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क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड

क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड

क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड

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डेली अपडेट्स

जुलाई, 2022 में गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) से 457 करोड़ रुपए का शुद्ध बहिर्वाह हुआ क्योंकि निवेशकों ने पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन रणनीति (Portfolio Rebalancing Strategy) के हिस्से के रूप में अन्य परिसंपत्ति वर्गों में अपना पैसा निवेश किया।

  • यह जून 2022 में 135 करोड़ रुपए के शुद्ध अंतः प्रवाह की तुलना में था।

गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड

  • परिचय:
    • स्वर्ण/गोल्ड ETF (जिसका उद्देश्य घरेलू भौतिक सोने की कीमत को आंकलन करना है) निष्क्रिय निवेश साधन हैं जो सोने की कीमतों पर आधारित होते हैं तथा सोने को बुलियन में निवेश करते हैं।
    • गोल्ड ETF भौतिक सोने का प्रतिनिधित्व करने वाली इकाइयाँ हैं जो कागज या डीमैट रूप में हो सकती हैं।
      • एक गोल्ड ETF इकाई 1 ग्राम सोने के बराबर होती है और इसमें उच्च शुद्धता का भौतिक सोना होता है।
      • वे स्टॉक निवेश के लचीलेपन और सोने के निवेश की सहजता को संयोजित करते हैं।
      • ETF की हिस्सेदारी में पूरी पारदर्शिता है।
      • गोल्ड ETF में भौतिक सोने के निवेश की तुलना में बहुत कम खर्च होता है।
      • ETFs पर संपत्ति कर, सुरक्षा लेनदेन कर, वैट और बिक्री कर नहीं लगाया जाता है।
      • ETF सुरक्षित और संरक्षित होने के कारण चोरी का कोई डर नहीं है क्योंकि धारक के डीमैट खाते में इकाइयाँ होती हैं।

      बहिर्वाह के कारण:

      • बढ़ती ब्याज़ दर चक्र के कारण सोने की कीमतों में गिरावट आई है।
        • सोने की कीमत में गिरावट का सीधा प्रभाव गोल्ड ईटीएफ प्रवाह पर पड़ा है।

        एक्सचेंज ट्रेडेड फंड क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड

        • एक एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) प्रतिभूतियों की एक बास्केट है जो स्टॉक की तरह ही एक्सचेंज पर व्यापार करती है।
        • ETF बीएसई सेंसेक्स की तरह एक सूचकांक की संरचना को दर्शाता है। इसका ट्रेडिंग मूल्य अंतर्निहित शेयरों (जैसे शेयर) के नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर आधारित होता है, जिसका यह प्रतिनिधित्व करता है।
        • ETF शेयर की कीमतों में पूरे दिन उतार-चढ़ाव होता है क्योंकि इसे खरीदा और बेचा जाता है। यह म्युचुअल फंड से अलग है जिसका बाज़ार बंद क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड होने के बाद दिन में केवल एक बार व्यापर होता है।
        • एक ETF विभिन्न उद्योगों में सैकड़ों या हज़ारों शेयर रख सकता है, या फिर उसे किसी एक विशेष उद्योग या क्षेत्र में वर्गीकृत किया जा सकता है।
        • बॉण्ड ईटीएफ एक प्रकार के ईटीएफ हैं जिनमें सरकारी बॉण्ड, कॉरपोरेट बॉण्ड और राज्य तथा स्थानीय बॉण्ड शामिल हो सकते हैं - जिन्हें म्युनिसिपलबॉण्ड कहा जाता है।
          • बॉण्ड एक ऐसा साधन है जो एक निवेशक द्वारा एक उधारकर्त्ता (आमतौर पर कॉर्पोरेट या सरकारी) को दिये गये ऋण का प्रतिनिधित्व करता है।

          यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू):

          प्रश्न. भारत सरकार की बॉण्ड यील्ड निम्नलिखित में से किससे प्रभावित होती है? (2021)

          1. युनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिज़र्व की कार्रवाइयों से।
          2. भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्य से।
          3. मुद्रास्फीति और अल्पकालिक ब्याज़ दरों के कारण।

          नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

          (a) केवल 1 और 2
          (b) केवल 2
          (c) केवल 3
          (d) 1, 2 और 3

          उत्तर: (d)

          व्याख्या:

