु‍निंदा लोगों में शाम‍िल हो गए हैं. इतना ही नहीं वह एश‍िया के सबसे अमीर शख्‍स बन गए हैं.

96.9 अरब डॉलर की दौलत

शायद आप सोच रहे होंगे क‍ि चांगपेंग झाओ करते क्‍या है? तो हम आपको बता दें वह क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज (Cryptocurrency ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? Exchange) बायनेंस के फाउंडर हैं. इसी की बदौलत उनकी दौलत बढ़कर 96.9 अरब डॉलर पर पहुंच गई है. दुनिया के सबसे अमीर शख्‍स‍ियतों की लिस्ट में वह 11वें और एश‍िया में पहले नंबर पर हैं. इससे साफ है उन्‍होंने अली बाबा के जैक मा को भी पीछे छोड़ द‍िया है.

कैसे की शुरुआत

रिपोर्ट के अनुसार 2017 में चांगपेंग झाओ (Changpeng Zhao) ने मैकडोनल्ड्स (mcdonald's) की नौकरी छोड़कर कंपनी शुरू की. इसका नाम Binance रखा. यह कंपनी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एक्सचेंज के रूप में काम करती थी. शुरुआत में कंपनी के सामने तमाम तरह की परेशान‍ियां भी आईं. बुरे वक्‍त में उन्‍हें अपना घर तक बेचना पड़ गया.

झाओ ने मैकगिल यूनिवर्सिटी से कंप्‍यूटर साइंस की पढ़ाई की और टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज व ब्लूमबर्ग के लिए ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर पर काम किया. झाओ को 2013 में पोकर के एक खेल के दौरान बिटकॉइन के बारे में पता चला, जिसके बाद उन्होंने अपना समय इसमें देना शुरू कर द‍िया और क्रिप्टो पर फोकस किया. उस समय लिए गए उनके इस फैसले ने आज उन्‍हें इस मुकाम तक पहुंचाया है.

Jio Welcome Offer: Reliance Jio का 5जी नेटवर्क पुणे में लॉन्च, मिल रहा फ्री अनलिमिटेड 5G डेटा

Jansatta लोगो

Jansatta 6 घंटे पहले टेक्नोलॉजी डेस्क

© Jansatta द्वारा प्रदत्त Reliance Jio 5G in Pune: जियो ने पुणे में जियो वेलकम ऑफर के साथ 5जी नेटवर्क उपलब्ध करा दिया है।

Jio ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? 5G ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? launched in Pune: Reliance Jio लगातार भारत में अपने 5G नेटवर्क का विस्तार कर रही है। कंपनी ने अब एक और शहर में Jio 5G Network को उपलब्ध कराए जाने की पुष्ट कर दी है। पुणे में भी अब Jio की 5G Services को उपलब्ध करा दिया गया है। पुणे (Pune) में जियो यूजर्स (Jio Users) अब अनलिमिटेड फ्री 5जी नेटवर्क (5G Network) का फायदा ले पाएंगे।

Jio Welcome Offer के तहत रिलायंस जियो चुनिंदा ग्राहकों को 1Gbps तक डाउनलोड स्पीड मिलेगी। जियो वेलकम ऑफर के लिए ग्राहकों को इनवाइट सिस्टम के जरिए अपने स्मार्टफोन को रजिस्टर करने का मौका मिलेगा।

अब 12 शहरों में Jio True 5G

जियो 5जी नेटवर्क अब देशभर के कुल 12 शहरों में उपलब्ध करा दिया गया है। इनमें बेंगलुरू, दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे बड़े शहर शामिल हैं। जियो का दावा है कि इन सभी शहरों में यूजर को कम से कम 500Mbps की औसत डाउनलोड स्पीड मिलेगी।

How to enable Jio True 5G network on your device? (अपने फोन में जियो ट्रू 5जी नेटवर्क कैसे चलाएं?)

  • सबसे पहले अपने फोन में My Jio ऐप डाउनलोड करें और Jio मोबाइल नंबर के साथ लॉगइन करें।
  • इसके बाद Jio Welcome Offer बैनर पर क्लिक करके, जियो 5G नेटवर्क टेस्ट करने के लिए अपना इंट्रेस्ट रजिस्टर करें।
  • आपके एरिया में जियो ट्रू 5जी नेटवर्क की उपलब्धता और आपके फोन की ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? क्षमता के हिसाब से आप जियो ट्रू 5जी पर अनलिमिटेड फ्री डेटा इस्तेमाल कर पाएंगे।

रिलायंस जियो अब डाउनलोड और अपलोड स्पीड के ऑटो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है? लिए असीमित डेटा के साथ बेहतर 5जी टेस्टिंग एक्सपीरियंस ऑफर करती है। जियो

देश में स्टैंडअलोन (SA) 5G टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है और कंपनी का दावा है कि इसके साथ नॉन-स्टैंडअलोन (NSA) टेक्नोलॉजी की तुलना में ज्यादा डेटा ट्रांसफर स्पीड और कम लैटेंसी मिलेगी। बता दें कि जियो को छोड़कर बाकी टेलिकॉम कंपनियां फिलहाल देश में नॉन-स्टैंडअलोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही हैं।

क्या है स्टैंडअलोन 5जी और नॉन-स्टैंडअलोन 5जी?

बता दें कि स्टैंडअलोन 5जी एक ऐंड-टू-ऐंड 5जी नेटवर्क है जहां बेस स्टेशन और रेडियो एंटीना 5G स्पेसिफिकेशन्स को ध्यान में रखकर ही शुरू से बनाए जाते हैं। जबकि नॉन-स्टैंडअलोन टेक्नोलॉजी, मौजूदा 4जी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ही आधारित है जिसे सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए 5जी पर अपग्रेड किया गया है। बता दें कि जियो नेटवर्क पर स्टैंडअलोन 5जी (SA 5G) सपोर्ट के लिए सभी स्मार्टफोन को सॉफ्टवेयर अपडेट की जरूरत होगी। स्मार्टफोन कंपनियां अपने हैंडसेट पर 5जी सपोर्ट के लिए लगातार OTA अपडेट रोल आउट कर रही हैं।

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