हड़ताल मूल्य

बैंक हड़ताल से 16,500 करोड़ रुपये मूल्य के चेक नहीं हो पाए क्लियर.
सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंककर्मियों की दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल सोमवार से शुरू हो गई। प्रमुख यूनियनों के नेताओं ने इस हड़ताल के पूरी तरह सफल रहने का दावा किया है। उनका कहना है कि 16,500 करोड़ रुपये मूल्य के दो करोड़ चेक/ इंस्ट्रुमेंट्स का क्लियरेंस प्रभावित हुआ है। ऑल इंडिया बैंक इम्पलॉइज एसोसिएशन (AIBEA) के महासचिव सी. एच. वेंकटाचालम ने कहा, ”करीब 16,500 करोड़ रुपये मूल्य के औसतन दो करोड़ चेक का क्लियरेंस रूक गया है। सरकारी ट्रेजरी से जुड़ा कामकाज और सामान्य बैंकिंग लेनदेन भी प्रभावित हुआ है।”
वेंकटाचालम के मुताबिक करीब 10 लाख बैंक कर्मचारियों ने सरकारी बैंकों के निजीकरण के सरकार के फैसले के खिलाफ सोमवार को काम नहीं किया। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने IDBI Bank के अलावा दो अन्य बैंकों के निजीकरण का फैसला किया है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (UFBU) ने इसके खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया है।
AIBEA के महासचिव ने कहा, ”हड़ताल मूल्य विभिन्न राज्यों से हमें जो रिपोर्ट्स मिल रही हैं, उनके मुताबिक सभी केंद्रों में बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुई हैं।”उन्होंने कहा कि अधिकतर शाखाएं नहीं खुलीं और बैंकों के बंद होने के कारण नए चेक स्वीकार नहीं किए गए।
वेंकटाचालम ने कहा कि बैंक निजी हाथ में ना जाएं, यह सुनिश्चित करने के लिए मंगलवार को बैंकों की हड़ताल जारी रहेगी। उन्होंने कहा, ”हमारे लोगों की सेविंग्स को बचाने के लिए यह हड़ताल बुलायी गयी है। देश के प्राथमिकता वाले और कमजोर तबकों को अधिक लोन सुनिश्चित हड़ताल मूल्य करने के लिए इस हड़ताल का आयोजन किया गया है।”
उन्होंने कहा कि बैंक परिचालन लाभ प्राप्त कर रहे हैं लेकिन कॉरपोरेट लेनदारों के हड़ताल मूल्य कर्ज नहीं चुकाने की वजह से की जाने वाली प्रोविजनिंग के चलते शुद्ध आधार पर घाटे में चले जा रहे हैं। बैंकिंग सेक्टर के नौ यूनियनों के अम्ब्रेला बॉडी UFBU ने दो दिनों की इस हड़ताल का आह्वान किया है।
बुंदेले किसान हड़ताल पर ,बंद कर दी दूध-सब्जी और अनाज की सप्लाई
दिल्ली: कई सालों से प्राकृतिक आपदा झेलते आ रहे बुंदेले किसानों ने मंगलवार को क्रांति का बिगुल फूंक डाला। अगले पांच दिनों के लिए किसानों ने दूध, सब्जी, अनाज आदि बाजार में सप्लाई बंद कर हड़ताल का ऐलान कर दिया। किसानोंने ये तय किया है कि वह न तो कचहरी, न बैंक और तहसीलों में खुद के काम के लिए जाएंगे। आंदोलन की अगुवाई करने वाली बुंदेलखंड किसान यूनियन व किसान सभा का कहना है कि सरकारी कर्मचारी हड़ताल कर मांगे पूरी करवा लेते हैं इसलिए अब किसान भी हड़ताल पर हैं। किसानों को मुफ्त बिजली पानी के साथ अपनी फसल के मूल्य निर्धारण का अधिकार मिलना चाहिए। किसानों को बल देने के लिए स्वराज इंडिया के संयोजक प्रो. योगेन्द्र अखिल भारतीय किसान समिति के अध्यक्ष डॉ. सुनीलम भी बांदा पहुंच गए हैं।
पिछले 20 दिनों से बुंदेलखंड किसान यूनियन का धरना बांदा में चल रहा है। इसी दौरान किसान संघ ने किसान हड़ताल का ऐलान किया जिसके समर्थन में सभी किसान संगठन आ गए हैं। किसानों के कई आंदोलन हुए पर सरकारों ने किसान समस्या को गंभीरता से नहीं लिया है। अब बांदा की धरती में सभी किसान संगठनों ने एकजुट होकर तय किया है कि अगले पांच दिनों तक गांव से किसान दैनिक जरूरत का सामान दूध, फल, सब्जी, अनाज बाहर नहीं भेजेंगे। किसान को उत्पादन की लागत का डेढ़ गुना दाम मिलना चाहिए। किसान को अपनी उपज का मूल्य तय करने का अधिकार नहीं है जबकि बाजार में हर चीज के हड़ताल मूल्य दाम की कीमत तय करने का अधिकार कंपनी व कारोबारी को है। किसानों का कहन है कि नुकसान झेल कर फसल उगाने वाले किसानों के बिजली-पानी के बिल माफ होने चाहिए। दिनों दिन उत्पादन घट रहा है, लागत तक नहीं निकल पा रही है। बुंदेलखंड किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा व किसान संघ के संयोजक रामचंन्द सरस के अनुसार जिले की सीमा से सटे गांव गंछा, दुरेड़ी, त्रिवेणी आदि गांवों में किसानों ने हड़ताल का समर्थन किया है।