          • बॉण्ड पैसा उधार लेने का साधन है। किसी देश की सरकार या किसी कंपनी द्वारा धन जुटाने के लिये बॉण्ड जारी किया जा सकता है।
          • बॉण्ड यील्ड वह रिटर्न है जो एक निवेशक को बॉण्ड पर मिलता है। प्रतिफल की गणना के लिये गणितीय सूत्र बॉण्ड के मौजूदा बाज़ार मूल्य से विभाजित वार्षिक कूपन दर है।
          • प्रतिफल में उतार-चढ़ाव ब्याज़ दरों के रुझान पर निर्भर करता है, इसके परिणामस्वरूप निवेशकों को पूंजीगत लाभ या हानि हो सकती है।
          • बाज़ार में बॉण्ड यील्ड बढ़ने से बॉण्ड की कीमत नीचे आ जाएगी।
          • बॉण्ड यील्ड में गिरावट से निवेशक को फायदा होगा क्योंकि बॉण्ड की कीमत बढ़ेगी, जिससे पूंजीगत लाभ होगा।
          • फेड टेपरिंग अमेरिकी फेडरल रिज़र्व के बॉण्ड खरीद कार्यक्रम में क्रमिक कमी हुई है। इसलिये युनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिज़र्व की कोई भी कार्रवाई भारत में बॉण्ड यील्ड को प्रभावित करती है। अत: कथन 1 सही है।
          • सरकारी बॉण्ड का प्रतिफल निर्धारित करने में RBI की कार्रवाइयाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अर्थव्यवस्था में ब्याज़ दरों की एक विस्तृत शृंखला को प्रभावित करने में मौद्रिक नीति के लिये संप्रभु यील्ड वक्र का विशेष महत्त्व है। अत: कथन 2 सही है।
          • मुद्रास्फीति और अल्पकालिक ब्याज दरें भी सरकारी बाॅण्ड की यील्ड को प्रभावित करती हैं। अत: कथन3 सही है।

          अतः विकल्प (d) सही है।

          प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में देखे जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम के 'मसाला बाॅण्ड' के संदर्भ में, नीचे दिये गए कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

          1. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम, जो इन बाॅण्डों की पेशकश करता है, विश्व बैंक की एक शाखा है।
          2. ये रुपए मूल्यवर्ग के बाॅण्ड हैं और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के लिये ऋण वित्तपोषण का एक स्रोत हैं।

          नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

          (a) केवल 1
          (b) केवल 2
          (c) 1 और 2 दोनों
          (d) न तो 1 और न ही 2

          क्या आप भी जानना चाहते हैं ETF के बारे में सबकुछ? यहां मिलेगा आपके हर सवाल का जवाब

          एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF)

          एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ETF एक प्रकार का निवेश है जिसे स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जाता है. ETF में बांड, या स . अधिक पढ़ें

          • News18Hindi
          • Last Updated : October 06, 2022, क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड 14:57 IST

          हाइलाइट्स

          ETF यानी एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड के बारे में सुना होगा.
          म्‍यूचुअल फंड कंपनियां भी लगातार नए-नए ETF बाजार में लांच कर रही हैं.
          आज हम आपको ETF के बारे में बताने जा रहे हैं. सबकुछ

          नई दिल्ली. आज कल हर व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा रिटर्न पाना चाहता है लेकिन आपको बता दें कि कम समय में ज्यादा रिटर्न पाने वाली स्कीम में रिस्क भी होता है. ऐसे तो निवेशकों के पास अपना पैसा निवेश करने के कई ऑप्शन हैं. जैसे कि FD, Mutual Funds, ETF, Share Market, saving schemes आदि. लेकिन निवेश करने से पहले जरूरी है आपको उसकी पूरी जानकारी होना ताकि आप आसानी निवेश विकल्प का चुनाव कर सकें. आज हम आपको ETF के बारे में बताने जा रहे हैं…

          शेयर बाजार और म्‍यूचुअल फंड में निवेश करने वालों ने अक्‍सर ETF यानी एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड के बारे में सुना होगा. यह काफी लोकप्रिय है और म्‍यूचुअल फंड कंपनियां भी लगातार नए-नए ETF बाजार में लांच कर रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ETF क्‍या है और यह कैसे काम करता है.

