विदेशी मुद्रा विश्वकोश

क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है?

क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है?
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा ​​ने भी संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल लागू करने की संभावना से इनकार किया.

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शेयर मार्केट में कौन से फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट (वित्तीय साधनों) का कारोबार होता है?

शेयर मार्केट में कौन से फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट (वित्तीय साधनों) का कारोबार होता है?

TV9 Bharatvarsh | Edited By: मनीष रंजन

Updated on: Oct 20, 2022 | 11:39 AM

स्टॉक मार्केट केवल शेयरों तक ही सीमित नहीं है इसमें कई और फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट भी शामिल हैं . ये इंस्ट्रूमेंट एक बड़ा रिटर्न भी देते हैं . निवेशक अपना पैसा शेयर मार्केट में पूंजी बनाने के लिए लगाते हैं . कुछ निवेशक लंबी क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? अवधि ( लॉन्ग टर्म ) के लिए और कुछ छोटी अवधि ( शॉर्ट टर्म ) के लिए पैसा लगाते हैं . आमतौर पर लोगों को लगता हैं कि शेयर मार्केट में सिर्फ शेयरों का ही कारोबार होता है लेकिन ऐसा नहीं है . शेयरों के अलावा और भी कई फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट ( वित्तीय साधन ) हैं , जिनका शेयर मार्केट में कारोबार होता है . इस आर्टिकल ( लेख ) में हम उनके बारे में बात करेंगे .

क्यों हो रहा है चुनावी बॉन्ड को लेकर हंगामा, क्या होता है इलेक्टोरल बॉन्ड

सदन के शीतकालीन सत्र के दौरान गुरुवार को कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा उठाया। कॉन्ग्रेस ने इस मुद्दे को दोनों सदनों में उठाया। इसकी वजह से राज्यसभा की कार्रवाई एक घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी। लोकसभा में कांग्रेस की तरफ से मनीष तिवारी ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि ये बॉन्ड जारी करके सरकारी भ्रष्टाचार को स्वीकृति दे दी गई है। उन्होंने ये तक कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड सियासत में पूंजीपतियों का दखल हैं। भारतीय जनता पार्टी ने इसका पलटवार करते हुए कहा है कि विपक्षी दल इसे बेवजह का मुद्दा बना रहे हैं।

इस मुद्दे को पूरा जानने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड। क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? दरअसल, किसी भी राजनीतिक दल को मिलने वाले चंदे को इलेक्टोरल बॉन्ड कहा जाता है। वैसे तो ये एक तरह का नोट ही होता है, क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? जो एक हजार, 10 हजार, 10 लाख और एक करोड़ तक का आता है। कोई भी भारतीय इसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से खरीद कर राजनीतिक पार्टी को चंदा दे सकता है। इन बॉन्ड्स को जनप्रतिनिधित्व कानून-1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत वे राजनीतिक पार्टियां ही भुना सकती हैं, जिन्होंने क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? पिछले आम चुनाव या विधानसभा चुनाव में कम से कम एक फीसदी वोट हासिल किए हों। क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? चुनाव आयोग द्वारा सत्यापित बैंक खाते में ही इस धन को जमा किया जा सकता है। इलेक्टोरल बॉन्ड 15 दिनों के लिए वैध रहते हैं केवल उस अवधि के दौरान ही अपनी पार्टी के अधिकृत बैंक खाते में ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके बाद पार्टी उस बॉन्ड को कैश करा सकती है।

क्यों प्रधानमंत्री नहीं कर सकते हैं वित्तीय आपातकाल की घोषणा

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विशेषज्ञों ने कहा कि सरकार के पास धन की व्यवस्था करने के लिए कई उपकरण हैं और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह आपातकालीन प्रावधानों को लागू नहीं करेगा क्योंकि इससे विदेशी निवेशकों की आँखों में देश की छवि धूमिल होगी.

नई दिल्ली: संवैधानिक और आर्थिक मुद्दों पर दो विशेषज्ञों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केंद्र सरकार के कमजोर वित्त के बावजूद कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल की संभावना नहीं है.

क्या होता है गिल्ट खाता, रिटेल निवेशक कैसे कर सकेंगे इसका इस्तेमाल?

  • खुशबू तिवारी
  • Updated On - February 5, 2021 / 01:14 PM IST

क्या होता है गिल्ट खाता, रिटेल निवेशक कैसे कर सकेंगे इसका इस्तेमाल?

Gilt Account: भारतीय रिजर्व बैंक (क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? RBI) ने आज की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (Monetary Policy Committee) के ऐलानों में रिटेल निवेशकों (Retail Account) के गिल्ट खाता खोलने के लिए रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म का ऐलान किया है. RBI गवर्नर शक्तिकांता दास (Shaktikanta Das) ने इसे एक बड़ा कदम बताया और कहा कि गिल्ट खाता खोलने की अनुमति देने वाली कुछ देशों की लिस्ट में भारत शामिल हो जाएगा. लेकिन गिल्ट खाता (Gilt Account) होता क्या है जिसके लिए आज तक अनुमति नहीं थी और इससे निवेशकों को क्या फायदा होगा?

करोड़ों पेंशनधारकों को बड़ा तोहफा, लाइफ सर्टिफिकेट नियमों में सरकार ने दी ये खास सुविधा

क्या आरबीआई के बैलेंस शीट का फायदा उठाना चाहती है सरकार ?

सुब्बाराव ने आगे कहा, "यदि दुनिया में कहीं भी एक सरकार उसके केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट को हड़पना चाहती है तो यह ठीक बात नहीं है। इससे पता चलता है कि सरकार इस खजाने को लेकर काफी व्यग्र है।" उन्होंने सरकार के इस कदम पर अपने विरोध का बचाव करते हुए कहा कि रिजर्व बैंक का जोखिम अन्य बैंकों से भिन्न है। रिजर्व बैंक के लिए पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? करना फायदेमंद साबित नहीं हो सकता है।

जारी होने वाली है बिमल जालना कमेटी की रिपोर्ट

बता दें आरबीआई के इस पूर्व गवर्नर की तरफ से यह बयान एक ऐसे समय में आया है जब बिमल जालान कमेटी अपनी रिपोर्ट तैयार करने के अंतिम चरण में है। बिमल जालान कमेटी का गठन भारतीय रिजर्व बैंक के पर्याप्त पूंजी की पहचान करने तथा अतिरिक्त रकम सरकार को हस्तांतरित करने के तौर तरीकों पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए किया गया था। पिछले साल ही सरकार व तत्कालीन आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे को भी सरकार व आरबीआई के बीच खींचतान से लेकर जोड़ा गया।

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