बड़ोखर से दूध की एक बूंद नहीं पहुंची शहर
हड़ताल में बांदा का बड़ोखर गांव सबसे सक्रिय भूमिका निभा रहा है। मंगलवार को यहां एक बूंद दूध और सब्जी बाजार नहीं हड़ताल मूल्य गयी। कोई किसान अपने किसी काम के लिए गांव से शहर के लिए नहीं निकला। यहां के प्रगतिशील किसान पेरम सिंह की बगिया में किसानों ने डेरा डाल लिया है। यहीं पर प्रो. योगेन्द्र यादव और डॉ. सुशीलम भी पहुंचे और किसानों का साथ देने का ऐलान किया।
फैल रही चिनगारी
बड़ोखर के सौ फीसदी किसानों ने पूरी हड़ताल की है तो आसपास गावों में में भी हड़ताल का आंशिक असर देखने को मिला। कई गावों के किसान बड़ोखर पहुंचे और घोषणा की कि अगले दिनों में वह भी अपने गावों के सभी किसानों को हड़ताल के लिए तैयार करेंगे। यह चिनगारी बुंदेलखण्ड में धीरे-धीरे फैल रही है, आने वाले समय में किसानों का बड़ा आंदोलन बन सकता है।
महाराष्ट्र एक गांव कर चुका ऐसी हड़ताल
प्रो योगेन्द्र यादव और डॉ. सुशीलम ने किसानों को बताया कि महाराष्ट्र का एक गांव भी पहले ऐसी हड़ताल कर चुका। इस गांव ने देश ही नहीं पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा था जिसके बाद यहां के किसानों को काफी कुछ मिल गया।
सरकारों को मजबूर होना पड़ेगा
किसान हड़ताल को लेकर जागरूक किसानों में भी उत्सुकता है। गांव त्रिवेणी के किसान जगदीश चतुर्वेदी कहते है कि पहले किसान साल में चार छह महीने में सिर्फ नमक, कैरोसिन तेल और कपड़े आदि के लिए ही गांव से बाजार करने जाता था। अपनी जरूरतों की हर चीज का प्रबंध उसने गांव में कर रखा था। पांच दिनों की सांकेतिक हड़ताल से किसान एकदम परेशान नहीं होगा। उऩ्होंने कहा कि यह तो किसानों की क्रांती का आगाज है। आने वाले समय में जैसे किसान जागरूक होगा और प्रभावी हड़ताल होगी तो उनकी सामस्या हल करने के लिए सरकारों को होना पड़ेगा।
हड़ताल सफल हुई तो चाय के लाले पड़ेंगे
जिले में शहरी इलाकों किसानों की हड़ताल अगर प्रभावी हो गई तो अगले पांच दिनों में शहरी क्षेत्रों में दूध का संकट खड़ा हो जाएगा। आलम यह होगा कि लोग चाय के लिए तरस जाएंगे। दूध की पूरी आवक गांव पर किसानों पर निर्भर है। डेयरी संचालक भी किसानी से जुड़े है।
बांदा की स्थिति
- जिले में किसानों के यहा5 हजार लीटर दूध रोजाना होता है जिसकी हड़ताल मूल्य आपूर्ति शहरी इलाकों में होती है
- गोवंश व दुधारू मवेशियों की संख्या 695600 है।
- सरकारी कामधेनु डेयरी में दुग्ध उत्पादन प्रतिदिन 765 लीटर
- रबी फसल में पिछले साल 561.769 हजार मैट्रिक टन अनाज का उत्पादन है
- सीमांत 211790, लघु 72912 व सामान्य किसान 75179 है।
- 20 दिनों से आंदोलनकारी किसानों की ये भी हैं मांगे
- बुंदेलखण्ड क्षेत्र में लघु सीमांत का दायरा बढ़ाया जाए, कम से कम 5 हेक्टेअर किया जाए।
- बुंदेलखण्ड क्षेत्र में किसानों का सम्पूर्ण कृषि ऋण माफ किया जाए।
- वर्ष 2018 में ओलावृष्टि से प्रभावित सभी किसानों राहत राशि उपलब्ध कराई जाए।
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें शीघ्र लागू की जाए।
- बुंदेलखण्ड क्षेत्र में की गई घोषणा के अनुसार हर खेत में पानी उपलब्ध कराने के लिए सिंचाई के हड़ताल मूल्य संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
- किसानों के उत्पादन का उचित मूल्य दिया जाए अन्यथा उत्पादन को मूल प्रणाली से जोड़ा जाए।
- बुंदेलखण्ड क्षेत्र में अन्ना जानवरों की व्यवस्था के लिए गौशालाओं का निर्माण किया जाए।
- बुंदेलखंड में किसानों को समुचित बिजली मुहैया करायी जाए।
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