          सबसे पहले जानते हैं ETF क्या है?
          एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ETF एक प्रकार का निवेश है जिसे स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जाता है. ETF में बांड, या स्टॉक खरीदे बेचे जाते हैं. एक एक्सचेंज ट्रेडेड फंड एक म्यूचुअल फंड की तरह है, लेकिन म्यूचुअल फंड के विपरीत, ईटीएफ को ट्रेडिंग अवधि के दौरान किसी भी समय बेचा जा सकता है.

          कैसे करता है काम?
          ईटीएफ का रिटर्न और रिस्क बीएसई सेंसेक्स जैसे इंडेक्स या सोने जैसे एसेट में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है. जिस तरह दूध के दाम बढ़ जाने से पनीर और घी महंगे हो जाते हैं वैसे ही ईटीएफ में भी इंडेक्स के चढ़ने-उतरने का असर होता है.

          कितने प्रकार के होते हैं?
          ETF को म्‍यूचुअल फंड स्‍कीम की तरह ही पेश किया जाता है. यह गोल्ड ETF, इंडेक्स ETF, बॉन्ड ETF, करेंसी ETF के रूप में हो सकते हैं.

          किस तरह करें निवेश?
          ईटीएफ में निवेश के लिए डीमैट के साथ ट्रेडिंग अकाउंट का होना जरूरी है. कोई व्यक्ति 3-इन-1 अकाउंट खोलने का भी विकल्प चुन सकता है. इसमें बैंक अकाउंट के साथ डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट की सुविधा मिलती है.

          जानें निवेश के फायदे?
          ईटीएफ हर रोज निवेश की जानकारी देते हैं, जिससे इसमें निवेश ज्यादा पारदर्शी होता है. इन्हें आसानी से बेचा जा सकता है. ईटीएफ में निवेश करके अलग-अलग सेक्टर में निवेश किया जा सकता है. बता दें कि ETF डिविडेंड पर आयकर नहीं लगता है.

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          ETF नाम तो सुना ही होगा! आखिर क्‍या बला है जिस पर निवेशक लट्टू हुए जा रहे, एक बेहतर ईटीएफ का चुनाव कैसे करें?

          भारत में कुल एयूएम में ETF की हिस्‍सेदारी 10 फीसदी से ज्‍यादा पहुंच गई है.

          भारत में कुल एयूएम में ETF की हिस्‍सेदारी 10 फीसदी से ज्‍यादा पहुंच गई है.

          एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ में निवेश आजकल काफी लोकप्रिय हो रहा है. इसमें किसी स्‍टॉक की तुलना में काफी कम जोखिम र . अधिक पढ़ें

          • News18Hindi
          • Last Updated : May 06, 2022, 15:05 IST

          नई दिल्‍ली. शेयर बाजार और म्‍यूचुअल फंड में निवेश करने वालों ने अक्‍सर ETF यानी एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड के बारे में सुना होगा. आजकल यह काफी लोकप्रिय हो रहा है और म्‍यूचुअल फंड कंपनियां भी लगातार नए-नए ETF बाजार में लांच कर रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ETF है क्‍या और यह कैसे काम करता है.

          जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है ETF किसी एक्‍सचेंज के साथ ट्रेडिंग करने की सुविधा देता है. वैसे तो यह एक तरह का म्‍यूचुअल फंड ही है, जिसमें कई तरह के डेट विकल्‍पों और बांड का बंच होता है. लेकिन म्‍यूचुअल फंड क्या है एक्सचेंज ट्रेडेड फंड और ETF में बेसिक अंतर ये है कि इसे सिर्फ स्‍टॉक एक्‍सचेंज से ही खरीदा या बेचा जा सकता है. एक निवेशक के रूप में जैसे आप एक्‍सचेंज पर कारोबार के दौरान शेयरों की खरीद-फरोख्‍त करते हैं, उसी तरह ETF में भी कारोबारी घंटों के दौरान ही ट्रेडिंग हो सकती है.

          कैसे काम करता है ETF
          आपको पता है कि भारत में दो एक्‍सचेंज ट्रेडिंग कराते हैं, बीएसई और एनएसई. इन दोनों एक्‍सचेंज का जैसा प्रदर्शन रहेगा, ETF भी उसी अनुपात में अपने निवेशकों को रिटर्न देते हैं. यानी अगर एक्‍सचेंज पर गिरावट आई तो पूरे ईटीएफ पर असर पड़ेगा. ETF में सिर्फ इक्विटी ही नहीं बल्कि डेट विकल्‍पों के भी तमाम फंड शामिल होते हैं. 2021 में बीएसई और एनएसई ने बड़ी बढ़त बनाई थी, जिससे ETF में निवेश करने वालों को भी बंपर मुनाफा हुआ था. ETF में स्‍टॉक्‍स और फंड के अलावा गोल्‍ड भी शामिल होता है.

          इस तरह, अगर आप फिजिकल रूप में सोना नहीं खरीदना चाहते और सोने निवेश का फायदा भी लेना चाहते हैं तो ETF बेहतर विकल्‍प बन सकता है. गोल्‍ड ETF में निवेश पिछले कुछ समय से तेजी से बढ़ रहा, जिसका बड़ा कारण इसमें जोखिम कम होना है. ETF का एक्‍सपेंस रेशियो काफी कम (0.6 फीसदी के आसपास) होता है, जिससे यह बेहतर निवेश विकल्‍प बन जाता है.

          खरीद-फरोख्‍त का क्‍या है तरीका
          एसेट मैनेजमेंट कंपनिया (AMC) ही ज्‍यादातर ETF को बाजार में उतारती हैं. ETF की पेशकश पहले न्‍यू फंड ऑफर (NFO) के रूप में होती है, जिसके बाद ये शेयर बाजार में लिस्‍ट होते हैं. यह किसी AMC की नई स्‍कीम होती है जिसके जरिये म्‍यूचुअल फंड कंपनियां स्‍टॉक्‍स, सरकारी बांड और सिक्‍योरिटीज में निवेश के लिए पैसे जुटाती हैं. बाद में इससे होने वाले मुनाफे को निवेशकों में आनुपातिक रूप से बांट दिया जाता है.

          एक बेहतर ईटीएफ कैसे चुनें
          -ETF के लिए सबसे जरूरी पैरामीटर अंडरलाइंग सिक्‍योरिटीज है, क्‍योंकि रिटर्न इसके प्रदर्शन पर आधारित होता है.
          -ETF में सिर्फ इक्विटी के बजाए सभी एसेट क्‍लास होने चाहिए, जिसमें बांड, सिक्‍योरिटीज और गोल्‍ड भी शामिल है.
          -निवेशकों को लिक्विडिटी, लो एक्सपेंस रेशियो, लो इंपैक्ट कॉस्ट, लो ट्रैकिंग एरर और अंडरलाइंग सिक्योरिटीज पर सबसे ज्‍यादा ध्‍यान देना चाहिए.
          -ETF के चुनाव में लो ट्रैकिंग एरर महत्वपूर्ण फैक्टर है, जिससे इंडेक्स की तुलना में मिलने वाले रिटर्न का अंतर कम करने में मदद मिलती है.

          भारत में तेजी से बढ़ रहा ETF में निवेश
          देश के भीतर पिछले पांच साल में ETF का एयूएम 65 फीसदी सीएजीआर की दर से बढ़ा है. वित्‍तवर्ष 2015-16 में जहां कुल एयूएम में ETF की हिस्‍सेदारी 2 फीसदी थी, वहीं यह 2020-21 में बढ़कर 10 फीसदी हो गई. ETF में सबसे ज्‍यादा निवेश ईपीएफओ जैसे संस्‍थागत निवेशकों का है. भारत ही नहीं दुनियाभर में ETF लोकप्रिय हो रहा है, क्‍योंकि पिछले 10 साल में ग्‍लोबल मार्केट में ETF का सीएजीआर 19 फीसदी की दर से बढ़ा है.

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          क्या होता है ब्लॉकचेन एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड, बिटक्‍वाइन ईटीएफ से कितना अलग है यह, जानें पूरी डिटेल

          ब्लॉकचेन ईटीएफ और बिटक्‍वाइन ईटीएफ में अंतर होता है

          बिटक्‍वाइन ने अपने निवेशकों के लिए एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की सुविधा को पेश किया है। बिटक्‍वाइन एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) क्रिप्टो निवेशकों के लिए एक नई अवधारणा है। आपको बताते चलें कि ब्लॉकचेन ईटीएफ ने मुख्यधारा के बाजारों में अपनी शुरुआत कर दी है।

          नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अपने निवेशकों के लिए बिटक्‍वाइन, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की सुविधा पेश कर रहा है। बिटक्‍वाइन एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) क्रिप्टो निवेशकों के लिए एक नई अवधारणा है। आपको बताते चलें कि, ब्लॉकचेन ईटीएफ ने मुख्यधारा के बाजारों में अपनी शुरुआत कर दी है। इस महीने की शुरुआत में, इनवेस्को म्यूचुअल फंड ने घोषणा की थी कि बाजार नियामक सेबी ने इनवेस्को कॉइनशेयर ग्लोबल ब्लॉकचैन ईटीएफ एफओएफ को मंजूरी दे दी है। यह इनवेस्को एमएफ द्वारा एक फीडर फंड है और इनवेस्को कॉइनशेयर्स ग्लोबल ब्लॉकचैन यूसीआईटीएस एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश करेगा। फंड के एनएफओ को 24 नवंबर को लॉन्च किया जाना था, लेकिन भारत में क्रिप्टोकरेंसी के नियमों के बारे में अनिश्चितता को देखते हुए कंपनी ने इसे टाल दिया है। लोग अक्सर ब्लॉकचेन ईटीएफ और बिटक्‍वाइन ईटीएफ के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं, हालांकि ये दोनों ही अलग-अलग वित्तीय साधन हैं। आइए दोनों के बीच अंतर को समझते हैं।

          म्यूचुअल फंड निवेशकों के अधिकार होंगे और मजबूत

          ब्लॉकचैन ईटीएफ ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी के संपर्क में शेयरों में निवेश करने के लिए एक निवेश साधन है। जैसे कि, इनवेस्को, कॉइन शेयर ग्लोबल ब्लॉक चेन यूसीआटीएस ईटीएफ ने, कनाडा के बिटक्‍वाइन माइनर बिटफर्म लिमिटेड यूएस क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनबेस ग्लोबल और दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टो धारक माइक्रोस्ट्रेटजी में निवेश किया है। इस फंड को साल 2019 में लॉन्च किया गया था। वहीं, ब्लॉकचेन ईटीएफ की संख्या बढ़ती जा रही है, बिटक्‍वाइन ईटीएफ अपेक्षाकृत नया है। मनी लॉन्ड्रिंग को सुविधाजनक बनाने में उनकी भूमिका के कारण कई देशों में वर्चुअल करेंसी को नियामक जांच का सामना करना पड़ रहा है। एक प्रौद्योगिकी के रूप में ब्लॉकचेन पर न तो किसी नियामक एजेंसी द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है और न ही इसकी जांच की जा रही है।

          Air India to launch new international flights, See Details

          ब्लॉकचैन ईटीएफ उन कंपनियों के शेयर बाजार की कीमतों को ट्रैक करते हैं जिन्होंने अपने फंड में ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी में निवेश किया है। ब्लॉकचैन विशिष्ट स्टॉक वे हैं जिनके पास ब्लॉकचैन प्रौद्योगिकी से संबंधित संचालन या ब्लॉकचैन प्रौद्योगिकी के विकास और उपयोग से लाभ होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, ब्लॉकचेन तकनीक उन कंपनियों को सक्षम बनाती है जो इसका उपयोग लागत कम करने और विकेंद्रीकरण के माध्यम से अपने संचालन को सरल बनाने के लिए करती हैं।

          Teads signs Partnership with Jagran New Media in India

          इसकी तुलना में, अमेरिकी बाजार नियामक एसईसी को अपना आवेदन जमा करने वाले अधिकांश बिटक्‍वाइन ईटीएफ ने शिकागो बोर्ड विकल्प एक्सचेंज और सीएमई समूह के माध्यम से कारोबार किए जाने वाले वायदा अनुबंधों के माध्यम से बिटक्‍वाइन की कीमत पर नजर रखने का प्रस्ताव दिया है। इस मॉडल में, ईटीएफ वायदा अनुबंधों के स्वामित्व के माध्यम से बिटक्‍वाइन की कीमत को ट्रैक करते हैं। बिटक्‍वाइन स्ट्रैटेजी के तहत पहला बिटकॉइन फ्यूचर्स ईटीएफ अक्टूबर 2021 में लॉन्च किया गया था। यह बिटक्‍वाइन फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स को क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य की कीमत पर ट्रैक करता है।

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